टोक्यो ओलंपिक में भारत के लिए पदक के प्रबल दावेदार नीरज चोपड़ा और उनके प्रतिद्वंद्वियों के बारे में जानें

भारतीय जेवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा पोलैंड में हुए 2016 IAAF अंडर -20 ट्रैक और फील्ड चैम्पियनशिप में विश्व खिताब जीतने वाले पहले भारतीय बने थे। उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

7 मिनटद्वारा विवेक कुमार सिंह
घुटने की चोट के इलाज से गुज़र रहें हैं नीरज चोपड़ा 
(Getty Images)

अपने पहले ट्रैक एंड फील्ड में ओलंपिक मेडल का इंतज़ार कर रहें देश को उम्मीद है, कि टोक्यो 2020 में पुरुष जेवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) उस इंतज़ार को खत्म करेंगे।

2016 में IAAF वर्ल्ड अंडर-20 चैंपियन बनने के बाद नीरज चोपड़ा भारत के ट्रैक एंड फील्ड इवेंट में नई आशा की किरण बनकर उभरे है। पोलैंड के बेडगोज के ज़िजिस्ला कॉरजिकॉविएक स्टेडियम (Zdzisław Krzyszkowiak Stadium) में 86.48M का विश्व जूनियर रिकॉर्ड स्थापित करके नीरज चोपड़ा ट्रैक एंड फील्ड इवेंट में विश्व खिताब जीतने वाले पहले भारतीय एथलीट बन गए थे।

इस तरह नीरज चोपड़ा का शानदार फॉर्म जारी रहा, और उन्होंने 2017 के एशियन चैंपियनशिप, 2018 राष्ट्रमंडल खेल और एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक जीता। हालांकि कंधे की चोट की वजह से वो 2019 सीजन से बाहर रहें। इसकी वजह से वह दोहा में हुए विश्व चैंपियनशिप से भी बाहर रहें।

जनवरी 2020 में फिट होकर नीरज चोपड़ा ने फिर से वापसी की और साउथ अफ्रीका के पोचेफस्ट्रूम में ACNW लीग मीट में शानदार प्रदर्शन किया।

पूरे विश्व में कोरोना के कहर से पहले 23 वर्षीय इस एथलीट ने ओलंपिक क्वालिफिकेशन मार्क 85 मीटर को छूते हुए 87.86 मीटर की थ्रो के साथ टोक्यो का टिकट हासिल किया।

2021 में नीरज चोपड़ा ने पटियाला में हुए दो घरेलू इवेंट - फेडरेशन कप और इंडियन ग्रां प्री 3 में जीत हासिल की। बाद में उन्होंने अपना सर्वश्रेष्ठ थ्रो 88.07 मीटर फेंका, जो वर्तमान नेशनल रिकॉर्ड भी है।

दुनिया में 42 वें स्थान पर मौजूद नीरज चोपड़ा बुलंद हौसले के साथ टोक्यो जाएंगे, जो उन्हें पदक के लिए उत्साहित करेगा।

हालांकि, हरियाणा के इस युवा एथलीट को टोक्यो ओलंपिक में पदक जीतने के लिए दुनिया के बेहतरीन थ्रोअर्स को पीछे छोड़ना होगा।

जोहानस वेटर (जर्मनी)

मुख्य उपलब्धियां: विश्व चैंपियनशिप 20177 में स्वर्ण पदक और 2019 में कांस्य पदक।

क्या है उनकी विशेषता? जर्मनी के जोहानस वेटर (Johannes Vetter) दुनिया के दूसरे नंबर के जेवलिन थ्रोअर हैं। जोहानेस टोक्यो में गोल्ड जीतने वाले पसंदीदा दावेदारों में से एक होंगे। रियो ओलंपिक में इस जर्मन एथलीट ने सिर्फ 0.06 मीटर से कांस्य पदक गंवा दिया था।

चेक गणराज्य के दिग्गज जान ज़ेलेज़नी (Jan Železný) वो एथलीट हैं, जिन्होंने 1996 में 98.48 मीटर का विश्व रिकॉर्ड बनाया था, जोहानस वेटर इतिहास में सिर्फ दूसरे जेवलिन थ्रोअर हैं, उन्होंने 95 मीटर के निशान को छुआ है।

