बजरंग पुनिया वो नाम है जो अपने प्रशंसकों के बीच काफी मशहूर है।
वह किसी भी कैटेगरी में विश्व नंबर 1 स्थान पाने वाले और तीन विश्व चैंपियनशिप पदक जीतने वाले पहले भारतीय पहलवान हैं।
बजरंग पुनिया ने घुटने की चोट से जूझने के बावजूद टोक्यो में अपने पहले ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर अपने सपनों को उड़ान दी। हरियाणा के झज्जर में साधारण से परिवार में जन्मे और पले-बढ़े बजरंग पुनिया के पास क्रिकेट या बैडमिंटन जैसे खेलों को अपनाने के लिए पैसे नहीं थे, जिसमें महंगे उपकरणों की जरूरत होती थी। उनके शहर में बच्चे कबड्डी और कुश्ती जैसे फ्री-हैंड खेलों को पसंद करते थे और 'अखाड़ा' (कुश्ती क्षेत्र) वहां काफी लोकप्रिय था।
इसके अलावा, उनके पिता बलवान सिंह खुद एक पहलवान थे और एक युवावस्था में बजरंग अक्सर पहलवानों की कुश्ती देखने के लिए स्कूल से भाग जाया करते थे। बजरंग पुनिया ने बताया कि, "मुझे पता ही नहीं चला कि यह कब मेरा हिस्सा बन गया।"
इस भारतीय पहलवान ने स्थानीय अखाड़े में 14 साल की उम्र में ही प्रशिक्षण शुरू कर दिया और जल्द ही उन्हें साथी ओलंपिक पदक विजेता योगेश्वर दत्त से मिलवाया गया। योगेश्वर दत्त की देख-रेख में बजरंग ने कुश्ती से जुड़ी कई बारीकियां सीखीं जो आगे चलकर उनके लिए काफी मददगार साबित हुईंबजरंग पुनिया पहली बार 2013 में एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप और विश्व चैंपियनशिप में पुरुषों के फ्रीस्टाइल 60 किग्रा भार वर्ग में कांस्य पदक जीतकर सुर्खियों में आए।
इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई आपका समर्थन करता है या नहीं। यदि आप अपने दिमाग से पराजित होने से इनकार करते हैं, तो कुछ भी आपको हरा नहीं सकता है।
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