भाग मिल्खा भाग फिल्म: एक दिग्गज एथलीट की ज़िंदगी के संघर्ष की प्रेरणादायक कहानी

फ़रहान अख़्तर अभिनीत बॉलीवुड फ़िल्म में मिल्खा सिंह के युवावस्था से लेकर एक एथलीट के रूप में अपने करियर में शीर्ष मुक़ाम हासिल करने तक के सफ़र को दिखाया गया है। 

7 मिनटद्वारा रितेश जायसवाल
Poster of Bhaag Milkha Bhaag, the Mikha Singh movie.
(Viacom18)

भारत में सभी लोग मिल्खा सिंह को उस व्यक्ति के तौर पर जानते हैं, जो 1960 के रोम ओलंपिक खेल में इतिहास बनाने के बेहद करीब पहुंचकर चूक गए थे।

भले ही वह 400 मीटर की रेस में चौथे स्थान पर रहे, लेकिन इसके बावजूद वह नेशनल रिकॉर्ड को तोड़ने में सफल रहे। उनकी इस उपलब्धि ने उन्हें भारतीय खेल के शुरुआती नायकों में से एक बना दिया।

हालांकि, बहुत से लोग उनके करियर के इस किस्से से परे उनके बारे में कुछ भी नहीं जानते थे। यही वजह है कि 2013 की बॉलीवुड बायोपिक ‘भाग मिल्खा भाग’ के ज़रिए मिल्खा सिंह के जीवन के संघर्ष और उपलब्धियों को लोगों के सामने लाया गया था।

राकेश ओमप्रकाश मेहरा द्वारा निर्देशित और फ़रहान अख़्तर अभिनीत इस फिल्म ने चैंपियन धावक के सफ़र को बड़े पर्दे पर दर्शाने का काम किया। मिल्खा सिंह पर बनी मूवी में दिखाया गया है कि कैसे एक 12 वर्षीय लड़का देश के विभाजन की भयावहता को अपने दिल में समेटे हुए संघर्ष के पथ पर चलकर आख़िरकार एक स्टार एथलीट बन जाता है।

उस साल यह बायोपिक बॉक्स ऑफिस पर सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्मों में से एक रही, जिसमें सोनम कपूर, दिव्या दत्ता और पवन मल्होत्रा ने भी भारतीय एथलीट के जीवन के कुछ अभिन्न किरदार निभाए हैं।

यह बात शायद बहुत कम लोगों को मालूम होगी कि भाग मिल्खा भाग के कलाकारों में पूर्व भारतीय क्रिकेटर युवराज सिंह के पिता योगराज सिंह भी शामिल हैं।

यह फिल्म मिल्खा सिंह की आत्मकथा, 'द रेस ऑफ माई लाइफ' पर आधारित है।

मिल्खा सिंह मूवी: प्रेरणा से ओत-प्रोत एक रोमांचक कहानी

बॉलीवुड में बायोपिक का एक दौर सा चल रहा है। बीते कुछ वर्षों में लंदन 2012 की कांस्य पदक विजेता **एमसी मैरीकॉम,**भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन और भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान एमएस धोनी जैसे कई सितारों के जीवन पर आधारित फिल्में बनी हैं।

हालांकि, साल 2013 में यह एक अच्छा कॉन्सेप्ट बनकर उभरा था और 'भाग मिल्खा भाग' की सफलता ने बायोपिक्स के लिए एक नया जुनून पैदा किया।

इसकी आकर्षक कहानी ने ख़ास तौर पर लोगों का ध्यान आकर्षित किया। 

फिल्म में मिल्खा सिंह की भूमिका निभाने वाले फ़रहान अख़्तर ने Olympics.com को बताया कि ये अपने में ही ख़ास कहानी थी।

इसकी कहानी अपने आप में एक अविश्वसनीय यात्रा थी। मैं उसी की वजह से आगे बढ़ा और प्रेरित हुआ था। मुझे तभी लगा कि यह एक ऐसी कहानी है, जिसे लोगों तक पहुंचाने की जरूरत है। मैं फिल्म के लिए राकेश के उत्साह और जुनून को महसूस कर सकता था और जानता था कि वह इस प्रोजेक्ट में अपना पूरा ज़ोर लगा देंगे।

