आख़िरकार लग गया विराम ! निकहत ज़रीन को उन्हीं की आदर्श मैरी कॉम ने दी शिकस्त   

एक ऐसी लड़ाई जिसके बारे में वह सब कुछ जो आपका जानना बेहद ज़रूरी है, आख़िरकार 6 बार की वर्ल्ड चैंपियन मैरी कॉम ने लड़ाई भी जीती और 51 किग्रा वर्ग में टोक्यो 2020 ओलंपिक क्वालिफ़ायर्स में स्थान भी। 

6 मिनटद्वारा सैयद हुसैन
Mary Kom is the first Indian woman boxer to win an Olympic medal.

शनिवार, 28 दिसंबर को खेले गए बीएफ़आई ट्रायल्स के 51 किग्रा वर्ग में 23 वर्षीय युवा मुक्केबाज़ निकहत ज़रीन को हराकर एम सी मैरी कॉम ने चली आ रही लंबी बहस को भी ख़त्म कर दिया। हालांकि निकहत के लिए अपनी आदर्श से प्रतिद्वंदी में बदली मैरी कॉम से 1-9 से हारना बेहद दुखद रहा।

इन दोनों के बीच रिंग के बाहर की जंग तो तभी से चली आ रही थी जब से ज़रीन ने मैरी को ट्रायल की चुनौती दी थी, और कहा था कि ट्रायल की जीत से ही इस बात का फ़ैसला होगा कि फ़रवरी में होने वाले टोक्यो 2020 ओलंपिक क्वालिफ़ायर्स के लिए कौन जाएगा।

शानदार मैरी और उभरती हुई ज़रीन

जब ज़रीन ने वूमेंस जूनियर और यूथ वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप 2011 के फ़्लाइवेट वर्ग में स्वर्ण पदक अपने नाम किया था तब पहली बार वह चर्चा में आईं थीं। यह वह समय था जब मैरी कॉम को लेकर दुनिया अभी भी अचंभित थी, जिन्होंने दो बच्चों को जन्म देने के बाद, वियतनाम में 2009 के एशियन इंडोर गेम्स में वापसी कर र गोल्ड मेडल पर कब्ज़ा किया था।

इसके बाद 2012 में मैरी कॉम भारत की पहली महिला बनीं जिनके नाम ओलंपिक मेडल आया, यह मुकाम उन्होंने 2012 लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक जीत कर हासिल किया। इसके बाद 2014 में मैरी ने एशियन गेम्स भी नाम किया था।

हालांकि, मौजूदा वर्ग में मैरी शानदार प्रदर्शन कर रहीं थीं लेकिन उनका वज़न बढ़ने के कारण उन्हें एक बार फिर अपने पुराने वेट कैटेगिरी में जाना पड़ा, और इसके चलते उन्हें 2016 रियो ओलंपिक में हाज़िर होने मौक़ा नहीं मिल पाया।

उभरती हुई सितारे के साथ मुक़ाबला

2020 ओलंपिक गेम्स में एक बार फिर मैरी 51 किग्रा वर्ग में लौटना चाहती थीं, इस उम्मीद के साथ कि वह दोबारा ओलंपिक में पदक हासिल कर सकें। इस बार उनके सामने 51 किग्रा वर्ग में निकहत ज़रीन की चुनौती थी।

मैरी ने अपनी क़ाबिलियत और अनुभव को साबित करते हुए ज़रीन को 2019 इंडियन ओपन सेमीफ़ाइनल्स में शिकस्त दी।

ज़रीन को नहीं आया रास

ज़रीन और मैरी कॉम के बीच बातों की जंग तब शुरू हुई जब बॉक्सिंग फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडिया (बीएफ़आई) ने पिछले सितंबर रूस में हुए वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप के लिए 51 किग्रा वर्ग में मैरी कॉम को भेजने का फ़ैसला किया।

इस फ़ैसले ने ज़रीन को आहत कर दिया और 23 वर्षीय इस मुक्केबाज़ ने अपनी ख़्वाहिश सामने लाते हुए ट्रायल के आधार पर चयन की बात कह डाली। इसके जवाब में बीएफ़आई ने भी एक ट्रायल कराने का फ़ैसला किया और उसे ही भारतीय टीम में चुने जाने का आधार बनाया।

लेकिन मैरी कॉम और ज़रीन के बीच होने वाली बाउट के ठीक पहले बीएफ़आई ने अपना फ़ैसला पलट दिया और ट्रायल को रद्द करते हुए वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए मैरी कॉम को ही भेजा। बीएफ़आई ने इसके लिए मैरी कॉम की पिछली उपबल्धियां और इंडियन ओपन में ज़रीन के ऊपर उनकी जीत का हवाला दिया।

दिग्गज मुक्केबाज़ मैरी कॉम ने भी फ़ेडरेशन के इस फ़ैसले को सही साबित किया और वर्ल्ड चैंपियनशिप से कांस्य पदक जीतते हुए स्वदेश वापस लौंटीं। उलान-उड़े में हुई इस चैंपियनशिप में जीता गया पदक मेरी कॉम का वर्ल्ड चैंपियनशिप में कुल आठवां पदक था।

