हिमा दास के रिकॉर्ड, पदक और उपलब्धियां जो बनाते हैं उन्हें खास

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कदम रखने के दो साल के अंदर ही हिमा दास ने कई पदक जीते और कुछ ऐतिहासिक जीत के साथ प्रशंसकों के दिल में अपनी जगह बना ली।

6 मिनटद्वारा विवेक कुमार सिंह
हिमा दास ने भारत के लिए अपना अंतरराष्ट्रीय डेब्यू 2018 राष्ट्रमंडल खेल में किया था।
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हिमा दास के बारे में तब किसी को भी नहीं पता था, जब 2018 राष्ट्रमंडल खेल के लिए भारतीय एथलेटिक्स टीम में उन्हें अप्रत्याशित रूप से शामिल किया गया था।

तत्कालीन 18 वर्षीय भारतीय स्प्रिंटर हमेशा से फुटबॉल खेलना चाहती थीं। लेकिन असम के चावल के खेतों में दौड़ते समय उनकी गति ने एक स्कूल कोच को आश्वस्त किया कि उन्हें एथलेटिक्स में कोशिश करनी चाहिए।

यही उनके जीवन में एक करियर बनाने वाला निर्णय साबित हुआ। हिमा दास ने बिना किसी ट्रेनिंग के, राज्य की प्रतियोगिता में 100 मीटर स्पर्धा का कांस्य पदक जीता और बाद में जूनियर नेशनल चैंपियनशिप के फ़ाइनल में भी जगह बनाई।

अंडर-18 नेशनल चैंपियनशिप में शानदार प्रदर्शन करने के बाद, 2017 में एशियाई और विश्व युवा चैंपियनशिप में हिमा दास बेहद कम अंतर से कांस्य पदक जीतने से चूक गईं। लेकिन एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (AFI) ने उनकी प्रतिभा और प्रदर्शन से प्रभावित होकर उन्हें सीनियर नेशनल कैंप में शामिल कर लिया।

100 मीटर और 200 मीटर स्प्रिंट में सभी सफलता हासिल करने के बावजूद, उनके कोचों ने फैसला किया कि हिमा 400 मीटर की रेस प्रतिस्पर्धा करें ताकि उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ी सफलता और पहचान मिल सके। ये एक मास्टरस्ट्रोक साबित हुआ।

मार्च 2018 में पटियाला में फेडरेशन कप में हिमा दास ने 51.97 सेकेंड का समय लेकर बड़ी आसानी से 400 मीटर स्पर्धा का स्वर्ण पदक जीत लिया, जिसने उस वर्ष के होने वाले राष्ट्रमंडल खेल के लिए निर्धारित किए गए 52 सेकेंड के क्वालीफ़ाइंग मार्क को भी पीछे छोड़ दिया।

असम के सुदूर गांव की लड़की को मूल रूप से 2018 के मध्य में एशियाई खेलों के लिए नेशनल कैंप में चुना गया था, लेकिन उन्होंने अप्रैल में ही राष्ट्रमंडल खेल के लिए नेशनल टीम में तेज़ी से कदम बढ़ाया।

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हालांकि, हिमा दास अपने अंतरराष्ट्रीय पदार्पण पर पदक नहीं जीत सकीं, लेकिन उन्होंने गोल्ड कोस्ट में आयोजित राष्ट्रमंडल खेल में अपने व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ समय में सुधार किया और 400 मीटर स्पर्धा के फ़ाइनल में जगह बनाई।

राष्ट्रमंडल खेल में 400 मीटर की स्पर्धा में छठे स्थान पर रहने के बाद हिमा दास की उपलब्धियों में एक आकर्षक बदलाव देखने को मिला।

हिमा दास का IAAF वर्ल्ड अंडर-20 चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक

साल 2018 में 12 जुलाई को पूरी दुनिया ने पहली बार भारत के इस स्प्रिंटर की क्षमता देखी। भारतीय फैंस को एक विश्वस्तरीय ट्रैक एंड फील्ड स्टार मिल गई।

फ़िनलैंड के ताम्पेरे में इतिहास रचा जा चुका था, जब IAAF विश्व अंडर-20 चैंपियनशिप की 400 मीटर स्पर्धा में हिमा दास ने 51.46 सेकेंड का समय लेकर स्वर्ण पदक अपने नाम किया।

लेन फोर में दौड़ते हुए भारतीय धावक रोमानिया के एंड्रिया मिकोलस से पीछे चल रही थीं, लेकिन अपने प्रतिद्वंदियों को पीछे छोड़ने के लिए हिमा दास ने अपनी गति को बढ़ाई और सबसे आगे हो गईं।

जिसके बाद वो विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप, जूनियर या सीनियर में किसी भी ट्रैक एंड फील्ड स्पर्धा में पदक जीतने वाली पहले भारतीय एथलीट बन गईं और भाला फेंक एथलीट नीरज चोपड़ा के बाद स्वर्ण जीतने वाली सिर्फ दूसरी भारतीय बनीं, जिन्होंने साल 2016 में ऐसा कारनामा किया था।

