भारतीय एथलीटों ने ओलंपिक में हॉकी के बाद कुश्ती में ही सबसे ज्यादा पदक जीते हैं। वहीं, भारत में सभी फैंस कुश्ती मुकाबले का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। इसके साथ ही टोक्यो 2020 शुरु होने में महज कुछ ही दिन शेष रह गए हैं और प्रशंसको के दिलों की धड़कने तेज हो रही हैं। बता दें कि इस बार कुश्ती में भारतीय दल में अधिकतर नए चेहरे शामिल हैं।
बताते चलें कि सुशील कुमार (Sushil Kumar) ने बीजिंग 2008 (Beijing 2008) में कांस्य पदक जीता और फिर लंदन 2012 (London 2012) में रजत पदक अपने नाम किया था। वहीं, योगेश्वर दत्त (Yogeshwar Dutt) ने भी लंदन में कांस्य पदक हासिल किया। इसके साथ ही रियो 2016 (Rio 2016) में साक्षी मलिक (Sakshi Maik) ने कांस्य पदक जीतकर कुश्ती में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला का खिताब अपने नाम किया।
दरअसल, ओलंपिक में भारत का अपना पहला व्यक्तिगत पदक कुश्ती में आया था, जहां 1952 में हेलसिंकी (Helsinki 1952) में केडी जाधव (KD Jadhav) ने कांस्य पदक जीता था।
याद दिला दें कि भारत की तरफ से सात भारतीय पहलवानों ने टोक्यो 2020 ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया हैं। जिसमें छह पहलवान पहली बार ओलंपिक में हिस्सा ले रहे हैं। फिलहाल सभी खिलाड़ी फ्रीस्टाइल वर्ग में प्रतिस्पर्धा करेंगे।
टोक्यो ओलंपिक में हिस्सा लेने वाले भारतीय दल पर आइए एक नजर डालते हैं।
रवि कुमार दहिया - पुरुषों का 57 किग्रा फ्रीस्टाइल
रवि कुमार दहिया (Ravi Kumar Dahiya) एक ऐसे पहलवान हैं, जो दो बार के एशियन चैंपियन (Asian champion) रह चुके हैं। वह 57 किग्रा फ्रीस्टाइल वर्ग में भारत की तरफ से खेलते हुए नजर आएंगे।
बता दें कि रवि कुमार दहिया ने कजाकिस्तान के नूर सुल्तान में 2019 वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप (2019 world wrestling championships) में ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया था। जहां उन्होंने साल की शुरुआती ट्रायल्स में अपने पसंदीदा राहुल अवारे (Rahul Aware) को मात दी थी।
वहीं, वर्ल्ड मीट में रवि कुमार दहिया ने क्वार्टर फाइनल में प्रवेश किया, जहां उन्होंने जापान के पूर्व विश्व चैंपियन युकी ताकाहाशी (Yuki Takahashi) को 6-1 से मात देकर टोक्यो के लिए कोटा हासिल किया। हालांकि 23 वर्षीय रवि कुमार दहिया को सेमीफाइनल में रूस के ज़ौर उगुएव (Zaur Uguev) से हार का सामना करना पड़ा और उन्हें सिर्फ कांस्य पदक से ही संतोष करना पड़ा।
बजरंग पूनिया - पुरुषों का 65 किग्रा फ्रीस्टाइल
भारत के दिग्गज पहलवानों में शामिल बजरंग पूनिया (Bajrang Punia) 65 किग्रा भार वर्ग में प्रतिस्पर्धा करते हैं। बता दें कि रवि कुमार दहिया की तरह, 27 वर्षीय बजरंग पूनिया ने भी 2019 वर्ल्ड चैंपियनशिप में टोक्यो ओलंपिक के लिए अपनी जगह सुनिश्चित की थी।
बजरंग पूनिया ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई खिताब अपने नाम किए हैं, जहां वो कई बार विश्व चैंपियन भी रह चुके हैं। उन्होंने कजाकिस्तान के नूर-सुल्तान इवेंट में हिस्सा लिया, जहां इस भारतीय पहलवान को सेमीफाइनल में स्थानीय पसंदीदा दौलेट नियाज़बेकोव से हार का सामना करना पड़ा। इस दौरान बजरंग को सिर्फ कांस्य पदक से ही संतोष करना पड़ा।
दीपक पूनिया - पुरुषों का 86 किग्रा फ्रीस्टाइल
दीपक पूनिया (Deepak Punia) भी उस फेहरिस्त में शामिल हैं, जिन्होंने नूर-सुल्तान में हुए 2019 विश्व चैंपियनशिप में टोक्यो ओलंपिक के लिए अपनी जगह सुनिश्चित किया था। बता दें कि दीपक 86 किग्रा वर्ग फ्रीस्टाइल में प्रतिस्पर्धा करते हैं। वह पूर्व विश्व जूनियर चैंपियन भी रह चुके हैं।
