विवेक सागर प्रसाद: भारतीय पुरुष हॉकी टीम का करिश्माई मिडफील्डर

विवेक सागर प्रसाद ने साल 2018 में भारतीय टीम के लिए डेब्यू किया। मिडफ़ील्डर ने यूथ ओलंपिक गेम्स, ओलंपिक गेम्स, कॉमनवेल्थ गेम्स, चैंपियंस ट्रॉफी और एशियन गेम्स में पदक जीते हैं।

7 मिनटद्वारा रौशन प्रकाश वर्मा
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(Getty Images)

दुनिया भर में अपनी शोहरत क़ायम करने के लिए ज़्यादातर खिलाड़ियों को सालों तक कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। हालांकि, भारतीय पुरुष हॉकी टीम के मिडफ़ील्डर विवेक सागर प्रसाद की कहानी कुछ अलग है और उन्हें काफ़ी जल्दी सफलता हासिल हो गई।

विवेक सागर प्रसाद ने जनवरी 2018 में 17 साल, 10 महीने और 22 दिन की उम्र में भारतीय टीम के लिए खेलना शुरू किया। वे अपने देश का प्रतिनिधित्व करने वाले दूसरे सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बन गए हैं।

तब से लेकर अब तक उन्होंने भारत की ओर से 90 से अधिक अंतरराष्ट्रीय मुक़ाबले खेले हैं।

उन्होंने ब्यूनस आयर्स में युवा ओलंपिक खेल 2018 में भारतीय जूनियर हॉकी टीम को रजत पदक दिलाया था। उसी साल, विवेक सागर प्रसाद ने भारत के द्वारा जकार्ता में हुए एशियाई खेलों में कांस्य पदक और नीदरलैंड में आयोजित चैंपियंस ट्रॉफ़ी में रजत पदक जीतने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

भारतीय हॉकी खिलाड़ी को साल 2019 में FIH मेंस राइज़िंग स्टार ऑफ़ द ईयर भी घोषित किया गया था।

मिडफ़ील्डर के रूप में खेलते हुए, प्रसाद ने टोक्यो 2020 में भारत के कांस्य पदक जीत में अहम योगदान दिया था। इसके लिए उन्हें साल 2021 में FIH यंग प्लेयर ऑफ़ द ईयर के पुरस्कार के लिए नामित किया गया था।

साल 2022 में, विवेक सागर प्रसाद ने बर्मिंघम में संपन्न हुए राष्ट्रमंडल खेल में भारतीय टीम को रजत पदक दिलाने में मदद की थी। वे 13 जनवरी से शुरू होने वाले FIH हॉकी विश्व कप 2023 में एक बार फ़िर से अपना करिश्मा दिखाने के लिए मैदान पर उतरेंगे।

विवेक प्रसाद सागर का जन्म कहां हुआ था?

विवेक सागर प्रसाद का जन्म 25 फ़रवरी 2000 को मध्य प्रदेश के इटारसी शहर के पास शिवनगर चंदन गांव में हुआ था।

बचपन में, विवेक सागर प्रसाद को शतरंज, बैडमिंटन और क्रिकेट खेलना पसंद था और हॉकी से उनका परिचय महज़ एक इत्तेफ़ाक़ था। पहली बार हॉकी से उनका परिचय साल 2010-11 में हुआ। दरअसल, विवेक जिस स्कूल में पढ़ते थे, उस स्कूल में हॉकी कोच ने उन छात्रों को इस खेल का प्रशिक्षण देने की पेशकश की, जो इस खेल को खेलना चाहते हैं।

विवेक सागर प्रसाद ने ईएसपीएन को दिए एक इंटरव्यू में कहा था, "मुझे बैडमिंटन और शतरंज में अधिक दिलचस्पी थी। हमें बताया गया कि हॉकी में रुचि रखने वाले प्रशिक्षण में शामिल हो सकते हैं और इस तरह हॉकी मेरे जीवन में आई।"

हॉकी का जादू जल्द ही युवा विवेक हावी हो गया। वे अपने खाली समय में भी, अपने घर के पास की एक छोटी सी जगह में अभ्यास किया करते थे और कुछ ही महीनों में ये खिलाड़ी स्कूल के स्तर से आगे खेलने लगा।

