भारतीय हॉकी टीम में अस्थायी खिलाड़ी से लेकर टीम का उप-कप्तान बनने तक अमित रोहिदास ने एक लंबा सफ़र तय किया है। उन्होंने हाल के वर्षों के अपने शानदार प्रदर्शनों की बदौलत बेहद शांत तरीक़े से अपनी रैंकिंग में भी काफ़ी सुधार किया है।
अमित रोहिदास ने साल 2013 में भारत की सीनियर टीम में अपना पदार्पण किया था और बेहद कम समय में ही वे भारतीय डिफ़ेंस के रीढ़ की हड्डी बन गए।
इस भारतीय हॉकी खिलाड़ी ने 160 से अधिक अंतरराष्ट्रीय मुक़ाबलों में देश का प्रतिनिधित्व किया है। टीम में बतौर स्पेशलिस्ट डिफेंडर के तौर पर खेलने के बावजूद उन्होंने अब तक 25 से अधिक गोल दागे हैं। रोहिदास FIH हॉकी विश्व कप 2023 में भारतीय उप-कप्तान थे और उन्होंने उसी वर्ष बाद में हांगझोऊ में एशियन गेम्स में टीम को स्वर्ण पदक जीतने में भी मदद की।
टोक्यो 2020 ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय टीम में भी अमित रोहिदास ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। इसके अलावा उन्होंने अपने शानदार डिफ़ेंस से कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में भी भारतीय टीम को रजत पदक हासिल करने में अहम योगदान दिया था।
मैदान पर विपक्षी टीम की ओर से किसी भी हमले का अंदाज़ा पहले ही लगाने की क़ाबिलियत के साथ रोहिदास भारतीय टीम के डिफ़ेंस का मुख्य स्तंभ हैं। इसके अलावा उनके क़दमों की रफ़्तार भी बेहद तेज़ है जिसकी बदौलत वे अपने रोकने की क्षमता और एंगल का इस्तेमाल कर विपक्षी टीम के ड्रैग-फ्लिकर के शॉट को नाकाम कर देते हैं।
अमित रोहिदास का जन्म कहां हुआ था?
अमित रोहिदास का जन्म 10 मई 1993 को ओडिशा के सुंदरगढ़ ज़िले के सौनामारा गांव में एक किसान परिवार में हुआ था। हालांकि, सुंदरगढ़ ज़िले को भारत में हॉकी के प्रतिभाशाली खिलाड़ियों का गढ़ माना जाता है। दिलीप तिर्की जैसे कई दिग्गजों ने इसी ज़िले में जन्म लिया और वे आज भारत की अहम सफलताओं में अपने योगदानों के लिए याद किए जाते हैं। लेकिन, अमित रोहिदास का परिवार इस खेल से ताल्लुख़ नहीं रखता था और हॉकी खेलने में दिलचस्पी दिखाने वाले वे अपने परिवार के पहले सदस्य हैं।
हॉकी में अमित रोहिदास की दिलचस्पी उस वक़्त जगी जब उन्होंने दिलीप तिर्की को सुंदरगढ़ में खेलते हुए देखा। साल 2004 में, रोहिदास को पनपोश स्पोर्ट्स हॉस्टल में प्रवेश मिला और 11 साल की उम्र में उन्होंने अपने हॉकी खेलने की प्रतिभा को निखारना शुरू किया।
अमित रोहिदास ने अपने करियर की शुरुआत गोलकीपर के रूप में की थी। इसके बाद उन्होंने अपनी क़िस्मत एक पूर्णकालिक फ़ॉरवर्ड के रूप में आज़माई। लेकिन, अंततः अपने कोच बिजय लाकड़ा की सलाह पर उन्होंने डिफ़ेंडर बनने का फ़ैसला किया।
रोहिदास का ये फ़ैसला उनके लिए रंग लाया। मैदान पर उनके निडर रवैये ने उन्हें ओडिशा की राज्य हॉकी टीम में नियमित स्टार्टर बना दिया। ओडिशा के लिए लगातार शानदार प्रदर्शन की बदौलत रोहिदास को साल 2009 में राष्ट्रीय स्तर पर पहली बड़ी सफलता मिली। उन्हें म्यांमार में आयोजित साल 2009 के जूनियर एशिया कप के लिए भारतीय टीम में शामिल किया गया, जहां रोहिदास को उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए प्लेयर ऑफ़ द टूर्नामेंट के ख़िताब से नवाज़ा गया।
