नेशनल गेम्स का इतिहास: भारत के घरेलू ओलंपिक खेलों के बारे में जानिए

आधुनिक नेशनल गेम्स एक ओलंपिक-शैली की स्पर्धा है जिसमें कई खेल शामिल होते हैं। इस प्रतियोगिता में भारत के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के एथलीट पदक के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं।

6 मिनटद्वारा रौशन प्रकाश वर्मा
Haryana vs Tamil Nadu hockey men's quater-finals during National Games 2022
(National Games)

भारत का नेशनल गेम्स एक ओलंपिक-शैली का आयोजन है जिसमें कई खेल शामिल होते हैं और भारत के विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के एथलीट पदक के लिए अपनी चुनौती पेश करते हैं। भारतीय सशस्त्र बलों (इंडियन आर्म्ड फोर्सेज) की खेल टीम, सर्विसेज भी नेशनल गेम्स में प्रतिस्पर्धा करती है।

नेशनल गेम्स 2022 में एथलीटों ने 36 खेल में प्रतिस्पर्धा की, जिनमें कबड्डी, खो-खो, लॉन बाउल, मलखंब, स्क्वैश, वुशु और योगासन जैसे खेल भी शामिल थे जो ओलंपिक प्रोग्राम का हिस्सा नहीं होते हैं।

नेशनल गेम्स की शुरुआत एक द्विवार्षिक आयोजन के रूप में हुई थी। हालांकि, बाद में लॉजिस्टिक और प्रक्रियात्मक मुद्दों को देखते हुए इस प्रतियोगिता का आयोजन अलग-अलग वर्षों के अंतराल के साथ किया जाता रहा है।

नेशनल गेम्स का 35वां संस्करण साल 2015 में केरल में आयोजित किया गया था। इसका 36वां संस्करण साल 2020 में गोवा में होना तय था, लेकिन कोविड महामारी के कारण इसे स्थगित कर दिया गया था।

भारतीय खेल मंत्रालय ने नेशनल गेम्स के आगामी संस्करण के आयोजन को लेकर कहा है कि ओलंपिक और एशियन गेम्स के आयोजन वाले साल को छोड़कर, इस प्रतियोगिता को हर दो साल के अंतराल पर आयोजित किया जाएगा। 

नेशनल गेम्स के इतिहास में बीते कुछ वर्षों में नीरज चोपड़ा, पीटी उषा, दीपा कर्माकर, साजन प्रकाश और सानिया मिर्जा जैसे कई प्रमुख भारतीय एथलीटों ने इस प्रतियोगिता में हिस्सा लिया है।

सानिया मिर्जा ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा, ''जब मैंने साल 2002 में नेशनल गेम्स में हिस्सा लिया था तब मेरी उम्र सिर्फ 16 साल थी। मैंने प्रतियोगिता में अपने अच्छे प्रदर्शन की बदौलत ख़ूब सुर्खियां भी बटोरीं। इस सफलता ने मेरे अंतर्राष्ट्रीय करियर को एक सही और बेहतरीन दिशा दी। 

सानिया ने कहा, "यह खुद को परखने के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा के प्रदर्शन के लिए सही मंच है। राष्ट्रीय खेलों में शीर्ष एथलीटों की उपस्थिति उभरती प्रतिभाओं के लिए प्रेरणा का एक बड़ा स्रोत है।"

नेशनल गेम्स का इतिहास

नेशनल गेम्स का उद्देश्य उन खेल प्रतिभाओं की पहचान करना था जो ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं।

भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, नेशनल गेम्स के आयोजन के प्रयासों का नेतृत्व प्रमुख भारतीय व्यवसायी दोराबजी टाटा, चेन्नई (तत्कालीन मद्रास) में वाईएमसीए कॉलेज ऑफ फिजिकल एजुकेशन के संस्थापक हैरी क्रो बक और इसी कॉलेज के निदेशक डॉ. ए.जी. नोहरन ने किया था।

साल 1920 के ओलंपिक के बाद, दोराबजी टाटा ने ओलंपिक खेलों को बढ़ावा देने के लिए एक राष्ट्रीय स्तर की संस्था के गठन का सुझाव दिया। ओलंपिक के लिए चयन समिति की बैठक के बाद, अखिल भारतीय ओलंपिक समिति की स्थापना की गई।

समिति ने 1924 में पहले नेशनल गेम्स का आयोजन अविभाजित भारत के लाहौर (अब पाकिस्तान) में किया था। उस वक्त इसे 'अखिल भारतीय ओलंपिक खेल' कहा जाता था।

ऑल इंडिया ओलंपिक गेम्स के पहले संस्करण से आठ एथलीटों को साल 1924 के पेरिस ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना गया था और हैरी बक मैनेजर के रूप में इस टीम के साथ गए थे।

अंततः साल 1927 में अखिल भारतीय ओलंपिक समिति (ऑल इंडिया ओलंपिक कमेटी) भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) में परिवर्तित हो गई, जिसके अध्यक्ष दोराबजी टाटा और सचिव डॉ. नोहरन थे।

साल 1924 में पहले संस्करण से ऑल इंडिया ओलंपिक गेम्स के पहले चार संस्करणों का आयोजन हर दो साल के अंतराल पर किया गया था। पहले तीन संस्करण लाहौर में आयोजित किए गए थे। साल 1930 में इलाहाबाद (अब प्रयागराज) नए मेजबान शहर के तौर पर सामने आया। तब से, इस प्रतियोगिता का प्रत्येक संस्करण एक अलग शहर में आयोजित किया जाता रहा है।

