जानें जैवलिन थ्रो करने का तरीका और क्या हैं इसके नियम?

ओलंपिक चैंपियन नीरज चोपड़ा की तरह भाला फेंकने के लिए अधिक शारीरिक बल और सटीकता की आवश्यकता होती है। इस खेल की तकनीक और बारीकियों को जानें।

3 मिनटद्वारा शिखा राजपूत
India's Neeraj Chopra.
(Getty Images)

टोक्यो ओलंपिक में नीरज चोपड़ा के स्वर्ण पदक जीतने के बाद भारत में लोगों की दिलचस्पी भाला फेंक ( जैवलिन थ्रो) के खेल में बढ़ गई है और यह सुर्खियों में छाया हुआ है। लेकिन, क्या आपको है कि इस खेल की शुरुआत कहां से हुई। चलिए हम बताते हैं, इस खेल की उत्पत्ति 708 ईसा पूर्व में हुई थी।

उस समय भाला का इस्तेमाल दुश्मनों को मारने और जानवरों का शिकार करने के लिए किया जाता था। इसी से प्रेरित होकर यूनानियों ने भाला फेंक खेल को प्राचीन ओलंपिक का हिस्सा बनाया।

हालांकि, अब भाला का इस्तेमाल शिकार और युद्ध में नहीं किया जाता है। लेकिन, भाला फेंक खेल बहुत प्रतिस्पर्धी बन गया है और इसके लिए बहुत अधिक शारीरिक मेहनत की आवश्यकता होती है।

यह एक तकनीकी खेल है, जिसमें 800 ग्राम के 2.5 मीटर लंबे भाला को सबसे दूर फेंकने के लिए मांसपेशियों और जोड़ों के तालमेल की जरूरत होती है।

भाला कैसे फेंका जाता है?

भाला फेंक को तीन प्रमुख भागों में बांटा गया है - रन-अप, ट्रांजिशन और डिलीवरी।

रन-अप भाला उठाकर उसके साथ दौड़ने की प्रक्रिया है। एक भाला फेंक एथलीट भाला को कंधे के ऊपर (सिर के करीब) उठाकर रन-अप शुरु करता है, और भाला के नुकीले धातु के सिरे को थ्रो की दिशा में रखता है। साथ ही इस पोल को पकड़ने के लिए एक ग्रिप भी होती है।

30 मीटर से 36.50 मीटर लंबा और 4 मीटर चौड़े रनवे पर एथलीट दौड़ता है। थ्रो के दौरान एथलीट किसी भी समय रनवे से बाहर नहीं जा सकता है।

जैवलिन थ्रो का ग्रिप

एथलीट अपनी सुविधानुसार भाला को तीन प्रकार से पकड़ सकता है। अमेरिकी पकड़, फिनिश पकड़ और वी पकड़। तीनों ही पकड़ में एथलीट की उंगलियों और भाला की स्थिति अलग होती है।

आमतौर पर एथलीट के स्ट्रेट रन-अप में 10 से 15 कदम की दूरी होती है, इसके बाद तीन से चार क्रॉसओवर कदम आगे बढ़ता है। इस दौरान एथलीट दौड़ना जारी रखते है। लेकिन, भाला फेंकने की स्थिति में एथलीट का शरीर एक तरफ झुक जाता है।

(2021 Getty Images)

क्रॉसओवर स्टेप एथलीट को भाला फेंकने की स्थिति में ट्रांजिशन करने में मदद करता है, जो भाला को पीछे की ओर ले जाता है और हथेली को आसमान की तरफ रखता है।

आखिरी क्रॉसओवर स्टेप लंबा होता है। इसमें एथलीट अपने वजन को पिछले पैर पर स्थानांतरित करने के साथ थ्रो की तैयारी करता है। इन सब के दौरान एथलीट को अपनी गति बनाए रखनी होती है।

(2021 Getty Images)

अंतिम चरण में जैसे ही एथलीट का पैर जमीन पर पड़ता है, डिलीवरी शुरू हो जाती है। वह अपने ऊपरी हिस्से को आगे बढ़ाता है, और हाथ को पीछे की ओर रखता है, इससे तेजी से भाला अपने लक्ष्य की ओर निकल जाता है।

हालांकि, खेल के नियम के अनुसार, एथलीट को फाउल लाइन को पार नहीं करना चाहिए। यह वह लाइन है, जिससे दूरी को नापा जाता है। एथलीट रन-अप और थ्रो के दौरान जिस ताकत से भाला फेंकते हैं, उसे भाला फेंकते ही नियंत्रित करना मुश्किल होता है।

विश्व एथलेटिक्स के साथ एक इंटरव्यू में नीरज चोपड़ा ने कहा, "चूंकि भाला एक तकनीकी प्रतियोगिता है, इसलिए सुनिश्चित करें कि आपके साथ एक अच्छा कोच या अनुभवी सलाहकार जैसा कोई व्यक्ति हो जो आपका मार्गदर्शन कर सके और आपका मार्गदर्शन कर सके कि आप सही रास्ते पर जा रहे हैं।"

पुरुषों की स्पर्धा में भाला फेंक का ओलंपिक रिकॉर्ड पाकिस्तान के अरशद नदीम (92.97 मीटर) और महिलाओं की स्पर्धा में क्यूबा की ओस्लेडी मेनेंडेज़ (71.53 मीटर) के नाम दर्ज है।

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