ओलंपिक में भारत का प्रदर्शन: बीजिंग 2008 में अभिनव बिंद्रा ने रचा था सुनहरा इतिहास

बॉक्सिंग, शूटिंग और रेसलिंग, तमाम मुश्किलों को पार करते हुए भारत के लिए यह अब तक का सर्वश्रेष्ठ ओलंपिक है।

5 मिनटद्वारा लक्ष्य शर्मा
बीजिंग 2008 में अभिनव बिंद्रा ने जीता था भारत के लिए पहला ओलंपिक व्यक्तिगत गोल्ड मेडल 

उस समय तक भारत 57 एथलीट्स के साथ अपना सबसे बड़ा दल लेकर बीजिंग 2008 गया था और वापसी के समय वह अब तक का सर्वश्रेष्ठ ओलंपिक साबित हुआ। अभिनव बिंद्रा(Abhinav Bindra) के रूप में भारत ने अपना पहला व्यक्तिगत गोल्ड मेडल जीता

गोल्ड मेडल के अलावा भारत ने 2 कांस्य पदक भी अपने नाम किए। इस तरह भारत ने साल 1900 के पेरिस ओलंपिक में किए अपने प्रदर्शन को पीछे छोड़ दिया था, उस ओलंपिक में नॉर्मन प्रिचर्ड (Norman Pritchard ) ने दो रजत पदक जीते थे। इसके अलावा साल 1952 के हेलसिंकी ओलंपिक में भारत की पुरुष हॉकी टीम ने गोल्ड और दादासाहेब जाधव (Dadasaheb Jadhav) ने कांस्य पदक अपने नाम किए थे।

बीजिंग 2008 के बाद भारत ने अगले सीजन में मेडल्स की संख्या डबल करते हुए 6 पदक जीतकर देश का नाम दुनिया में रोशन किया।

पदक जीतने वाले खिलाड़ी

ज्यादातर भारतीय के लिए बीजिंग 2008 हमेशा शूटर अभिनव बिंद्रा के गोल्ड मेडल के लिए याद किया जाएगा।

2 बार के कॉमनवेल्थ गेम्स के स्वर्ण पदक विजेता अभिनव बिंद्रा ने इस इवेंट के क्वालिफिकेशन राउंड को बड़ी मुश्किल से पार किया, लेकिन जब फाइनल में पहुंचे तो उन्होंने किसी भी राउंड में 10 से कम स्कोर हासिल नहीं किया और अंत में उनका स्कोर 10.8 रहा।

बिंद्रा का 10 मीटर मेंस एयर राइफल में आखिरी स्कोर 700.5 रहा और उन्होंने 2004 एथेंस के गोल्ड मेडलिस्ट झू किनान (Zhu Qinan) को पीछे छोड़ा।

क्वालिफाइंग राउंड के टॉपर फिनलैंड के हेनरी हक्किनन (Henri Hakkinen) ने भी अभिनव बिंद्रा को कड़ी चुनौती दी लेकिन अंत में उनका स्कोर भी 9.7 रहा इस उपलब्धि के कारण अभिनव बिंद्रा पूरे देश में छा गए। साल 1980 के बाद से चल रहे भारत के सूखे को भी बिंद्रा ने खत्म कर दिया।

अभिनव बिंद्रा के गोल्ड मेडल जीतने की खुशी देश मना ही रहा था कि बॉक्सर विजेंदर सिंह (Vijender Singh’s) ने 9 दिन बार मिडिलवेट कैटेगिरी में कांस्य पदक अपने नाम किया।

साल 2006 के कॉमनवेल्थ गेम्स के सिल्वर मेडलिस्ट ने आसानी से राउंड 32 और राउंड 16 में अपनी जगह बनाई। इन दोनों राउंड में उनका स्कोर 13-2 और 13-3 रहा। इसके बाद क्वार्टर फाइनल में इक्वाडोरियन साउथपॉ के कार्लोस गोंगोरा को 9-4 से हराकर भारत का बॉक्सिंग में पहला ओलंपिक  पदक पक्का कर दिया

कड़े मुकाबले के बावजूद विजेंदर सिंह सेमीफाइनल में एमिलियो कोरीया (Emilio Correa) की चुनौती से पार नहीं पा सके और 5-8 से हार गए लेकिन ये हरियाणावी खिलाड़ी के पास भारत लौटते समय कांस्य पदक जरूर था