साल 2013 में अकोला में एक स्थानीय सीनियर-लेवल के टूर्नामेंट में खेलते हुए, विवेक सागर प्रसाद पर अशोक कुमार की नज़र पड़ी, जिन्होंने 1975 के हॉकी विश्व कप फ़ाइनल में विजयी गोल किया था। आपको बता दें कि अशोक कुमार भारतीय हॉकी के दिग्गज ध्यानचंद के पुत्र हैं।

सिर्फ़ 13 साल के होने के बावजूद विवेक सागर प्रसाद इस खेल में दूसरे खिलाड़ियों से अलग दिख रहे थे।

मैच के बाद, विवेक सागर प्रसाद को भोपाल में अशोक कुमार की एमपी हॉकी अकादमी में प्लेसमेंट की पेशकश की गई। प्रतिभाशाली मिडफ़ील्डर ने इस अवसर को हाथों-हाथ लिया और आने वाले कुछ सालों तक अशोक कुमार की संस्थान में अपनी प्रतिभा को निखारने का काम जारी रखा।

चोट और डिप्रेशन से बाहर आने की प्रक्रिया

साल 2016 में, यह लगभग तय माना जा रहा था कि विवेक सागर प्रसाद को जूनियर हॉकी विश्व कप के लिए भारतीय टीम में जगह मिल जाएगी। लेकिन, इससे ठीक पहले वे भयंकर रूप से चोटिल हो गए जिससे उनके करियर पर भी खतरा मंडराने लगा। इस चोट ने उनकी महत्वाकांक्षाओं पर पानी फेर दिया।

एक अभ्यास मैच के दौरान मिडफ़ील्डर का कॉलरबोन (कंधे से छाती की हडि्‌डयों को जोड़ने वाली हड्‌डी) चोटिल हो गया और इसके बाद उन्हें महीनों तक मैदान से बाहर रहना पड़ा। इस वजह से वे डिप्रेशन का भी शिकार हुए।

अशोक कुमार ने 2018 में इंडियन एक्सप्रेस को बताया, "उन्हें इतनी ज़ोर से चोट लगी थी कि उनका कॉलरबोन टूटकर शरीर की चमड़ी (स्किन) को फाड़कर बाहर आ गया था। चोट लगना तो आम बात है लेकिन यह काफ़ी गंभीर लग रही थी। हम उन्हें पास के एक अस्पताल में ले गए जहां तुरंत उनकी सर्जरी करनी पड़ी।"

हालांकि, विवेक सागर प्रसाद ने साल 2017 में सुल्तान ऑफ़ जोहोर कप में प्रभावशाली वापसी की और भारत की अंडर-21 टीम को कांस्य पदक दिलाया। उन्होंने प्लेयर ऑफ़ द टूर्नामेंट का पुरस्कार भी जीता और पूर्व भारतीय सीनियर कोच सोजर्ड मारिजने का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। इसके बाद उन्हें राष्ट्रीय शिविर के लिए बुलाया गया।

विवेक सागर प्रसाद की उपलब्धियां और पदक

विवेक सागर प्रसाद की हरफ़नमौला क्षमताओं से प्रभावित होकर, सोजर्ड मारिजने ने उन्हें जनवरी 2018 में चार देशों के आमंत्रण टूर्नामेंट के लिए सीनियर टीम में शामिल किया। रियो 2016 के रजत पदक विजेता बेल्जियम, जापान और मेज़बान न्यूज़ीलैंड टूर्नामेंट की अन्य टीमें थीं।

जापान के ख़िलाफ़ मैदान में क़दम रखते ही, प्रसाद भारतीय राष्ट्रीय टीम का प्रतिनिधित्व करने वाले दूसरे सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बन गए। वे संदीप सिंह के रिकॉर्ड से सिर्फ़ 11 दिन पीछे रह गए।

विवेक प्रसाद को प्रबंधन के सामने यह बात साबित करने में थोड़ा समय लगा कि वे सीनियर टीम में जगह बनाने के लायक़ हैं। इसके बाद उन्होंने 2018 गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स टीम में भारत के पूर्व कप्तान और दिग्गज सरदार सिंह की जगह ली। उसी साल बाद में, उन्होंने जकार्ता में एशियाई खेलों में चार गोल कर भारत को कांस्य पदक दिलाने में अहम भूमिका निभाई।

प्रसाद ने नीदरलैंड में 2018 चैंपियंस ट्रॉफ़ी के फ़ाइनल में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ गोल कर स्कोर को बराबर भी किया था। हालांकि, भारत को शूटआउट के ज़रिए ऑस्ट्रेलिया से हारकर रजत पदक से ही संतोष करना पड़ा था।