चार साल बाद, अमित रोहिदास को भारतीय अंडर -21 टीम का उप-कप्तान बनाया गया और मलेशिया में हुए सुल्तान अज़लान शाह कप के माध्यम से उन्होंने भारत के लिए सीनियर स्तर पर अपने करियर की शुरुआत की।
अमित रोहिदास के मेडल और उपलब्धियां
अमित रोहिदास ने भारत की सीनियर टीम के लिए साल 2013 में डेब्यू किया और वे एशिया कप में रजत पदक जीतने वाली भारतीय टीम के सदस्य थे।
हालांकि, रूपिंदर पाल सिंह, बीरेंद्र लाकड़ा और हरमनप्रीत सिंह जैसे दिग्गज डिफ़ेंडर्स की मौजूदगी में अमित रोहिदास को कई सालों तक सीनियर टीम में अपनी जगह पक्की करने के लिए संघर्ष करना पड़ा।
रोहिदास ने स्क्रॉल वेबसाइट के साथ बातचीत में कहा था, "मैं साल 2014 से 2017 तक सीनियर टीम से बाहर था और वह मेरे लिए बेहद मुश्किल समय था।"
लेकिन, मैदान पर अपने निडर रवैये के लिए मशहूर अमित रोहिदास ने उन वर्षों में लगातार भारतीय टीम में जगह बनाने में असफल रहने के बावजूद हार नहीं मानी।
घरेलू स्तर पर, अमित रोहिदास रेलवे स्पोर्ट्स प्रमोशन बोर्ड (RSPB) के लिए खेले। उन्होंने आरएसपीबी के मुख्य कोच सुनील कुमार सिंह के साथ मिलकर अपनी प्रतिभा को और भी धारदार बनाया जिसका परिणाम उन्हें जल्द ही मिला।
साल 2014 और 2017 के बीच टीम से बाहर रहने के बाद, अमित रोहिदास ने अगस्त 2017 में भारतीय टीम के यूरोप दौरे पर अपने प्रदर्शन से राष्ट्रीय चयनकर्ताओं को प्रभावित किया, जहां भारत ने नीदरलैंड को दो बार हराया।
सितंबर में, रोहिदास को इंडिया ए टीम का उप-कप्तान बनाया गया, जो ऑस्ट्रेलियाई हॉकी लीग में चौथे स्थान पर रही।
ढाका में आयोजित 2017 एशिया कप विजेता भारतीय टीम में भी रोहिदास शामिल थे। इसके बाद उन्होंने साल 2018 के राष्ट्रमंडल खेलों और FIH विश्व कप के लिए भारतीय टीम में अपनी जगह पक्की की।
हालांकि, भारतीय टीम राष्ट्रमंडल खेलों और हॉकी विश्व कप में पदक हासिल नहीं कर सकी। लेकिन, कुछ महीने बाद जकार्ता में हुए एशियाई खेलों में टीम ने कांस्य पदक अपने नाम किया। इसके बाद भारत ने नीदरलैंड में आयोजित चैंपियंस ट्रॉफ़ी 2018 में भी रजत पदक पर कब्ज़ा किया।
ओलंपिक डेब्यू पर पदक
रोहिदास ने टोक्यो 2020 ओलंपिक के लिए भारत के क्वालीफ़ाइंग अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। टोक्यो 2020 में भारत के ऐतिहासिक अभियान में कई शानदार खिलाड़ी थे, लेकिन अमित रोहिदास की पेनल्टी-कॉर्नर विशेषज्ञों को नाकाम करने की क्षमता ने उन्हें बाक़ी खिलाड़ियों से अलग किया और उन्होंने ख़ूब सुर्ख़ियां बटोरीं।
अमित रोहिदास ने 41 साल बाद भारतीय हॉकी टीम के ओलंपिक पदक (कांस्य पदक) हासिल करने के सफ़र में अहम भूमिका निभाई।
भारत ने टोक्यो 2020 में अपने पांच में से चार ग्रुप मैच जीते और क्वार्टर-फ़ाइनल में ग्रेट ब्रिटेन को 3-1 से हराया। सेमी-फ़ाइनल में भारतीय टीम का सामना प्रतियोगिता की स्वर्ण पदक विजेता बेल्जियम से हुआ।
सेमी-फ़ाइनल मुक़ाबले में एक समय भारत 2-1 से आगे था, लेकिन इसके बावजूद उन्हें बेल्जियम के ख़िलाफ़ 5-2 से हार झेलनी पड़ी। हालांकि, भारत ने कांस्य पदक मुक़ाबले में शानदार प्रदर्शन करते हुए चार बार के ओलंपिक चैंपियन जर्मनी को धूल चटाई। इस मैच में अमित रोहिदास ने भी अपना बेहतरीन खेल दिखाया।
