नीरज चोपड़ा के युग में, किसी अन्य भारतीय भाला फेंक खिलाड़ी के सुर्खियों में आने की कल्पना करना कठिन है, लेकिन ओडिशा के किशोर जेना ने पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के हांगझोऊ में एशियाई खेल 2023 में रजत पदक जीत कर अपना लोहा मनवाया है।
किशोर जेना ने हांगझोऊ में रजत पदक जीतकर हमवतन नीरज चोपड़ा के साथ पोडियम पर जगह बनाई। पुरी के रहने वाले भारतीय भाला फेंक ने मौजूदा ओलंपिक चैंपियन और विश्व चैंपियन को इवेंट के दौरान कठिन चुनौती दी।
हांगझोऊ जाने से पहले जेना को शायद ही भारत में कोई एथलेटिक्स फैन जानते होंगे लेकिन जब वह चीन से लौटे तब वह एक स्टार बन कर लौटे और उनकी प्रशंसा सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में हुई।
जेना ने जैवलिन में अपना करियर बनाने का फैसला कुछ साल पहले ही लिया था और इतने कम समय में किसी भी जैवलिन थ्रोअर के लिए पूरी दुनिया में अपना नाम बनाना बहुत बड़ी बात है।
किशोर कुमार जेना कहां से हैं?
6 सितंबर, 1995 को ओडिशा में पुरी के पास कोठासाही गांव में जन्मे किशोर कुमार जेना धान के किसान केशव जेना और उनकी पत्नी हरप्रिया के सात बच्चों में सबसे छोटे हैं, उनकी छह बहनें हैं।
अपने परिवार का समर्थन करने के प्रयास में, जेना ने खेल को करियर विकल्प के रूप में चुना। उनका लक्ष्य खेल कोटा के माध्यम से भारतीय सेना में नौकरी पाने का था।
हालांकि, भाला फेंक उनकी पहली पसंद नहीं थी। उनकी पहली पसंद वॉलीबॉल था। वॉलीबॉल खिलाड़ी के रूप में उनकी प्रतिभा ने उन्हें भुवनेश्वर में ओडिशा सरकार के स्पोर्ट्स हॉस्टल में पहुंचा दिया।
यहीं पर किशोर जेना को पूर्व ओडिशा राज्य चैंपियन लक्ष्मण बराल ने भाला फेंक से रूबरू कराया था। जेना को वॉलीबॉल खेलते हुए देखकर प्रभावित होकर, बराल ने उन्हें बांस से बना भाला भेंट किया, जिसकी कीमत 250 रुपये यानी लगभग 3 अमेरिकी डॉलर थी।
अपनी वॉलीबॉल प्रैक्टिस जारी रखने के अलावा, जेना ने भुवनेश्वर स्पोर्ट्स हॉस्टल में कोच नीलामाधब देव के साथ भाला फेंक में प्रशिक्षण शुरू किया और कॉलेज स्पर्धाओं में कई पदक जीते।
इस बीच, जेना की लंबाई ने वॉलीबॉल खिलाड़ी के रूप में उनके विकास में बाधा डाली। उनकी लंबाई 5 फीट 8 इंच है। यही वह समय था जब ओडिशा के एथलीट ने भाला फेंक पर अधिक ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया। उन्होंने साल 2017 में 72.77 मीटर थ्रो के साथ राज्य रिकॉर्ड को अपने नाम कर लिया।
यह भाला फेंक में उनकी प्रतिभा ही थी जिसने उन्हें साल 2018 में भोपाल में केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) में नौकरी दिला दी। जेना को अपने परिवार का समर्थन करने के लिए रोजगार की बहुत आवश्यकता थी क्योंकि उनके पिता केशब उसी साल एक दुर्घटना का शिकार हो गए थे। जिसके कारण वह आंशिक रूप से अपाहिज हो गए और खेती करने में असमर्थ हो गए।
इस बीच जेना अपनी नौकरी पर ध्यान केंद्रित कर रहे थे और पुलिस प्रतियोगिताओं में पदक जीत रहे थे। CISF में थ्रोइंग इवेंट के कोच जगबीर सिंह को यकीन था कि किशोर जेना बड़ी और बेहतर चीजों के लिए बने हैं।
जेना ने न्यू इंडियन एक्सप्रेस से कहा, "उन दिनों मेरी नौकरी के अलावा कुछ भी सही नहीं चल रहा था। दुर्घटना के बाद मेरे पिता काफी गंभीर रुप से अस्वस्थ थे। मैं अपने खेल पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रहा था और पारिवारिक जिम्मेदारियां बढ़ती जा रही थीं।”
उनकी मानसिक स्थिति के कारण जेना को किसी भी स्पर्धा में 75 मीटर का आंकड़ा पार करने में संघर्ष करना पड़ा। हालांकि, जगबीर सिंह ने विश्वास बनाए रखा और जेना से वादा किया कि अगर वह इस बाधा को पार कर सके तो वह उन्हें पटियाला में राष्ट्रीय शिविर के लिए सिफारिश करेंगे।
जेना ने साल 2021 में ओडिशा राज्य चैंपियनशिप में 76 मीटर से अधिक थ्रो करके कट हासिल किया और अगले वर्ष जून में चेन्नई में अंतर-राज्य चैंपियनशिप में 77 मीटर से अधिक दूरी का थ्रो करके राष्ट्रीय शिविर में जगह बनाई।
यह जेना के लिए गेम-चेंजर साबित हुआ। एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप के कांस्य पदक विजेता समरजीत सिंह मल्ही की ;कोचिंग में उन्हें उचित आहार और प्रशिक्षण कार्यक्रम मिला, जो उन्हें उनकी वित्तीय कठिनाइयों के कारण नहीं मिल पा रहा था।
किशोर जेना अब सभी बाधाओं को पार करते गए और उनको सफलता मिलती गईं।
किशोर जेना का सर्वश्रेष्ठ थ्रो
