फुटबॉल में वीएआर क्या है, यहां विस्तार से जानें

VAR या वीडियो असिस्टेंट रेफरी एक तकनीकी सहायता प्रणाली है, जिसका उद्देश्य फुटबॉल मैच में ऑन-फील्ड रेफरी की मदद करना है।

4 मिनटद्वारा सतीश त्रिपाठी
Referee Daniel Siebert reviews the video assistant referee for a possible penalty incident the during the FIFA World Cup Qatar 2022 Group H match between Ghana and Uruguay at Al Janoub Stadium on December 02, 2022.
(Getty Images)

पिछले कुछ वर्षों में, वीडियो असिस्टेंट रेफरी या VAR फुटबॉल मैचों का एक अहम हिस्सा बन गया है।

दुनिया की सबसे बड़ी फुटबॉल प्रतियोगिताएं, जैसे कि प्रीमियर लीग, बुंदेसलीगा, यूरो और फीफा वर्ल्ड कप ने भी वीएआर को अपनाया है।

फुटबॉल में वीएआर क्या है

फुटबॉल में वीएआर एक तकनीकी सहायक प्रणाली है जो फुटबॉल मैच के महत्वपूर्ण मौकों पर मैदान पर मौजूद रेफरी को सटीक निर्णय लेने में मदद करती है।

VAR टीम रिमोटली कई स्क्रीन पर खेल की निगरानी करती है और कई कैमरा एंगल्स के जरिए मैच का रियल-टाइम वीडियो फुटेज देखती है।

आमतौर पर, VAR टीम में एक VAR अधिकारी (जो एक पूर्व या वर्तमान रेफरी हो सकता है), तीन सहायक वीडियो सहायक रेफरी (AVARs) और एक वीडियो रिप्ले ऑपरेटर शामिल होते हैं। ये सभी मिलकर फुटबॉल मैच के महत्वपूर्ण पलों पर निगरानी रखते हैं।

हॉकी या क्रिकेट जैसे अन्य खेलों से अलग, जहां रेफरी या खिलाड़ी को वीडियो रिव्यू की मांग करनी पड़ती है, VAR लगातार खेल पर नजर रखता है और अगर उसे लगता है कि खेल के दौरान कोई गलत निर्णय लिया गया है, तो वह रेफरी को खुद ही अलर्ट कर देता है।

हालांकि, VAR केवल चार विशेष स्थितियों में ही हस्तक्षेप कर सकता है, जब कोई 'स्पष्ट और गंभीर गलती' या 'गंभीर छूटी हुई घटना' हो सकती है।

  • गोल या गोल नहीं: इसमें ऑफसाइड, पेनल्टी के समय लाइन पार करना और बॉल ने लाइन को पार किया या नहीं, इसकी जांच होती है।
  • पेनल्टी या नहीं: इसमें बॉक्स के अंदर संपर्क हुआ या नहीं, फाउल सही था या गलत और कहीं डाइविंग तो नहीं हुई, इसकी जांच होती है।
  • सीधे रेड कार्ड (दूसरा येलो नहीं): इसमें यह देखा जाता है कि फाउल इतना गंभीर था कि रेड कार्ड दिया जाए, कहीं गलत खिलाड़ी को तो नहीं भेजा गया, या फाउल गलत तरीके से दिया गया।
  • गलत पहचान: इसमें जांच होती है कि कहीं रेफरी ने गलत खिलाड़ी को तो बाहर नहीं भेजा।

एक ऑन-फील्ड रेफरी केवल तभी VAR जांच की मांग कर सकता है जब उसने एक निर्णय ले लिया हो। अगर रेफरी VAR जांच की मांग नहीं करता है, तो सिस्टम उसके ईयरपीस के माध्यम से अलर्ट कर सकता है यदि कोई स्पष्ट गलती हुई हो।

इन मामलों में, रेफरी VAR की सिफारिश के आधार पर अपने निर्णय को बदलने या पलटने का विकल्प चुन सकता है (VAR-केवल रिव्यू) या घटना का फुटेज खुद फील्ड-साइड मॉनिटर पर देख सकता है (ऑन-फील्ड रिव्यू)।

दोनों ही मामलों में, अंतिम निर्णय ऑन-फील्ड रेफरी के पास होता है, जबकि VAR केवल सिफारिशें और सलाह दे सकता है।

VAR की शुरुआत कैसे हुई और पूरा इतिहास

VAR का आईडिया साल 2010 में नीदरलैंड फुटबॉल एसोसिएशन (KNVB) द्वारा तैयार किए गए Refereeing 2.0 प्रोजेक्ट के तहत पहली बार सामने आया। इसका उद्देश्य फुटबॉल रेफरी द्वारा मैदान पर निर्णय लेने में तकनीक का प्रभावी उपयोग करना था ताकि गलतियों की संख्या कम की जा सके।

गोल-लाइन तकनीक, जो इसी प्रोजेक्ट का हिस्सा थी, इसने जल्दी ही लोकप्रियता हासिल की और 2012 में FIFA द्वारा स्वीकार की गई। जबकि VAR को प्रचलन में आने में अधिक समय लगा।

कई मॉक ट्रायल के बाद, VAR प्रणाली का पहला लाइव ट्रायल जुलाई 2016 में पीएसवी और एफसी आइंडहोवन के बीच एक फ्रेंडली मैच में किया गया। अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल में, VAR का पहला उपयोग 1 सितंबर 2016 को इटली और फ्रांस के बीच एक फ्रेंडली मैच में हुआ।

वीडियो असिस्टेंट रेफरी (VAR) का पहला आधिकारिक उपयोग 21 सितंबर 2016 को KNVB कप के पहले राउंड में अजाक्स और विलेम II के बीच मुकाबले में हुआ। यह पहली बार था जब पिचसाइड मॉनिटर का उपयोग किया गया। साल 2017 में फीफा कन्फेडरेशन कप में VAR का उपयोग अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में पहली बार हुआ।

ऑस्ट्रेलिया की ए-लीग ने 2017 में VAR को अपनाया, जिसके बाद अमेरिका की मेजर लीग सॉकर (MLS) ने भी इसे लागू किया। यूरोप में, जर्मनी की बुंदेसलीगा और इटली की सेरी ए ने 2017-2018 सीजन में VAR को अपनाया, जबकि स्पेन की लालीगा और फ्रांस की लीग 1 ने 2018-2019 में इसे पेश किया।

इंग्लैंड की प्रीमियर लीग ने 2019-20 सीजन में VAR को लागू किया। 2018 में रूस में हुए फीफा वर्ल्ड कप में VAR का उपयोग एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ और इसके बाद UEFA चैंपियंस लीग में 2018-19 में इस सिस्टम को शामिल किया गया।

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