बिना कृत्रिम उपकरण के पैरा-बैडमिंटन स्टार मानसी जोशी ने सफलता के लिए खुद को ढाला  

2019 की विश्व चैंपियन का कहना है कि पैरा-बैडमिंटन एथलीटों के लिए विकसित की गई सहायक तकनीक केवल आगे बढ़ने में गति प्रदान करती है।

4 मिनटद्वारा दिनेश चंद शर्मा
For Manasi Joshi, the forced break due to COVID-19 pandemic has been a blessing in disguise. Photo: Instagram/ Manasi Joshi

विज्ञान और प्रौद्योगिकी ने पैरा-एथलीटों को सशक्त बनाने में एक लंबा सफर तय किया है, लेकिन अभी भी एथलीटों को प्रहार करने के दौरान कुछ समझौते करने पड़ते हैं। 

2019 विश्व चैंपियन, पैरा-बैडमिंटन स्टार मानसी जोशी (Manasi Joshi) SL3 श्रेणी में भाग लेती हैं। इसमें खिलाड़ियों को खड़े होकर खेलना होता है। इस श्रेणी के खिलाड़ी का निचला हिस्सा कमजोर होने के कारण वो सही तरह से चल नहीं पाते और दौड़ते समय संतुलन नहीं बना पाते हैं। 

जोशी ने ओलिंपिक चैनल को बताया, "बैडमिंटन में वर्तमान में हम जो सहायक उपकरण काम में लेते हैं, वे केवल एथलेटिक आयोजनों के लिए उपयोग किए जाते हैं। हम उन्हीं उपकरणों का उपयोग कर रहे हैं।" 

"हमारे पास बैडमिंटन के लिए कृत्रिम अंग नहीं हैं, हमें इसके अनुकूल बनना होगा। वर्तमान में बाजार में जो कृत्रिम अंग बनाए जाते हैं, वे केवल फॉरवर्ड मोशन (आगे की तरफ गति देने) के लिए होते हैं। लेकिन बैडमिंटन में बग़ल में और पीछे की गति भी जरूरी है। मुझे उम्मीद है कि उपकरण बनाने वाले इस बारे में सोचेंगे और इनमें बदलाव करेंगे।" 

2019 में चैंपियनशिप में जीत के बाद जोशी अब दुबई में शेख हमदान बिन राशिद अल मकतूम तीसरी दुबई पैरा-बैडमिंटन इंटरनेशनल 2021 चैंपियनशिप में पहली बार महिला एकल में वापसी करेंगी। 

हालांकि, उन्होंने अपना ध्यान मिश्रित युगल पर केन्द्रित करने का फैसला किया था। उन्होंने टोक्यो पैरालंपिक्स में क्वालीफाई करने के लिए राकेश पांडे (Rakesh Pandey) के साथ जोड़ी बनाई है। 

एशियाई पैरा-बैडमिंटन चैम्पियनशिप कांस्य पदक विजेता ने बताया, "एक साल तक प्रतिस्पर्धी खेल से दूर रहने के बाद यह हमारे लिए पहला टूर्नामेंट होगा। लॉकडाउन के दौरान मेरे शरीर में बहुत बदलाव हुए। उस दौरान न मैं बाहर जा सकती थी और ना ही प्रोस्थेटिक्स पहन सकती। इस कारण स्टंप-साइज़ बढ़ गया, तो प्रोस्थेटिक्स भी बदल गए।" 

"यह टूर्नामेंट हर बात में वापसी करने जैसा होगा। यह मेरे लिए बड़ा टूर्नामेंट होगा और मैं इसमें अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद कर रही हूं।"

2011 में एक दुर्घटना के बाद जोशी का पैर काटना पड़ गया था। उन्होंने 2014 में प्रतिस्पर्धी बैडमिंटन में अपना सफर शुरू किया। एक दिन पहले पीवी सिंधु (PV Sindhu) ने बेसल में 2019 विश्व चैम्पियनशिप में ऐतिहासिक स्वर्ण पदक जीता था। अगले दिन मानसी ने फाइनल में भारतीय खिलाड़ी पारुल परमार (Parul Parmar) को हराकर विश्व चैंपियन का ताज पहना।

महिलाओं के एकल की SL3 श्रेणी में दुनिया की नंबर 2 खिलाड़ी जोशी का मानना ​​है कि उन्हें हालिया सफलता पूरी तरह से बैडमिंटन पर ध्यान केंद्रित करने के कारण मिली हैं।

31 वर्षीय ने कहा, "जब मैंने अपनी पहली विश्व चैम्पियनशिप (2015) खेली, तब एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में पूर्णकालिक काम कर रही थी। उस समय खेल को भी पूरा समय दे रही थी, जो वास्तव में बहुत व्यस्तता भरा हुआ था।" 

"मैं उस समय पूरी तरह से खेल पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रही थी। अब मैं केवल इसी पर ध्यान केंद्रित कर रही हूं। इससे मेरे खेल में शत—प्रतिशत सुधार हुआ है।" 

जोशी ने ब्लेड का इस्तेमाल पिछले साल से ही शुरू किया था और उम्मीद है कि निकट भविष्य में और बेहतर सहायक उपकरणों का निर्माण होगा। 

"मैं खेल विज्ञान, पोषण, रिकवरी और आराम पर अधिक ध्यान दे रही हूं। मैं सही सोचने, सही खाने और सही बनना सुनिश्चित कर रही हूं। इस प्रक्रिया ने न केवल मेरे जीवन को बेहतर बनाया है, बल्कि मेरे जैसे अन्य दिव्यांगों को भी बदला है।" 

"2015 में मैंने खेलने के लिए चलने वाले कृत्रिम अंग का उपयोग किया था। मेरे पास खेलने के लिए केवल एक कृत्रिम पैर था और फिर 2018 में मुझे दो कृत्रिम पैर मिले, एक बैडमिंटन के लिए। 2019 में मुझे तीन कृत्रिम पैर मिले। एक बैडमिंटन, फिटनेस और चलने के लिए।" 

"मैं उपकरण विज्ञान पर भी ध्यान दे रही हूं। सहायक उपकरण आपके खेल की गुणवत्ता, आपके जीने के तरीके को बदल सकता है और मुझे उपकरण के विकास में बहुत बदलाव नजर आ रहा है।" 

पैरा-बैडमिंटन पहली बार टोक्यो ओलंपिक में शुरू होगा और जोशी को वहां पहुंचने की पूरी उम्मीद है।