छह बार की वर्ल्ड चैंपियन और ओलंपिक पदक विजेता मैरी कॉम एक महान मुक्केबाज हैं।
मणिपुर के एक गरीब किसान परिवार में जन्मीं मैरी कॉम का पूरा नाम मंगते चुंगनेइजैंग ‘मैरी’ कॉम है। बचपन से ही वह एक प्रतिभाशाली एथलीट थीं।
1998 के एशियन गेम्स में मणिपुर के डिंको सिंह की गोल्ड मेडल जीत से प्रेरित होकर उन्होंने बॉक्सिंग को अपना करियर बनाने का फैसला किया।
अपने सपने को पूरा करने के लिए मैरी कॉम ने 15 साल की उम्र में घर छोड़कर इम्फाल स्पोर्ट्स अकादमी में ट्रेनिंग शुरू की।
शुरुआत में मैरी ने अपने पिता मंगते टोनपा कॉम, जो खुद एक पहलवान थे, उनसे उन्होंने अपनी बॉक्सिंग ट्रेनिंग छुपाई।
लेकिन साल 2000 में जब मैरी राज्य चैंपियन बनीं और उनकी तस्वीर अखबार में छपी, तो उनके पिता को इस बारे में पता चला। धीरे-धीरे उन्होंने अपनी बेटी का समर्थन करना शुरू किया।
साल 2001 में मैरी कॉम ने पहली बार वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में हिस्सा लिया और सिल्वर मेडल जीता। इसके बाद उन्होंने सात वर्ल्ड चैंपियनशिप मेडल और जीते, जिनमें से छह गोल्ड (2002, 2005, 2006, 2008, 2010, 2018) और एक ब्रॉन्ज 2019 रहे।
साल 2002 में वर्ल्ड चैंपियनशिप का गोल्ड मेडल जीतकर मैरी कॉम ऐसा करने वाली पहली भारतीय बॉक्सर बनीं।
"कभी हार मत मानना, क्योंकि जिंदगी आपको हमेशा दोबारा मौका देती है"
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