ट्रैक पर तूफान की तरह दौड़ने वाली भारत की रनिंग क्वीन हरमिलन बैंस के बारे में जानें

क्वीन के नाम से मशहूर, हरमिलन बैंस मौजूदा एशियाई इनडोर चैंपियन हैं। जानिए भारतीय एथलीट के रिकॉर्ड, उपलब्धियां और उनके द्वारा जीते गए पदक।

8 मिनटद्वारा रौशन कुमार
Harmilan Bains
(Athletics Federation of India (AFI))

हरमिलन बैंस ने दौड़ने के लिए ही जन्म लिया था।

यहां तक कि युवा मिडिल डिस्टेंस रनर अक्सर मज़ाकिया लहज़े में कहती हैं कि उन्होंने अपनी पहली रेस मां के गर्भ में ही पूरी कर ली थी।

दरअसल कहानी कुछ ऐसी है कि, 90 के दशक में हरमिलन बैंस की मां माधुरी सिंह जब तीन महीने की गर्भवती थी तब उन्हें पंजाब राज्य बिजली बोर्ड में अपनी नौकरी को बनाए रखने के 1500 मीटर की रेस में हिस्सा लेना पड़ा था।

माधुरी ने उस दिन अपनी नौकरी बचा ली और उसके 6 महीने बाद, 23 जुलाई 1998 को पंजाब के होशियारपुर में हरमिलन बैंस का जन्म हुआ। 4 साल बाद, हरमिलन ने अपनी मां को बुसान में आयोजित 2002 एशियाई खेल में महिलाओं की 800 मीटर रेस में रजत पदक जीतते हुए देखा। माधुरी को उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए साल 2003 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

हरमिलन के पिता अमनदीप बैंस भी अपने ज़माने के मशहूर धावक रहे हैं। अमनदीप साउथ एशियन गेम्स के पदक विजेता और 1500 मीटर के पूर्व चैंपियन भी रह चुके हैं।

एथलेटिक्स, हरमिलन के घर का हिस्सा रहा है और वह खिलौनों और लोरियों की जगह भारतीय एथलीटों की कहानियों के साथ बड़ी हुईं हैं।

हरमिलन जब बड़ी हो रहीं तब वह स्थानीय मैदान में लड़कों के साथ रेस करती थी। हरमिलन जब तीसरी कक्षा में पढ़ती थीं तब उन्होंने अपनी पहली प्रतिस्पर्धी रेस में हिस्सा लिया था जहां वह दूसरे स्थान पर रहीं थीं। इसके बाद वह इतनी निराश हो गईं कि दौड़ना छोड़ना चाहती थीं।

लेकिन उनकी मां ने उन्हें समझाया और उन्हें घर लेकर गईं। मां से प्रोत्साहन मिलने के बाद हरमिलन ने अपना अगला रेस जीता और इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा।

हरमिलन बैंस का एथलेटिक्स करियर: कैसे हुई शुरुआत

एथलीटों के परिवार से होने के बावजूद, हरमिलन बैंस एथलेटिक्स को अपना करियर नहीं बनाना चाहती थी। वह पढ़ने में काफ़ी अच्छी थी और वह इंजीनियर या फ़िर साइंटिस्ट बनना चाहती थीं।

उनके परिवार के लोग हमेशा चाहते थे कि पंजाब की हरमिलन बैंस एक धावक बनें। हरमिलन बैंस ने ईसपीएन से कहा, “मुझसे हमेशा एक एथलीट बनने की उम्मीद की जा रही थी क्योंकि मेरे माता-पिता दोनों ने ही भारत का प्रतिनिधित्व किया है। और मुझे भी अपने माता- पिता की तरह भारत का प्रतिनिधित्व करना है। मेरे से यह कभी नहीं पूछा गया कि मैं क्या करना चाहती थी। मुझे रनिंग की ओर धकेल दिया गया।”

13 वर्ष की उम्र में हरमिलन बैंस को एक बड़ा झटका लगा जब एक अंडर-14 इवेंट के दौरान उनका टेस्ट पॉज़िटिव आया और उन पर दो साल का प्रतिबंध लगा दिया गया। दरअसल, एक स्थानीय डॉक्टर ने उन्हें टॉन्सिलिसटिस (टॉन्सिल की सूजन) के लिए दवा दी थी, लेकिन जब उसे नेशनल एंटी-डोपिंग एजेंसी के पैनल के सामने गवाही देने के लिए बुलाया गया तब वह नहीं आया।

हरमिलन बैंस ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “मैं तब काफ़ी बीमार थी। और मेरे पास उस वक़्त कोई कोच भी नहीं था। कोई इतने छोटे से उम्र में जानबूझकर स्टेरोइड्स ले सकता है क्या?”

