जैवलिन थ्रो: जानें नियम, स्कोरिंग प्रणाली और प्रतियोगिता प्रारूप से जुड़ी हर बात
प्राचीन ओलंपिक में भाला फेंक (जैवलिन थ्रो) पेंटाथलॉन का हिस्सा था और साल 1908 से आधुनिक ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों में एक स्वतंत्र इवेंट रहा है। इसके नियमों के बारे में जानें।
इतिहास में घटनाओं के लिखित विवरण से पूर्व समय (प्रागैतिहासिक काल) से भाला का इस्तेमाल शिकार और युद्ध की विधा के रूप में किया जाता था। भाला या भाला फेंकना लगभग मानव सभ्यता जितना ही प्राचीन है। भाला फेंक में धीरे-धीरे बदलाव आया और यह ट्रैक एंड फील्ड की भाला फेंक स्पर्धा के रूप में विकसित हुआ, जिसे आज हम सभी बहुत अच्छी तरह से जानते हैं।
संभवतः 708 ईसा पूर्व में आयोजित प्राचीन ओलंपिक खेल वह सबसे बड़ा और प्रमुख आयोजन था जिसमें भाला फेंक को एक खेल के रूप में शामिल किया गया। उस समय, भाला फेंक एक स्टैंडअलोन खेल नहीं था बल्कि मल्टी-स्पोर्ट पेंटाथलॉन इवेंट का हिस्सा था।
साल 1908 से लंदन में पुरुषों की भाला फेंक स्पर्धा शुरू होने के बाद से जैवलिन थ्रो आधुनिक ओलंपिक का हिस्सा बन गया। यह थ्रो इवेंट में शॉट पुट (गोला फेंक), हैमर थ्रो और डिस्कस थ्रो के बाद शामिल होने वाला आखिरी इवेंट था।
महिलाओं की भाला फेंक प्रतियोगिता की शुरुआत साल 1932 के लॉस एंजिल्स ओलंपिक में हुई। तब से पुरुषों और महिलाओं दोनों के जैवलिन इवेंट आज के सबसे चर्चित एथलेटिक्स इवेंट में शामिल हैं।
इन वर्षों में भाला फेंक के नियमों को कई बार संशोधित किया गया है। यहां वर्तमान भाला फेंक नियम का संक्षिप्त विवरण दिया गया है।
भाला की विशेषताएं: वजन और लंबाई
मौजूदा वर्ल्ड एथलेटिक्स नियमों के मुताबिक भाला फेंक प्रतियोगिताओं में इस्तेमाल किए जाने वाले भाला की कुछ खास विशेषताएं होती हैं।
भाला आकार में बेलनाकार होता है और उसके दोनों सिरे पतले होते हैं।
पुरुषों की सीनियर प्रतियोगिता में इस्तेमाल किए जाने वाले भाला का वजन कम से कम 800 ग्राम और लंबाई 2.6 मीटर और 2.7 मीटर के बीच होनी चाहिए। महिलाओं के लिए भाला का न्यूनतम वजन 600 ग्राम होना चाहिए, जबकि लंबाई 2.2 मीटर और 2.3 मीटर के बीच हो सकती है।
एक भाला में तीन हिस्से होते हैं - हेड, शाफ्ट और कॉर्ड ग्रिप।
भाले का शाफ्ट या मुख्य बॉडी, धातु या अन्य उपयुक्त चीजों से बनी होती है। यह ठोस या खोखला हो सकता है लेकिन इसमें किसी भी तरह की खांचें, लकीरें, छेद या खुरदरापन नहीं होना चाहिए। इसकी सतह चिकनी होनी चाहिए।
शाफ्ट का ऊपरी सिरा पतला और नुकीला होता है, जिसकी टिप को धातु से बनाया जाता है, इसे हेड या टिप कहते हैं।
जैवलिन के सेंटर ऑफ ग्रेविटी को चिन्हित करने वाला एरिया (पुरुषों के लिए टिप से 0.9 मीटर से 1.06 मीटर और महिलाओं के लिए 0.8 मीटर से 0.92 मीटर) को कॉर्ड ग्रिप के साथ तय करते हैं, जिसकी मोटाई 0.8 मिमी से अधिक नहीं हो सकती। ग्रिप मोटाई में एक समान होनी चाहिए और भाला पकड़ने में सहायता के लिए एक नियमित नॉन-स्लिप पैटर्न हो सकता है। हालांकि, किसी भी तरह की खरोंच, खांचे या निशान बनाने की इजाजत नहीं है।
भाला फेंक का मैदान
जिस स्थान पर भाला फेंक प्रतियोगिता आयोजित की जाती है उसे दो हिस्सों - रनवे और लैंडिंग सेक्टर में बांटा जा सकता है।
रनवे
रनवे या टेक-ऑफ का स्थान रनिंग ट्रैक का एक हिस्सा है जो भाला फेंकने वालों को अपना भाला फेंकने से पहले दौड़ने की इजाजत देता है और भाले को मैदान पर फेंकने से पहले स्पीड को एक जगह एकत्रित करता है। रनवे कम से कम 30 मीटर लंबा होना चाहिए और यदि शर्तें अनुमति दें तो इसे 36.50 मीटर तक बढ़ाया जा सकता है। रनवे की न्यूनतम चौड़ाई 4 मीटर होनी चाहिए।
रनवे के अंत को थ्रोइंग आर्क द्वारा चिह्नित किया जाता है, जिसमें 8 मीटर का दायरा होता है। थ्रोइंग आर्क को फाउल लाइन या स्क्रैच लाइन भी कहा जाता है।
एक बार थ्रो शुरू होने के बाद एथलीट रनवे के निशान से आगे नहीं बढ़ सकते।