इसके बाद फ़ेडरेशन ने एक बार फिर फ़रवरी में होने वाले टोक्यो 2020 ओलंपिक क्वालिफ़ायर्स के लिए मैरी कॉम के नाम को ही आगे रखा। जबकि इससे पहले बीएफ़आई ने सीधे तौर पर उन्हीं मुक्केबाज़ों को ओलंपिक क्वालिफ़ायर्स का टिकेट देने की बात कही थी जो वर्ल्ड चैंपियनशिप में रजत या स्वर्ण पदक जीतकर लौटेंगें। ज़रीन को यही बात नागवार गुज़र गई।

जिस लड़ाई का बेसब्री से था इंतज़ार

ज़रीन को जब यह महसूस हुआ कि उन्हें एक बार फिर नज़रअंदाज़ किया गया है तो उन्होंने इसके लिए केंद्रीय मंत्री को ट्वीट किया और उनसे एक मौक़ा दिए जाने की बात कही।ा।

ज़रीन ने फ़रवरी में होने वाले ओलंपिक क्वालिफ़ायर्स के लिए बीएफ़आई की चयन प्रक्रिया पर सवाल उठाए और 6 बार की वर्ल्ड चैंपियन मैरी कॉम के ख़िलाफ़ ट्रायल की मांग की।

जिसके बाद बीएफ़आई इस नतीजे पर पहुंचा कि हरेक वर्ग के लिए ट्रायल होगा और जीतने वाले को ही ओलंपिक क्वालिफ़ायर्स का टिकेट मिलेगा। जबकि मैरी कॉम ने कहा कि बीएफ़आई जो भी फ़ैसला करता है, वह उसके साथ हैं लेकिन पूरी तरह से वह भी फ़ेडरेशन के इस फ़ैसले से सहमत नहीं थीं। न्यूज़ 18 के साथ बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘’दूसरे खेलों में जैसे बैडमिंटन में क्या कोई ट्रायल होता है ? क्या आपने साइना नेहवाल या पी वी सिंधु को ट्रायल देते देखा है ? लेकिन हमारे केस में ये अलग है।‘’

दिग्गज मुक्केबाज़ और ज़रीन के बीच चल रहे ये शब्द वाण अब आम जनता के लिए जिज्ञासा बन गए थे, और लोगों को भी ये लगने लगा था कि इन दोनों के बीच मुक़ाबला होना ही चाहिए।

यह जंग पहली बार आयोजित हुई बिग बाउट लीग में भी प्रस्तावित थी, जहां ज़रीन ओडिशा वॉरियर्स का प्रतिनिधित्व कर रहीं थीं और एनसीआर पंजाब रॉयल्स की कप्तान मैरी कॉम ने भी अपने सभी मुक़ाबले जीत लिए थे। अब मंगलवार यानी 17 दिसंबर को लीग में वह दिन आ गया था जब मैरी कॉम और ज़रीन रिंग में एक दूसरे के ख़िलाफ़ आने वालीं थीं, लेकिन बाउट के ठीक पहले मैरी कॉम ने पीठ में चोट की वजह से अपना नाम वापस ले लिया था।

इसके बाद अब बारी थी बीएफ़आई ट्रायल्स की जहां शुक्रवार, 27 दिसंबर को दोनों ही मुक्केबाज़ों ने पहले राउंड के अपने अपने मुक़ाबले 10-0 जीत लिए थे और अगले दिन बारी थी आमने सामने टकराने की।

आख़िरकार शनिवार, 28 दिसम्बर 2019 को वह घड़ी आ ही गई जब ज़रीन और मैरी कॉम रिंग में एक दूसरे के ख़िलाफ़ उतरीं, लेकिन यह मुक़ाबला पूरी तरह एकतरफ़ा रहा और मैरी कॉम ने स्पिलट फ़ैसले के ज़रिए मुक़ाबला और ओलंपिक क्वालिफ़ायर्स का टिकेट जीत लिया।

जैसे ही फ़ैसला सुनाया गया, वहां तेंलगाना (ज़रीन का घरेलू राज्य) से आए प्रतिनिधि ने चिल्लाते हुए इसे फाउल क़रार दिया, जिसके बाद बीएफ़आई के अध्यक्ष अजय सिंह को आकर स्थिति को संभालना पड़ा।

राजनीति को एक तरफ़ छोड़ दिया जाए तो इसमें कोई शक़ नहीं कि मैरी कॉम ने एक बार फिर अपनी सर्वोच्चता साबित की और वह भी तब जब बेहद ज़रूरी थी, और अब जब तक ज़रीन या फिर कोई और प्रतिद्वंदी से मैरी कॉम को हार नहीं मिलती, तब तक शानदार मैरी भारतीय महिला बॉक्सिंग की सिरमौर रहेंगी।

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