“जब डॉक्टर को उनके बयान के लिए बुलाया गया, तब वह घबरा कर चला गया। अपनी डिग्री भी नहीं दिखाई। यह मेरे लिए एक झटके की तरह था। इसके चलते मैंने अपने दो साल गंवा दिए।”

हालांकि, हरमिलन ने उस घटना के बाद वापसी की। साल 2015 में उनके पिता ने उन्हें धर्मशाला स्थित भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) के हॉस्टल में रहने के लिए भेज दिया जो हरमिलन के करियर का टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ।

SAI की सुविधा से जुड़ने के बाद उन्होंने सीबीएसई नेशनल के 1500 मीटर इवेंट में स्वर्ण पदक जीता। इस जीत ने खेल के प्रति हरमिलन का नज़रिया बदल दिया और उन्होंने इसे करियर के रूप में चुना, क्योंकि उन्हें जीत से लगाव हो गया था।

हरमिलन ने पहले, कोच जसविंदर सिंह भाटिया और फ़िर सुरेश कुमार सैनी की कोचिंग में पिछले कुछ वर्षों में रनिंग की बारीकियों को सीखा है।

हरमिलन बैंस की पदक और उपलब्धियां

हरमिलन ने साल 2015 में रांची में आयोजित अंडर- 18 नेशनल चैंपियनशिप के 800 मीटर और 1500 मीटर रेस में रजत पदक हासिल किया। इसके बाद उन्होंने साल 2016 में वियतनाम के हो ची-मिन्ह में एशियाई जूनियर चैंपियनशिप की 1500 मीटर स्पर्धा में कांस्य पदक जीतकर पहला अंतरराष्ट्रीय पदक अपने नाम किया। इसके बाद उन्होंने इंडियन ग्रां प्री में भी 800 मीटर स्पर्धा में रजत पदक हासिल किया।

साल 2017 में घुटने की चोट के कारण उन्हें कई इवेंट को छोड़ना पड़ा। साल 2019 में उन्होंने वापसी की और पटियाला में आयोजित फ़ेडेरशन कप के 1500 मीटर इवेंट में कांस्य पदक अपने नाम किया। इसके अलावा उन्होंने मूदबिदरी में आयोजित इंटर-यूनिवर्सिटी चैंपियनशिप में स्वर्ण (1500मीटर) और कांस्य (800मीटर) पदक अपने नाम किया।

हालांकि, साल 2020 में हरमिलन ने भारतीय एथलेटिक्स में अपनी अलग पहचान बनाई। उन्होंने उस वर्ष भुवनेश्वर में आयोजित खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स के 800 मीटर और 1500 मीटर दोनों स्पर्धाओं में स्वर्ण पदक जीता।

दिलचस्प बात यह है कि कलिंगा स्टेडियम में हरमिलन ने अपनी मां के व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ समय 4:14.78 को पीछे छोड़ते हुए सिर्फ़ 4:14.68 समय में स्वर्ण पदक अपने नाम किया।

साल 2021 में, हरमिलन ने जिस रेस में प्रतिस्पर्धा की उसमें जीत का परचम लहराया। पंजाब की धावक ने 800 मीटर और 1500 मीटर दोनों में राष्ट्रीय चैंपियन बनने के अलावा दोनों स्पर्धाओं के लिए भुवनेश्वर में वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स एथलेटिक्स का ट्रायल भी जीता है।

पटियाला में राष्ट्रीय स्तर पर 800 मीटर में 2:02.57 का समय अभी भी उनका व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ है।

हरमिलन के छोटे लेकिन रोमांचक एथलेटिक्स करियर का मुख्य आकर्षण साल 2021 में वारंगल में आयोजित नेशनल ओपन चैंपियनशिप में आया, जहां उन्होंने 4:05.39 के राष्ट्रीय रिकॉर्ड समय के साथ महिलाओं की 1500 मीटर रेस जीती और सुनीता रानी के 4:06.03 के पिछले रिकॉर्ड को तोड़ दिया था, जो उन्होंने 2002 बुसान एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीत कर बनाया था।