साल 1940 के संस्करण के शुरु होने से पहले इस कार्यक्रम को 'नेशनल गेम्स' के रूप में फिर से नया नाम दिया गया, जिसकी मेज़बानी बॉम्बे (अब मुंबई) ने की थी।

आज़ाद भारत में नेशनल गेम्स के पहले संस्करण का आयोजन साल 1948 में लखनऊ में किया गया था। नेशनल गेम्स का आयोजन साल 1970 में 25वें संस्करण तक हर दो वर्ष के अंतराल पर होता रहा। लेकिन, इसके बाद प्रतियोगिता का अगला संस्करण 9 साल बाद, 1979 में हैदराबाद में आयोजित किया गया।

(नेशनल गेम्स)

आधुनिक नेशनल गेम्स

शुरुआती उत्साह और लहर के बाद, नेशनल गेम्स ने धीरे-धीरे अपनी चमक खो दी और साल 1985 में आयोजित 26वें संस्करण से पहले, IOA ने इसे और अधिक आकर्षित बनाने के लिए प्रतियोगिता की संरचना में सुधार करने का फैसला किया।

उन्होंने ओलंपिक की तर्ज पर नेशनल गेम्स का मॉडल तैयार किया, जो एथलीटों से भरा हुआ था। लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए इसका प्रचार-प्रसार भी व्यापक स्तर पर भव्य तरीके से किया गया।

1985 में आयोजित होने वाला नेशनल गेम्स सही मायनों में पहली बार पूरी तरह से ओलंपिक की तर्ज पर था। पीटी उषा, शाइनी अब्राहम और वर्तमान में एएफआई (AFI) के प्रमुख आदिल सुमरिवाला जैसे कई दिग्गज सितारों ने इस प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था।

इसके बाद आयोजित होने वाले नेशनल गेम्स के हर संस्करण में 5000 से अधिक एथलीटों ने हिस्सा लिया।

ओलंपियन तेजस्विनी सावंत, साजन प्रकाश और दीपा कर्माकर के अलावा राष्ट्रमंडल खेलों के लॉन बाउल के रजत पदक विजेता सुनील बहादुर, दिनेश कुमार और चंदन सिंह उन प्रमुख एथलीटों में शामिल हैं, जिन्होंने नेशनल गेम्स में स्वर्ण पदक जीते हैं।

उत्तर-पूर्वी भारत में इस खेल का पहली आर आयोजन मणिपुर की राजधानी इम्फाल में साल 1999 में हुआ। इससे पहले उत्तर-पूर्वी भारत को इस खेल की मेजबानी का कोई अवसर प्राप्त नहीं हुआ था।

ओलंपियन मुक्केबाज आशीष कुमार ने अपने मुक्केबाजी करियर को लगभग छोड़ दिया था। लेकिन, उन्होंने साल 2015 के नेशनल गेम्स में आखिरी बार जोर आजमाइश का फैसला लिया जिसने उनके करियर का रुख ही बदल दिया। नेशनल गेम्स के इस संस्करण में उन्होंने स्वर्ण पदक अपने नाम किया, जो उनके करियर का महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ। कुमार ने बाद में 2019 एशियाई चैंपियनशिप में रजत पदक हासिल किया।

नेशनल गेम्स से सामने आने वाली सबसे सफल कहानी के सबसे बड़े नायक निस्संदेह टोक्यो 2020 के स्वर्ण पदक विजेता नीरज चोपड़ा हैं। नीरज चोपड़ा ने साल 2015 में आयोजित नेशनल गेम्स में भाग लिया था जहां वह भाला फेंक प्रतियोगिता में पांचवें स्थान पर रहे थे।

हालांकि, नीरज चोपड़ा को इसके बाद भारत के नेशनल कैंप में शामिल किया गया था, जिसे बाद में उन्होंने अपने शुरुआती करियर में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप स्वीकार किया। इससे उन्हें भविष्य की सफलताओं को हासिल करने में काफ़ी मदद मिली। नेशनल कैंप के दौरान नीरज को बेहतर प्रशिक्षण सुविधा मिलने के साथ और सही डाइट भी मुहैया कराई गई।

इसके बाद से, नीरज चोपड़ा ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वे अंडर-20 विश्व चैंपियन बने, राष्ट्रमंडल खेल, एशियाई खेल में स्वर्ण पदक हासिल करने के अलावा उन्होंने टोक्यो ओलंपिक, विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप और डायमंड लीग में ऐतिहासिक जीत दर्ज की।

भारत के शीर्ष टेबल टेनिस खिलाड़ियों में से एक, साथियान गणानाशेखरन ने भी 2015 के नेशनल गेम्स में भाग लिया था।

जी. साथियान ने कहा, "राष्ट्रीय खेल ने मुझे 2015 में एक शानदार मंच दिया जिससे मैं यह जान सका कि मेरी तैयारी किस स्तर की है। जब आप एक मल्टी-स्पोर्ट इवेंट में प्रतिस्पर्धा करते हैं, तो यह एक बहुत ही अलग अनुभव होता है।"

साथियान ने आगे कहा, "आप बहुत सी चीजें सीखते हैं और वे राष्ट्रमंडल खेलों, एशियाई खेलों और ओलंपिक जैसे बड़े आयोजनों में मददगार होते हैं। युवाओं के लिए, यह अपने कौशल का परीक्षण करने और दबाव में खुद को परखने का एक शानदार मंच है।"

गुजरात में आयोजित नेशनल गेम्स 2022 में भारतीय टेबल टेनिस खिलाड़ी जी. साथियान

(नेशनल गेम्स)

नेशनल गेम्स के संस्करण और उसके मेजबान