टोक्यो पैरालंपिक एथलेटिक्स: देवेंद्र झजारिया, योगेश कथूनिया ने जीता सिल्वर, सुंदर सिंह का कांस्य पर कब्जा
देवेंद्र झजारिया और सुंदर सिंह गुर्जर ने पुरुषों की F46 भाला फेंक में पदक जीते। योगेश कथुनिया ने पुरुषों के F56 डिस्कस थ्रो में सिल्वर हासिल किया।
भारत के देवेंद्र झजारिया (Devendra Jhajaria) ने सोमवार को टोक्यो 2020 पैरालंपिक में पुरुषों की भाला फेंक F46 श्रेणी में सिल्वर हासिल किया। देवेन्द्र की इस जीत की वजह से उनका ख्याति और बढ़ गई है।
देवेंद्र झजारिया दो बार के पैरालंपिक चैंपियन रह चुके है, और इस बार फाइनल में उन्होंने 64.35 मीटर का सर्वश्रेष्ठ थ्रो किया। यह उनका व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ था, उनके इस थ्रो ने उनकेे इससे पहले के विश्व रिकॉर्ड और पैरालंपिक रिकॉर्ड 63.97 मीटर को पीछे छोड़ दिया।
हालांकि, श्रीलंका के दिनेश हेराथ (Dinesh Herath) ने अपनी पूरी कोशिश के साथ 67.79 का सर्वश्रेष्ठ थ्रो किया और नया विश्व रिकॉर्ड बनाते हुए स्वर्ण पदक अपने नाम कर लिया।
सिल्वर मेडलिस्ट देवेंद्र झजारिया का यह तीसरा पैरालंपिक पदक था - जोगिंदर सिंह बेदी (Joginder Singh Bedi) के साथ सिंगल भारतीय एथलीट द्वारा उन्हें सबसे अधिक पैरालंपिक पदक हासिल हुए है। जिन्होंने 1984 पैरालंपिक में दो कांस्य और एक सिल्वर जीता था।
40 वर्षीय देवेंद्र झजारिया ने एथेंस 2004 और रियो 2016 खेलों में स्वर्ण पदक जीते। उन्होंने बीजिंग 2008 और लंदन 2012 में प्रतिस्पर्धा नहीं की क्योंकि उनकी श्रेणी को दो खेलों में सूचीबद्ध नहीं किया गया था।
देवेंद्र ने कहा, "मुझे खुशी है कि मैंने रजत पदक जीता और हेराथ को बधाई, अच्छा प्रदर्शन और एक नया विश्व रिकॉर्ड बनाया। मैं बहुत खुश हूं और मुझे बहुत गर्व है। मैं एक गर्वित भारतीय हूं। मैंने पदकों की हैट्रिक जीती है
"मेरे देश को स्वर्ण पदक की उम्मीद थी, लेकिन मैंने रजत जीता है, लेकिन अगली बार मैं बेहतर करूंगा। मैंने रजत पदक जीता, सुंदर (सिंह गुर्जर) ने कांस्य पदक जीता, और (नीरज) चोपड़ा स्वर्ण पदक विजेता हैं। मैं बहुत खुश हूं।
"भारत को बहुत गर्व है।"
उनके भारतीय साथी सुंदर सिंह गुर्जर (Sundar Singh Gurjar) ने पुरुषों की F46 स्पर्धा में भाला फेंक में 64.01 मीटर के सर्वश्रेष्ठ थ्रो के साथ कांस्य पदक जीता, जो उनका सीजन का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था।
दो बार की भाला फेंक विश्व चैंपियन रहे सुंदर सिंह गुर्जर के लिए यह पहला पैरालंपिक पदक है।
वहीं दूसरी ओर पुरुषों की भाला फेंक F46 श्रेणी में तीसरे भारतीय अजीत सिंह (Ajeet Singh) ने 56.15 मीटर के सर्वश्रेष्ठ थ्रो के साथ आठवें स्थान पर रहे।
F46 क्लास उन एथलीटों के लिए होता है जो जो जन्म से अंग-विच्छेद या छोटे अंगों या अंगों की कमी के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं। एथलीट जिनके हाथ प्रभावित होते हैं वे खेल वर्ग 45-47 में प्रतिस्पर्धा करते है।
योगेश कथुनिया ने भारत के लिए पदक जीता
इस बीच, भारत के योगेश कथुनिया (Yogesh Kathuniya) ने पुरुषों की डिस्कस थ्रो F56 श्रेणी में 44.38 मीटर के सर्वश्रेष्ठ कोशिश के साथ सिल्वर हासिल किया, जो कि इस सीजन का उनका सर्वश्रेष्ठ थ्रो रहा है।
ब्राजील के क्लॉडनी बतिस्ता डॉस सैंटोस (Claudiney Batista dos Santos) ने 45.59 मीटर के पैरालंपिक रिकॉर्ड के साथ और क्यूबा के लियोनार्डो डियाज (Leonardo Diaz) ने 43.36 मीटर के सर्वश्रेष्ठ थ्रो के साथ कांस्य पदक जीता।
सोमवार को भारतीय एथलेटिक्स ने तीन पदक हासिल किए, जिसकी वजह से अब टोक्यो 2020 पैरालंपिक खेलों में भारत की कुल पदक संख्या सात हो गई है। सिंगल पैरालंपिक में उनका अब तक का सर्वश्रेष्ठ पदक रहा।
बता दें कि भारत ने रियो 2016 खेलों में चार पदक जीते थे, जो उनका पिछला सर्वश्रेष्ठ था।
F56 उन स्पोर्ट्स क्लास का हिस्सा है जहां एथलीट मांसपेशियों की शक्ति में कमी, सीमित गति, अंग की कमी या पैरों की लंबाई में अंतर की वजह से वे व्हीलचेयर या थ्रोइंग चेयर पर प्रतिस्पर्धा करते हैं।
F56 वर्ग के एथलीट ट्रंक फंक्शन के अलावा अपने कूल्हों और पैरों को आंशिक रूप से मोड़ सकते हैं।