क्या है अल्पाइन स्कीइंग?
अल्पाइन स्कीइंग साल 1936 से विंटर ओलंपिक का हिस्सा रहा है। इसमें डाउनहिल, स्लैलम, जायंट स्लैलम, सुपर-जी और कंबाइंड इवेंट्स शामिल हैं।
विंटर ओलंपिक में अल्पाइन स्कीइंग खेल में सालों से भारत की महत्वपूर्ण उपस्थिति रही है।
भारत ने पहली बार साल 1964 में विंटर ओलंपिक में इस खेल में हिस्सा लिया था। जेरेमी बुजाकोव्स्की ने 1964 में पहली बार अल्पाइन स्कीइंग के डाउनहिल इवेंट में भारत का प्रतिनिधित्व किया।
अल्पाइन स्कीयर्स ने साल 1964, 1968, 1988, 1992, 2006, 2010 और 2014 के विंटर ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया।
मोहम्मद आरिफ़ ख़ान ऐसे पहले भारतीय हैं जिन्होंने बीजिंग 2022 विंटर ओलंपिक में पुरुषों के स्लैलम और जायंट स्लैलम में अपनी जगह पक्की की है। इसके साथ ही वो पहले भारतीय एथलीट बन गए हैं जिन्होंने दो इवेंट्स में कोटा हासिल किया है।
अल्पाइन स्कीइंग विंटर ओलंपिक की महत्वपूर्ण प्रतिस्पर्धाओं में से एक है। डाउनहिल स्कीइंग के नाम से प्रसिद्ध इस खेल में खिलाड़ियों को बर्फ से ढ़की हुई पहाड़ों के स्लोप पर तेजी से स्की करना होता है। ये समय आधारित प्रतियोगिता है जिसमें प्रतिद्वंदी एक-दूसरे से पहले रेस खत्म करने का प्रयास करते हैं।
अल्पाइन स्कीइंग में कुल मिलाकर पांच इवेंट्स होते हैं- डाउनहिल, स्लैलम, जायंट स्लैलम, सुपर-जी और कंबाइंड इवेंट। इस खेल के हर इवेंट में महिला और पुरुष दोनों खिलाड़ी भाग ले सकते हैं।
स्लैलम प्रतिस्पर्धा के अंतर्गत एक मिक्सड टीम इवेंट को 2018 के विंटर ओलंपिक में शामिल किया गया था और ये 2022 के विंटर ओलंपिक का भी हिस्सा होगा।
अल्पाइन स्कीइंग के इवेंट्स पर एक नज़र
डाउनहिल
ये अल्पाइन स्कीइंग का सबसे आसान फॉर्मेट है। डाउनहिल स्कीइंग को ओलंपिक प्रोग्राम में साल 1948 में शामिल किया गया था और तब से लगातार ये विंटर ओलंपिक का हिस्सा रहा है।
जैसा कि नाम से पता चलता है, स्कीयर्स को एक तय स्लोप पर कम से कम मोड़ लेते हुए, ज्यादा से ज्यादा गति के साथ फिनिश लाइन तक पहुंचना होता है। स्कीयर्स 130 किमी प्रति घंटे की स्पीड तक जा सकते हैं।
डाउनहिल में वर्टिकल स्लोप पुरुषों के लिए 800 से 1100 मीटर तक और महिलाओं के लिए 450 से 800 मीटर तक हो सकती है।
हर प्रतिद्वंदी को स्की रूट पर एक बार स्की करना होता है और सबसे तेजी से फिनिश लाइन को पार करने वाले को विजेता घोषित किया जाता है।
फ्रांस के हेनरी ओरेलर विंटर ओलंपिक में पुरुषों के डाउनहिल स्की में गोल्ड मेडल हासिल करने वाले पहले स्कीयर थे। वहीं हेडी स्क्लुनेगर डाउनहिल स्कीइंग में गोल्ड मेडल हासिल करने वाली महिला थीं। उन्होंने साल 1948 के विंटर ओलंपिक में ये कारनामा किया था।
स्लैलम
स्लैलम को अल्पाइन स्कीइंग का सबसे तेज इवेंट माना जाता है।
इसमें प्रतियोगी एक वर्टिकल डिसेंट वाले स्लोप पर स्की करते हैं। स्लैलम में महिलाओं के लिए वर्टिकल डिसेंट 140 से 180 मीटर के बीच होता है जबकि पुरुषों के लिए 180 से 220 मीटर के बीच होता है।
स्कीयर्स को ‘गेट’ से गुजरना होता है जो दो प्लास्टिक पोल के बने होते हैं। हर गेट की अधिकतम चौड़ाई 6 मीटर जबकि न्यूनतम चौड़ाई 4 मीटर होती है। कई बार सबसे तेज रूट से जाने के दौरान स्कीयर्स पोल से टकरा जाते हैं।
