हरमनप्रीत सिंह को एक डिफेंडर होने के बावजूद अक्सर साथी खिलाड़ियों के साथ विपक्षी टीम के खिलाफ किए गए अपने शानदार गोल का जश्न मनाते हुए देखा जाता है
हरमनप्रीत सिंह ने ड्रैग-फ्लिक सुपरस्टार के रूप में विश्व हॉकी में अपना नाम कमाया है और हाल के वर्षों में भारतीय हॉकी को आगे बढ़ाने में उनका एक खास योगदान रहा है।
पेनल्टी कॉर्नर स्पेशलिस्ट के दमदार फ्लिक, डिफेंस में असाधारण प्रदर्शन के साथ हरमनप्रीत सिंह ने काफी प्रशंसा हासिल की है, जिनमें से मुख्य आकर्षण टोक्यो 2020 में ओलंपिक कांस्य पदक और एशियन गेम्स 2023 में स्वर्ण पदक है।
हरमनप्रीत सिंह के करियर पर नज़र: ओलंपिक में दिलाया कांस्य पदक
ड्रैग फ़्लिकर हरमनप्रीत सिंह ने हॉकी में भारत को साल 2021 में ओलंपिक गेम्स में ऐतिहासिक ओलंपिक कांस्य पदक दिलाने में अपनी अहम भूमिका निभाई।
भारत ने जहां 41 वर्षों में अपने पहले ओलंपिक पदक के इंतज़ार को ख़त्म किया। वहीं हरमनप्रीत सिंह की मौज़ूदगी में भारतीय टीम ने शुरू से ही अपने शानदार प्रदर्शन को बरक़रार रखा।
डिफ़ेंडर ने न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ शुरुआती गेम में दो गोल किए और ये दोनों गोल पेनल्टी कॉर्नर के माध्यम से आए। जिसने टोक्यो 2020 में भारत के शानदार अभियान की नींव रखी।
उन्होंने सबसे महत्वपूर्ण नॉकआउट स्टेज से पहले ग्रुप स्टेज के मुक़ाबलों में दो और गोल किए।
बेल्ज़ियम के ख़िलाफ़ सेमीफ़ाइनल में हरमनप्रीत एक बार फिर बेहतरीन लय में दिखे, लेकिन इस मैच में उनका स्ट्राइक पर्याप्त नहीं था और भारत फ़ाइनल में जगह बनाने में असफल रहा।
हरमनप्रीत की अगुवाई में भारतीय टीम ने कांस्य पदक के प्ले-ऑफ़ मुक़ाबले में जर्मनी के ख़िलाफ़ शानदार प्रदर्शन किया। जिसमें रूपिंदर पाल सिंह और सिमरनजीत सिंह ने भी गोल किए। इसके साथ ही ग्रीष्मकालीन खेलों में देश को 12वां पदक मिला।
छह गोल के साथ, हरमनप्रीत सिंह टोक्यो 2020 में भारतीय हॉकी टीम के शीर्ष स्कोरर रहे।
हरमनप्रीत सिंह का जन्म कहां हुआ था?
हरमनप्रीत सिंह का जन्म 6 जनवरी, 1996 को पंजाब के अमृतसर के जंडियाला गुरु बस्ती में एक किसान परिवार में हुआ था।
बचपन में हरमनप्रीत ने अपने परिवार के साथ खेतों में खेती करने में मदद की और वो ट्रैक्टर भी चलाते थे। जिससे उनकी सहनशक्ति विकसित हुई।
हरमनप्रीत अक्सर अपने पिता की आज्ञा से भारी वाहन भी चलाते थे, लेकिन ज़ंग लगी गियर की स्टिक से वो काफी संघर्ष किया करते थे। हालांकि, स्टिक के साथ लगातार संघर्ष ने हरमनप्रीत के हाथों को और मज़बूत बना दिया, जिससे उनकी शक्तिशाली ड्रैग फ़्लिक के लिए एक मज़बूत नींव तैयार हुई।
पंजाब के इस युवा लड़के ने जल्द ही गियर स्टिक को हॉकी स्टिक में बदल दिया।
हरमनप्रीत सिंह का जूनियर स्तर पर प्रदर्शन
अपनी प्रतिभा को और निखारने के लिए, हरमनप्रीत 2011 में जालंधर के सुरजीत अकादमी में शामिल हुए। जहां उन्होंने सीनियर गगनप्रीत सिंह और सुखजीत सिंह से काफ़ी गुण सीखे, जो पेनल्टी कार्नर के स्पेशलिस्ट माने जाते थे।
हरमनप्रीत ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, "प्रैक्टिस सेशन के बाद मैं उन्हें ड्रैग फ़्लिक पर काम करते देखा करता था। उन्होंने मुझसे कहा कि चूंकि मैं भी फुल-बैक हूं, इसलिए मुझे उनके साथ शामिल हो जाना चाहिए।"
इस दौरान हरमनप्रीत सिंह अलग-अलग टूर्नामेंट में हिस्सा लेते रहे जहां जूनियर कैंप के दौरान कोचों की नज़र हरमनप्रीत की काब़िलियत पर पड़ी। जिसके बाद हरमनप्रीत कि क़िस्मत ही बदल गई।