लेकिन, केएम दीक्षा ने महिलाओं के 1500 मीटर के राष्ट्रीय रिकॉर्ड को अब अपने नाम कर लिया है, उन्होंने अमेरिका के लॉस एंजिल्स में ट्रैक फेस्ट 2024 एथलेटिक्स मीट में इस रिकॉर्ड को अपने नाम किया।

संयोग से, हरमिलन की मां माधुरी सिंह का व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ 4:14.78 भी बुसान में उसी रेस में आया, जहां वह 1.3 सेकंड से कांस्य पदक से चूक गई थीं।

अपने अविश्वसनीय 2021 अभियान के साथ, भारतीय एथलेटिक्स में हरमिलन बैंस की प्रतिष्ठा आसमान छू गई और उन्हें 'क्वीन' उपनाम मिला। उनके लुक और आकर्षक व्यक्तित्व ने भी उनके इस नामकरण में बड़ी भूमिका निभाई। हरमिलन अपने सोशल मीडिया हैंडल पर भी इस उपनाम का इस्तेमाल करती है।

हालाांकि, जब उनके घुटने की चोट फिर से बढ़ने लगी तो हरमिलन को 2022 सीज़न के लिए अपने लक्ष्य टालने पड़े। उन्हें सर्जरी करानी पड़ी और उन्हें बर्मिंघम में 2022 राष्ट्रमंडल खेल और ओरेगॉन में विश्व चैंपियनशिप सहित लगभग पूरे सीज़न से बाहर होना पड़ा।

दुर्भाग्य से हरमिलन की सर्जरी और ओरेगॉन में प्रतिस्पर्धा करने के लिए विश्व एथलेटिक्स का निमंत्रण की तारीख एक ही दिन थी।

लगभग 10 महीने तक ट्रैक से दूर रहने के बाद 25 वर्षीय हरमिलन बैंस ने साल 2023 में ट्रैक पर वापसी की। उन्होंने चेन्नई में ऑल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 4:14:45 के समय के साथ 1500 मीटर इवेंट में स्वर्ण पदक अपने नाम कर काफ़ी सुर्खियां बटोरी। उन्होंने इस कारनामे के साथ 2023 एशियाई खेलों के लिए क्वालीफ़ाइंग स्टैंडर्ड को भी पार कर लिया है।

भुवनेश्वर में इंटर-स्टेट चैंपियनशिप में, उन्होंने 1500 मीटर में अपने समय में सुधार करते हुए 4:08.50 का समय लिया और रजत पदक हासिल किया। इसी इवेंट में हरमिलन महिलाओं की 800 मीटर दौड़ में 2:04.04 का समय के साथ दूसरे स्थान पर रहीं और एक बार फिर एथलेटिक्स फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडिया के 2:04.57 के क्वालीफ़ाइंग मार्क को पीछे छोड़ दिया।

हांगझोऊ में एशियन गेम्स 2023 में, हरमिलन बैंस ने महिलाओं की 800 मीटर में रजत पदक जीता - ठीक उसी तरह जैसे उनकी मां माधुरी ने 21 साल पहले बुसान में किया था। हालांकि, क्वीन ने हांगझोऊ में महिलाओं की 1500 मीटर में एक और रजत पदक जीता।

हरमिलन बैंस के रिकॉर्ड और व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ

  • वियतनाम के हो ची-मिन्ह में एशियाई जूनियर चैंपियनशिप 2016 में 1500 मीटर इवेंट में 4:33.02 के समय के साथ कांस्य पदक जीता।
  • खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स 2020 में 1500 मीटर और 800 मीटर में स्वर्ण पदक
  • 2021 सीज़न के दौरान व्यक्तिगत रेस में अपराजित रहीं
  • 2021 में 1500 मीटर और 800 मीटर की राष्ट्रीय चैंपियन बनीं
  • वारंगल में नेशनल ओपन चैंपियनशिप 2021 में 4:05.39 के साथ महिलाओं की 1500 मीटर में सुनीता रानी के 2002 में बनाए गए 4:06.03 के पिछले रिकॉर्ड को तोड़ दिया।
  • महिलाओं की 800 मीटर में व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ - 2021 नेशनल में पटियाला में 2:02.57
  • भुवनेश्वर में इंटर-स्टेट एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2023 में 1500 मीटर और 800 मीटर में रजत पदक अपने नाम किया
  • हांगझोऊ में एशियन गेम्स 2023 में 1500 मीटर और 800 मीटर में रजत पदक जीते
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