टोक्यो ओलंपिक में भारत के पदक के प्रबल दावेदार बजरंग पूनिया और उनके प्रतिद्वंद्वियों के बारे में जानें   

भारत के लिए ओलंपिक पदक जीतने वाले प्रबल दावेदार पहलवानों की सीरीज को हम बजरंग पूनिया के साथ शुरू कर रहे हैं, जो 65 किग्रा फ्रीस्टाइल कैटेगरी में नंबर एक पहलवान हैं। 

4 मिनटद्वारा सतीश त्रिपाठी
जीत हासिल करने के बाद बजरंग पूनिया
(Getty Images)

बजरंग पूनिया (Bajrang Punia) टोक्यो 2020 ओलंपिक में भारत की तरफ से कुश्ती की चुनौती का नेतृत्व करेंगे, वो पुरुषों की 65 किग्रा फ्रीस्टाइल कैटेगरी में प्रतिस्पर्धा करते हुए नजर आएंगे।

यह भारतीय पहलवान, तीन बार विश्व पदक विजेता और एक बार का एशियाई खेलों का चैंपियन रह चुका है। उन्होंने सितंबर 2019 में कजाकिस्तान में विश्व कुश्ती चैंपियनशिप (world wrestling championships) में अपना स्थान सुनिश्चित किया था।

गेम्स में अपना स्थान हासिल करने के बाद, बजरंग ने रोम के माटियो पैलिकोन रैंकिंग सीरीज (Matteo Pellicone Ranking Series) में लगातार वर्षों से स्वर्ण पदक अपने नाम किए हैं। इसके साथ ही दो एशियाई चैंपियनशिप में रजत पदक हासिल किए है।

बजरंग वर्तमान में 65 किग्रा फ्रीस्टाइल कैटेगरी टॉप-रैंक के पहलवान हैं, और वो टोक्यो 2020 में पदक हासिल करने के लिए प्रबल दावेदार एथलीटों में से एक हैं। हालांकि, भारतीय पहलवान को टोक्यो में होने वाले ग्रीष्मकालीन खेलों में कुछ मुश्किल पहलवानों से सामना करना होगा। यहां तीन प्रमुख प्रतिद्वंद्वी के नाम इस प्रकार हैं:

गाडज़िमुराद रशीदोव (रूस)

प्रमुख उपलब्धि: विश्व चैंपियन (2019) और दो बार के यूरोपीय चैंपियन (2016, 2018) हैं।

क्या चीज उन्हें खास बनाती है? गाडज़िमुराद रशीदोव (Gadzhimurad Rashidov), जिन्होंने 2019 में 65 किग्रा कैटेगरी में प्रवेश किया था, उन्होंने अपने पिछले पांच टूर्नामेंटों में से चार में स्वर्ण पदक जीते हैं। सितंबर 2019 में विश्व खिताब का दावा करने के बाद, उन्होंने चीन में विश्व सैन्य खेलों (World Military Games) में चैंपियन का खिताब अपने नाम किया, फिर इस साल दिसंबर में नेशनल खिताब पर अपना कब्जा किया।

COVID-19 की महामारी के ब्रेक के बाद मैट पर उनकी वापसी हुई, जहां उन्होंने सर्बिया में दिसंबर के शुरुआती दौर में एक चोट के साथ व्यक्तिगत विश्व कप से बाहर जाना पड़ा। लेकिन वह जल्द ही ठीक हो गए, और मार्च में नेशनल चैंपियनशिप के दौरान अपने ओलंपिक कोटे में स्थान सुनिश्चित करते हुए स्वर्ण पदक पर अपना कब्जा जमाया था।

ताकुतो ओटोगुरो (जापान)

प्रमुख उपलब्धियां: 2018 विश्व चैंपियन और दो बार के एशियाई चैंपियन (2020, 2021)

क्या चीज उन्हें खास बनाती है? ताकुतो ओटोगुरो (Takuto Otoguro) अपने बेहतरीन फॉर्म में हैं। वह अपने अंतिम तीन मुकाबले में से प्रत्येक में स्वर्ण पदक हासिल करने में सफल रहे हैं; जहां 2019 नेशनल चैंपियनशिप और एशियाई चैंपियनशिप में लगातार खिताब हासिल किया है।

लेकिन, बजरंग पुनिया को ताकुटो ओटोगुरो के खिलाफ तीनों बार और सभी फाइनल मुकाबले में हार का सामना करना पड़ा है। ओटोगुरो को भारतीय पहलवान से पहले 2018 विश्व चैंपियनशिप के फाइनल में और फिर पिछले साल एशियन मीट के फाइनल में हार का सामना करना पड़ा था। वहीं, इसके बाद अप्रैल में एशियाई कुश्ती के फाइनल मुकाबले में बजरंग को चोट के कारण बाहर होना पड़ा था।

"ओटोगुरो एक बहुत ही अच्छे पहलवान हैं," पूनिया ने अपने एक इंटरव्यू में ओटोगुरो के साथ अपने दो मुकाबलों का जिक्र करते हुए यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग को बताया, "उन्होंने मुझसे बेहतर कुश्ती की, इसलिए उन्होंने जीत हासिल की।’’

हाजी अलीयेव (अज़रबैजान)

प्रमुख उपलब्धियां: तीन बार के विश्व चैंपियन (2014, 2015, 2017) और ओलंपिक कांस्य पदक विजेता (रियो 2016)

क्या चीज उन्हें खास बनाती है? हाजी अलीयेव (Haji Aliyev) 57 किग्रा में एक ओलंपिक कांस्य पदक विजेता हैं, लेकिन अब उन्होंने अपने वर्ग कैटेगरी में बदलाव किया है। अजरबैजान का यह एथलीट दो बार के यूरोपीय चैंपियन रह चुके हैं, अब उनकी नए वर्ग कैटेगरी पर नजर है।

2019 में उन्होंने बेलारूस में यूरोपीय खेलों में स्वर्ण पदक हासिल किया, और इसके बाद ईरान में क्लब वर्ल्ड चैंपियनशिप (Club World Championships) में एक और स्वर्ण पदक पर अपना कब्जा जमाया। वहीं, सर्बिया में व्यक्तिगत विश्व कप में कांस्य पदक हासिल किया, और मार्च में हाजी अलीयेव ने हंगरी में यूरोपीय ओलंपिक क्वालीफायर (European Olympic qualifiers) में रजत पदक जीता।

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