कौन हैं लगातार पैरालंपिक में स्वर्ण और रजत पदक जीतने वाले हाई जम्पर मरियप्पन थंगावेलु?

अगर बारिश ने खेल खराब नहीं किया होता, तो मरियप्पन टोक्यो में भी स्वर्ण जीत सकते थे।

3 मिनटद्वारा दिनेश चंद शर्मा
RIO DE JANEIRO, BRAZIL - SEPTEMBER 09: Gold medalist Mariyappan Thagavelu of India celebrate on the podium at the medal ceremony for the Men's High Jump F42 Final during day 2 of the Rio 2016 Paralympic Games at the Olympic Stadium on September 9, 2016 in Rio de Janeiro, Brazil. (Photo by Alexandre Loureiro/Getty Images)
(Alexandre Loureiro/ Getty Images)

मरियप्पन थंगावेलु (Mariyappan Thangavelu) ने मंगलवार को टोक्यो 2020 पैरालंपिक में पुरुषों की हाई जम्प T63 स्पर्धा में रजत पदक जीता। उन्होंने अमेरिकी सैम ग्रेव (Sam Grewe) के साथ संघर्षपूर्ण मुकाबला किया। ग्रेव ने तीसरे प्रयास में 1.88 मीटर जंप लगाने के बाद स्वर्ण पदक जीता था। 

अगर, बारिश ने परिस्थितियों को मुश्किल नहीं बनाया होता, तो वह लगातार पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीत सकते थे। 

पैरालंपिक में कई पदक जीतने वाले जोगिंदर सिंह बेदी (Joginder Singh Bedi) और देवेंद्र झाझरिया (Devendra Jhajharia) के बाद तीसरे भारतीय बने थंगावेलु ने कहा, "मैं रजत पदक जीतकर खुश हूं, लेकिन साथ ही निराश भी हूं, क्योंकि बारिश ने छलांग को बाधित कर दिया।" 

उद्घाटन समारोह में उन्हें भारत के ध्वजवाहक के रूप में भी घोषित किया गया था, लेकिन एक कोविड-19 संक्रमित के संपर्क में आने के बाद उन्हें बदलना पड़ा। 

“ध्वजवाहक होने से चूकना निराशाजनक था, लेकिन मैं भारत को गौरवान्वित करना और स्वर्ण जीतना चाहता था। मैंने प्रशिक्षण लिया और अलग रहा और क्वारेंटाइन रहा।”

**मरियप्पन थंगावेलु एथलेटिक्स में कैसे गए? **

मरियप्पन पश्चिमी तमिलनाडु में सलेम से 50 किमी दूर स्थित एक गांव पेरियावदगमपट्टी के रहने वाले हैं। पांच साल की उम्र में स्कूल जाते समय बस का पहिया उनके दाहिने पैर के ऊपर से गुजर गया। इस कारण घुटने के नीचे से उनका पैर काटना पड़ा था। 17 साल की कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद परिवार को आर्थिक मुआवजा मिला, जिसमें से आधा पैसा कानूनी खर्चों में चला गया। उन्हें इलाज के लिए भी कर्ज लेना पड़ा था। 

  थंगावेलु का पालन-पोषण उनकी सिंगल मदर सरोजा ने दिहाड़ी मजदूरी करते हुए किया था और लेकिन, सीने में दर्द की समस्या होने पर उन्होंने सब्जियां बेचने का काम किया। उन्हें वॉलीबॉल पसंद था। लेकिन, जब उनके शारीरिक शिक्षा शिक्षक आर राजेंद्रन ने उन्हें हाई जंप में जाने का सुझाव दिया, तो उन्होंने दोबारा नहीं सोचा। उन्होंने जल्द ही खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और प्रतियोगिताएं जीतना शुरू कर दिया। 

इसके बाद उन्हें सलेम स्पोर्ट्स डेवलपमेंट अथॉरिटी के कोच के. एलमपरिथी (K. Elamparithi) ने प्रशिक्षित किया। बाद में वे बेंगलुरु चले गए, जहां उन्हें सत्य नारायण (Sathya Narayana) ने प्रशिक्षित किया और उन्हें मासिक भत्ता भी दिया गया। 

मरियप्पन का मानना है कि उनका दाहिना विकृत पैर का बड़ा अंगूठा उन्हें छलांग लगाने में मदद करता है। उन्होंने कहा, "यह मुझे कूदने में फायदा देता है। यह मेरा भगवान है।" 

वह रामलिंगपुरम में AVS कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड साइंस से BBA डिग्री धारक भी हैं। 

**रियो में जीता स्वर्ण पदक  **

मार्च 2016 में उन्होंने ट्यूनीशिया में IPC ग्रांड प्रिक्स में पुरुषों की हाई जंप T-42 स्पर्धा में 1.78 मीटर की छलांग लगाकर रियो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया। रियो में उन्होंने उसी प्रतिद्वंद्वी अमेरिका के ग्रेव के खिलाफ मुकाबला किया। मरियप्पन अपने दूसरे प्रयास में 1.89 मीटर की छलांग लगाने में सफल रहे, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी 1.86 मीटर की छलांग लगा सके, जिससे उनके लिए गोल्ड पक्का हो गया। उन्होंने पुरस्कार राशि का उपयोग अपनी मां के लिए धान का खेत खरीदने के लिए किया और अपने परिवार के लिए एक नया घर बनाया। 

टोक्यो में रजत जीतने के बाद एथलीट पहले से ही पेरिस के बारे में सोच रहे हैं, जहां वह पदक के धातु का रंग बदलना चाहते हैं। 

"मुझे विश्वास है कि मैं अगले पैरालंपिक में स्वर्ण जीतूंगा और एक नया रिकॉर्ड बनाऊंगा।" 

**थंगावेलु हासिल की ये उपलब्धियां-  **

1. रियो 2016 पैरालंपिक: स्वर्ण पदक (2016) 

2. पद्मश्री (2017) 

3. अर्जुन पुरस्कार (2017) 

4. एशियाई पैरा खेलों में कांस्य (2018) 

5. विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक (2019) 

6. मेजर ध्यानचंद खेल रत्न (2020) 

7. टोक्यो पैरालंपिक में रजत पदक (2021)