जोहानस वेटर का 97.76 मी का थ्रो एक जर्मन रिकॉर्ड भी है। उन्होंने हाल ही में सितंबर 2020 में पोलैंड के चोरज़ो में एक एथलेटिक्स मीट में ये उपलब्धि हासिल की थी। उन्होंने इसके बाद घरेलू मैदान पर  एनहाल्ट 2020 और STAF बर्लिन इवेंट्स में भी अपनी जीत का डंका बजाया था।

2021 में जर्मनी के ऑफेनबर्ग में अंतरराष्ट्रीय जेवेलॉट और स्पेरवुरफ्रेमेटिंग इवेंट और क्रोएशिया के स्प्लिट में यूरोपीय थ्रोइंग कप में स्वर्ण पदक जीतकर जोहानस वेटर ने दुनियाभर में सनसनी फैला दी थी।

इससे भी अधिक महत्वपूर्ण बात ये है कि जोहानस वेटर ने अपने पिछले दो मुकाबलों में 90 मीटर का मार्क छूआ है। स्पेरवुरफ्रेमेटिंग के दौरान ETSV स्टेडियम में 91.50 मीटर और यूरोपियन थ्रोइंग कप के दौरान स्टेडियम पार्क लाला डेज़ी में 91.12 मीटर के निशान को छुआ।

जोहानस वेटर के ही हमवतन थॉमस रोहलर (Thomas Röhler) ने रियो 2016 में स्वर्ण पदक जीता था। थॉमस रोहलर ने भले ही 85 मीटर के ओलंपिक क्वालिफिकेशन मार्क को पार कर लिया था, लेकिन वह वर्तमान में जर्मनी से शीर्ष तीन थ्रोअर्स में शामिल नहीं है।

प्रत्येक देश को अधिकतम तीन जेवलिन थ्रोअर को टोक्यो भेजने की अनुमति दी गई है, फिर भी रियो ओलंपिक चैंपियन को अपने खिताब को बचाने की उम्मीद अभी भी बरकरार है।

हालांकि, जोहानस वेटर टोक्यो 2020 में जर्मन टीम का नेतृत्व कर सकते हैं, और राइन नदी के किनारे पर ओलंपिक मेंस जेवलिन थ्रोइंग का गोल्ड जीतने की संभावना को जिंदा रख सकते हैं।

एंडरसन पीटर्स (ग्रेनाडा)

मुख्य उपलब्धियां: 2019 में विश्व चैंपियनशिप और पैन अमेरिकी खेलों में स्वर्ण पदक और 2018 में राष्ट्रमंडल खेलों में कांस्य पदक।

क****्या है उनकी विशेषता? एंटिल्स द्वीपसमूह के दक्षिणी छोर पर ग्रेनेडा के छोटे से द्वीप से आने वाले एंडरसन पीटर्स ने दोहा में 2019 विश्व चैंपियनशिप में दुनिया को अपना पहला परिचय दिया था।

एंडरसन पीटर्स ने वर्तमान में दुनिया के नंबर 1 जेवलिन थ्रोअर एस्टोनिया के मैग्नस कीर्ट और जोहानस वेटर जैसे एलीट थ्रोअर को पीछे छोड़कर पोडियम फिनिश किया था।

उसैन बोल्ट (Usain Bolt) के इस फैन ने अपने एथलेटिक्स करियर की शुरुआत एक धावक के रूप में की थी, लेकिन चोटों के कारण उनका रनिंग करियर छोटा रह गया।

अपने साथी कैरेबियाई एथलीट केशोर्न वालकोट (त्रिनिदाद और टोबैगो) के लंदन 2012 में स्वर्ण पदक जीतने के बाद एंडरसन पीटर्स ने जेवलिन थ्रोइंग में अपना हाथ आजमाया था। उन्होंने पोलैंड में 2016 विश्व अंडर -20 चैंपियनशिप में कांस्य पदक समेत कई आयु वर्ग के मुकाबलों में जीत हासिल करते हुए रैंक में तेजी से चढ़ाई की थी।

