पूर्व भारतीय हॉकी खिलाड़ी और मास्को 1980 की ओलंपिक चैंपियन टीम के सदस्य एमके कौशिक का शनिवार को नई दिल्ली में कोरोना वायरस (COVID-19) के चलते निधन हो गया।
इससे पहले शनिवार की सुबह रविंदर पाल सिंह ने कोरोना के कारण लखनऊ में अंतिम सांस ली। वह भी मास्को में प्रतिस्पर्धा करने वाली भारतीय हॉकी टीम के एक सदस्य थे।
66 वर्षीय इस खिलाड़ी के साथ ही उनकी पत्नी को भी कोरोना से संक्रमित पाया गया था। एमके कौशिक का एक सीटी स्कैन किए जाने के बाद सीने में संक्रमण के कारण निमोनिया के लक्षण पता चलने पर 24 अप्रैल को उन्हें एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
भारतीय महिला हॉकी टीम के पूर्व मुख्य कोच को 17 अप्रैल को कोरोना के लक्षण का एहसास हुआ, लेकिन इससे पहले की उनकी टेस्ट रिपोर्ट नेगेटिव आई थी।
उनके बेटे एहसान ने कुछ दिन पहले ही कौशिक की हालत में सुधार की जानकारी दी थी, लेकिन पूर्व भारतीय ओलंपिक चैंपियन की हालत जल्द ही बिगड़ती चली गई।
एमके कौशिक, मास्को 1980 की भारतीय हॉकी टीम के एक प्रमुख खिलाड़ी थे, जिन्होंने स्वर्ण पदक के प्रदर्शन में एक अहम भूमिका निभाई थी। हरियाणा के खिलाड़ी ने मास्को ओलंपिक खेलों में तीन गोल किए, जिसमें से एक उन्होंने फाइनल में किया। जिसके चलते भारत ने स्पेन को हराते हुए अपना आठवां ओलंपिक खिताब जीता।
वासुदेवन भास्करन के नेतृत्व में भारत इस प्रतियोगिता में अजेय रहा – प्रारंभिक चरणों में पांच मुकाबलों में तीन में जीत और दो में ड्रॉ के बाद स्वर्ण पदक मुकाबला स्पेन के साथ हुआ।
फाइनल मुकाबला बहुत ही शानदार और यादगार बन गया, जिसमें दोनों टीमों ने गोल्ड मेडल हासिल करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ हॉकी प्रदर्शन किया।
भारतीय टीम की ओर सुरिंदर सिंह सोढ़ी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए दो गोल किए, और एमके कौशिक, मोहम्मद शाहिद और जुआन अमात ने स्पेन के खिलाफ गोल की हैट्रिक लगाई।
एमके कौशिक को 1998 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, जबकि एक कोच के रूप में उनके योगदान के चलते 2002 में उन्हें द्रोणाचार्य पुरस्कार से नवाज़ा गया था।