मैराथन स्विमिंग
आधुनिक ओलंपिक खेलों के पहले तीन संस्करणों में, 1908 में खेलों में पूल को शामिल करने से पहले सभी तैराकी प्रतियोगिताएं पानी के प्राकृतिक स्रोत में हुईं। मैराथन तैराकी 1991 में फिर से सामने आई जब इस डिसिप्लिन को आधिकारिक तौर पर FINA वर्ल्ड तैराकी चैंपियनशिप (जिसे अब वर्ल्ड एक्वेटिक्स चैंपियनशिप के तौर पर जाना जाता है) में शामिल किया गया; उस समय, स्पर्धाएं 25 किमी से अधिक दूरी के लिए आयोजित किए गए थे और इन्हें पूरा होने में पांच घंटे से अधिक का समय लगा था। पहली बार 10 किमी की रेस 2001 में जापान के फुकुओका में वर्ल्ड तैराकी चैंपियनशिप में हुई थी।
नियमों को संक्षिप्त में जानें
मैराथन तैराकी समुद्र, नदियों और झीलों जैसे खुले पानी के वातावरण में होती है। एथलीटों को 10 किमी का कोर्स पूरा करना होता है, जिसे पूरा करने में लगभग दो घंटे लगते हैं; इस खेल में उनके धैर्य, शारीरिक शक्ति और दिमागी शक्ति सबकी परीक्षा होती है।
एडेप्ट (ख़ुद को माहौल में ढ़ालना) करने की क्षमता भी महत्वपूर्ण है; समुद्र की टाइड और लहरें तेजी से बदलती हैं और एथलीटों को अपनी रणनीति बनाने के दौरान इसे ध्यान में रखना चाहिए। इसलिए कोर्स और शर्तों के लिए सही रणनीति का उपयोग करना महत्वपूर्ण है। अंतिम 3 किमी में, तैराक फ़िनिश लाइन की ओर बढ़ना शुरू करते हैं - वे अपने प्रयासों को सही दिशा में कैसे इस्तेमाल करते हैं, यह आवश्यक हो जाता है और अंततः यही अंतिम परिणाम में अहम भूमिका निभाता है।
ओलंपिक इतिहास
जब 2008 में बीजिंग खेलों में 10 किमी की रेस शुरू की गई थी तो मैराथन तैराकी ओलंपिक प्रोग्राम में जोड़ा जाने वाला नवीनतम तैराकी डिसिप्लिन बन गया। इस डिसिप्लिन के संक्षिप्त इतिहास का मतलब है कि कुछ नेशनल ओलंपिक कमेटी और एथलीटों को मैराथन तैराकी में बेहतर प्रदर्शन करने का मौक़ा मिला।
हालांकि, कुछ एथलीट सिर्फ़ मैराथन तैराकी पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जबकि अन्य एथलीट पहले अन्य फ़्रीस्टाइल पूल स्पर्धाओं के माहिर थे, जिससे ये तैराक प्रतिस्पर्धी रूप से अधिक सक्षम बन गए। इसका प्रमुख उदाहरण ट्यूनीशियाई तैराक ओसामा मेलौली हैं, जिन्होंने 2008 में बीजिंग में पुरुषों की 1,500 मीटर फ़्रीस्टाइल स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता और फिर चार साल बाद लंदन में पुरुषों की मैराथन तैराकी स्पर्धा जीती।
पिक्टोग्राम
आधुनिक ओलंपिक खेलों के पहले तीन संस्करणों में, 1908 में खेलों में पूल को शामिल करने से पहले सभी तैराकी प्रतियोगिताएं पानी के प्राकृतिक स्रोत में हुईं। मैराथन तैराकी 1991 में फिर से सामने आई जब इस डिसिप्लिन को आधिकारिक तौर पर FINA वर्ल्ड तैराकी चैंपियनशिप (जिसे अब वर्ल्ड एक्वेटिक्स चैंपियनशिप के तौर पर जाना जाता है) में शामिल किया गया; उस समय, स्पर्धाएं 25 किमी से अधिक दूरी के लिए आयोजित किए गए थे और इन्हें पूरा होने में पांच घंटे से अधिक का समय लगा था। पहली बार 10 किमी की रेस 2001 में जापान के फुकुओका में वर्ल्ड तैराकी चैंपियनशिप में हुई थी।
नियमों को संक्षिप्त में जानें
मैराथन तैराकी समुद्र, नदियों और झीलों जैसे खुले पानी के वातावरण में होती है। एथलीटों को 10 किमी का कोर्स पूरा करना होता है, जिसे पूरा करने में लगभग दो घंटे लगते हैं; इस खेल में उनके धैर्य, शारीरिक शक्ति और दिमागी शक्ति सबकी परीक्षा होती है।
एडेप्ट (ख़ुद को माहौल में ढ़ालना) करने की क्षमता भी महत्वपूर्ण है; समुद्र की टाइड और लहरें तेजी से बदलती हैं और एथलीटों को अपनी रणनीति बनाने के दौरान इसे ध्यान में रखना चाहिए। इसलिए कोर्स और शर्तों के लिए सही रणनीति का उपयोग करना महत्वपूर्ण है। अंतिम 3 किमी में, तैराक फ़िनिश लाइन की ओर बढ़ना शुरू करते हैं - वे अपने प्रयासों को सही दिशा में कैसे इस्तेमाल करते हैं, यह आवश्यक हो जाता है और अंततः यही अंतिम परिणाम में अहम भूमिका निभाता है।
ओलंपिक इतिहास
जब 2008 में बीजिंग खेलों में 10 किमी की रेस शुरू की गई थी तो मैराथन तैराकी ओलंपिक प्रोग्राम में जोड़ा जाने वाला नवीनतम तैराकी डिसिप्लिन बन गया। इस डिसिप्लिन के संक्षिप्त इतिहास का मतलब है कि कुछ नेशनल ओलंपिक कमेटी और एथलीटों को मैराथन तैराकी में बेहतर प्रदर्शन करने का मौक़ा मिला।
हालांकि, कुछ एथलीट सिर्फ़ मैराथन तैराकी पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जबकि अन्य एथलीट पहले अन्य फ़्रीस्टाइल पूल स्पर्धाओं के माहिर थे, जिससे ये तैराक प्रतिस्पर्धी रूप से अधिक सक्षम बन गए। इसका प्रमुख उदाहरण ट्यूनीशियाई तैराक ओसामा मेलौली हैं, जिन्होंने 2008 में बीजिंग में पुरुषों की 1,500 मीटर फ़्रीस्टाइल स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता और फिर चार साल बाद लंदन में पुरुषों की मैराथन तैराकी स्पर्धा जीती।