चोटिल आंख से लेकर स्वर्ण पदक जीतने तक, बेहद रोमांचक है निकहत जरीन की कहानी

भारतीय मुक्केबाज निकहत जरीन वर्ल्ड चैंपियनशिप में दो बार की स्वर्ण पदक विजेता और मौजूदा कॉमनवेल्थ गेम्स की चैंपियन हैं।

8 मिनटद्वारा विवेक कुमार सिंह
India’s Nikhat Zareen (in Blue) celebrates after winning the gold medal at the 12th IBA Women’s World Boxing Championships in Istanbul on Thursday, May 19, 2022
(Boxing Federation of India)

“उन्होंने मुझे इतनी बुरी तरह से कैसे हरा दिया? मैं अगली बार इसका जवाब दूंगी।”

ये बात भारतीय बॉक्सर निकहत जरीन ने 12 साल की उम्र में कही थी, जब पहली बार वो मुक्केबाजी करने उतरी तो उन्हें काफी चोट आई। आंखों के नीचे काला घेरा बन गया था और नाक से खून बह रहा था।

इस मुकाबले के बाद चोटिल निकहत को देखकर उनकी मां की आंखों में आंसू आ गए थे, लेकिन निकहत ने पहले दिन मिली हार को कभी हल्के में नहीं लिया।

हो सकता है, उनके उसी रवैये ने उन्हें 20 मई, 2022 को तुर्की के इस्तांबुल में आयोजित महिला मुक्केबाजी विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने में मदद की।

निकहत जरीन, मैरी कॉम, सरिता देवी, जेनी आरएल और लेख केसी सहित उन भारतीय मुक्केबाजों की एक विशेष सूची में शामिल हो गई हैं, जो बॉक्सिंग वर्ल्ड चैंपियन बनी हैं। एक साल बाद, दो बार की विश्व चैंपियन बनकर उन्होंने नई दिल्ली में अपने ख़िताब को डिफ़ेंड किया।

तेलंगाना के निजामाबाद से दुनिया के शीर्ष तक का उनका सफर चुनौतियों और बाधाओं से भरा हुआ रहा है। लेकिन उन्होंने इतिहास में अपना नाम दर्ज करने के लिए बहुत मुकाबले लड़े हैं।

निकहत जरीन कौन हैं?

14 जून 1996 को तेलंगाना के निजामाबाद में जन्मी निकहत जरीन का पालन-पोषण एक रूढ़िवादी मुस्लिम परिवार में हुआ। उनके पिता मोहम्मद जमील अहमद और मां परवीन सुल्ताना ने ही उनका पालन-पोषण किया था।

अपनी तीन और बहनों में निकहत सबसे शरारती थीं और पड़ोस के बच्चों के साथ झगड़ा करने के बाद पेड़ पर चढ़ जाती थीं।

उनके पिता अपनी युवावस्था में एक खिलाड़ी थे, जो निकहत की ऊर्जा को सही जगह इस्तेमाल करना चाहते थे और उन्होंने अपनी बेटी को दौड़ने के लिए ट्रेनिंग देना शुरू कर दिया।

शॉर्ट स्प्रिंट में शानदार प्रदर्शन के बावजूद, बॉक्सिंग ने निकहत का ध्यान अपनी ओर खींचा।

निकहत ने Olympics.com को बताया, "एक बार जब हम स्टेडियम में थे, तो मैंने देखा कि बॉक्सिंग के अलावा सभी खेलों में लड़कियां भाग ले रही थीं।"

“मैंने अपने पापा से पूछा कि बॉक्सिंग में कोई लड़की प्रतिस्पर्धा क्यों नहीं कर रही है। 'बॉक्सिंग बस लड़के ही करते हैं क्या?' (क्या बॉक्सिंग सिर्फ लड़कों के लिए है?) "उन्होंने कहा नहीं। लेकिन वो बॉक्सिंग नहीं करती हैं, क्योंकि लोगों को लगता है कि लड़कियां घर पर रहने और घर का काम करने के लिए होती हैं।”

निकहत जरीन ने कभी भी लड़कियों को लड़कों से कम नहीं समझा और बॉक्सिंग रिंग के लिए उन्होंने ट्रैक को छोड़ने का फैसला किया। "मेरे लिए लड़कियां हमेशा लड़कों के समान थीं, और वे हमेशा उतनी ही मजबूत थीं।"

हालांकि उनकी मां, परवीन, इस फैसले से बहुत खुश नहीं थी, बल्कि इस बात से चिंतित थीं कि निकहत से कौन शादी करेगा। निकहत के पिता का समर्थन उनके मुक्केबाजी करियर को शुरू करने के लिए काफी था।