स्लैलम स्कीयर्स को दो रूटों से गुजरना होता है। पहले रूट के खत्म हो जाने के बाद खिलाड़ियों द्वारा लिए गए समय के आधार पर उन्हें एलिमिनेट किया जाता है। अधिक समय लेने वाले खिलाड़ी पहले रूट के खत्म होने के बाद एलिमिनेट हो जाते हैं।
सबसे कम समय में दोनों रूट को पार करने वाले खिलाड़ी को विजेता घोषित किया जाता है।
स्विटजरलैंड के एडी रिनल्टर और अमेरिका के ग्रेटचेन फ्रेजर पुरुष और महिला स्लैलम इवेंट में क्रमशः गोल्ड मेडल हासिल करने वाले पहले खिलाड़ी थे। ये कारनामा दोनों स्कीयर्स ने 1948 के विंटर ओलंपिक में किया था।
जायंट स्लैलम
स्लैलम की तरह ही जायंट स्लैलम में भी स्कीयर्स को मोड़ वाले गेट्स से स्की करते हुए गुजरना होता है।
हालांकि जायंट स्लैलम में वर्टिकल डिसेंट बदल जाता है। जायंट स्लैलम में वर्टिकल डिसेंट पुरुषों के लिए 250 से 450 मीटर के बीच होता है तो वहीं महिलाओं के लिए 250 मीटर से 400 मीटर के बीच होता है। हर गेट की न्यूनतम चौड़ाई 4 मीटर और अधिकतम चौड़ाई 8 मीटर होती है।
स्लोप पर स्कीयर्स को दो रन मिलते हैं और जो भी सबसे कम समय में पूरे रूट को पार करता है उसे विजेता घोषित किया जाता है।
जायंट स्लैलम पहली बार नॉर्वे के ऑस्लो में हुए 1952 के विंटर ओलंपिक में शुरू किया गया था।
नॉर्वे के स्कीयर स्टीन एरिक्सन को पहले मेंस जायंट स्लैलम में विंटर ओलंपिक चैंपियन के खिताब से नवाजा गया था। वहीं USA की एंड्रिया लॉरेंस ने 1952 के विंटर ओलंपिक में वूमेंस जायंट स्लैलम वर्ग में गोल्ड मेडल हासिल किया था।
सुपर-जी
स्कीइंग के सुपर-जी वर्ग में डाउनहिल और स्लैलम/जायंट स्लैलम दोनों मिले हुए होते हैं।
एथलीट डाउनहिल की तरह ही स्लोप पर स्की करते हैं जिसका मतलब ये हुआ कि उन्हें हाई स्पीड हासिल करनी है। साथ ही स्लैलम की तरह ही उन्हें लाल और नीले रंग के गेट से भी गुजरना होता है। इसके अलावा कुछ जगहों को छोड़कर स्कीयर्स को पूरे कोर्स के दौरान बाउंड्री के अंदर ही रहना होता है।
सुपर-जी में वर्टिकल ड्रॉप पुरुषों के लिए 400 मीटर से 650 मीटर के बीच जबकि महिलाओं के लिए 400 मीटर से 600 मीटर के बीच होती है।
सुपर-जी को पहली बार 1988 के विंटर ओलंपिक में शामिल किया गया था। फ्रांस के फ्रैंक पिकार्ड ने पुरुष वर्ग में पहला गोल्ड मेडल जीता था जबकि महिलाओं की ओर से सुपर-जी का पहला गोल्ड मेडल ऑस्ट्रिया की सिग्रिड वोल्फ ने जीता था।
कंबाइंड अल्पाइन स्कीइंग
अल्पाइन स्कीइंग के कंबाइंड वर्ग में स्कीयर्स को एक रन डाउनहिल में और दूसरा रन स्लैलम में करना होता है।
दोनों रन में कुल मिलाकर सबसे तेज स्कीयर को विजेता घोषित किया जाता है।
कंबाइंड अल्पाइन स्कीइंग को पहली बार 1936 के विंटर ओलंपिक में शामिल किया गया था। हालांकि 1936 और 1948 में विंटर ओलंपिक का हिस्सा होने के बाद इसे ओलंपिक प्रोग्राम से बाहर कर दिया गया था। दोबारा इसे 1988 के विंटर ओलंपिक में शामिल किया गया और तब से ये खेल विंटर ओलंपिक का हिस्सा बना हुआ है।
जर्मनी के फ्रांज़ फनुर ने पुरुषों के कंबाइंड वर्ग का पहला गोल्ड जीता था, जबकि उनकी हमवतन क्रिस्टल क्रैंज गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली महिला बनीं थीं।