इस फिल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के पुरस्कार से नवाज़े गए फ़रहान अख़्तर भी इसकी मुख्य भूमिका में पूरी तरह से फिट बैठे। ऐसा इसलिए भी क्योंकि वह खुद स्कूल में एक धावक रहे थे।

उनके हिस्से की अदाकारी पर निर्देशक का यह मानना था कि इस स्पोर्ट्स ड्रामा से कहीं ज्यादा उनके किरदार ने लोगों के दिलों को छुआ है।

राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने एक इंटरव्यू में कहा, "एक एथलीट के रूप में उनके जीवन ने मुझे बहुत प्रोत्साहित किया है, किसी अन्य कहानी ने मुझपर कभी भी इतना प्रभाव नहीं डाला।”

भाग मिल्खा भाग के निर्देशक राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने आगे कहा, “यह सिर्फ एक स्पोर्ट्स फिल्म नहीं है, यह एक मानवीय कहानी है। खेल तो उस मानव के जीवन में आकस्मिक ही आ जाता है।”

और सबसे जरूरी चीज जो मिल्खा सिंह मूवी को हिट बनाने का काम करती है, वह खुद अभिनेता का गर्मजोशी वाला स्वभाव था।

फ़रहान अख़्तर ने ‘फ्लाइंग सिख’ के बारे में कहा, “वह बहुत ही जमीन से जुड़े हुए, मेहमाननवाज़ और प्यारे इंसान हैं। मुझे एक किस्सा याद है जब वह मुझे ट्रेनिंग दिखाने के लिए मुंबई ले गए थे। मैदान पर कुछ अन्य एथलीट भी प्रशिक्षण ले रहे थे और वे उनका आशीर्वाद लेने के लिए उनके पास आ गए।”

“मिल्खा जी ने उनसे बात करने के लिए अपना समय दिया, उनके खेलों के बारे में पूछा, उन्हें प्रेरित करने के साथ ही उनके सवालों के जवाब दिए। वह काम पर जाने की जल्दी में नहीं लगे और आप उससे बहुत कुछ सीखते हैं। मुझे उनके परिवार से मिलने का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ था, वे सभी भी बहुत विनम्र हैं।”

(Farhan Akhtar)

मिल्खा सिंह का परिवार

फिल्म को मिल्खा सिंह की आत्मकथा पर बनाया गया है, जिसे उन्होंने अपनी बेटी के साथ लिखा था।

उनके बेटे और भारतीय गोल्फर जीव मिल्खा सिंह फिल्म के बनने के दौरान कई बार उपस्थित रहे थे।

ख़ुद फिल्मों के शौकीन जीव मिल्खा सिंह ने Olympics.com को बताया था, “मैं निर्देशक को चुनने और युवाओं और बुजुर्गों तक कैसा संदेश पहुंचाने की जरूरत है, यह सुनिश्चित करने में शामिल रहा था।"

गोल्फ़र जीव मिल्खा सिंह राकेश ओमप्रकाश मेहरा के बहुत बड़े प्रशंसक हैं और जब इस आइडिया के साथ एक पत्र उनके परिवार के पास पहुंचा, तो वे अभिभूत हो गए। इतना कि उन्होंने मात्र एक रुपए के लिए फिल्म के अधिकारों पर हस्ताक्षर कर दिए और निर्माताओं से कहा कि वे इससे होने वाली कुछ आय को 'मिल्खा सिंह चैरिटेबल ट्रस्ट' को दान कर दें।

और जब यह फिल्म बनकर तैयार हुई तो वह उससे भी काफ़ी खुश हुए थे, क्योंकि फिल्म ने मिल्खा सिंह की कड़ी मेहनत के मंत्र को सामने लाने का काम किया।

युवाओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण संदेश यह था कि कड़ी मेहनत का परिणाम अच्छा होता है और आपको उस विश्वास को एक सिस्टम के साथ लागू करना होता है। आपको दृढ़ निश्चयी होना चाहिए और यदि आप कुछ करना चाहते हैं, तो आपको इसके लिए कड़ी मेहनत करनी होगी।- जीव मिल्खा सिंह

फिल्म ने मिल्खा सिंह के जीवन के शुरुआती हिस्से को उनकी सच्ची कहानी के जैसे ही चित्रित किया।

विभाजन का हिस्सा भी बहुत अच्छा था। मुझे लगता है कि मेरे पिता और उनकी पीढ़ी के अन्य लोग उस समय से गुजरे थे। उनके सभी दोस्तों ने दावा किया कि विभाजन के दौरान वास्तव में ऐसा ही हुआ था। मुझे लगता है कि पूरी टीम, राकेश, फरहान, और (लेखक) प्रसून जोशी ने इसे एक बहुत ही प्रेरक फिल्म बनाने में शानदार काम किया। - जीव मिल्खा सिंह

सिनेमाई स्वतंत्रता ने मिल्खा सिंह की बायोपिक में लगाए चार चांद

बड़े पर्दे के अनुकूलन बनाने के लिए फिल्म ‘भाग मिल्खा भाग’ में भी कुछ सिनेमाई स्वतंत्रता (सिनेमैटिक लिबर्टी) ली गई और कुछ पहलुओं को दिलचस्प बनाने के लिए उसपर अधिक काम किया गया।

प्रसिद्ध संगीतकारों की तिकड़ी शंकर-एहसान-लॉय द्वारा रचित साउंडट्रैक ने मिल्खा सिंह की कहानी को विभिन्न बिंदुओं पर नाटकीय ढंग पेश किया। उदाहरण के लिए 1956 के मेलबर्न ओलंपिक में उनका रोमांटिक अंदाज़ और सफल होने का उनका दृढ़ संकल्प।

मिल्खा सिंह ने द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा, “फिल्म के निर्देशन और डायलॉग ने मुझे रुला दिया। मेरे बगल में बैठे फरहान अख्तर को मैंने बधाई दी और कहा, ‘बेटा, तुम मिल्खा सिंह के डुप्लीकेट हो।”

फिल्म के बाद के हिस्से में मिल्खा को अपने नेशनल कोच तक पहुंचते हुए दिखाया गया है, जो किरदार पूर्व क्रिकेटर योगराज सिंह ने निभाया था, यह जानने के लिए कि 400 मीटर वर्ल्ड रिकॉर्ड क्या था।

कोच एक कागज़ के एक टुकड़े पर 45.9 सेकेंड लिख देते हैं, जो अगले साल के लिए इस दिग्गज का एकमात्र लक्ष्य बन जाता है और वह अंत में 45.73 सेकेंड तक पहुंचने में कामयाब रहते हैं।

हालांकि, वास्तव में उस समय यह वर्ल्ड रिकॉर्ड 45.2 सेकेंड का था, जिसे संयुक्त राज्य अमेरिका के लोउ जोन्स ने बनाया था, लेकिन फिल्म को एक बेहतरीन कहानी के तौर पर दिखाने के लिए इसे नाटकीय रूप देने की आवश्यकता थी।

प्रेम का पहलू कुछ ऐसा था जिसके बारे में राकेश ओमप्रकाश मेहरा का मानना है कि कहानी के इस हिस्से को उसके वास्तविक रूप में सामने लाना बहुत जरूरी था।

निर्देशक ने कहा, "हमने रोमांस को उनके कहे अनुसार ही दिखाया। मिल्खा सिंह हमें बताते हैं कि कैसे वह खुद को ईमानदारी आदमी के तौर पर स्थापित करना चाहते थे, ताकि वह प्यार हासिल कर सकें।”

सिनेमैटिक लिबर्टीज़ को एक तरफ रख दें, इस दिग्गज का निर्णय ही काफ़ी मायने रखता था। मिल्खा सिंह शुरुआत में चाहते थे कि अक्षय कुमार उनका किरदार निभाएं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जब उन्होंने फिल्म को देखा तो वे भावुक हो गए थे।

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