दिवंगत मिल्खा सिंह, आजाद भारत के पहले स्पोर्टस स्टार, जिन्होंनेने अपनी गति और आगे बढ़ने के विश्वास के साथ करीब एक दशक से अधिक समय तक भारतीय ट्रैक एंड फील्ड पर राज किया। उन्होंने अपने जीवन में कई रिकॉर्डस बनाए और कई पदक हासिल किए।
मेलबर्न 1956 ओलंपिक हो या रोम 1960 ओलंपिक या फिर टोक्यो 1964 का ओलंपिक, मिल्खा सिंह ने हमेशा भारत का प्रतिनिधित्व किया। वे भारत के महानतम एथलीटों में से एक रहे हैं।
20 नवंबर 1929 को गोविंदपुरा ( जो कि अब पाक्सितान में है) में एक सिख परिवार में जन्में मिल्खा सिंह का इस खेल से परिचय उसी वक्त हो गया था, जब वह विभाजन के वक्त भारत भाग आए थे और भारतीय सेना में शामिल हो गए।्
ये वह जगह थी जहां उन्होंने अपने दौड़ने की काबिलियत को और तेज किया। वहां उन्होने एक क्रॉस कंट्री रेस में हिस्सा लिया जहां उन्हें छठा स्थान मिला। जिसमें करीब 400 सैनिक भाग ले रहे थे। जिसके बाद उन्हें आगे की ट्रेनिंग के लिए चुना गया। जिसकी वजह से उनके करियर की पहली नींव पड़ी।
उनका पहला ओलंपिक मेलबर्न 1956 का था, जहां बिना किसी अनुभव के मिल्खा सिंह ने 200 मीटर और 400 मीटर हीट में हिस्सा लिया लेकिन कुछ खास नहीं कर पाए। लेकिन इस दौरान चैंपियन चार्ल्स जेनकिंस के साथ उनकी मुलाकात से उन्हें काफी प्रेरणा मिली।
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