योगासन – भारत की वो कला जिसने पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित किया
प्राचीन भारतीय खेलों को लोकप्रिय बनाने के लिए योगासन को खेलो इंडिया यूथ गेम्स में शामिल किया गया था।
योग मन और शरीर की प्राचीन साधना है जो शारीरिक मुद्राओं, सांस लेने की तकनीक और ध्यान को मिलाकर बनती है।
अगर भारत में हम इस साधना के प्रथा की उत्पत्ति की बात करें तो यह हमें 3000 ईसा पूर्व की तारीखों में ले जाएगा। माना जाता है कि इसे सिंधु सरस्वती घाटी सभ्यता के संतों द्वारा विकसित किया गया था।
एक तरफ जहां 21वीं सदी में योग ने अपनी वैश्विक पहचान बनाई। पूरी दुनिया के लोग इस साधना को सीखने और समझने का प्रयास कर रहे थे। वहीं, दूसरी तरफ लाखों लोग इसे खुद को फिट रखने के साधन के रूप में उपयोग कर रहे हैं। यह योगासन नामक एक प्रतिस्पर्धी खेल भी बन गया है।
योगासन क्या है?
योगासन शब्द संस्कृत के दो शब्दों से बना है, युज और आसन। युज का अर्थ है एकजुट और आसन का अर्थ शरीर की मुद्राएं।
योगासन एक ऐसा खेल है जो योग के भौतिक पहलू पर ध्यान केंद्रित करता है, जहां खिलाड़ियों को योग मुद्राएं करनी होती हैं। इस खेल में खिलाड़ियों को उनकी कठिनाई के स्तर, संतुलन, नियंत्रण, लचीलापन और धीरज के आधार पर जज किया जाता है।
योग और योगासन में अंतर यह है कि योगासन केवल भौतिक पक्ष पर जोर देता है जबकि योग मानसिक और आध्यात्मिक पहलुओं को भी महत्व देता है।
हालांकि, योगासन प्रतियोगिताएं सदियों से चली आ रही हैं। लेकिन, खेल का आधुनिक प्रारूप पहली बार 1989 में भारत के पांडिचेरी में आयोजित पहली योगासन विश्व चैम्पियनशिप के साथ अस्तित्व में आया।
योगासन को औपचारिक रूप से 2020 में एक खेल के रूप में मान्यता दी गई थी। साथ ही, राष्ट्रीय योग खेल महासंघ को भारत में इस खेल के लिए आधिकारिक शासी निकाय बनाया गया था।
स्वदेशी खेलों को बढ़ावा देने पर जोर देने के साथ, योगासन को खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2021 में कलारीपयट्टू, गतका और मलखंब के साथ शामिल किया गया था।
योगासन के नियम और इवेंट्स
हर इवेंट के लिए योगासन के नियम अलग-अलग होते हैं। आम तौर पर तीन प्रमुख इवेंट में प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं - आर्टिस्टिक, रिदमिक और पारंपरिक।
आर्टिस्टिक योगासन, आर्टिस्टिक जिम्नास्टिक के समान है। इसके अंतर्गत संगीत के साथ अपने प्रदर्शन को लयबद्ध तरीके से मिलाते हुए एथलीटों को तीन मिनट के लिए आसन करना पड़ता है।
एथलीटों को अपने रूटीन में एक पूर्व निर्धारित सूची से 10 आसन शामिल करने होते हैं। इसमें लेग बैलेंस, हैंड बैलेंस, बैक बेंड, फॉरवर्ड बेंड और बॉडी ट्विस्टिंग शामिल हैं। आर्टिस्टिक योगासन व्यक्तिगत और युगल दोनों श्रेणियों में आयोजित किया जाता है।
वहीं, पारंपरिक योगासन इवेंट में प्रतिभागियों को संतुलन और स्थिरता पर जोर देने के साथ, आसन के आधार पर 15 सेकंड या 30 सेकंड के लिए अपनी मुद्रा बनाए रखने की आवश्यकता होती है।
योगासन की तीसरी इवेंट श्रेणी, रिदमिक योगासन का आयोजन युगल या फिर पांच खिलाड़ियों के समूहों में किया जाता है। खिलाड़ियों को एक-दूसरे के साथ तालमेल बिठाकर आसन करने और प्रत्येक मुद्रा को पांच से सात सेकंड तक बनाए रखने की आवश्यकता होती है। इसके अलावा दो मुद्राओं के बीच सहजता से बदलाव करने के लिए अंक दिए जाते हैं।
लोकप्रिय योग आसन
योग में दर्जनों आसन हैं, जो शरीर की स्थिति के अनुसार विभाजित हैं - खड़े होकर, बैठकर, लेटकर और झुककर। हम यहां कुछ सबसे लोकप्रिय आसनों की चर्चा कर रहे हैं।
अधोमुख श्वानासन
अधोमुख श्वानासन को लोकप्रिय रुप से झुके हुए कुत्ते के रूप में भी जाना जाता है। इस आसन में आप अपने कूल्हों को आसमान की तरफ ऊपर उठाते हुए दोनों हथेलियों और पैरों से जमीन को छूते हैं। यह मुद्रा पीठ दर्द को दूर करने और कंधों को मजबूत करने में मदद करती है। इससे टांगें और हाथ भी मजबूत होते हैं।
पार्श्व उपविष्ठ कोणासन
बैठने के दौरान सबसे बुनियादी पोज में से एक, पार्श्व उपविष्ठ कोणासन पूरे शरीर को स्ट्रेच करता है और अक्सर वार्मअप के लिए उपयोग किया जाता है। इसमें सीधी पीठ के साथ बैठना शामिल है, जबकि पैर विस्तारित और खुले होते हैं। इसमें बाएं हाथ को शरीर के दाहिनी ओर खींचना और दाएं हाथ को शरीर के बाईं ओर खींचना शामिल है।
एक पदा बकासन
इसे एक पैर वाली क्रेन मुद्रा भी कहा जाता है। एक पदा बकासन सबसे कठिन आसनों में से एक है और इसे करने के लिए शरीर के ऊपरी हिस्से में काफी ताकत की आवश्यकता होती है। इसके लिए दोनों हाथों पर खड़े होने के लिए उच्च स्तर के संतुलन कौशल की भी आवश्यकता होती है, जबकि एक घुटने को उसी तरफ की कोहनी पर टिकाते हुए दूसरे पैर को ऊपर की ओर खींचा जाता है।
उर्ध्व धनुरासन
उर्ध्व धनुरासन, को व्हील पोज या चक्रासन के नाम से भी जाना जाता है। यह मुद्रा हाथ, पैर, रीढ़ और कूल्हों को मजबूत बनाता है। इस आसन में पीठ के बल लेटना होता है, इसके बाद हथेलियों को कंधों के पास नीचे की ओर रखना होता है और पूरे शरीर को एक पुल की स्थिति में ऊपर की ओर उठाना होता है।