नेशनल गेम्स चैंपियंस: जानिए अब तक किन राज्यों ने जीता है खिताब
भारतीय सशस्त्र बलों (इंडियन आर्म्ड फोर्सेज) की टीम सर्विसेज ने चार बार राष्ट्रीय खेल जीते हैं, जो किसी भी टीम द्वारा सबसे अधिक बार जीते गए हैं।
पहले नेशनल गेम्स का आयोजन अविभाजित भारत के लाहौर में साल 1924 में किया गया था। नेशनल गेम्स का मुख्य उद्देश्य उन खेल प्रतिभाओं की पहचान करना था जो ओलंपिक खेलों में देश को गौरवान्वित कर सकें।
आजादी से पहले और बाद के कई वर्षों तक इसके आयोजन के बाद भी नेशनल गेम्स को वह पहचान नहीं मिली जिसकी यह प्रतियोगिता हकदार थी। नेशनल गेम्स के शुरुआत के कई दशक गुजरने के बाद भी लोगों में इसके प्रति रूझान की कमी थी और यह कभी भी बहुत अधिक सुर्खियों में नहीं रहा।
इस घरेलू प्रतियोगिता के महत्व को बढ़ाने, इसकी छवि को बेहतर करने और लोगों में इसके प्रति आकर्षण पैदा करने के उद्देश्य से भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) ने नेशनल गेम्स की संरचना में बदलाव करने का फैसला लिया।
साल 1985 में 26वें संस्करण के आयोजन से पहले नेशनल गेम्स के मॉडल में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला। दरअसल, IOA ने यह फैसला कर लिया था कि अब नेशनल गेम्स का आयोजन ओलंपिक की तर्ज पर किया जाएगा।
IOA ने प्रतियोगिता के आयोजन के साथ ही उन शहरों को चुनने की भी जिम्मेदारी ली जो नेशनल गेम्स की मेजबानी करेंगे। ओलंपिक की तरह माहौल तैयार करने के लिए IOA ने एक एथलीट्स विलेज तैयार किया।
इस कदम का असर भी हुआ और व्यापक मीडिया कवरेज के साथ नेशनल गेम्स अधिक आकर्षक हो गया। परिणामस्वरूप, राज्यों ने अपने सर्वश्रेष्ठ एथलीटों को मैदान में उतारने की कवायद शुरु कर दी। इसके लिए शीर्ष खिलाड़ियों को नेशनल गेम्स में हिस्सा लेने के एवज में नकद पुरस्कार की भी पेशकश की गई।
नेशनल गेम्स के चैंपियन राज्य (सबसे अधिक पदक जीतने वाला राज्य) को राजा भालिंद्र सिंह ट्रॉफी से सम्मानित किया जाता है। राजा भालिंद्र सिंह एक क्रिकेटर थे जो बाद खेल प्रशासक बने। उन्होंने बाद में IOA के अध्यक्ष के रूप में भी काम किया।
चैंपियन राज्य का मूल्यांकन अंकों के आधार पर किया जाता है। ये अंक विभिन्न खेलों में फिनिशिंग पोजीशन के आधार पर हासिल किया जाता है। अक्सर, सबसे अधिक पदक जीतने वाले ही चैंपियंस बनते हैं।
प्रतियोगिता की संरचना में बदलाव के बाद नेशनल गेम्स का पहला संस्करण साल 1985 में राजधानी नई दिल्ली में आयोजित किया गया था। पदक तालिका में शीर्ष पर रहते हुए महाराष्ट्र की टीम चैंपियन बनी।
साल 1987 में, नेशनल गेम्स का आयोजन केरल में किया गया। पहली बार इस प्रतियोगिता को कई अलग-अलग शहरों में आयोजित किया गया जैसे: कन्नानोर (अब कन्नूर), कालीकट (अब कोझीकोड), त्रिचूर (त्रिशूर), कोचीन (कोच्चि), क्विलोन (कोल्लम) और एलेप्पी (अब अलाप्पुझा) ने 6,000 से अधिक एथलीटों का स्वागत किया।
मेजबान राज्य केरल ने साल 1987 में जीत हासिल की और यहां से मेजबान राज्य के चैंपियन बनने का एक ट्रेंड चल पड़ा जो आने वाले पांच संस्करणों तक जारी रहा। केरल की मेजबानी के बाद से हर बार मेजबान राज्य पदक तालिका में शीर्ष स्थान हासिल करने लगा।
साल 1994 में, महाराष्ट्र ने बॉम्बे (अब मुंबई) और पुणे में आयोजित नेशनल गेम्स में अपना दूसरा खिताब हासिल किया।
मेजबान कर्नाटक ने साल 1997 के नेशनल गेम्स में चैंपियन का खिताब जीता, जिसकी मेजबानी बेंगलुरु और मैसूर ने की थी।
