युद्ध के हथियार से लेकर ओलंपिक खेल तक: जैवलिन थ्रो के इतिहास पर एक नजर
भाला फेंक 1908 से पुरुषों के आयोजन के रूप में ओलंपिक का हिस्सा रहा है। महिलाओं की प्रतियोगिता में इसे 1932 में जोड़ा गया था।
उवे हॉन, जान जेलेजनी, टैपियो राउतवारा और हाल ही में नीरज चोपड़ा, जोहान्स वेटर और एंडरसन पीटर्स के एथलेटिक रिकॉर्ड के बाद जैवलिन थ्रो जिसे हम भाला फेंक के नाम से भी जानते हैं, एक ग्लोबल स्पोर्ट बन गया। इससे पहले इसका उपयोग शिकारी और सैनिकों द्वारा किया गया था।
शिकारी जानवरों को मारने के लिए एक छोर पर भाले के साथ एक लंबी छड़ी लगाते थे और इसे फेंककर शिकार करते थे। जबकि सैनिकों ने इसे युद्ध में एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया। आधुनिक समय में भाला फेंक खेल में शामिल हो गया है, जो खिलाड़ियों को सम्मान दिलाता है।
इस खास पेशकश में हम आपको ये बताने जा रहे हैं कि कैसे भाला फेंक रणभूमि से निकलकर ओलंपिक खेल का हिस्सा बन गया।
भाला फेंक का इतिहास
पहली बार भाला फेंक 708 ईसा पूर्व में ग्रीस में हुए प्राचीन ओलंपिक गेम्स में एक खेल के रूप में शामिल किया गया। यह दौड़, डिस्कस थ्रो, लंबी कूद और कुश्ती के साथ पेंटाथलॉन इवेंट का हिस्सा था। मूल भाला जैतून की लकड़ी से बना था।
प्राचीन ओलंपिक खेलों का आयोजन स्थल ओलंपिया की स्थिति सदियों से कई लड़ाइयों और प्राकृतिक आपदाओं के बाद बिगड़ गई। रोमन सम्राट थियोडोसियस प्रथम ने मूर्तिपूजक समारोहों और कार्यों को अवैध घोषित करने के बाद खेलों को आधिकारिक तौर पर 394 ईसवीं के आसपास खत्म कर दिया।
इसी के साथ भाला फेंक खेल के तौर पर समाप्त हो गया।
सदियों बाद यह स्कैंडिनेवियाई थे जिन्होंने 1700 के दशक के अंत में इस खेल को पुनर्जीवित किया।
फिनलैंड और स्वीडन ने भाला फेंक के दो अलग-अलग इवेंट में प्रतिस्पर्धा की। जिसमें एक में भाला लक्ष्य पर फेंकना होता था और दूसरे में सबसे दूर फेंकना होता था। हालांकि बाद के दशकों में दूर फेंकने वाला भाला फेंक अधिक लोकप्रिय हो गया।
भाला फेंक के खेल में सबसे पहले हावी होने वाले एथलीट स्वीडन के एरिक लेमिंग थे। वह बहुमुखी प्रतिभा के धनी ट्रैक और फील्ड एथलीट में विशेषज्ञ थे, जिसमें भाला फेंक के अलावा वह जंपिंग इवेंट में भी भाग लेते थे। लेमिंग ने एक दशक से अधिक समय तक इस खेल पर राज किया।
भाला फेंक का आधुनिक ओलंपिक डेब्यू
हालांकि, अन्य थ्रो इवेंट डिस्कस और शॉट पुट को 1896 के पहले आधुनिक ओलंपिक खेलों में शामिल किया गया था, 1908 में लंदन में आयोजित हुए तीसरे संस्करण से भाला फेंक को पहली बार शामिल किया गया।
जब भाला फेंक को पहली बार ओलंपिक में शामिल किया गया, तो एरिक लेमिंग ने अपनी बादशाहत कायम रखी। स्वीडन के इस भाला फेंक एथलीट ने स्टैंडर्ड भाला फेंक के साथ-साथ फ्रीस्टाइल भाला फेंक में स्वर्ण पदक जीते। लेमिंग ने स्टैंडर्ड थ्रो में 54.482 मीटर की दूरी तक भाला फेंककर नया विश्व और ओलंपिक रिकॉर्ड स्थापित किया।
