हिमा दास की कामयाबी के पीछे कोच की बड़ी भूमिका
बचपन के कोच निपोन दास के बाद रूस की कोच गैलिना बुखारिना ने भारतीय स्प्रिंटर हिमा दास के तेज़ी से आगे बढ़ने और खेल की ऊंचाई छूने में अहम भूमिका निभाई है।
भारत जहां एक ओर हिमा दास (Hima Das) नाम के इस उभरते सितारे की तारीफ करते हुए नहीं थक रहा था, वहीं उनके साथ एक शख्स और भी है जो उनकी इस सफलता में बराबरी के हकदार रहे हैं।
जी हां, हम बात कर रहे हैं हिमा दास के कोच **निपोन दास (**Nipon Das) की। वह निपोन ही हैं, जिन्होंने भारत को हिमा जैसी धुरंधर एथलीट दी है और उनके हुनर को निखारने के लिए अव्वल दर्जे की ट्रेनिंग भी दी।
‘ढिंग एक्सप्रेस’ से मशहूर हिमा के कोच निपोन दास ने ही उनके कौशल को संवारा और उनमे पंख लगाए हैं। यही एक कारण है कि भारत में शिक्षकों और गुरुओं का मान एक अलग ही दर्जे पर होता है।
जैसे ही दास ने हिमा के कौशल को पहचाना वैसे वह उसको निखारने के लिए पूरी शिद्दत से लग गए और उन्हें समझ आ गया था कि अगर हिमा को आगे बढ़ना है तो उन्हें असम के उनके गांव से बाहर लाना होगा।
निपोन दास ने हिमा को आख़िरकार उनका गांव छोड़कर गुवाहाटी आने के लिए मना लिया ताकि वह बेहतर सुविधाओं के बीच ट्रेनिंग ले सकें। लेकिन युवा हिमा दास इस बात से अनजान थी कि यह सफ़र उनकी ज़िन्दगी के आने वाले कई बेहतरीन सफ़र का कारण बन जाएगा और एक दिन भारत को उनके नाम से जाना जाएगा।
फ्री प्रेस जर्नल को इंटरव्यू के दौरान निपोन दास ने कहा, “ढिंग में खेल के बेहतरीन सुविधा नहीं है और बारिश के समय में ग्राउंड में पानी भर जाता है। उन्हें मेहनत के साथ कड़ी डाइट भी फॉलो करनी थी। इसलिए उनका वहां से निकलना जरूरी था।"
उनके पास दृढ़ता और उत्साह दोनों था लेकिन ज़रूरत थी तो ट्रेनिंग और दिशा निर्देश की।
गुवाहाटी के इंदिरा गांधी एथलेटिक्स स्टेडियम में निपोन दास के मार्गदर्शन में प्रशिक्षण शुरू करने के तुरंत बाद, भारतीय धाविका ने असम टीम का नेतृत्व किया और राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में कई पदक भी जीते। आपके लिए यह जानना बेहद अहम है कि असम एक ऐसा राज्य है जो अपनी एथलेटिक्स कौशल के लिए नहीं जाना जाता है।
निपोन दास ने कहा “अनुशासन, समर्पण और मेहनत ने हिमा को उनके करियर में बेहतरीन मुक़ाम दिलाया है।”
अपने शानदार प्रदर्शन से हिमा दास ने 2018 कॉमनवेल्थ गेम्स में अपनी जगह बना ली लेकिन सफलता उन्हें IAF अंडर-20 वर्ल्ड चैंपियनशिप में मिली।
हिमा ने 400 मीटर में 51.46 सेकेंड का समय लेकर स्वर्ण पदक जीता और जूनियर या सीनियर स्तर पर किसी भी विश्व एथलेटिक्स प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय ट्रैक एथलीट बन गईं।
वहां से आकर हिमा दास की मुलाक़ात गैलिना बुखारिना से हुई जो भारतीय एथलेटिक्स टीम के साथ-साथ अब उनकी कोच भी हैं।
गैलिना बुखारिना – रिकॉर्ड मेकर
एक एथलीट के रूप में, गैलिना बुखारिना ने मेक्सिको 1968 Olympic Khel में सोवियत संघ का प्रतिनिधित्व करते हुए 4x400 मीटर रिले में कांस्य पदक जीता, लेकिन वह कोच के रूप में अपने अविश्वसनीय ट्रैक रिकॉर्ड के लिए दुनिया भर में बेहतर जानी जाती हैं।
गैलिना ने दो दशक तक संयुक्त राज्य अमेरिका में बड़े पैमाने पर एथलीटों को कोचिंग दी, जिससे टेक्सास विश्वविद्यालय को भी काफी सफलता मिली।