नेशनल गेम्स का 30वां संस्करण जो कि साल 1999 में आयोजित किया था, बेहद खास था। दरअसल, यह पहली बार था जब इस प्रतियोगिता का आयोजन भारत के पूर्वोत्तर राज्य (इम्फाल, मणिपुर) में किया गया था।
मेजबान मणिपुर ने पदक तालिका में दूसरे स्थान पर रहने के बावजूद साल 1999 के नेशनल गेम्स का 30वां संस्करण अपने नाम किया। पदक तालिका में केरल पहले स्थान पर था लेकिन मणिपुर ने केरल से अधिक अंक हासिल किया था और इसलिए वे चैंपियन घोषित हुए।
मणिपुर के कई एथलीट अपनी-अपनी स्पर्धाओं में पोडियम पर जगह बनाने से बहुत कम अंतर से चूक गए और चौथे स्थान पर रहे। इसी वजह से केरल के पदक तालिका में शीर्ष स्थान हासिल करने के बावजूद भी उन्होंने पर्याप्त अंक जुटाते हुए केरल को अंक तालिका में पीछे छोड़ दिया।
साल 2001 में, मेजबान पंजाब ने राजा भालिंद्र सिंह ट्रॉफी जीती और साल 2002 में मेजबान आंध्र प्रदेश ने इस ट्रॉफी पर कब्जा जमाया। हैदराबाद की टेनिस दिग्गज सानिया मिर्जा आंध्र प्रदेश के लिए नेशनल गेम्स के साल 2002 संस्करण में स्वर्ण पदक जीतने वाली खिलाड़ियों में से एक थीं।
सानिया मिर्जा ने कहा, ''जब मैंने 2002 में खेलों में हिस्सा लिया था तब मैं सिर्फ 16 साल की थी। मैंने अच्छा प्रदर्शन किया और सुर्खियों में आ गई। यह मेरे अंतरराष्ट्रीय करियर के लिए सही प्रोत्साहन साबित हुआ।''
आंध्र प्रदेश ने पोडियम फिनिश करने पर बेहतर नकद पुरस्कार की पेशकश करते हुए अन्य राज्यों के कुछ सर्वश्रेष्ठ एथलीटों से संपर्क किया, जो उनके राज्य की ओर से खेलें। ओलंपियन और एशियन गेम्स की रजत पदक विजेता टेनिस खिलाड़ी मनीषा मल्होत्रा और दिल्ली की तैराक ऋचा मिश्रा उन लोगों में शामिल थीं, जिन्होंने यह प्रस्ताव स्वीकार किया और आंध्र प्रदेश की ओर से प्रतिस्पर्धा की।
छह संस्करणों में पहली बार, साल 2007 में मेजबान टीम चैंपियन नहीं बनी। इस बार सर्विसेज स्पोर्ट्स कंट्रोल बोर्ड (सेवा खेल नियंत्रण बोर्ड) ने नेशनल गेम्स के इतिहास में पहली बार खिताब अपने नाम किया। बता दें सर्विसेज स्पोर्ट्स कंट्रोल बोर्ड भारतीय सशस्त्र बलों की एक संयुक्त टीम है।
मेजबान असम 148 पदकों के साथ तीसरे स्थान पर रहा जिसमें 38 स्वर्ण पदक शामिल थे। जबकि, सर्विसेज ने 142 पदक जीते जिसमें 59 स्वर्ण पदक थे।
साल 2011 में, सर्विसेज ने फिर से जीत हासिल की। इस बार उन्होंने बहुत ही आसानी से 162 पदकों के साथ पदक तालिका के शीर्ष पर अपना स्थान तय किया। उनकी इस जीत में 70 स्वर्ण भी शामिल थे, जो मणिपुर से 22 अधिक था। मणिपुर इस संस्करण में दूसरे स्थान पर रहा। मेजबान झारखंड ने अपना अभियान पांचवें स्थान पर खत्म किया।
सर्विसेज ने 2015 में नेशनल गेम्स जीत की हैट्रिक पूरी की। इस बार उन्होंने 91 स्वर्ण पदक के साथ कुल 159 पदक जीते। मेजबान केरल ने कुल 162 पदक जीते लेकिन वे सिर्फ 54 स्वर्ण पदक ही जीत सके।
हालांकि अगले राष्ट्रीय खेल सात साल बाद गुजरात में आयोजित किए गए, लेकिन सर्विसेज का दबदबा कायम रहा और 128 पदकों के साथ शीर्ष स्थान हासिल किया, जिनमें 61 स्वर्ण, 35 रजत और 32 कांस्य पदक शामिल थे।
गोवा में राष्ट्रीय खेल 2023 में महाराष्ट्र ने 80 स्वर्ण, 69 रजत और 79 कांस्य पदक सहित कुल 228 पदकों के साथ गुवाहाटी में 2007 के खेलों के बाद से शीर्ष पर रही सर्विसेज की बादशाहत को समाप्त कर जीत हासिल की।