भारतीय निशानेबाज अभिनव बिंद्रा और ट्रैक-एंड-फील्ड स्टार नीरज चोपड़ा क्रिकेट के दीवाने भारत देश में किसी अलग खेल को करियर के तौर पर चुनने के लिए एक रोल मॉडल के तौर पर विशेष स्थान रखते हैं।
ऐसा होना लाजमी भी है क्योंकि भारत की आजादी के 75 वर्षों और ओलंपिक में भारत के इतिहास के 100 से अधिक वर्षों के बाद अभिनव बिंद्रा और नीरज चोपड़ा ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों में व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतने वाले एकमात्र भारतीय हैं।
शनिवार को लुसाने में ओलंपिक संग्रहालय में अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति द्वारा आयोजित एक बैठक में दोनों भारतीय दिग्गजों ने भारतीय खेल को ध्यान में रखते हुए उनके द्वारा जीते गए स्वर्ण पदकों से पड़ने वाले प्रभाव पर चर्चा की।
नीरज चोपड़ा ने जूनियर और सीनियर प्रतियोगिताओं में वैश्विक स्तर पर भारतीय जैवलिन थ्रोअर के हालिया प्रदर्शन को देखते हुए कहा, "मुझे लगता है कि हमें यह जानने के लिए एक और दशक की जरूरत नहीं है कि क्या कुछ बदला है।"
2021 से पहले नीरज चोपड़ा 80 मीटर से अधिक दूरी तक भाला फेंकने वाले एकमात्र भारतीय भालाफेंक थे। उनके बाद 23 साल से कम उम्र के साहिल सिलवाल (पीबी 80.65 मीटर), रोहित यादव (पीबी 81.83 मीटर), डीपी मनु (पीबी 82.43 मीटर) और यशवीर सिंह (पीबी 82.13 मीटर) पिछले डेढ़ साल में इस शीर्ष क्लब में शामिल हुए हैं।
नीरज चोपड़ा ने भारत में और उसके बाहर भाला फेंक प्रतियोगिताओं में भारत की तरक्की पर टिप्पणी करते हुए कहा, "पहली बार चार जैवलिन थ्रोअर हैं, जिन्होंने लगभग एक साल में 80 मीटर का आंकड़ा पार किया है।"
नीरज चोपड़ा ने बताया, “दो भारतीय पुरुष जैवलिन थ्रोअर ने वर्ल्ड चैंपियनशिप के फाइनल में जगह बनाई और अन्नू रानी ने बर्मिंघम में राष्ट्रमंडल खेल 2022 में महिलाओं की भाला फेंक प्रतियोगिता में भारत का पहला पदक (कांस्य) जीता। इसलिए हम निश्चित रूप से एक बदलाव देख रहे हैं।”
टोक्यो ओलंपिक में नीरज चोपड़ा के स्वर्ण पदक ने कई युवाओं को भारतीय खेलों में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। नीरज चोपड़ा पिछले साल गूगल पर भारत में सबसे ज्यादा सर्च किए जाने वाले स्पोर्ट्स खिलाड़ी थे।
युवाओं को सफलता हासिल करने का मंत्र देते हुए नीरज चोपड़ा ने कहा कि सभी को अपने करियर की शुरुआत में एक अच्छा कोच या गाइड ढूंढना बहुत जरूरी है।
“भाला फेंक एक बहुत ही तकनीकी खेल है इसलिए आपको अपना आधार मजबूत करना बहुत जरूरी है। मैंने कई बच्चों को गलत तकनीक के आदी होते देखा है, जिसे बाद में बदलना बहुत मुश्किल हो जाता है।”
जहां तक मानसिक पहलू का सवाल है, नीरज चोपड़ा ने कहा कि ओलंपिक हर चार साल में आयोजित किया जाता है, ऐसे में एक एथलीट को हर साल ठीक वैसा ही प्रशिक्षण लेना पड़ता है।
“हम न केवल ऑन-फील्ड प्रदर्शन से प्रभावित होते हैं, बल्कि प्रशिक्षण में एक दिन की छुट्टी भी हमें डिमोटिवेट महसूस करा सकती है। यह एक बैकस्टोरी है जिसके बारे में केवल एथलीट ही जानते हैं। इसलिए जोश को बढ़ाए रखना और अगले दिन का इंतजार करना बहुत जरूरी हो जाता है।”
नीरज चोपड़ा के 7 अगस्त, 2021 को ओलंपिक स्वर्ण जीतने के बाद भारतीय एथलेटिक्स महासंघ (AFI) ने हर साल इस दिन को नेशनल जैवलिन डे के रूप में मनाने का फैसला किया। एएफआई की वेबसाइट के अनुसार, इस साल 7 अगस्त को नेशनल फेडरेशन से जुड़े 32 भारतीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की इकाइयों ने जैवलिन प्रतियोगिताओं का आयोजन किया है।
2008 में भारत का पहला ओलंपिक स्वर्ण पदक जीतने वाले निशानेबाज अभिनव बिंद्रा ने कहा कि ओलंपिक स्वर्ण पदक न केवल भारतीय खेल तंत्र को प्रशासनिक स्तर पर बल्कि जमीनी स्तर पर भी बेहतर काम करने के लिए प्रेरित करते हैं।
उन्होंने कहा, “खेल में रुचि का स्तर (नीरज चोपड़ा के ओलंपिक स्वर्ण के बाद) अब बहुत अधिक है। बहुत सारे छोटे बच्चे प्रेरित हो रहे हैं।"
अभिनव बिंद्रा ने कहा कि जब उन्होंने 2008 में बीजिंग ओलंपिक में 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा जीती थी, तब उन्होंने पूरे देश में एक जैसा देखा था।
उन्होंने कहा, “जब मैंने 2008 में स्वर्ण जीता था तब भी ऐसा ही था। 2008 से पहले जब हमारे लिए शूटिंग नेशनल्स हुआ करते थे, तो लगभग 200 उम्मीदवार हिस्सा लेते थे। आज लगभग 10,000 लोग इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए आते हैं। इसलिए मुझे लगता है कि ट्रैक और फील्ड के विभिन्न खेलों में यह एक जैसी ही प्रक्रिया होगी।"
भारतीय निशानेबाज गगन नारंग और विजय कुमार ने लंदन 2012 में दो पदक जीते थे, लेकिन हम उसके बाद से ओलंपिक पदक नहीं जीत पाए हैं। हालांकि, भारतीय निशानेबाजों ने कई शूटिंग वर्ल्ड कप और वर्ल्ड चैंपियनशिप इवेंट में शानदार प्रदर्शन किया है और रैंकिंग में भी शीर्ष स्थान हासिल किया है।