ईयर एंडर 2021: मिल्खा सिंह से लेकर एमके कौशिक तक, भारतीय खेल के ये दिग्गज कोविड-19 से जंग हार गए
इस महामारी ने अब तक लाखों लोगों की जान ली है, उनमें से कुछ भारतीय खेल आईकन भी हैं, जिन्होंने अपनी उपलब्धियों से खेल जगत में एक शानदार छाप छोड़ी है।
पिछले लगभग एक साल में कोविड-19 महामारी ने पूरी दुनिया में तबाही मचा रखी है, जिसके कारण लाखों लोगों की जान गई।
इस महामारी की वजह से भारतीय ओलंपियंस और कुछ दिग्गज खिलाड़ियों ने भी अपनी जान गंवाई है।
जैसे की साल 2021 समाप्त हो रहा है, हमने खेल जगत के उन सितारों को याद किया है, जिन्हें देश ने कोविड -19 महामारी के कारण खो दिया था।
मिल्खा सिंह – ट्रैक एंड फील्ड एथलीट
फ्लाइंग सिख के नाम से मशहूर मिल्खा सिंह ने भारत को ट्रैक एंड फील्ड में काफी ऊंचाइयों पर ले कर गए और वह भारत के दिग्गज एथलीटों में हमेशा याद किए जाएंगे। उन्होंने तीन ओलंपिक गेम्स - मेलबर्न 1956, रोम 1960 और टोक्यो 1964 में भारत का प्रतिनिधित्व किया था।
1960 में आयोजित रोम ओलंपिक के 400 मीटर रेस में मिल्खा सिंह महज़ कुछ ही सेकेंड से पदक से चूक गए। वह 45.73 के समय के साथ चौथे स्थान पर रहे, जो कि 40 वर्षों तक एक राष्ट्रीय रिकॉर्ड भी रहा।
मिल्खा सिंह 91 वर्ष के थे और उन्होंने 18 जून 2021 को अपनी अंतिम सांस ली। वह एक महीने से अधिक समय तक कोविड-19 से जूझते रहे और अपनी पत्नी निर्मल कौर की मृत्यु के पांच दिन बाद उन्होंने भी दम तोड़ दिया। निर्मल कौर भारतीय महिला वॉलीबॉल टीम की पूर्व कप्तान थी। उनकी मृत्यु भी कोरोना संक्रमण के कारण ही हुई थी।
रविंदर पाल सिंह - हॉकी खिलाड़ी
रविंदर पाल सिंह साल 1980 में आयोजित मॉस्को ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने वाले भारतीय हॉकी टीम के सदस्य थे। उनके तब के कप्तान वासुदेवन भास्करन ने उनके बारे में कहा था, पाल एक संपूर्ण खिलाड़ी थे, जो हमेशा सीखने के लिए तैयार रहते थे।
रविंदर पाल सिंह ने 1984 में आयोजित लॉस एंजिल्स ओलंपिक में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया था।
हालांकि रीढ़ की हड्डी में चोट की वजह से उनका अंतरराष्ट्रीय करियर काफी छोटा रहा। वह 1979 से 1984 तक ही भारत के लिए अपना योदगन दे पाए। उन्होंने 1980 और 1983 चैंपियंस ट्रॉफी और 1982 में वर्ल्ड कप और एशिया कप में भारत का प्रतिनिधित्व किया था।
रविंदर पाल सिंह का 8 मई 2021 को 60 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनके निधन के दो सप्ताह के बाद पता चला कि वह कोविड-19 से ग्रसित थे।
महाराज कृष्ण कौशिक - हॉकी खिलाड़ी
महाराज कृष्ण कौशिक ने भारतीय हॉकी को बहुत कुछ दिया। वह न केवल 1980 ओलंपिक चैंपियन टीम का हिस्सा रहे बल्कि अपनी रिटायरमेंट के बाद उन्होंने भारतीय पुरुष राष्ट्रीय और महिला राष्ट्रीय टीम के लिए कोच के रुप में अपना योगदान दिया था।
भारतीय हॉकी में उनके योगदान के लिए उन्हें 1998 में अर्जुन पुरस्कार और चार साल बाद द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया। ऑन-फील्ड उपलब्धियों के अलावा, एमके कौशिक ने बॉलीवुड फिल्म चक दे! इंडिया के लिए भी प्रेरित किया।