भारतीय जूनियर हॉकी टीम के पूर्व कोच हरेंद्र सिंह ने पहले कहा था, 'दो साल में हरमनप्रीत दुनिया के सर्वश्रेष्ठ ड्रैग फ़्लिकर बन सकते हैं।'
हरमनप्रीत ने साल 2011 में सुल्तान जोहोर कप में जूनियर नेशनल टीम के लिए डेब्यू किया।
इसके बाद उन्होंने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और वो अपनी हॉकी स्टिक से मैदान पर गोल की बारिश करते रहे।
तीन साल बाद हरमनप्रीत ने 2014 सुल्तान जोहोर कप में प्लेयर ऑफ़ द टूर्नामेंट का पुरस्कार जीता। जहां उन्होंने मलेशिया में यूथ टूर्नामेंट में 9 गोल किए और भारत को शीर्ष पुरस्कार जीतने में मदद की।
जूनियर स्तर पर लगातार शानदार प्रदर्शन करने पर उनका सीनियर स्तर पर डेब्यू का रास्ता साफ़ हो गया। उन्होंने 3 मई, 2015 को एक टेस्ट सीरीज़ के दौरान जापान के ख़िलाफ़ मैदान में क़दम रखा।
हरमनप्रीत सिंह का रियो में ओलंपिक डेब्यू
हरमनप्रीत ने युवा टीम के लिए भी खेलना जारी रखा और 2015 में जूनियर पुरुष एशिया कप का ख़िताब जीता, जहां उन्होंने 14 गोल किए। सीनियर स्तर पर, हरमनप्रीत ने 2016 में सुल्तान अजलन शाह कप के दौरान भारत के लिए अपना पहला गोल किया।
उनके इस शानदार कारनामों की बदौलत उन्हें रियो 2016 खेलों के लिए ओलंपिक टीम में जगह मिल गई।
ब्राज़ील में हुए ग्रीष्मकालीन खेलों में भारतीय टीम ज़्यादा ख़ास प्रदर्शन नहीं कर सकी और हरमनप्रीत को अपने करियर में एक मुश्किल दौर का सामना करना पड़ा। जिसके बाद उन्हें उसी वर्ष एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी और कुछ अन्य प्रतियोगिताओं से बाहर होना पड़ा।
लेकिन हरमनप्रीत ने 2016 जूनियर विश्व कप जीतकर अपनी काब़िलियत को एक बार फिर से साबित किया। इस टूर्नामेंट में उन्होंने तीन गोल किए जिसकी बदौलत सीनियर टीम के दरवाज़े उनके लिए दोबारा खुल गए।
हरमनप्रीत सिंह ने FIH प्रो लीग 2021-22 में अपना 100वां अंतरराष्ट्रीय गोल किया। 18 गोल के साथ वह टूर्नामेंट के शीर्ष स्कोरर थे। इस टूर्नामेंट में भारतीय टीम नीदरलैंड और बेल्जियम के बाद तीसरे स्थान पर रही।
हरमनप्रीत ने 2022 राष्ट्रमंडल खेलों में भारत को रजत पदक जीतने में भी अहम भूमिका निभाई। वो 9 गोल कर प्रतियोगिता में दूसरे सबसे बड़े गोल स्कोरर रहे।
राष्ट्रीय टीम के लिए लगभग 200 मैचों में 150 से अधिक गोल करने के बाद, हरमनप्रीत सिंह को जनवरी 2023 में हॉकी विश्व कप के लिए भारतीय हॉकी टीम की कप्तानी सौंपी गई, जहां टीम निराशाजनक प्रदर्शन के बाद नौवें स्थान पर रही।
हालांकि, शीर्ष ड्रैग-फ्लिकर ने जल्द ही भारतीय कप्तान के रूप में सफलता हासिल की। उन्होंने हांगझोऊ में एशियन गेम्स 2023 में टीम को स्वर्ण पदक दिलाया, जिससे भारत ने पेरिस 2024 ओलंपिक गेम्स में भी अपनी जगह पक्की कर ली। हरमनप्रीत सिंह हांगझोऊ में 13 गोल के साथ भारत के सर्वोच्च स्कोरर रहे, जिसमें जापान के खिलाफ स्वर्ण पदक मैच में उनके दो गोल शामिल थे।
महाद्वीपीय इवेंट से ठीक पहले, हरमनप्रीत ने अपनी टीम को एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी 2023 का खिताब भी दिलाया था।
हरमनप्रीत सिंह की उपलब्धियां:
- हरमनप्रीत ने टोक्यो 2020 ओलंपिक में कांस्य पदक जीता।
- टोक्यो 2020 में भारतीय हॉकी टीम के शीर्ष स्कोरर रहे।
- FIH प्रो लीग 2021-22 में शीर्ष स्कोरर रहे।
- पुरुष हॉकी विश्व कप 2023 के लिए भारतीय हॉकी टीम के कप्तान हैं।
- बर्मिंघम में आयोजित राष्ट्रमंडल खेल 2022 में रजत पदक जीता।
- एशियन गेम्स 2023 में भारत को स्वर्ण पदक दिलाया।
- एशियन गेम्स 2023 में 13 गोल के साथ भारत के शीर्ष स्कोरर रहे।
- एशियन चैंपियंस ट्रॉफी 2023 में भारत को स्वर्ण पदक दिलाया।