पलक कोहली-पारुल परमार है टोक्यो पैरालंपिक में पदक के दावेदार- कोच गौरव खन्ना
पलक कोहली (18) और पारुल परमार (49) ने साबित किया कि उम्र सिर्फ एक संख्या है क्योंकि उन्होंने अपने पहले पैरालंपिक के लिए जगह पक्की की है।
पारुल परमार (Parul Parmar) और पलक कोहली (Palak Kohli) के लिए उम्र सिर्फ एक संख्या है। इसका कारण है कि इस – भारतीय पैरा-बैडमिंटन जोड़ी जिसने इस सप्ताह की शुरुआत में टोक्यो पैरालंपिक के लिए जगह पक्की कर ली। 49 वर्षीय परमार ड्रॉ में सबसे उम्रदराज महिला हैं, जबकि 18 वर्षीय कोहली ओलंपिक में पैरा-बैडमिंटन डेब्यू के रूप में सबसे कम उम्र की शटलर होंगी।
टीम इंडिया के पैरा-बैडमिंटन के मुख्य कोच गौरव खन्ना का मानना है कि उम्र के बड़े के अंतर के बावजूद वर्तमान में दुनिया की छठे नंबर की परमार-कोहली की जोड़ी टोक्यो में पोडियम फिनिश तक पहुंच सकती है।
खन्ना ने Olympics.com से कहा, "जब ओलंपिक वर्ष शुरू हुआ तो मुझे लगा कि यह जोड़ी क्वालीफाई करेगी और अब यह एक अच्छा अहसास है कि वो पैरालंपिक के लिए जगह पक्की करने वाली पहली भारतीय जोड़ी है।।"
उन्होंने कहा, "जब साल 2019 में उन्होंने खेलना शुरू किया तो उनकी रैंक दुनिया में लगभग 37 या 40 की थी। पारुल एक अनुभवी खिलाड़ी हैं, मुझे लगता है कि वह भारत की सबसे उम्रदराज खिलाड़ी हैं। वह हमेशा अच्छी रही है और जैसे ही पलक ने अपना स्तर उठाया तो यह एक घातक जोड़ी बन गई। वो टोक्यो पैरालंपिक में निश्चित ही पदक की दावेदार हैं।"
अगर SL3-SU5 महिला युगल जोड़ी को टोक्यो में अच्छा प्रदर्शन करना है तो कोहली को और अधिक जिम्मेदारियां निभानी होंगी। उन्हें पूरे कोर्ट को कवर करना होगा, जबकि परमार को अपनी लय बरकरार रखनी होगी और सटीकता पर निर्भर रहना होगा। पैरा-बैडमिंटन महिला युगल स्पर्धाओं में अंकों की अधिकतम श्रेणी (श्रेणी के अंतिम अंक) आठ तक सीमित है।
खन्ना ने बताया, "आमतौर पर दोनों खिलाड़ी समान कोर्ट को कवर करते हैं। यह थाईलैंड और चीन के खिलाड़ियों के लिए फ्रांस से भी एक लाभ है क्योंकि वे SL4-SL4 हैं। भार तब विभाजित हो जाता है, लेकिन यह SL3-SU5 की एक जोड़ी है और पारुल में अधिक पुरानी समस्याएं हैं तो एक बार जब पारुल सर्वित करती है, तो पलक को पूरे कोर्ट को कवर करना होता है।"
"इसीलिए मैंने रणनीति बदली और उसने (पलक कोहली) युगल पर ध्यान केंद्रित करने के लिए एकल (ज्यादातर पिछले साल) नहीं खेला। यह एक कठिन सौदा था क्योंकि पलक को अकेले ही बहुत कुछ करना था।"
खेलों के लिए केवल तीन महीने बचे हैं, खन्ना यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि पैरा-बैडमिंटन खिलाड़ियों को सुरक्षा से समझौता किए बिना शीर्ष स्तर का प्रशिक्षण मिले। लखनऊ में उनकी अकादमी वर्तमान में एक बायो-बबल में चल रही है जिसमें केवल टोक्यो जाने वाले पैरालंपियन और कुछ विशिष्ट एथलीटों को अंदर जाने की अनुमति है।
उन्होंने कहा, "सुबह 6 बजे शुरू होने वाले सत्र में हम मोटर-क्षमता में सुधार पर ध्यान केंद्रित करते हैं। दूसरा सत्र (सुबह 11 बजे) तकनीक क्षेत्रों में सुधार के लिए कोर्ट पर होता है। इसी तरह तीसरा सत्र (शाम को करीब 5 बजे) मजबूती के लिए होता है और फिर रिकवरी सत्र आयोजित किया जाता है।"
भले ही खन्ना इस बात से रोमांचित हैं कि परमार-कोहली ने टोक्यो के लिए अपना टिकट बुक कर लिया है, लेकिन उन्हें देश के अन्य पैरा-बैडमिंटन खिलाड़ियों के लिए मौका गंवाने का अफसोस है। कुछ खिलाड़ी जो योग्यता हासिल नहीं कर सके वह बाहर हो सकते हैं, क्योंकि वो भारतीयों पर लगाए गए यात्रा प्रतिबंधों के कारण स्पेनिश ओपन में भाग नहीं ले सके।
खन्ना ने कहा, "स्पैनिश ओपन एक झटका था क्योंकि हमें प्रशिक्षण के लिए बहुत सी चीजों का प्रबंधन करना था। हमने वीजा के लिए पासपोर्ट भेजे थे, लेकिन संदेश आया कि हमें क्वारंटाइन में रहना होगा।"
उन्होंने कहा, "इवेंट महत्वपूर्ण था। सुहास (ललिनकेरे यतिराज), तरुण (ढिल्लों) और सुकांत (कदम) के बीच एक करीबी मुकाबला था, लेकिन दुर्भाग्य से जब से उन्होंने भाग नहीं लिया, अन्य खिलाड़ियों ने क्वालीफाई कर लिया।"