एमके कौशिक का निधन 8 मई 2021 को हुआ। उनकी मृत्यु भी उनके 1980 के ओलंपिक टीम के साथी रविंदर पाल सिंह की तरह कोविड-19 से तीन सप्ताह तक जूझने के बाद हुई।
अहमद हुसैन लाला – फुटबॉलर
अहमद हुसैन लाला ने 1956 में आयोजित मेलबर्न ओलंपिक में भारतीय फुटबॉल टीम में एक डिफेंडर के रूप में खेलते हुए शानदार प्रदर्शन किया था। भारत ने क्वार्टर-फाइनल में मेजबान टीम ऑस्ट्रेलिया को 4-2 से हराया था और टूर्नामेंट में चौथे स्थान पर रहा था। ओलंपिक फुटबॉल इवेंट में वह भारत का अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है।
अहमद ने 1958 के एशियन गेम्स सहित कई अन्य अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में भारत का प्रतिनिधित्व किया था।
अहमद हुसैन लाला ने 89 वर्ष की आयु में 16 अप्रैल 2021 को अपनी अंतिम सांस ली।
सूरत सिंह माथुर – लॉन्ग डिस्टेंस रनर
सूरत सिंह माथुर ने 1952 में आयोजित हेलसिंकी ओलंपिक में मैराथन दौड़ पूरी करने वाले स्वतंत्र भारत के पहले रनर थे। माथुर ने 1951 में पहली बार आयोजित हुई एशियन गेम्स में कांस्य पदक भी जीता था।
उनका निधन 90 वर्ष की आयु में 11 जून 2021 को कोविड-19 महामारी के कारण हुआ था।
निखिल नंदी – फुटबॉलर
पूर्व भारतीय फुटबॉलर निखिल नंदी 1956 में आयोजित मेलबर्न ओलंपिक में भारतीय टीम के डिफेंस का एक अटूट हिस्सा थे।
उन्होंने भारत को 1958 में टोक्यो में आयोजित एशियन गेम्स के सेमीफाइनल में पहुंचने में मदद की थी। निखिल नंदी ने अपने रिटायरमेंट के बाद एक कोच के रूप में योगदान देना जारी रखा और कुछ समय के लिए भारतीय फुटबॉल टीम की बागडोर भी संभाली।
निखिल नंदी का 88 वर्ष की आयु में 29 दिसंबर 2020 को सेहत खराब होने और कोविड-19 की चपेट में आने से निधन हुआ।
संजय चक्रवर्ती - शूटिंग कोच
संजय चक्रवर्ती ने ओलंपिक में भाग नहीं लिया लेकिन निश्चित रूप से भारत के लिए पदक जीतने में अहम भूमिका निभाई।
इस महान शूटिंग कोच ने 2008 के ओलंपिक गोल्ड मेडल विजेता अभिनव बिंद्रा, गगन नारंग, अंजलि भागवत, सुमा शिरूर, दीपाली देशपांडे, अनुजा जंग और अयोनिका पॉल सहित भारत के कुछ शीर्ष निशानेबाजों को ट्रेनिंग दिया था।
चक्रवर्ती को एक शूटिंग कोच के रूप में उनके योगदान के लिए द्रोणाचार्य पुरस्कार और महाराष्ट्र की दादोजी कोंडदेव पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्होंने भारत के राष्ट्रीय कोच के रूप में भी काम किया था।
संजय चक्रवर्ती का 79 वर्ष की आयु में 3 अप्रैल 2021 को कोविड-19 की वजह से मृत्यु हुई थी।
रमेश टीकाराम - पैरा एथलीट
दो साल की उम्र से पोलियो से प्रभावित रमेश टीकाराम ने 1992 के पैरालंपिक में विभिन्न इवेंट्स में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। बैडमिंटन खेलने से पहले उन्होंने शॉटपुट, डिस्कस थ्रो और भाला फेंक में भी अपना लोहा मनवाया था।
टीकाराम ने पैरा खिलाड़ियों के लिए बैडमिंटन स्पोर्ट्स एसोसिएशन की स्थापना की थी, जिसका बाद में बैडमिंटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया में विलय हो गया था।
साल 2002 में टीकाराम को भारतीय पैरा-स्पोर्ट्स में उनके योगदान के लिए अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
15 जुलाई 2021 को 51 वर्ष की आयु में उनका कोविड-19 के कारण निधन हो गया।