टोक्यो पैरालंपिक: मरियप्पन थंगावेलु ने ऊंची कूद में जीता रजत पदक और शरद कुमार ने कांस्य पदक हासिल किया
मरियप्पन थंगावेलु ने 1.86 मीटर और शरद कुमार ने 1.83 मीटर में सफलता हासिल की।
मंगलवार को टोक्यो 2020 पैरालंपिक में पुरुषों की ऊंची कूद T42/T63 वर्ग में भारत के मरियप्पन थंगावेलु (Mariyappan Thangavelu) ने 1.86 मीटर की ऊंचाई को सफलता से पार करते हुए रजत पदक अपने नाम किया।
उनके भारतीय साथी शरद कुमार (Sharad Kumar) ने 1.83 मीटर को पार कर T42 वर्ग में कांस्य पदक जीता।
यूएसए के सैम ग्रेवे (Sam Grewe) (T63 वर्ग) ने 1.88 मीटर की दूरी पार करते हुए स्वर्ण पदक हासिल किया।
यह मरियप्पन थंगावेलु का दूसरा पैरालंपिक पदक है, इससे पहले उन्होंने रियो 2016 खेलों में स्वर्ण पदक जीता था। एथलेटिक्स स्पर्धा में मिले इन 2 पदक की वजह से टोक्यो पैरालंपिक में भारत की पदक संख्या अब 10 हो गई है।
मरियप्पन थंगावेलु और शरद कुमार ने पहली बार कूद कर 1.73 मीटर, 1.77 मीटर, 1.80 मीटर और 1.83 मीटर अंक हासिल किए। इस प्वाइंट पर आकर यह साफ हो गया था कि भारत ने अपना मेडल पक्का कर लिया है।
इसके बाद शरद कुमार 1.86 मीटर पर आकर लड़खड़ा गए, और वह निशान पर अपने तीन कोशिशों में से किसी के साथ बेहतर करने में असफल रहे।
मरियप्पन थंगावेलु की शुरूआत थोड़ी कमजोर रही, 1.86 मीटर में अपनी पहली 2 छलांग के साथ वह असफल रहे, लेकिन अपने तीसरी कोशिश में वह कामयाब रहे। सैम ग्रेवे ने भी 1.86 मीटर की छलांग को बेहतर करने के लिए लिए 3 प्रयास किए, लेकिन उस समय वह थंगावेलु से पीछे थे, क्योंकि उन्होंने 1.73 मीटर एम मार्क पर एक अतिरिक्त प्रयास किया था।
मरियप्पन थंगावेलु और सैम ग्रेवे ने 1.88 मीटर के निशान पर स्वर्ण पदक के लिए प्रतिस्पर्धा की। भारतीय हाई जम्पर अपनी तीन में से किसी भी छलांग के साथ बेहतर करने में असफल रहा, जबकि अमेरिकी अपने तीसरे और अंतिम प्रयास में इसे करने में कामयाब रहा जिससे उसे स्वर्ण पदक हासिल हुआ।
सैम ग्रेवे, जिनके नाम 1.90 मीटर का T63 विश्व रिकॉर्ड है, उन्होंने 1.91 मीटर पर विश्व रिकॉर्ड बनाने की कोशिश की, लेकिन अपने तीन में से किसी भी छलांग के साथ इसे कामयाब नहीं बना सके।
T42 स्पोर्ट्स क्लास का एक हिस्सा है, जिसे उन एथलीटों के लिए बनाया गया है, जिनमें अंगों की कमी है, जैसे कि जन्म से विच्छेदन या लापता या छोटे अंग।
बता दें कि स्पोर्ट्स क्लास 42-44 में, जिनके पैर में नुकसान होता है और दूसरा पैर कृत्रिम अंग होता है, ऐसे एथलीटों को इसमें खेलने का मौका दिया जाता है, जबकि T61-64 स्पर्धा के बीच इसे वर्गीकत किया जाता है।