इस उपलब्धि की वजह से उन्हें काफ़ी प्रशंसा मिली और अमिताभ बच्चन जैसे दिग्गज बॉलीवुड फिल्म स्टार ने इस उल्लेखनीय उपलब्धि के लिए उन्हें सोशल मीडिया पर बधाई दी। इसके अलावा हिमा दास को 'ढींग एक्सप्रेस' निकनेम मिला।

भारतीय ट्रैक एंड फील्ड की महानिदेशक पीटी उषा ने कहा, "हिमा ने फिनलैंड में दौड़ के दौरान उड़ान भरी और फिनलैंड में उनके द्वारा स्वर्ण पदक जीतना मेरे जीवन के सबसे अविश्वसनीय क्षणों में से एक था।"

पूर्व धावक और ओलंपियन ने कहा कि, “इस उम्र में उन्होंने बहुत साहस और आत्मविश्वास का प्रदर्शन किया है। मैंने इस इवेंट के दौरान घबराहट का कोई संकेत नहीं देखा।"

असम कीं स्प्रिंटर को जल्द ही उनकी नौकरशाही की प्रतिष्ठा से जोड़ा जाएगा।

हिमा दास के रिकॉर्ड और ट्रिपल एशियन गेम्स की पदक विजेता

जकार्ता में 2018 एशिन गेम्स में हिमा दास से उम्मीदें अधिक थीं और भारतीय धावक ने निराश नहीं होने दिया।

400 मीटर व्यक्तिगत स्पर्धा में फाइनल में पहुंचने के लिए हीट में 51 सेकेंड का एक नया नेशनल रिकॉर्ड बनाया, जहां उन्होंने फिर से तूफान की तरह रेस दौड़ी।

हिमा दास ने अपना 400 मीटर का नेशनल रिकॉर्ड तोड़ दिया और 50.79 सेकेंड के रजत पदक अपने नाम कर लिया।

एशियाई खेल में उन्हें सबसे बड़ी ख़ुशी मिली, जब हिमा दास ने 4x100 मीटर महिला रिले में एमआर पूवम्मा, सरिता गायकवाड़ और वीके विस्मया के साथ स्वर्ण जीता। आगे चलकर उन्होंने इतिहास रच दिया, जब उन्होंने 4x100 मीटर मिश्रित रिले का में मोहम्मद अनस, अरोकिया राजीव और एमआर पूवम्मा के साथ मिलकर स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली एथलीट बनीं।

"मैं तनाव और घबराहट को जाहिर नहीं होने देती लेकिन मुझे पता है कि दौड़ से पहले मेरे दिल की धड़कन कितनी तेज़ होती है।"

उस समय के कारनामों ने हिमा दास को देश का पसंदीदा एथलीट बना दिया और भारत सरकार ने उन्हें उस साल अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया था।

2019 का स्वर्णिम दौर

इस तरह के एक शानदार अंतरराष्ट्रीय पदार्पण वर्ष के बाद, हिमा दास को टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करना था।

उस लक्ष्य का पीछा करते हुए हिमा की 2019 में अच्छी शुरूआत नहीं हुई थी। पिछले साल अप्रैल में एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप में हिमा दास को 400 मीटर के हीट के दौरान पीठ की चोट के कारण बाहर होना पड़ा।

इसकी वजह से वो करीब चार महीने तक फील्ड से बाहर रहीं। लेकिन ढींग एक्सप्रेस कभी भी ज्यादा समय तक सुर्खियों से दूर रहने वाली एथलीट नहीं हैं।

जुलाई 2019 में हिमा दास ने एक महीने से भी कम समय में 200 मीटर के पांच स्वर्ण पदक के साथ वापसी की।

पांच दिन बाद ही वो पहली बार पोलैंड में पॉज़्नान एथलेटिक्स ग्रां प्री में पहुंची और कुटनो एथलेटिक्स मीट में एक और स्वर्ण जीतकर अपना फॉर्म जारी रखा।

उसके ठीक एक हफ्ते बाद हिमा दास ने चेक गणराज्य में कल्दनो एथलेटिक्स मीट में लगातार तीसरा स्वर्ण जीता और टाबर एथलेटिक्स मीट में अपनी झोली में चौथा स्वर्ण पदक जीता।

20 दिनों में चोट से उबरकर हिमा दास ने मेज़िनारोडनी एटलेटिकि मितिंक में पांचवां स्वर्ण पदक जीता।

यूरोपीय स्पर्धाओं में उच्च श्रेणी की प्रतिस्पर्धा नहीं देखी जाती है, लेकिन चोट से वापसी करते हुए हिमा दास ने यह साबित कर दिया कि वह भारत के लिए एथलेटिक्स में मज़बूत खिलाड़ी बनने जा रही हैं।

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