जानें कैसे दंगल गर्ल बबीता फोगाट ने अपनी कुश्ती की विरासत को संजोया

विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में बबीता फोगाट ने कांस्य पदक जीता और वह राष्ट्रमंडल खेलों की चैंपियन भी रह चुकी हैं। 

6 मिनटद्वारा शिखा राजपूत
Babita Phogat.
(2014 Getty Images)

मशहूर फोगाट बहनों के बहादुरी के किस्से अखाड़े से लेकर आम लोगों की जुबां पर हमेशा रहते हैं। उन्हीं दंगल बहनों में से एक हैं बबीता फोगाट। वह अपनी बहनों में दूसरे नंबर पर हैं। उनसे बड़ी बहन गीता फोगाट पहली भारतीय महिला पहलवान हैं, जिन्होंने 2010 राष्ट्रमंडल खेल में स्वर्ण पदक हासिल कर सुर्खियां बटोरी थीं। वहीं, बबीता फोगाट भी अपनी बहन से पीछे नहीं हैं। वह उनके ही पदचिन्हों पर आगे बढ़ीं।

बबीता फोगाट ने 2010 राष्ट्रमंडल खेल में रजत पदक और दो साल बाद विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में कांस्य पदक अपने नाम किया।

गीता फोगाट के पदचिन्हों पर आगे बढ़ते हुए बबीता ने भी 2014 में राष्ट्रमंडल खेल में स्वर्ण पदक अपने नाम किया था। उन्होंने रियो 2016 ओलंपिक खेल में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया था।

बबीता ने 2018 राष्ट्रमंडल खेल में रजत पदक जीता और तीन राष्ट्रमंडल खेल के पदकों के साथ भारतीय एथलीटों के शीर्ष क्लब का अहम हिस्सा बन गईं।

यह बबीता फोगाट के लिए किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं था, जो अपनी सफलता का श्रेय अपने कोच और पिता महावीर सिंह फोगाट को देती हैं।

साल 2016 में रिलीज हुई आमिर खान-स्टारर बॉलीवुड फिल्म दंगल ने गीता और बबीता को काफी मशहूर कर दिया और मुश्किलों में खुद को साबित करने व धारणाओं को बदलने के लिए उन्हें भारत में पोस्टर गर्ल बना दिया।

बबीता ने द गार्जियन को बताया, "हमारे प्रति जाहिर किया गया विरोधाभाव फिल्म में दिखाए गए से कहीं अधिक था, लेकिन पिता ने हमें आंतरिक आत्मविश्वास दिया। उन्होंने हमें बचपन में सिखाया है कि हमें कभी भी डरना नहीं चाहिए।”

बबीता ने कहा, "हम दो छोटी लड़कियां थीं, जिन्हें प्रथा के अनुसार, खुद को छिपाने के लिए ढीले कपड़ों में लपेटा जाना चाहिए था, लेकिन इसके बजाय हम शॉर्ट्स, टॉप और छोटे बालों में गेहूं के खेतों में दौड़ रहे थे।"

बबीता फोगाट कहां से हैं?

बबीता फोगाट का जन्म 20 नवंबर 1989 को हरियाणा के भिवानी में हुआ था। उनके पिता महावीर सिंह फोगाट एक भारतीय पहलवान और कोच थे, जिन्होंने अपनी लड़कियों को विश्व विजेता बनाने के लिए प्रशिक्षित किया।

बबीता की तीन बहनें हैं। गीता के अलावा बबीता की दो छोटी बहनें रितु और संगीता हैं। प्रियंका और विनेश फोगाट बबीता की चचेरी बहनें हैं। बचपन में उनके पिता की मृत्यु के बाद महावीर सिंह फोगाट ने ही उनका पालन-पोषण किया।

बबीता ने बहुत ही कम उम्र में अपनी ट्रेनिंग शुरू कर दी थी। अपने इलाके में पुरुषों के वर्चस्व वाले खेल में लड़कियों के न होने की वजह से बबीता ने अपने पिता और बहन के साथ पास के अखाड़ों (मिट्टी के गड्ढे) में कुश्ती की और ज्यादातर लड़कों के साथ कुश्ती लड़ी।

गीता से एक साल छोटी बबीता अपनी बहन जितनी मशहूर नहीं थी, लेकिन उन्होंने अपनी बड़ी बहन की छत्र छाया में ही खेल के दांव-पेंच सीखे।

हालांकि, बबीता ने इसे अधिक ऊंचाई तक पहुंचाने का आत्मविश्वास हासिल किया, जब उन्होंने गीता को एक खिताब जीतने के लिए शिकस्त दी।

“आमतौर पर मुझे लगता है कि वह मुझे काफी आसानी से हरा देती थी। लेकिन जिस दिन मैंने गीता को मात दी थी, उसी दिन से लोगों के बीच मेरी लोकप्रियता बढ़ गई और मुझ पर ध्यान देने लगे थे।”