साल 2022 में बेंगलुरु में नेशनल ओपन एथलेटिक्स चैंपियनशिप के अपने आखिरी प्रतिस्पर्धी मुकाबले में जेना ने 78.05 मीटर के नए व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ के साथ कांस्य पदक जीता।
साल 2023 में जेना अपने खेल को एक अलग स्तर पर ले गए। उन्होंने बेल्लारी में इंडियन ओपन थ्रो प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक के साथ सीजन की शुरुआत की, इस इवेंट में उन्होंने व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ 78.93 मीटर का थ्रो किया।
तिरुवनंतपुरम में 2023 इंडियन ग्रां प्री में, किशोर जेना ने पहली बार 80 मीटर के बाधा को पार किया। उन्होंने 81.05 मीटर थ्रो के साथ एक और स्वर्ण पदक जीता।
उन्होंने भुवनेश्वर में नेशनल इवेंट में 82.87 मीटर के थ्रो के साथ रजत पदक अपने नाम किया। इसके बाद उन्होंने श्रीलंका नेशनल में पुरुषों की भाला फेंक प्रतियोगिता में 84.38 मीटर के थ्रो के साथ आसान जीत हासिल की।
इसके बाद जेना ने अपने शानदार प्रदर्शन के दम पर हंगरी के बुडापेस्ट में विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2023 के लिए जगह बनाई।
समय पर वीज़ा नहीं मिलने के कारण जेना की बुडापेस्ट की फ्लाइट लगभग छूट गई थी, लेकिन भारत सरकार के हस्तक्षेप के बाद उन्होंने बुडापेस्ट की यात्रा की।
नीरज चोपड़ा ने भी जेना को वीज़ा दिलाने में मदद करने में बड़ी भूमिका निभाई थी। किशोर जेना अपने से उम्र में बड़े होने के बावजूद नीरज चोपड़ा को अपना आदर्श मानते हैं।
जेना ने द हिंदू को बताया "जब मेरे वीज़ा मुद्दे के दौरान नीरज भाई ने मुझे व्यक्तिगत रूप से मैसेज भेजा और मुझे चिंतित न होने के लिए कहा, तो मैं बहुत प्रभावित हुआ। यह एक मुश्किल पल था और मैं अपने वीज़ा को लेकर तनाव में था, लेकिन उन्होंने मुझसे बात की और मुझे आश्वासन दिया कि मैं टीम में शामिल होऊंगा। वह पूरे समय लगातार मेरे साथ थे और मैं उनके हाव-भाव से बहुत प्रभावित हुआ।''
अपनी पहली बड़ी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लेते हुए, किशोर जेना ने धैर्य बनाए रखा और एक और प्रभावशाली प्रदर्शन किया। जहां चोपड़ा ने बुडापेस्ट में प्रतियोगिता जीती, वहीं जेना ने 84.77 मीटर की दूरी तय की, जो एक और व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ है, और वह एक अन्य भारतीय पुरुष भाला फेंक डीपी मनु से थोड़ा आगे रहते हुए पांचवें स्थान पर रहे।
बुडापेस्ट में जेना का थ्रो चेक रिपब्लिक के कांस्य पदक विजेता जैकब वाडलेज्च से सिर्फ 1.90 मीटर कम था। हालांकि, किशोर जेना का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन अभी आना बाकी था।
किशोर जेना ने हांगझोऊ 2023 में मनु डीपी को पीछे छोड़ते हुए नीरज चोपड़ा के बाद टीम में जगह बनाने वाले दूसरे भारतीय पुरुष भाला फेंक खिलाड़ी बनें। किशोर जेना ने एशियन गेम्स के अपने डेब्यू में रजत पदक जीतकर एक शानदार उपलब्धि हासिल की।
जहां नीरज चोपड़ा ने 88.88 मीटर थ्रो के साथ स्वर्ण पदक हासिल किया, वहीं जेना ने उसी प्रतियोगिता में दो बार अपने व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ को पीछे छोड़ते हुए हुए बाज़ी मार ली।
जीना ने अपने तीसरे थ्रो में 86.77 मीटर की दूरी तय की और लीडरबोर्ड में अस्थायी रूप से चोपड़ा को पछाड़ दिया। जेना ने अपने चौथे प्रयास में अपने व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ को 87.54 मीटर के थ्रो के साथ बेहतर किया, लेकिन उसी क्रम में चोपड़ा ने 88.88 मीटर का थ्रो किया और उनसे आगे निकल गए।
87.54 मीटर का प्रयास किसी भी भारतीय भाला फेंक एथलीट द्वारा दर्ज किया गया दूसरा सर्वश्रेष्ठ आंकड़ा था। सिर्फ नीरज चोपड़ा, जिनका व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ 89.94 मीटर राष्ट्रीय रिकॉर्ड है, बेहतर थ्रो करने में सफल रहे हैं।
अपने एशियन गेम्स के शानदार प्रदर्शन के कारण, किशोर जेना ने पेरिस 2024 ओलंपिक के लिए कोटा हासिल किया, लेकिन अपने ओलंपिक डेब्यू में वह फाइनल में जगह बनाने में असफल रहे।
किशोर जेना के पदक और उनकी उपलब्धियां
- एशियाई खेल - रजत पदक (2023)
- विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप - पांचवां स्थान (2023)
- व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ - 87.54 मीटर (किसी भारतीय भाला फेंक खिलाड़ी द्वारा दूसरा सर्वश्रेष्ठ आंकड़ा)