प्रसाद ने 2018 में युवा ओलंपिक खेलों में भारतीय जूनियर टीम का नेतृत्व किया था। उन्होंने न केवल मिडफ़ील्ड में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, बल्कि वह टूर्नामेंट में भारत के लिए संयुक्त रूप से सर्वाधिक गोल करने वाले खिलाड़ी भी थे।

मलेशिया के ख़िलाफ़ फ़ाइनल मैच में, विवेक सागर प्रसाद ने दो गोल किए लेकिन भारत यह मुक़ाबला 4-2 से हार गया और टीम को रजत पदक से संतोष करना पड़ा।

उन्होंने जल्दी ही भारत की सीनियर टीम में अपनी जगह पक्की कर ली। उन्हें साल 2019 में FIH मेंस सीरीज़ फ़ाइनल में टूर्नामेंट का सर्वश्रेष्ठ युवा खिलाड़ी चुना गया। प्रसाद ने उसी साल FIH मेंस राइज़िंग स्टार ऑफ़ द ईयर का ख़िताब भी हासिल किया।

टोक्यो 2020 में कांस्य पदक

विवेक ने टोक्यो 2020 ओलंपिक में भारत के लिए सभी आठ मुक़ाबले खेले। उन्होंने अर्जेंटीना के ख़िलाफ़ मैच के अंतिम मिनटों में एक महत्वपूर्ण गोल कर भारत को 2-1 से आगे कर दिया। भारत ने 3-1 से जीत दर्ज करते हुए नॉकआउट के लिए क्वालीफ़ाई किया।

हालांकि प्रसाद के लिए यह टूर्नामेंट का एकमात्र गोल था लेकिन भारतीय टीम के लिए यह पल 41 साल बाद आया था जब उन्होंने ओलंपिक में कोई पदक जीता हो। इस ऐतिहासिक कांस्य पदक जीत में प्रसाद का योगदान बहुत महत्वपूर्ण था।

टोक्यो ओलंपिक के बाद, विवेक सागर प्रसाद ने जूनियर हॉकी विश्व कप में भारत की कप्तानी की, जहां टीम सेमी-फ़ाइनल तक पहुंची। आपको बता दें साल 2021 में उन्हें अर्जुन पुरस्कार से नवाज़ा गया जो खिलाड़ियों के लिए भारत का दूसरा सबसे बड़ा सम्मान है। इसके अलावा टोक्यो 2020 ओलंपिक में उनके शानदार प्रयासों के लिए उन्हें FIH यंग प्लेयर ऑफ़ द ईयर का पुरस्कार भी दिया गया।

बर्मिंघम में हुए राष्ट्रमंडल खेल 2022 की भारतीय टीम में भी प्रसाद शामिल थे। इस प्रतियोगिता के फ़ाइनल में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ हार झेलने के बाद भारत को रजत पदक के साथ संतोष करना पड़ा था।

विवेक सागर प्रसाद भारतीय हॉकी टीम में नियमित रूप से शामिल थे, जिसने 2023 में कई उतार-चढ़ाव देखे। भारत, प्री-टूर्नामेंट पसंदीदा में से एक, ओडिशा में खेले गए हॉकी वर्ल्ड कप 2023 के क्वार्टरफाइनल में पहुंचने में असफल रहा।

हालांकि, टीम ने चेन्नई में एशियन चैंपियंस ट्रॉफी और हांगझोऊ में एशियन गेम्स 2023 में स्वर्ण पदक जीतने के लिए वापसी की।

विवेक सागर प्रसाद की उपलब्धियां

  • टोक्यो 2020 ओलंपिक - कांस्य पदक
  • यूथ ओलंपिक गेम्स 2018 - रजत पदक
  • एशियन गेम्स 2023 - स्वर्ण पदक
  • एशियन गेम्स 2018 - कांस्य पदक
  • एशियन चैंपियंस ट्रॉफी 2023 - स्वर्ण पदक
  • कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 - रजत पदक
  • चैंपियंस ट्रॉफी 2018 - रजत पदक
  • FIH मेंस राइजिंग स्टार ऑफ द ईयर 2019
  • अर्जुन पुरस्कार 2021
  • FIH यंग प्लेयर ऑफ द ईयर 2021
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