युवा मुक्केबाज ने शुरुआती वर्षों में लड़कों के साथ मुकाबला किया क्योंकि वह स्थानीय जिम में बॉक्सिंग करने वाली अकेली लड़की थीं।

निकहत ने बताया कि, "उन्होंने कभी भी मेरे साथ अलग व्यवहार नहीं किया या मुझे कभी हल्के में नहीं लिया।"

अपने पिता के साथ एक साल के ट्रेनिंग के बाद निकहत को 2009 में द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता, IV राव की देखरेख में ट्रेनिंग के लिए भेजा गया था। इसका परिणाम भी जल्द ही सामने आया।

निकहत जरीन ने सब-जूनियर नेशनल का खिताब जीता और इसके बाद 2011 में जूनियर और यूथ वर्ल्ड चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता। उन्होंने 2013 में यूथ वर्ल्ड चैंपियनशिप में एक और रजत पदक जीता और जल्द ही सीनियर सर्किट के लिए अपनी राह को मजबूत किया। 

निकहत की आदर्श मैरी कॉम, जब बन गईं प्रतिद्वंद्वी

भारत में ज्यादातर युवा मुक्केबाजों के लिए मैरी कॉम एक आइडल हैं। मणिपुर की मूल निवासी के शानदार कारनामों में छह विश्व चैंपियनशिप स्वर्ण पदक, पांच एशियाई चैंपियनशिप खिताब और एक ओलंपिक कांस्य पदक भी शामिल है।

हालांकि अन्य युवा मुक्केबाजों के विपरीत, निकहत जरीन को मैरी कॉम के रूप में एक प्रतिद्वंद्वी मिली क्योंकि वे दोनों एक ही भार वर्ग - फ्लाईवेट (51 किग्रा) में लड़ रही थीं।

जूनियर विश्व चैंपियन होने के बावजूद, निकहत को भारतीय सीनियर टीम में जगह बनाने में मुश्किल हुई।

उन्होंने अपने शुरुआती दिनों को याद करते हुए कहा, “51 किग्रा वर्ग में जगह बनाना बहुत मुश्किल था। मैरी कॉम और पिंकी जांगड़ा जैसे पहले से ही बड़े नाम इस भार वर्ग में थे। वे मुझसे बहुत सीनियर और अधिक अनुभवी थीं।”

निकहत ने पहली बार 2015 में 19 साल की उम्र में नेशनल कैंप में प्रवेश किया था। अपने भार वर्ग में कड़ी प्रतिस्पर्धा के कारण, निकहत को 2016 विश्व चैंपियनशिप के लिए नेशनल सेलेक्शन ट्रायल के लिए 54 किग्रा वर्ग में जाने की सलाह दी गई थी।

एक निडर निकहत ने ट्रायल जीता और अस्ताना में आयोजित हुए विश्व चैंपियनशिप के क्वार्टर-फाइनल में जगह बनाई।

“मैंने जिस तरह से प्रदर्शन किया उससे मैं खुश थी। लेकिन मैं अपने मूल भार वर्ग में प्रतिस्पर्धा नहीं करने को लेकर थोड़ी चिंतित थी। सभी ने मुझे इसके बारे में चिंता न करने के लिए कहा और बताया कि मुझे अभी लंबा रास्ता तय करना है।"

दो साल बाद, मैरी कॉम 2017 में एशियाई खिताब और 2018 में एक और विश्व खिताब जीतने के बाद भी भारत की पसंदीदा फ्लाइवेट मुक्केबाज थीं।

इसके अलावा, निकहत जरीन की समस्याएं तब और बढ़ गईं जब 2017 में उनके दाहिने कंधे में चोट लग गई, जिसकी वजह से उन्हें एक साल तक रिंग से बाहर रहना पड़ा।

रिंग में की शानदार वापसी

निकहत जरीन ने 2018 में बेलग्रेड विनर इंटरनेशनल चैंपियनशिप में रजत पदक जीतकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वापसी का डंका बजाया।

एक साल बाद निजामाबाद की इस बॉक्सर ने एशियाई चैंपियनशिप में कांस्य (बैंकॉक 2019) और स्ट्रैंडजा बॉक्सिंग टूर्नामेंट (सोफिया 2019) में स्वर्ण पदक जीता।

मैरी कॉम की ऐतिहासिक उपलब्धियों और शानदार फॉर्म की वजह से भारतीय मुक्केबाजी टीम में फ्लाईवेट वर्ग में एक स्थान के लिए निकहत जरीन ने राष्ट्रीय महासंघ से टोक्यो 2020 ओलंपिक क्वालीफाइंग इवेंट में प्रतिस्पर्धा करने के अवसर के लिए सेलेक्शन ट्रायल आयोजित करने का अनुरोध किया।

