बायो-बबल के अंदर कैसे ख़ुद को मानसिक तौर पर मज़बूत रखें यही है बेंगलुरु एफ़सी का मंत्र
पूर्व आईएसएल चैंपियन बेंगलुरु एफ़सी ने अपनी ही सिस्टर टीम दिल्ली कैपिटल्स से सीख रही है कि कैसे बायो-बबल में रहें मानसिक मज़बूत।
भले ही इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) में दिल्ली कैपिटल्स (Delhi Capitals) अपने उस ख़्वाब को सच नहीं कर पाई जो वह 2008 से देखते आ रही थी। लेकिन IPL 2020 की रनर अप रहते हुए उन्होंने इस सीज़न का अंत बेहतरीन अंदाज़ में किया।
क्रिकेट के अलावा अगर कोई टीम दिल्ली कैपिटल्स से कुछ सीखने के लिए बेताब है तो वह है फ़ुटबॉल में उनकी सिस्टर टीम बेंगलुरु एफ़सी।
ये दोनों ही टीम दरअशस JSW ग्रुप की हैं, लिहाज़ा पूर्व आईएसएल चैंपियन बेंगलुरु एफ़सी (Bengaluru FC) इन क्रिकेट खिलाड़ियों और टीम से ये जानने की कोशिश करेगी कि बायो-बबल के अंदर माहौल कैसा रहता है।
बेंगलुरु के सीईओ मंदर तमहाने (Mandar Tamhane) ने ओलंपिक चैनल से बातचीत में कहा कि, “हमने दिल्ली कैपिटल्स से सीखा है। आगे भी हम उनके मैनेजमेंट और स्टाफ़ से ये जानने की कोशिश करेंगे कि बायो-बबल में कैसे सबकुछ होता है। वह भी तब जब टूर्नामेंट दो महीने लंबा चलने वाला हो।“
“हालांकि जब हम ISL जैसे टूर्नामेंट को देखें तो यहां चार से पांच महीने हमें बंद रहना होगा, यानी यहां चुनौती अलग रहेगी। इसका असर खिलाड़ियों पर नकारात्मक भी पड़ सकता है और इसी चीज़ का हमें ख़ास ध्यान रखना होगा।“
हम ये समझने की कोशिश कर रहे हैं कि बायो-बबल के अंदर चीज़ें कैसे होती हैं। हमारे पास कुछ ऐसे स्टाफ़ भी हैं जो IPL 2020 के दौरान दिल्ली कैपिटल्स के साथ UAE में बायो-बबल के ही अंदर रहे थे।
लिहाज़ा जब वह अब बेंगलुरु एफ़सी का गोवा में हिस्सा होंगे तो हमें उनके अनुभवों का काफ़ी फ़ायदा मिलना तय है।
बेंगलुरु एफ़सी के मीडिया मैनेजर कुणाल मजगांवकर (Kunal Majgaonkar) ने कहा कि, “ये कुछ ऐसा है जिसपर सभी लोगों की सहमति बनी है, यहां तक कि जब हमने हेड कोच कार्ल्स कॉडरट से इस पर बात की तो वह भी इस बात पर तैयार थे।“
“हमने अपने मनोचिकित्सक सेनेन अल्वारेज़ से भी लगातार बात की है, वह इससे पहले स्पैनिश ओलंपिक दल का भी हिस्सा रह चुके हैं। उन्होंने भी ये माना कि ये तरीक़ा बेहद सही है और इसपर एथलीटों को आगे बढ़ना चाहिए।“
दिल्ली कैपिटल्स के सेटअप को देखकर बेंगलुरु एफ़सी ने बायो-बबल के अंदर एक का रिक्रिएशनल सेंटर बनाया है। ताकि खिलाड़ी फ़ुटबॉल से अपना ध्यान हटाकर दूसरी ओर भी ले जा सकें। यहां कई तरह की गतिविधियों के साथ-साथ इंडोर गेम्स के लिए भी सुविधाएं रहेंगी। साथ ही साथ खिलाड़ियों के लिए एक लाइब्रेबी भी बनाई जाएगी।
मजगांवकर ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा, “टीम बॉन्डिंग गतिविधियों से हमेशा टीम को फ़ायदा मिलता है और ये सेटअप का हिस्सा होगा। फिर चाहे वह किसी तरह की क्विज़ प्रतियोगिता हो या स्टेज पर आकर मनोरंजन करना हो, सभी चीज़ों का ध्यान रखा गया है।“
“इस तरह की गतिविधियों से खिलाड़ी एक दूसरे को समझते हैं और घुलते-मिलते हैं, हमने कई खिलाड़ियों की ऐसी तस्वीर मंगवाई है जब वह दो साल के थे। इसे स्क्रीन पर दिखाते हुए जानने की कोशिश करेंगे कि कोई पहचान पाता है या नहीं।“