मैच में 3-1 से पिछड़ने के बाद भारतीय खिलाड़ियों ने शानदार वापसी की और तीसरे क्वार्टर में जर्मनी के ख़िलाफ़ 5-3 की बढ़त हासिल कर ली। भारत की वापसी से परेशान जर्मनी ने इसके बाद पूरी तरह से आक्रामक रवैया अपनाया।
जर्मनी को कई पेनल्टी कॉर्नर के मौक़े मिले लेकिन इसके बावजूद, भारतीय बैकलाइन और अमित रोहिदास के शानदार प्रदर्शन की बदौलत जर्मनी को हार का सामना करना पड़ा।
रियो 2016 के रजत पदक विजेता जर्मनी ने चौथे क्वार्टर में वापसी की और मैच के दौरान 13 पेनल्टी कॉर्नर हासिल किए। हालांकि, भारत की ओर से किए गए कुछ शानदार बचाव के कारण इस रोमांचक मैच में भारतीय टीम को कांस्य पदक अपने नाम करने में क़ामयाबी मिली।
अमित रोहिदास को टोक्यो 2020 ओलंपिक में उनके उत्कृष्ट प्रयासों के लिए साल 2021 में अर्जुन पुरस्कार से नवाज़ा गया। आपको बता दें कि अर्जुन पुरस्कार खिलाड़ियों के लिए भारत का दूसरा सबसे बड़ा सम्मान है।
मार्च 2022 में, अमित रोहिदास ने FIH प्रो लीग में पहली बार भारत की कप्तानी की। कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में मनप्रीत सिंह की कप्तानी में अमित रोहिदास ने बर्मिंघम में भारत को रजत पदक दिलाने में अहम भूमिका निभाई।
रोहिदास एफआईएच हॉकी विश्व कप 2023 में भारतीय टीम के उप-कप्तान थे। उन्होंने स्पेन के खिलाफ शुरुआती मैच में प्रतियोगिता में भारत का पहला गोल किया और मेजबान टीम को 2-0 से जीत दर्ज करने में मदद की। भारतीय हॉकी टीम ग्रुप चरण में अजेय रही लेकिन इंग्लैंड की तुलना में कम गोल अंतर के कारण अंक तालिका में दूसरे स्थान पर रही। पेनल्टी शूट-आउट में न्यूजीलैंड से हारने के बाद भारत अंततः क्रॉस-ओवर में क्वार्टरफाइनल में जगह बनाने से चूक गया।
अमित रोहिदास ने उस वर्ष के अंत में चेन्नई में एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी के दौरान भारत के लिए 150 अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने की उपलब्धि हासिल की। भारत ने स्वर्ण पदक जीता और ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने के लिए हांगझोऊ में 2023 एशियन गेम्स में अपना स्वर्णिम प्रदर्शन जारी रखा।
अमित रोहिदास ने एशियन गेम्स में भारत के लिए छह गोल किए, जिसमें रिपब्लिक ऑफ कोरिया के खिलाफ सेमीफाइनल में महत्वपूर्ण गोल भी शामिल था, जिससे भारत को 5-3 से जीत मिली। जापान के खिलाफ फाइनल में भारत की 5-1 की जीत में रोहिदास ने एक बार फिर से शानदार प्रदर्शन करते हुए गोल किए।
अमित रोहिदास की उपलब्धियां
- टोक्यो 2020 ओलंपिक - कांस्य पदक
- एशियन गेम्स 2023 - स्वर्ण पदक
- एशियन गेम्स 2018 - कांस्य पदक
- एशियन चैंपियंस ट्रॉफी 2023 - स्वर्ण पदक
- एशियन चैंपियंस ट्रॉफी 2016 - स्वर्ण पदक
- एशियन चैंपियंस ट्रॉफी 2018 - स्वर्ण पदक
- एशियन चैंपियंस ट्रॉफी 2012 - रजत पदक
- एशियन चैंपियंस ट्रॉफी 2021 - कांस्य पदक
- कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 - रजत पदक
- चैंपियंस ट्रॉफी 2018 - रजत पदक
- हॉकी वर्ल्ड लीग 2016-17 - कांस्य पदक
- एशिया कप 2017 - स्वर्ण पदक
- एशिया कप 2013 - रजत पदक
- जूनियर एशिया कप 2012 - कांस्य पदक