बुखारिना सोवियत यूनियन की 4x400 महिला टीम की कोच भी थी और इन्हीं की अगुवाई में उस टीम ने सियोल 1988 Olympic Khel में स्वर्ण पदक हासिल किया था। उस दौरान उस टीम ने 3:15:17 के बेहतरीन समय के साथ रेस ख़त्म करते हुए एक नया विश्व रिकॉर्ड और ओलंपिक रिकॉर्ड बनाया जिसे आजतक कोई नहीं तोड़ सका है।
यह भारतीय एथलेटिक्स टीम के लिए एक बड़े प्रोत्साहन की बात थी जब गैलिना ने साल 2017 में कोच की भूमिका निभाने के लिए सहमति दे दी। हिमा दास के द्वारा विश्व जूनियर चैंपियनशिप जीतने के बाद, ऐसा लगने लगा था जैसे यह जोड़ी एक-दूसरे के लिए ही बनी है।
हालांकि इन दोनों की पहली मुलाकात कुछ ख़ास नहीं रही थी।
एक अभ्यास सत्र के दौरान हिमा दास मैदान में देर से पहुंची और इस वजह से गैलिना बुखारिना से उन्हें फटकार भी लगी।
इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए गैलिना बुखारिना ने बताया कि “वह मेरे कमरे में आईं और उन्होंने माफ़ी मांगी। उस दिन के बाद से उन्होंने अभ्यास का एक दिन भी नहीं छोड़ा और बहुत ज़्यादा मेरी हर बात को मानती रहीं।”
हिमा-गैलिना की जोड़ी अब तक बेहद सफल रही है और उन्होंने कई प्रतियोगिताओं में भारत को गौरवान्वित किया है।
75 वर्षीय बुखारिना ने कहा, "वह सख़्त है। लेकिन हिमा अपनी क्षमताओं को पूरी तरह नहीं समझ पाईं। उनके लिए निर्धारित किए गए पहले शारीरिक परीक्षण के बाद, मैंने देखा कि उनमें बहुत अच्छे गुण थे।"
बुखारिना के साथ सफलता का पथ
गैलिना की हिमा के साथ पहली बड़ी प्रतियोगिता 2018 एशियन गेम्स थी और वहां भारतीय धावक ने 400 मीटर स्पर्धा में रजत पदक जीता था।
इतना ही नहीं भारतीय स्प्रिंटर हिमा दास ने महिला और मिश्रित 4x400 रिले में स्वर्ण पदक जीते और कोच-एथलीट की यह जोड़ी ने प्रशंसकों और ऑफिशियल को खुश कर दिया।
एक सफल सीज़न के साथ, हिमा दास से 2019 में मैदान में उतरने और अपने करियर में अगला कदम उठाने की उम्मीद थी - टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करना, जिसका आयोजन साल 2020 में होना था।
हालांकि, चीजें योजना के अनुसार नहीं हुईं क्योंकि भारतीय धावक ने पढ़ाई और 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाओं में बैठने के लिए सीज़न की शुरुआत में देरी की।
गैलिना बुखारिना का मानना है कि छह सप्ताह का ब्रेक हिमा दास के लिए बहुत लंबा था, जो पिछले साल अप्रैल में एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप में पीठ की चोट के कारण बाहर हो गई थीं।
गैलिना ने कहा “मैं जानती हूं कि अपनी उम्र के हिसाब से हिमा ने बहुत उंचाईयां हासिल की हैं और लोग उनसे ऐसी उम्मीदें भी रखते हैं। इस मुकाम पर रहने के लिए हिमा को एक से दो साल और मेहनत करनी होगी और सब कुछ के नए सिरे से शुरू करना होगा।”
उन्होंने आगे कहा, “हिमा दास अंदर से एक विजेता हैं और इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह क्या कर रही हैं, वह इसमें सर्वश्रेष्ठ बनना चाहती हैं। वह जो भी व्यायाम करती हैं, उसमें वह अधिकतम प्रयास करती हैं।''
गैलिना बुखारिना ने अपने सबसे प्रतिभाशाली वार्ड के साथ पुनर्वास की धीमी प्रक्रिया शुरू की और हिमा दास को फिर से पूरी फिटनेस में लाने में चार महीने लग गए।
भारतीय धावक ने जुलाई 2019 में धमाकेदार वापसी की, जहां उन्होंने यूरोप में विभिन्न प्रतियोगिताओं में लगातार 5 स्वर्ण पदक जीते।
हालांकि, हिमा दास टोक्यो ओलंपिक के लिए जगह नहीं बना पाईं, लेकिन दोनों को चुनौतियां पसंद हैं। हिमा और गैलिना स्पष्ट रूप से एक करीबी रिश्ता साझा करते हैं और एक साथ और भी कई ऐतिहासिक जीत हासिल करने का प्रयास करेंगे।