असम की वादियों से बढ़ती हुई हिमा दास ने बहुत लंबा सफ़र तय किया है और अभी उन्हें और भी आगे जाना है। कम उम्र में हिमा दास फुटबॉलर बनना चाहती थी लेकिन मानों किस्मत को कुछ और मंज़ूर था और देखते ही देखते वह भारत की मशहूर स्प्रिंटर बन गईं।
फिनलैंड में आयोजित हुई IAAF वर्ल्ड अंडर-20 चैंपियनशिप 2018 में स्प्रिंटर हिमा दास ने भारतीय स्पोर्ट्स इतिहास को बदल दिया और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली भारतीय एथलीट बन गईं। जिसके बाद से उन्होंने पीछे मुड़कर फिर कभी नहीं देखा।
कांधूलीमारी गाँव में चावल किसान के घर हिमा का जन्म हुआ और वह 5 भाई बहनों में सबसे छोटी थीं। बचपन में फुटबॉल से दिल लगा बैठी हीमा हमेशा से ही इस खूबसूरत खेल में अपना करियर बनाना चाहती थी। एक दिन स्कूल में उनकी शिक्षक की नज़र उनकी गति पर पड़ी और तब से मानों हिमा के लिए सब कुछ बदल गया।
अध्यापक के ज़ोर डालने पर हिमा ने एथलेटिक्स को एक मौका देने का फैसला कर लिया था। देखते ही देखते प्रशंसकों द्वारा हिमा दास कब हिमा से ‘ढिंग एक्सप्रेस’ बन गई पता ही नहीं चला।
जूनियर नेशनल लेवल पर लगातार अच्छे प्रदर्शन की वजह से हिमा अब सभी की नज़रों में आ चुकी थीं और उनका कौशल अब किसी से भी छुपा नहीं था। इसके बाद उन्होंने 2018 कॉमन वेल्थ गेम्स, ऑस्ट्रेलिया से अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता का डेब्यू किया।
मैं गोल्ड मेडल के पीछे नहीं भाग रही हूं, मैं समय के पीछे भाग रही हूं। एक बार मैं यह हासिल कर लूं, तब स्वर्ण पदक मेरे पीछे भागेगा।
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