बबीता ने यह पहलवान से अभिनेता बने संग्राम सिंह को अपने इंस्टाग्राम पेज पर बताया था।

“अगले दिन इस जीत ने स्थानीय समाचार पत्र में भी जगह बनाई। घर वापस आने के बाद यह बहुत मजेदार हो गया था। हर कोई गीता के पीछे था, उन्हें चिढ़ा रहे थे कि वह अपनी छोटी बहन से हार गईं। मुझे लगता है कि इससे मेरा खुद पर विश्वास काफी पक्का हुआ कि मैं भी जीतूंगी और शायद इससे भी ज्यादा हासिल करूंगी।”

बबीता फोगाट की उपलब्धियां

बबीता फोगाट 2009 से 2014 तक हर साल कम से कम एक बड़ा पदक जीतने में सफल रहीं।

बबीता 2009 में पंजाब के जालंधर में राष्ट्रमंडल कुश्ती चैंपियनशिप में 51 किलोग्राम महिला फ्रीस्टाइल इवेंट में स्वर्ण पदक की जीत के साथ काफी चर्चा में रहीं।

फाइनल में नाइजीरिया की इफोमा नवोए से 7-4 से हारने के बाद अगले साल राष्ट्रमंडल खेल में उन्हें रजत पदक से संतोष करना पड़ा। हालांकि, बबीता ने 2011 में अपने राष्ट्रमंडल चैंपियनशिप खिताब का बचाव किया।

लंदन 2012 ओलंपिक के लिए बबीता फोगाट भारतीय कुश्ती टीम में जगह बनाने में असफल रहीं। लेकिन उसी साल कनाडा के स्ट्रैथकोना काउंटी में विश्व चैंपियनशिप में वह कांस्य पदक जीतने में सफल रहीं।

बबीता फोगाट ने 2013 एशियन चैंपियनशिप में महिलाओं के 55 किग्रा में कांस्य पदक जीता था। यह उनका पहला कॉन्टिनेंटल पदक था।

राष्ट्रमंडल खेल 2014 में स्वर्ण पदक

बबीता फोगाट ने अबतक की सबसे बड़ी उपलब्धि 2014 में स्कॉटलैंड के ग्लासगो में हुए राष्ट्रमंडल खेल में हासिल की, जब उन्होंने स्वर्ण पदक अपने नाम किया था। लेकिन, उनकी सबसे बड़ी परीक्षा उनके पहले मुकाबले में कुश्ती से पहले आई थी।

बबीता फोगाट ने ग्लासगो को याद करते हुए कहा, “मुझे याद है कि मैंने अपने मुकाबलों से एक दिन पहले अपना घुटना घायल कर लिया था, जो कि एक लिगामेंट इंजरी थी।”

जब बबीता ने डॉक्टर से राय ली तो उन्हें बताया गया कि यह ग्रेड II का टियर था, जिसका अर्थ यह था कि उन्हें और चोटों का जोखिम नहीं उठाना चाहिए जिसके लिए उन्हें राष्ट्रमंडल खेल से बाहर होना होगा।

"लेकिन तब मैं इस बात को सहन नहीं कर पा रही थी कि मैं ग्लासगो में थी और मैं प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकी। मेरी सोच यह थी कि प्रतिस्पर्धा न करने से बेहतर है कि मैं कुश्ती करके हार जाऊं। भले ही मैं हार जाऊं। खासकर तब जब आप अपने देश का प्रतिनिधित्व कर रहे हों।"

क्वार्टर फाइनल में बबीता फोगाट ने घरेलू पसंदीदा खिलाड़ी कैथरीन मार्श पर 13-2 से जीत दर्ज की और सेमीफाइनल में अपना स्थान पक्का किया। सेमीफाइनल में इस भारतीय महिला पहलवान ने इंग्लैंड की लुइसा पोरोगोवस्का को 2-0 से हराकर फाइनल का टिकट हासिल किया।

इसके बाद विश्व चैंपियनशिप की कांस्य पदक विजेता कनाडा की ब्रिटनी लेवरड्योर के खिलाफ स्वर्ण पदक जीतने के लिए बबीता फोगाट ने 9-2 से मुकाबले को अपने नाम किया।

फाइनल के बाद बबीता फोगाट ने कहा, "मुझे लगता है कि देश के लिए खेलने के जुनून ने मुझे प्रोत्साहित किया और आज मेरे पास अपने देश को दिखाने के लिए एक स्वर्ण पदक है।"

रियो 2016 में बबीता ने ओलंपिक में डेब्यू किया, लेकिन तत्कालीन ग्रीक पहलवान मारिया प्रेवोलाराकी से 5-1 से हारने के बाद वह पहले राउंड में ही प्रतियोगिता से बाहर हो गईं।

2018 में एक और राष्ट्रमंडल खेल में रजत पदक जीतने के बाद बबीता ने अगले साल पहलवान विवेक सुहाग से शादी कर ली और राजनीति की दुनिया में कदम रखा।

बबीता फोगाट के पदक

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