फ्रीस्टाइल में भाला को बीच में पकड़ने के बजाय कहीं भी पकड़ कर रखा जा सकता है। लंदन 1908 ओलंपिक में फ्रीस्टाइल भाला की पहली और एकमात्र उपस्थिति थी। वहीं स्टैंडर्ड में भाले को बीच में पकड़ना होता है।
एरिक लेमिंग ने 1912 के ओलंपिक में स्वीडन में अपने घरेलू दर्शकों के सामने भाग लिया। वहां, उन्होंने इतिहास में पहली बार 60 मीटर का आंकड़ा पार करके एक और रिकॉर्ड बनाया। उन्होंने स्टैंडर्ड थ्रो में अपना दूसरा स्वर्ण जीता।
साल 1932 में ओलंपिक कार्यक्रम में महिलाओं का इवेंट भी शामिल किया गया। जहां अमेरिकी एथलीट बेब डिड्रिक्सन ने स्वर्ण पदक अपने नाम किया।
भाला फेंक में जब 100 मीटर बैरियर हुआ पार
अगले कुछ दशकों में भाला फेंक की लोकप्रियता धीरे-धीरे बढ़ती चली गई, और इसमें नॉर्डिक देशों के बजाय धीरे-धीरे मध्य यूरोप का दबदबा कायम होने लगा। इस इवेंट में जर्मनी के महानउवे हॉन ने क्रांति की।
भाला बनाने के लिए नई व हल्की सामग्री के आने में पहले ओलंपिक के बाद लंबा समय लगा।
भाला फेंक में उवे हॉन 100 मीटर की दूरी निकालने वाले पहले एथलीट बने और ऐसा करने वाले वह एकमात्र भाला फेंक एथलीट हैं। 1984 में हॉन ने बर्लिन में हुए खेलों में 104.8 मीटर तक भाला फेंककर ये रिकॉर्ड कायम किया था।
आपको बता दें इस जर्मन दिग्गज ने टोक्यो 2020 ओलंपिक चैंपियन नीरज चोपड़ा को कोचिंग भी दी है।
हालांकि, 1986 में भाला के डिजाइन में बदलाव के बाद भाला फेंक के रिकॉर्ड को रीसेट किया गया था, जिसमें इसके गुरुत्वाकर्षण के केंद्र को बढ़ा दिया गया। इस कदम ने दूरी को कम कर दिया और स्टेडियमों में उपलब्ध स्थान से भाला के आगे निकलने का खतरा कम हो गया।
1999 में महिलाओं की भाला फेंक में भी इसी तरह का संशोधन किया गया गया था।
दोबारा डिजाइन किए गए भाला की मदद से पहले कुछ वर्षों में 90 मीटर के निशान को पार करना भी मुश्किल था। हालांकि, तीन बार के ओलंपिक पदक विजेता स्टीव बैकली ने साल 1992 में इसे 91.46 मीटर तक की दूरी तक फेंक दिया।
लेकिन, जान जेलेजनी को इस रिकॉर्ड को तोड़ने में ज्यादा वक्त नहीं लगा।
चेक गणराज्य के जेलेजनी जिसे अब तक के सबसे महान भाला फेंक एथलीट में से एक माना जाता है, 1990 के दशक में उनके आसपास कोई नहीं टिकता था। उन्होंने लगातार तीन ओलंपिक स्वर्ण पदक (1992, 1996, 2000) और तीन विश्व चैंपियनशिप (1993, 1995, 2001) जीतकर तीन विश्व रिकॉर्ड बनाए।
साल 1996 में जान जेलेजनी का 98.48 मीटर का प्रयास अभी भी भाला फेंक का विश्व रिकॉर्ड बना हुआ है। उन्होंने अपने शानदार करियर में तीन बार 95 मीटर बैरियर को भी पार किया।
हाल ही में हुए 2017 विश्व चैंपियन में जर्मनी के जोहान्स वेटर इसके करीब आए और साल 2020 में उन्होंने अपने प्रदर्शन का लोहा मनवाते हुए 97.76 मीटर की दूरी निकाली। वह नौ मौकों पर 90 मीटर से आगे निकल चुके हैं।
महिलाओं का रिकॉर्ड एक अन्य चेक स्टार बारबोरा स्पॉटकोवा के नाम है, जिन्होंने स्टटगार्ट में हुए साल 2008 IAAF वर्ल्ड एथलेटिक्स फाइनल में 72.28 मीटर तक भाला फेंका था।