भारत का पहला ओलंपिक: पेरिस 1900 में डेब्यू और उसके बाद के सफर पर डालें एक नज़र

नॉर्मन प्रिचर्ड ने 1900 के ओलंपिक खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया और उसी के साथ यह देश की पहली ओलंपिक उपस्थिति बन गई। इसके बाद भारत ने 1920 के ओलंपिक खेलों में अपना पहला दल भेजा।

4 मिनटद्वारा रितेश जायसवाल
1920 Antwerp Olympics.
(1920 Getty Images)

ओलंपिक के साथ भारत मॉडर्न ओलंपिक खेलों के दूसरे संस्करण यानी 1900 में हुए पेरिस ओलंपिक से जुड़ा हुआ है।

कलकत्ता (जिसे अब कोलकाता के नाम से जाना जाता है) में जन्मे नॉर्मन प्रिचर्ड (Norman Pritchard) ओलंपिक में भाग लेने वाले पहले भारतीय एथलीट बने। वह फ्रांस में छुट्टी मना रहे था और तभी उन्होंने ओलंपिक खेलों में अपना नाम दर्ज कराने का फैसला किया।

नॉर्मन प्रिचर्ड ने पेरिस में पांच एथलेटिक्स इवेंट - 60 मीटर, 100 मीटर, 200 मीटर, 110 मीटर हर्डल रेस और 200 मीटर हर्डल रेस में हिस्सा लिया।

वह 60 मीटर और 100 मीटर हीट में जल्द ही बाहर हो गए।

इस संस्करण में भारत ने अपना पहला ओलंपिक पदक जीता, जब नॉर्मन प्रिचर्ड ने संयुक्त राज्य अमेरिका के वाल्टर टिव्सबरी के पीछे फिनिश लाइन को पार करते हुए 200 मीटर स्प्रिंट में रजत पदक हासिल किया। इसने प्रिचर्ड को ओलंपिक पदक जीतने वाला पहला एशियाई मूल का एथलीट बना दिया।

इसके बाद नॉर्मन प्रिचर्ड ने 200 हर्डल रेस में ओलंपिक का अपना दूसरा रजत पदक जीता और इस दौरान वह दिग्गज अमेरिकी एथलीट एल्विन क्रेंजलिन से पीछे रहे।

प्रिचर्ड ने 110 मीटर हर्डल रेस के फाइनल में भी जगह बनाई, लेकिन वह रेस के बीच में लड़खड़ा गए।

प्रिचर्ड के ब्रिटिश वंशज होने की वजह से नॉर्मन प्रिचर्ड की राष्ट्रीयता पर काफी बहस हुई, लेकिन 1875 में जन्मे इस एथलीट ने भारतीय यात्रा दस्तावेज (आधुनिक पासपोर्ट) के साथ यात्रा की थी और उनके पास भारतीय जन्म प्रमाण पत्र था।

हालांकि, ओलंपिक इतिहासकार इयान बुकानन के अनुसार नॉर्मन प्रिचर्ड ने एक व्यक्ति के रूप में इस ओलंपिक में हिस्सा लिया था, न कि भारतीय झंडे के नीचे।

वहीं अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) अभी भी नॉर्मन प्रिचर्ड को एक भारतीय एथलीट मानती है और उनके दोनों ओलंपिक पदक का श्रेय भारत को देती है।

भारत का पहला ओलंपिक दल

भारत ने पहली बार 1920 के एंटवर्प ओलंपिक में एथलीटों का अपना आधिकारिक दल भेजा था।

प्रसिद्ध व्यवसायी दोराबजी टाटा को 1920 के ओलंपिक में भाग लेने वाले एथलीटों को चुनने और प्रशिक्षित करने के लिए 'भारतीय ओलंपिक संघ' बनाने की पहल करने का श्रेय दिया जाता है।

दोराबजी टाटा ने तत्कालीन बॉम्बे गवर्नर जॉर्ज लॉयड से संपर्क किया, जिन्होंने 1920 के ओलंपिक में भारत को खेलने के लिए अपनी अनुमति दी।

इसके बाद दोराबजी टाटा, जॉर्ज लॉयड और कुछ अन्य लोगों ने एक समिति बनाई और पुणे के डेक्कन जिमखाना में ओलंपिक एथलीटों के चयन के लिए ट्रायल आयोजित करने का फैसला किया - जहां टाटा प्रेसिडेंट थे।

अप्रैल 1920 में समिति ने एंटवर्प खेलों के लिए पांच सदस्यीय भारतीय दल को चुना।

पहले भारतीय ओलंपिक दल में पुरमा बनर्जी (100 मीटर और 400 मीटर), फडेप्पा चौगुले (10000 मीटर और मैराथन), सदाशिव दातार (मैराथन), कुमार नवाले और दिनका राव शिंदे (कुश्ती) शामिल थे।

(Getty Images)

पुरमा बनर्जी को भारतीय ध्वज के साथ नेतृत्व करने का जिम्मा सौंपा गया और इस तरह से वह ओलंपिक उद्घाटन समारोह में देश की पहली भारतीय फ्लैग-बियरर बनीं।

दिनकाराव शिंदे ने मेंस फेदरवेट (54 किग्रा) में ग्रेट ब्रिटेन के हेनरी इनमैन को हराकर ओलंपिक में भारत की पहली जीत हासिल की। उन्होंने 1920 के ओलंपिक में चौथे स्थान पर रहते हुए भारत के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया।

साथी पहलवान कुमार नवाले मेंस मिडिलवेट (69 किग्रा) वर्ग में राउंड ऑफ-16 से बाहर हो गए।

एथलेटिक्स में पुरमा बनर्जी 100 मीटर और 400 मीटर दोनों हीट्स में बाहर हो गईं। फडेप्पा चौगुले भी 10,000 मीटर फाइनल में जगह नहीं बना पाए, लेकिन वह मैराथन में 19वें स्थान पर रहे। जबकि सदाशिव दातार मैराथन खत्म करने में विफल रहे।

स्वतंत्रता के बाद ओलंपिक में भारत की पहली उपस्थिति

1947 में अंग्रेजों से स्वतंत्रता हासिल करने के बाद, 1948 के लंदन ओलंपिक में भारत की भागीदारी देश के इतिहास में एक महत्वपूर्ण पल था।

भारत ने 1948 में लंदन में 86 एथलीटों को नौ अलग-अलग खेलों - एथलेटिक्स, बॉक्सिंग, साइकिलिंग, हॉकी, फुटबॉल, तैराकी, वाटर पोलो, वेटलिफ्टिंग और कुश्ती में भाग लेने के लिए भेजा।

1948 के लंदन ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम ने लगातार अपना चौथा और एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में अपना पहला ओलंपिक स्वर्ण पदक जीता। पिछले तीन हॉकी स्वर्ण पदक - 1928, 1932 और 1936 में जीते, तब भारत अंग्रेज़ों के अधीन था।

भारतीय हॉकी ने अगले तीन दशकों में चार अन्य स्वर्ण पदक, एक रजत और दो कांस्य पदक जीते।

रेसलर केडी जाधव स्वतंत्र भारत के पहले व्यक्तिगत ओलंपिक पदक विजेता थे, जिन्होंने 1952 के हेलसिंकी ओलंपिक में कांस्य पदक जीता था।