टोक्यो ओलंपिक में मेडल जीतने की प्रबल दावेदार भारतीय मेंस हॉकी टीम के सामने क्या हैं चुनौतियां

टोक्यो 2020 में पदक के लिए भारतीय हॉकी टीम की मजबूत दावेदारी पर एक नज़र।

5 मिनटद्वारा लक्ष्य शर्मा
भारतीय हॉकी टीम ने बेंगलुरु स्थित SAI सेंटर पर अभ्यास शुरू कर दिया है।
(Hockey India)

अगर हालिया फॉर्म को देखा जाए, तो भारतीय मेंस हॉकी टीम के टोक्यो ओलंपिक में पदक जीतने की संभावना बहुत ज्यादा है। इस टीम में हर मजबूत विरोधी टीम को धूल चटाने का माद्दा है।

अब जब पूरा भारत देश कोरोना महामारी के खिलाफ जंग लड़ रहा है, तो खुद टीम के कप्तान मनप्रीत सिंह (Manpreet Singh) सहित 5 खिलाड़ी भी इस वायरस की गिरफ्त में आ चुके हैं। लेकिन अब वह इससे उबर चुके हैं और पूरी भारतीय टीम ही समय के साथ बेहतर होती दिख रही है।

 फरवरी में अर्जेंटीना में खेली गई एफआईएच प्रो लीग में भारतीय टीम ने अपनी तैयारियों को दिखा भी दिया था।

ब्यूनस आयर्स में अर्जेंटीना के खिलाफ, भारत ने पहला मैच शूट-आउट से जीता, तो दूसरे मैंच में टीम इंडिया ने रियो 2016 की  स्वर्ण पदक विजेता टीम को 3-0 से हराया था।

पिछले रियो ओलंपिक में आखिरी 8 में जगह बनाने वाली कोच ग्राहम रीड (Graham Reid) की यह टीम, इस बार टोक्यो के लिए अच्छे फॉर्म में दिख रही है।

टोक्यो 2020 ओलंपिक में भारतीय टीम को इन विरोधियों से चुनौती मिल सकती है।

बेल्जियम

वर्ल्ड रैंकिंग: 1

मुख्य उपलब्धि: ओलंपिक्स: सिल्वर (2016), वर्ल्डकप: विजेता (2018), यूरोपियन चैंपियनशिप: विजेता (2019)

क्या है टीम की खास उपलब्धियां ?

पिछले दशकों में सबसे बेहतर टीमों में से एक, बेल्जियम एक आधुनिक दिनों की हॉकी पावर हाउस टीम है।

उनकी हाई-एनर्जी और तेज-तर्रार हॉकी अक्सर विरोधी के लिए कठिन साबित होती है। फ्लोरेंट वैन ऑबेल्म (Florent Van Aubelm), सेड्रिक चैरेलियर (Cédric Charlier), लोके लुइपरर्ट (Loïck Luypaert) और जॉन-जॉन डोहमेन (John-John Dohmen) जैसे सितारों से सजी बेल्जियम ने हर बड़े टूर्नामेंट में अपनी छाप छोड़ी है।

वह वर्ल्ड और यूरोपीय चैंपियन टीम हैं, साल 2019 में FIH प्रो लीग के उद्घाटन सीजन में वह उपविजेता रहे थे। इसके अलावा पिछले ओलंपिक में उन्होंने रजत पदक जीता था।

हालांकि कोरोना महामारी के कारण बेल्जियम की तैयारियों पर भी प्रभाव पड़ा है, लेकिन यह टीम पूरी कोशिश करेगी कि इससे उनके ओलंपिक प्रदर्शन पर असर नहीं पड़ेगा।

मौजूदा प्रो लीग में कोच शेन मैकलोड (Shane McLeod) की इस टीम ने 13 मैचों में 32 अंकों के साथ अंक तालिका में शीर्ष स्थान हासिल कर रखा है।

बेल्जियम ने प्रतियोगिता में अब तक नौ शानदार जीत दर्ज की हैं, और वह अब तक 40 गोल करने में सफल रहा है, जिसमें जर्मनी के खिलाफ 6-1 से जीत भी शामिल है।

अब इस फॉर्म के साथ बेल्जियम टोक्यो ओलंपिक में अच्छा प्रदर्शन कर सकती है।

ऑस्ट्रेलिया

वर्ल्ड रैंकिंग: 2

क्या है प्रमुख उपलब्धियां? :  ओलंपिक: स्वर्ण (2004), रजत (1968, 1976, 1992), कांस्य (1964, 1996, 2000, 2008, 2012); वर्ल्डकप: विजेता (1986, 2010, 2014), उपविजेता (2002, 2006)।

टीम में क्या है खास?