2018 कॉमनवेल्थ गेम्स में सीनियर लेवल पर उनकी पहली जीत थी, इसमें उन्होंने कांस्य पदक जीता था, उसके बाद उन्होंने 2019 में पैन-अमेरिकी खिताब जीतकर अन्य कई खिताबों पर कब्जा किया।

पिछले दो वर्षों में उन्होंने ग्रेनाडा में डेवलपमेंट मीट और अमेरिका में 93 वीं क्लाइड लिटलफील्ड टेक्सास रिले, अल श्मिट बुलडॉग रिले और यूएसएटीएफ ग्रैंड प्रिक्स को जीतकर अपने नाम किया।

सिर्फ 23 साल के एंडरसन पीटर्स ने लीमा में हुए 2019 के पैन अमेरिकी खेलों में अपना सर्वश्रेष्ठ 87.31 मीटर का थ्रो कर टोक्यो का टिकट हासिल किया था। जिससे उनमें थोड़ी अनुभव की कमी नज़र आती है। लेकिन टोक्यो में उन्हें खिताबी जीत के दावेदारों में ना गिनना एक बड़ी गलती हो सकती है।

जूलियस येगो (केन्या)

मुख्य उपलब्धियां: रियो 2016 में रजत पदक, 2015 में विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक, 2012, 2014 और 2018 में अफ्रीकी चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक।

क****्या है उनकी विशेषता? Aहालांकि जूलियस येगो साल 2019 की शुरुआत में मोरक्को के रबात में अफ्रीकी खेलों में 87.73 मीटर थ्रो के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ज्यादा एक्टिव नहीं रहें।

टोक्यो से पहले अफ्रीकी मूल के केन्याई एथलीट ने 2019 के दोहा इवेंट से पहले चार इवेंट में अपना वर्चस्व दिखाया और जीत हासिल की।

32 वर्षीय जूलियस येगो अपने पूरे करियर में एक पसंदीदा विजेता रहे हैं, जो किसी इवेंट से पहले जीत के दावेदार माने जाते हैं। उन्होंने मेंस जेवलिन थ्रोइंग में अफ्रीका के लिए 92.7 मीटर का रिकॉर्ड भी अपने पास रखा है।

2016 रियो ओलंपिक में येगो ने जेवलिन थ्रोइंग के फाइनल राउंड के पहले प्रयास में सबसे लंबी दूरी 88.24 मीटर पर जेवलिन थ्रोइंग में स्वर्ण पदक की उम्मीदों को जिंदा कर दिया। पहले प्रयास के बाद वो स्वर्ण पदक की रेस में सबसे आगे थे।

दुर्भाग्य से अपने दूसरे थ्रो के दौरान उनके घुटने में चोट लग गई, और इसकी वजह से वो आगे कोई थ्रो नहीं कर सके।

आगे प्रतिस्पर्धा करने में असमर्थ हो चुके जूलियस येगो ने व्हीलचेयर से थॉमस रोहलर को स्वर्ण पदक जीतते हुए देखा। वो चार थ्रो तक येगो से पीछे रहें, लेकिन पांचवें थ्रो में 90.30 मीटर का थ्रो कर गोल्ड पर निशाना लगा दिया। इस तरह सभी एथलीटों के आखिरी प्रयास के बाद येगो पहले से दूसरे स्थान पर आ गए।

अफ्रीकी मूल के इस एथलीट का सपना भले ही रियो में अधूरा रह गया था, लेकिन वो टोक्यो में अपने उस सपने को पूरा करने के लिए मैदान पर उतरेंगे।

इन तीनों के अलावा, केशोर्न वालकॉट (लंदन 2012 के चैंपियन और रियो 2016 के कांस्य पदक विजेता), मैग्नस क्रिर्ट और चीनी ताइपे एथलीट चाओ-ससुन चेंग (एशियन रिकॉर्ड-धारक) जैसे अन्य शीर्ष प्रतिद्वंद्वी हैं, ऐसे में नीरज चोपड़ा को टोक्यो में पदक जीतने के लिए उन्हें मात देना होगा।

नीरज चोपड़ा के हमवतन शिवपाल सिंह (Shivpal Singh) भी टोक्यो में कड़ी चुनौती पेश कर सकते हैं।

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