दीपक ने जूनियर चैंपियनशिप का खिताब हासिल करने के बाद वर्ल्ड मीट में हिस्सा लेने शामिल हुए थे। जहां वह सीनियर स्तर पर प्रभावित होकर 86 किग्रा फ्रीस्टाइल वर्ग प्रवेश किया था। जबकि इस युवा भारतीय खिलाड़ी ने पहले ही ओलंपिक के लिए कोटा स्थान हासिल कर चुके हैं। वहीं, एक प्रतियोगिता के दौरान उनके घुटने में चोट लग गई थी, जिसकी वजह से उन्हें नूर-सुल्तान में स्वर्ण पदक के मुकाबले से बाहर होना पड़ा।
लेकिन इस COVID-19 महामारी में 22 वर्षीय दीपक पूनिया को काफी समय मिला, जिससे उन्हें अपनी चोट से उबरने में मदद मिली।
सीमा बिस्ला - महिलाओं की 50 किग्रा वर्ग में
सीमा बिस्ला (Seema Bisla) ने अपने ओलंपिक वर्ष की शुरुआत एशियाई ओलंपिक क्वालीफायर में की, जहां वह ओलंपिक ग्रेड बनाने से चूक गईं थी। हालांकि 29 वर्षीय भारतीय पहलवान ने जल्द ही एशियाई चैंपियनशिप में अपनी बेहतरीन प्रतिभा का प्रदर्शन किया और 50 किग्रा भार वर्ग में कांस्य पदक अपने नाम किया। वहीं, एशियन मीट में मिली जीत ने उन्हें मई में बुल्गारिया में विश्व ओलंपिक क्वालीफायर के लिए भारतीय टीम में शामिल किया गया। वहां, सीमा बिस्ला ने स्वर्ण पदक अपने नाम किया और 50 किग्रा वर्ग में टोक्यो ओलंपिक में अपनी जगह हासिल की।
विनेश फोगाट - महिलाओं की 53 किग्रा
बता दें कि विनेश फोगाट (Vinesh Phogat) ने रियो 2016 में ओलंपिक में अपना डेब्यू किया था। हांलाकि वह रियो ओलंपिक में पदक हासिल करने से चूक गई थीं। लेकिन टोक्यो 2020 के लिए विनेश फोगाट पूरी तरह तैयार नजर आ रही हैं और वह टोक्यो गेम्स में अपना स्थान हासिल कर चुकी हैं। फिलहाल विनेश फोगाट ने 2019 विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक के साथ 53 किग्रा वर्ग में टोक्यो गेम्स में अपनी जगह पक्की कर चुकी हैं।
वहीं, विनेश फोगाट ने अपने ओलंपिक वर्ष के जून में पोलैंड ओपन रैंकिंग सीरीज़ (Poland Open Ranking Series) इवेंट में धमाल मचा दिया। इसी के साथ उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना लगातार चौथा स्वर्ण पदक हासिल किया।
अंशु मलिक - महिलाओं की 57 किग्रा
19 वर्षीय अंशु मलिक (Anshu Malik) 57 किग्रा वर्ग में प्रतिस्पर्धा करती हैं। बता दें कि उन्होंने पिछले साल रोम में हुए माटेओ पेलिकोन रैंकिंग सीरीज (Matteo Pellicone ranking series) में सीनियर कैटेगरी में अपना डेब्यू किया था और वहां उन्होंने रजत पदक अपने नाम किया। इसके बाद अंशु ने नई दिल्ली में एशियन चैंपियनशिप (Asian championships) में कांस्य और बेलग्रेड में व्यक्तिगत विश्व कप (Individual World Cup) में रजत पदक हासिल किया था।
हालांकि अंशु मलिक इस साल माटेओ पेलिकोन इवेंट में पदक नहीं हासिल कर सकीं। वहीं इस भारतीय पहलवान ने अप्रैल में अल्माटी में हुए एशियाई ओलंपिक क्वालीफायर में रजत पदक के साथ ओलंपिक में अपना स्थान हासिल किया था। और इससे पहले उन्होंने एशियाई चैंपियनशिप में भी स्वर्ण पदक जीता था, जो इसी शहर में हुआ था।
सोनम मलिक - महिलाओं की 62 किग्रा
बता दें कि प्रतिभावान खिलाड़ी सोनम मलिक (Sonam Malik) ने रियो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक (Sakshi Malik) को मात देकर भारत की प्रमुख 62 किग्रा पहलवान के रूप में अपनी जगह बनाई थी। वहीं, अब वह इस मौके का भरपूर फायदा उठाने की कोशिश करेंगी।
सोनम मलिक, जिनका साक्षी मलिक के खिलाफ 4-0 का रिकॉर्ड है। बता दें कि सोनम मलिक ने साक्षी मलिक को हराकर पहलवानी में बड़ा नाम बन गई हैं। वहीं उन्होंने अप्रैल में अल्माटी में हुए एशियाई ओलंपिक क्वालीफायर में रजत पदक जीतकर ग्रीष्मकालीन खेलों में अपनी जगह बनाई थी।
हालांकि सोनम मलिक वर्तमान में अपने चोटों से जूझ रही हैं। जहां पिछले साल उनके कोहनी में चोट लग गई थी, फिर इस साल के शुरुआत में साक्षी के साथ ट्रेनिंग में उनके सिर में चोट लग गई और फिर घुटने में लग गई। नतीजतन उन्हें माटेओ पेलिकोन और एशियन चैंपियनशिप जैसे प्रतियोगिताओं से अपना नाम वापस लेना पड़ा।