बलबीर सिंह सीनियर से लेकर अभिनव बिंद्रा: ओलंपिक में भारत के ध्वजवाहक
ओलंपिक के उद्घाटन समारोह में आठ पदक विजेता, दो महिला सहित कुल 17 एथलीटों ने भारत के लिए ध्वजवाहक बनने का सम्मान हासिल किया है।
अपने देश के लिए ओलंपिक ध्वजवाहक होना हर एथलीट के लिए एक सम्मान की बात होती है। उनके लिए ये उतने ही गर्व की बात है, जितना वह पदक जीतते समय करते हैं।
ग्रीष्मकालीन खेलों में एक देश का ध्वजवाहक राष्ट्र के मूल्यों का प्रतिनिधित्व करता है और इसे ओलंपिक आदर्शों के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। यह भविष्य के लिए एक प्रेरणा या रोल मॉडल हो सकता है।
वर्षों से भारत के लिए ओलंपिक ध्वजवाहक अपने-अपने खेलों के अग्रणी खिलाड़ी रहे हैं, उन्होंने कई बार अपनी उपलब्धियों से देश को गौरवान्वित किया है। उनकी पहचान भारत के महान खिलाड़ियों के रूप में होती है।
ओलंपिक के पहले भारतीय ध्वजवाहक
खेलों के उद्घाटन समारोह में राष्ट्रीय ध्वज ले जाने वाले पहले भारतीय पुरमा बनर्जी थे, 400 मीटर धावक को ये सम्मान 1920 बेल्जियम के एंटवर्प ओलंपिक में मिला था।
साल 1947 में भारत को आजादी मिलने के साथ, अगले ओलंपिक (लंदन 1948) देश के लिए एक महत्वपूर्ण थे। इस ओलंपिक गेम्स में भारत को अपनी खेल ताकत दिखाने की उम्मीद थी।
1948 के ओलंपिक में भारत के फ्लैग बियरर होने का सम्मान भारतीय मेंस फुटबॉल टीम के प्रेरणादायक पहले कप्तान डॉ. तालीमरीन एओ को दिया गया।
ओलंपिक गेम्स के सभी भारतीय ध्वजवाहक
अब तक 17 एथलीट्स ने ध्वजवाहक बनने का सम्मान हासिल किया है लेकिन इनमें से केवल 8 ही ऐसे एथलीट्स हैं, जिन्होंने ओलंपिक में पदक जीता।
देश के इकलौते पहले व्यक्तिगत स्वर्ण पदक विजेता अभिनव बिंद्रा रियो ओलंपिक 2016 में भारत के ध्वजवाहक थे। यह उनका आखिरी ओलंपिक भी था।
ध्वज को ले जाने वाले अन्य गोल्ड मेडलिस्ट में 1932 ओलंपिक हॉकीटीम के कप्तान लाल चंद भोकरी, जादूगर ध्यान चंद, दिग्गज बलबीर सिंह सीनियर और जफर इकबाल भी शामिल हैं।
तीन बार के ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता बलबीर सिंह सीनियर ओलंपिक को ये सम्मान दो बार (1952, 1956) मिला है।
स्प्रिंटर शाइनी-अब्राहम विल्सन 1992 बार्सिलोना ओलंपिक में देश की ओलंपिक ध्वजवाहक का सम्मान पाने वाली पहली भारतीय महिला था। शाइनी के अलावा ये सम्मान पाने वाली अन्य महिला अंजू बॉबी जॉर्ज हैं, जिन्होंने 2004 एथेंस ओलंपिक में ये उपलब्धि हासिल की थी।
ओलंपिक में भारतीय हॉकी की एक बेहतरीन विरासत है। भारतीय टीम ने हॉकी में आठ स्वर्ण, दो सिल्वर और तीन कांस्य पदक जीते हैं, इसलिए यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि हॉकी खिलाड़ियों ने ओलंपिक (6) में भारत के लिए सबसे अधिक बार झंडा उठाया है।
लिएंडर पेस, राज्यवर्धन सिंह राठौर और सुशील कुमार अन्य ओलंपिक पदक विजेता हैं, जिन्होंने भारत के ओलंपिक फ्लैग बियरर बनने का सम्मान हासिल किया।
ओलंपिक में पहली बार भारत की ओर से दो फ्लैग बियरर रहे। टोक्यो 2020 समर गेम्स में मैरी कॉम और मनप्रीत सिंह ने ध्वजवाहक बनने का गौरव हासिल किया।
ओलंपिक में भारत के ध्वजवाहक
1920 - पुरमा बनर्जी (एथलेटिक्स)
1932 - लाल शाह भोकरी (हॉकी)
1936 - ध्यानचंद (हॉकी)
1948 - तालीमरीन एओ (फुटबॉल)
1952 - बलबीर सिंह सीनियर (हॉकी)
1956 - बलबीर सिंह सीनियर (हॉकी)
1964 - गुरबचन सिंह रंधावा (एथलेटिक्स)
1972 - डेसमंड-नेविल डिवाइन जोन्स (बॉक्सिंग)
1984 - ज़फर इकबाल (हॉकी)
1988 - करतार सिंह ढिल्लों (कुश्ती)
1992 - शाइनी-अब्राहम विल्सन (एथलेटिक्स)
1996 - परगट सिंह (हॉकी)
2000 - लिएंडर पेस (टेनिस)
2004 - अंजू बॉबी जॉर्ज (एथलेटिक्स)
2008 - राज्यवर्धन सिंह राठौर (शूटिंग)
2012 - सुशील कुमार (कुश्ती)
2016 - अभिनव बिंद्रा (शूटिंग)
2020 - मैरी कॉम (बॉक्सिंग) और मनप्रीत सिंह (हॉकी)
2024 - शरत कमल (टेबल टेनिस) और पीवी सिंधु (बैडमिंटन)