हालांकि निकहत मुकाबला हार गईं, लेकिन अपनी आदर्श मुक्केबाज से मिली हार ने उन्हें और अधिक मेहनत करने के लिए प्रेरित किया।

मैरी कॉम ने टोक्यो 2020 में राउंड 16 में हारने के बाद प्रतिस्पर्धा से बाहर होने का फैसला किया, जिससे तेलंगाना की युवा मुक्केबाज के लिए दरवाजा खुल गया।

इसके बाद निकहत जरीन ने 2021 में राष्ट्रीय चैंपियनशिप जीती और इसके बाद बोस्फोरस ओपन और स्ट्रैंड्जा मेमोरियल में जीत हासिल की।

बॉक्सिंग वर्ल्ड चैंपियन निकहत जरीन

भारतीय मुक्केबाज तुर्की के इस्तांबुल में आयोजित 2022 विश्व चैंपियनशिप के दौरान सर्वसम्मति से अपने सभी मुकाबलों में जीत हासिल कर रही थीं।

निकहत जरीन ने फ्लाईवेट फाइनल में थाईलैंड की टोक्यो ओलंपियन जुतामस जितपोंग को हराकर भारत के लिए स्वर्ण पदक जीता।

"मैं ट्विटर पर ट्रेंड कर रही हूं?" निकहत जरीन ने अपनी जीत के बाद मीडिया से पूछा। "ट्विटर पर ट्रेंड करना मेरे सपनों में से एक था! अगर मैं सच में अभी ट्रेंड कर रही हूं तो मैं सच में खुश हूं,"

निकहत जरीन ने सच में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर दुनिया को अपने बारे में बताया। मैरी कॉम के अलावा किसी अन्य भारतीय को महिला विश्व चैंपियन बने 16 साल और सात संस्करण हो चुके थे।

भारतीय मुक्केबाज 2023 महिला विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में नई दिल्ली में अपने विश्व चैंपियनशिप के ख़िताब को सफलतापूर्वक डिफ़ेंड किया, उन्होंने अपने डिवीजन में हराने वाली मुक्केबाज के रूप में अपनी स्थिति मजबूत की। निकहत इस्तांबुल की ही तरह निर्णायक थीं, उन्होंने वियतनाम की गुयेन थी टैम को हराकर ख़िताब जीतने से पहले प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन किया।

कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में डेब्यू के साथ जीता स्वर्ण पदक

अपनी पहली विश्व चैंपियनशिप जीतने के बाद, निकहत जरीन ने अगस्त में कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में स्वर्ण पदक अपने नाम किया।

अपने पहले राष्ट्रमंडल खेल में, निकहत जरीन ने महिलाओं के 50 किग्रा वर्ग में राउंड ऑफ 16 के बाद सभी तीन मुकाबले 5-0 के अंतर से जीते।

फाइनल में भी, निकहत जरीन ने उत्तरी आयरलैंड की 2018 गोल्ड कोस्ट रजत पदक विजेता कार्ली मैकनॉल पर हावी होकर सर्वसम्मत निर्णय से मुकाबला जीत लिया।

एशियन गेम्स 2023 में कांस्य पदक

निकहत जरीन ने हांगझोऊ 2023 में एशियन गेम्स में डेब्यू किया और 50 किग्रा भार वर्ग में कांस्य पदक जीता। भारतीय मुक्केबाज ने अपने पहले तीन मुकाबलों में अपना दबदबा कायम रखा लेकिन सेमीफाइनल में थाईलैंड की चुथामत रक्सत से 3:2 के स्पिलिट डिसीजन से हार गईं।

एशियन गेम्स 2023 में निकहत जरीन ने भारत को पेरिस 2024 ओलंपिक के लिए कोटा भी हासिल किया।

निकहत जरीन की उपलब्धियां और पदक

  • विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप 2023, नई दिल्ली- स्वर्ण पदक 
  • विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप 2022, इस्तांबुल- स्वर्ण पदक 
  • राष्ट्रमंडल खेल 2022, बर्मिंघम- स्वर्ण पदक 
  • एशियाई मुक्केबाजी चैंपियनशिप 2019, बैंकॉक- कांस्य पदक 
  • एशियन खेल 2023, हांगझोऊ- कांस्य पदक 
  • महिला जूनियर और युवा विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप, इस्तांबुल- स्वर्ण पदक 
  • यूथ वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप 2013, अल्बेना- रजत पदक 
  • राष्ट्रीय खेल पुरस्कार - अर्जुन पुरस्कार 2022