बीजिंग 2022 विंटर ओलंपिक में भारत के एकमात्र एथलीट, अल्पाइन स्कीयर मोहम्मद आरिफ खान ने पिछले कुछ वर्षों में खुद को भारतीय शीतकालीन खेलों के चेहरे के रूप में खुद को मजबूती से स्थापित किया है।
नवंबर 2021 में, आरिफ खान स्लैलम इवेंट में बीजिंग 2022 कोटा स्थान हासिल करने वाले पहले भारतीय एथलीट बने और एक महीने बाद, आरिफ खान ने मोंटेनेग्रो में एक मीट में जायंट स्लैलम में ओलंपिक कोटा स्थान जीतकर अपनी उपलब्धियों को और भी आगे बढ़ाया।
इस उपलब्धि ने भारतीय स्कीयर को दो अलग-अलग विंटर ओलंपिक इवेंट में सीधे कोटा स्थान जीतने वाले पहले भारतीय बनने का गौरव हासिल किया।
हालांकि आरिफ खान ने बीजिंग 2022 में मेंस स्लैलम में डीएनएफ दर्ज किया, लेकिन जम्मू और कश्मीर में जन्मे स्कीयर ने जायंट स्लैलम में 45वां स्थान हासिल किया - विंटर ओलंपिक इतिहास में किसी भी भारतीय द्वारा इस इवेंट में अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा।
आरिफ खान ने अपने जायंट स्लैलम इवेंट के बाद Olympics.com से बात करते हुए कहा, “मेरा सपना था कि मैं विंटर ओलंपिक में अपनी दावेदारी पेश करुं, यह मेरे लिए काफी मायने रखता है और भविष्य में विंटर ओलंपिक से जुड़ने के लिए मेरे देशवासियों को प्रेरित करता है।”
आरिफ तीन मार्च 1990 में गुलमर्ग, जम्मू और कश्मीर में पले बड़े हैं यह जगह अपने बर्फीले मौसम के लिए जाना जाने वाला एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। स्कींग हमेशा से आरिफ का पसंदीदा खेल रहा है।
आरिफ ने रेडिफ वेबसाइट से कहा, "बचपन में हम फुटबॉल और क्रिकेट खेलते थे, लेकिन हमारे आसपास कोई खेल का मैदान नहीं था।" "स्कीइंग हमारे लिए एकमात्र सुविधाजनक खेल था।"
आरिफ के पिता यासीन खान की गुलमर्ग में स्की उपकरण की दुकान है इसलिए, आरिफ हमेशा इस खेल के करीब रहे हैं। उन्होंने पहली बार यह खेल चार साल की उम्र में खेला था।
आरिफ ने द हिन्दू से कहा, “साल 1994 का था। हमें स्की की दुकान तक लगभग 500 मीटर पैदल चलना पड़ता था और पूरा रास्ता मोटी बर्फ की चादर से ढ़का हुआ होता था। फिर मेरे पिता ने दुकान के ठीक बाहर एक छोटी स्की ढलान तैयार की, हम सुबह करीब साढ़े नौ बजे स्कीइंग शुरू करते थे और फिर वह घंटों तक चलता रहता था।”
आरिफ जब 10 साल के थे तब उन्होंने प्रतिस्पर्धी स्कीइंग की ओर रुख किया और वहां से लगातार आगे बढ़ते रहें। महज 12 साल की उम्र में आरिफ ने राष्ट्रीय चैंपियनशिप में अपनी पहली उपस्थिति में स्लैलम इवेंट में स्वर्ण पदक जीता था।
आरिफ ने 16 साल की उम्र में जापान के योमासे में आयोजित एक जूनियर इंटरनेशनल स्की फेडरेशन (FIS) कार्यक्रम में भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय डेब्यू किया था। वह जायंट स्लैलम इवेंट में 23वें स्थान पर रहे थे।
2011 दक्षिण एशियाई विंटर गेम्स में आरिफ ने स्लैलम और जायंट स्लैलम में दो स्वर्ण पदक जीते थे। यह अब तक का आयोजित एकमात्र संस्करण है।
आरिफ को एफआईएस वर्ल्ड स्की चैंपियनशिप पहली बार 2013 में खेलने का मौका मिला था। उस प्रतियोगिता में भारतीय अल्पाइन स्कीयर स्लैलम इवेंट में 59वें और जायंट स्लैलम इवेंट में 91वें स्थान पर रहे थे लेकिन वह योग्यता चरण से आगे बढ़ने में असमर्थ रहे थे।
तब से आरिफ ने तीन और विश्व चैंपियनशिप में भाग लिया है, जिसमें उनका सर्वश्रेष्ठ परिणाम इटली में 2021 संस्करण के जायंट स्लैलम इवेंट में रहा जहां उन्होंने 45वां स्थान हासिल किया था। यह पहली बार था जब उन्होंने किसी विश्व चैम्पियनशिप स्पर्धा में फाइनल के लिए क्वालीफाई किया था।
स्कीइंग एक महंगा खेल होने के कारण आरिफ की अधिकांश फंडिंग उनके पिता से आती थी, जिन्होंने अपनी स्की उपकरण की दुकान की आय को अपने बेटे के करियर में लगाया है। आरिफ स्कीइंग प्रशिक्षक या कोच के रूप में कभी-कभी काम कर लेते हैं जिससे वह अपनी बाकी के खर्च भी चला लेते हैं।
प्योंगचांग 2018 विंटर ओलंपिक से पहले आरिफ को अपने खर्चों को पूरा करने के लिए क्राउडफंडिंग की ओर रुख करना पड़ा था। हालांकि, उस इवेंट में वह एक छोटे अंतर से हार गए और उनका सपना अधूरा रह गया था।
उनके पिता ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया कि साल 2021 के सितंबर महीने में आरिफ ने शादी करने की योजना बनाई थी, लेकिन बाद में उन्होंने अपना मन बदल लिया और 2022 के विंटर ओलंपिक में क्वालीफाई करने के लिए अपनी सारी ऊर्जा उसमें लगाने का फैसला किया।
उनके प्रयासों और दृढ़ संकल्प का फल उन्हें चार साल बाद मिला। लेकिन उन्होंने आखिरकार अपना सपना पूरा कर लिया है। भारतीय अल्पाइन स्कीयर आने वाले सालों में बड़ी और बेहतर चीजों को लक्ष्य बनाएंगे।