हॉकी की दुनिया में ऑस्ट्रेलिया की अलग ही पहचान है। ऑस्ट्रेलिया ने अक्सर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हॉकी के अपने क्रूर ब्रांड के साथ यूरोपीय आधिपत्य को तोड़ने की कोशिश की है।

हालांकि पूर्व ओलंपिक चैंपियन का प्रदर्शन हाल में इतना अच्छा नहीं रहा है, लेकिन फिर भी ये टीम ओलंपिक में कमाल करने की पूरी काबिलियत रखती है।

ऑस्ट्रेलियाई टीम में एडी ओकेन्डेनम (Eddie Ockendenm), एरन ज़ाल्वेस्की (Aran Zalewski) और जेरेमी हेवर्ड (Jeremy Hayward) जैसे अनुभवी और टॉम क्रेग (Tom Craig), डेलन वार्मस्पून (Dylan Wotherspoon**)** और जेक हार्वी (Jake Harvie) जैसे युवा खिलाड़ी हैं, जो किसी भी स्थिति में वापसी करने का माद्दा रखते हैं।

 इस टीम में अनुभव और युवाओं के बीच ठीक संतुलन है, जो टोक्यो ओलंपिक के लिए  एफआईएच प्रो लीग चैंपियन को दावेदार बनाने का एक मजबूत पक्ष है।

हालांकि उनका हालिया फॉर्म बहुत ज्यादा अच्छा नहीं है (ऑस्ट्रेलिया एफआईएच प्रो लीग में पांचवें स्थान पर है जहां उनके आठ मैचों में अब तक की तीन शानदार जीते हैं)। इसके बावजूद मुख्य कोच कॉलिन बैच (Colin Batch) को उम्मीद है कि उनकी टीम टोक्यो ओलंपिक में अच्छा प्रदर्शन करेगी।

नीदरलैंड्स

वर्ल्ड रैंकिंग: 3

क्या हैं प्रमुख उपलब्धियां? : ओलंपिक: स्वर्ण (1996, 2000), रजत (1928, 1952, 2004, 2012), कांस्य (1936, 1948, 1988); विश्व कप: विजेता (1973, 1990, 1998), उपविजेता (1978, 1994, 2014, 2018); यूरोपीय चैंपियनशिप: विजेता (1983, 1987, 2007, 2015, 2017), उपविजेता (1970, 1978, 1991, 1995, 1999, 2005, 2011)।

टीम में क्या है खास?

वर्ल्ड हॉकी की सबसे सफलतम टीमों में से एक नीदरलैंड में बड़ी से बड़ी टीम को हराने का दम है।

कोच मैक्सिमिलिआनो काल्डास (Maximiliano Caldas) के नेतृत्व में यह टीम लगातार बड़े टूर्नामेंट में जीतती रही है।

यह टीम 2018 एफआईएच पुरुष विश्व कप और 2019 एफआईएच प्रो लीग के रजत पदक विजेता के रूप में टोक्यो ओलंपिक में हिस्सा लेगी।

मिंक वान डेर वीरडेन (Mink van der Weerden), बिली बेकर (Billy Bakker), जेरोइन हर्ट्ज़बर्गर (Jeroen Hertzberger), मिर्को प्रुइजर (Mirco Pruyser) और थिएरी ब्रिंकमैन (Thierry Brinkman) इस टीम की सबसे बड़ी ताकत है, इन खिलाड़ियों के साथ जब वह टोक्यो में मैदान में उतरेंगे, तो निश्चित तौर पर फैंस को काफी मजा आएगा।

नीदरलैंड्स टीम की हालिया फॉर्म भी अच्छी है।

हालांकि उन्हें एफआईएच प्रो लीग 2020-21 की शुरुआत में भारत के खिलाफ दो मैचों में हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन इसके बाद नीदरलैंड्स ने वापसी करते हुए स्पेन, अर्जेंटीना और ग्रेट ब्रिटेन को हराया। इसके बाद उन्हें जर्मनी के खिलाफ हार का सामना जरूर करना पड़ा, जिससे उनके मनोबल पर असर पड़ा होगा, लेकिन इन सबके बावजूद नीदरलैंड्स टोक्यो ओलंपिक के लिए पूरी तरह से तैयार लग रही है।