लैंडिंग सेक्टर
रनवे के सामने एक फनल के आकार का लैंडिंग सेक्टर होता है, जो आमतौर पर घास या आर्टिफिशयल टर्फ से ढका होता है। फनल की लाइन 28.96 डिग्री का कोण बनाती हैं, जब वे रनवे के आखिर में फेंकने वाले आर्क के दोनों सिरों को काटने के बाद साथ मिलते हैं।
जैवलिन थ्रो के नियम
भाला फेंक का एकमात्र मकसद एक संकीर्ण बेलनाकार खोखले भाले को जितना हो सके उतना दूर तक फेंकना है। भाला फेंक एथलीट को अपने थ्रो को मान्य साबित करने के लिए नियमों का पालन करना होता है।
थ्रो को मापने के लिए भाला को पहले लैंडिंग सेक्टर की सीमा के अंदर गिरना होगा। हालांकि, भाला को सिर्फ जमीन पर एक निशान बनाने की जरूरत होती है और जरूरी नहीं कि वह जमीन में चिपक जाए या टर्फ को तोड़ दें।
एथलीट को जैवलिन (भाला) को एक हाथ से पकड़ना होता है। फेंकने वाले हाथ पर दस्ताने पहनने की अनुमति नहीं है। एथलीट अपनी उंगलियों को सिर्फ टेप कर सकते हैं जब तक कि यह थ्रो के दौरान कोई अतिरिक्त सहायता प्रदान नहीं करता है। प्रतियोगिता से पहले जज टेपिंग की जांच करते हैं। दो या दो से अधिक अंगुलियों को एक साथ टैप करने की भी इजाजत नहीं होती है।
थ्रो करने की पूरी प्रक्रिया के दौरान भाले को एक ओवरहैंड स्थिति में रखा जाना चाहिए, यानी कंधे या फेंकने वाले हाथ के ऊपरी हिस्से पर।
अन्य थ्रोइंग इवेंट के विपरीत जैवलिन थ्रो में गैर-रूढ़िवादी शैलियों की अनुमति नहीं है, जिसका अर्थ है कि एथलीटों को अपनी तकनीकों को निश्चित नियमों के अनुसार बनाना होगा। थ्रो पूरा होने तक एथलीट भी लैंडिंग सेक्टर से जा नहीं सकते हैं।
भाला फेंकते समय और उसके लैंड करने से पहले एथलीटों को थ्रोइंग आर्क या फाउल लाइन के पीछे रहना होता है।
एक बार जब उनके नाम का ऐलान हो जाता है, तो एथलीटों को एक मिनट के अंदर अपना थ्रो करना होता है।
उपरोक्त में से किसी भी नियम को पूरा करने में असफलता के परिणामस्वरूप फाउल थ्रो होता है और थ्रो की गणना नहीं की जाती है।
जैवलिन थ्रो (भाला फेंक) का स्कोरिंग सिस्टम
भाला फेंक में स्कोर की गणना करना भाले द्वारा तय की गई दूरी की गणना करना है।
एक बार जब भाला लैंडिंग क्षेत्र के अंदर सबसे पहले पहुंचता है, तो पहले थ्रो के मार्क को जज द्वारा एक मार्कर आमतौर पर एक स्पाइक के साथ चिह्नित किया जाता है। उसके बाद थ्रो आर्क के केंद्र बिंदु के अंदर के किनारे तक मार्कर की एक सीधी रेखा में दूरी को मापा जाता है। माप को निकटतम सेंटीमीटर तक मापा जाता है।
पहले सभी मापों के लिए स्टील या फाइबरग्लास मीटर टेप का उपयोग किया जाता था, लेकिन इलेक्ट्रॉनिक दूरी माप प्रणाली (EDM) की शुरुआत के बाद अब इसे लेजर के माध्यम से डिजिटल रूप से मापा जाता है। ईडीएम से लैस नहीं होने वाले स्थानों पर अभी भी मीटर टेप का इस्तेमाल किया जाता है।
जैवलिन थ्रो प्रतियोगिता का फॉर्मेट
भाला फेंक इवेंट के प्रारूप एक प्रतियोगिता से दूसरी प्रतियोगिता में अलग हो सकते हैं। ओलंपिक सहित अधिकांश प्रमुख भाला फेंक प्रतियोगिताओं में छह राउंड होते हैं। प्रत्येक राउंड में सभी प्रतिस्पर्धी एथलीट एक बार जैवलिन थ्रो करते हैं या एक प्रयास या ट्रायल हासिल करते हैं।
यदि प्रतियोगियों की संख्या आठ से कम है, तो सारे एथलीट सभी छह राउंड में थ्रो करते हैं। हालांकि, अगर किसी इवेंट में आठ से ज्यादा एथलीट हैं, तो पहले तीन राउंड के बाद सिर्फ शीर्ष आठ ही बाकी बचे तीन राउंड में प्रतिस्पर्धा करते हैं।
इवेंट के आखिर में सबसे लंबा मान्य थ्रो करने वाला एथलीट पहला स्थान जीतता है। यदि सभी राउंड के बाद दो या दो से अधिक एथलीटों के बीच एक टाई है, तो दूसरा सर्वश्रेष्ठ थ्रो करने वाले एथलीट को अन्य की तुलना में शीर्ष स्थान दिया जाता है।
कभी-कभी भाला फेंक प्रतियोगिताओं खासकर प्रमुख इवेंट के फाइनल के लिए क्वालीफाइंग में तीन राउंड होते हैं। सभी प्रतिस्पर्धी एथलीटों को इस प्रारूप के अंतर्गत तीन थ्रो करने होते हैं।