सुशील कुमार (Sushil Kumar) ने 2 साल पहले एशियन गेम्स में कांस्य पदक जीता था। वहीं जब वह 2008 बीजिंग में हिस्सा लेने गए तो शुरुआत में उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। 66 किलोग्राम वर्ग के शुरुआती मुकाबलों में वह यूक्रेन के एंड्री स्टैडनिक (Andriy Stadnik) से हार गए।

इसके बावजूद पहले और दूसरे रेपेचेज में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद वह कांस्य पदक जीतने में सफल रहे। इस खिलाड़ी ने टीम मैनेजर और पूर्व एशियन मेडलिस्ट करतार सिंह की मौजूदगी के बिना कज़ाख़िस्तान के लियोनिद स्पिरिडोनोव (Leonid Spiridonov) को 3-1 से मात दी और विजेंदर सिंह की तरह उसी दिन कांस्य पदक हासिल किया।

अभी तक के करीब

जहां एक तरफ अभिनव बिंद्रा, विजेंदर सिंह और सुशील कुमार ने मेडल जीते, तो और कई खिलाड़ी भी दिल जीतने में सफल रहे।

छठी वरीयता प्राप्त महिला तीरंदाजी टीम की डोला बनर्जी (Dola Banerjee), बोम्बायला देवी (Bombayala Devi) और प्रणिता वर्धनेनी (Pranitha Vardhineni) ने क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई, लेकिन चीन द्वारा सेमीफाइनल में हार का सामने करने के कारण वह पदक जीतने से चूक गई।

सेमीफाइनल में जगह बनाने से चूकने वाली एथलीट मनदीप कौर (400 मीटर)(Mandeep Kaur) छठे स्थान पर रहीं तो साथी गीता(Sathi Geetha), मनजीत कौर(Manjeet Kaur), सिनी जोस (Sini Jose), चित्रा सोमन(Chitra Soman) और मनदीप कौर (Mandeep Kaur) ने 4x400 मीटर रिले ने 7वां स्थान हासिल किया।

इसके अलावा साइना नेहवाल (Saina Nehwal) ने शानदार तरीके से ओलंपिक का आगाज किया लेकिन क्वार्टर फाइनल अच्छी शुरुआत के बावजूद वह अपनी लय बरकरार नहीं रख पाईं। पहला गेम जीतने के बाद उन्हें अगले दोनों गेम में हार का सामना करना पड़ा और अंत में वह इंडोनेशिया की मारिया क्रिस्टिन यूलियांटी (Maria Kristin Yulianti) से 28-26, 14-21, 15-21 से हार गई।

विजेंदर सिंह ने तो मिडिलवेट कैटेगिरी में कमाल किया लेकिन वहीं अन्य बॉक्सर जितेंदर कुमार (Jitender Kumar) ने फ्लाईवेट और अखिल कुमार (Akhil Kumar) ने बैंटमवेट कैटेगिरी में हिस्सा लिया। दोनों ही खिलाड़ी मेडल जीतने के करीब थे लेकिन दोनों को ही क्वार्टर फाइनल में हार का सामना करना पड़ा।

गगन नारंग (Gagan Narang) जिन्होंने साइना नेहवाल की तरफ 2012 ओलंपिक में कांस्य पदक जीता लेकिन साल 2008 में वह अभिनव बिंद्रा की तरह 10 मीटर एयर राइफल क्वालिफाइंग में संघर्ष करते नजर आए, जहां बिंद्रा ने इसके बाद शानदार वापसी की तो गगन को 9वें स्थान से संतोष करना पड़ा।

(Getty Images)

अंत में मशहूर जोड़ियों में शुमार लिएंडर पेस (Leander Paes) और महेश भूपति (Mahesh Bhupathi) भी आशा के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर पाए और क्वार्टर फाइनल मुकाबले में रोजर फेडरर (Roger Federer) और स्टेन वावरिंका (Stan Wawrinka) की स्विस जोड़ी से हार गए।

टोक्यो 2020 की उम्मीदें

भारत के लिए बीजिंग 2008 ओलंपिक शुरुआत थी तो 2012 लंदन बेस्ट था लेकिन 2016 रियो ओलंपिक में एक बार फिर गिरावट देखने को मिली।

रियो ओलंपिक की निराशा से भारत को काफी कुछ सीखने को मिला और अब पीवी सिंधु (PV Sindhu) और मनु भाकर (Manu Bhaker), मैरीकॉम (Mary Kom) और बाकी सभी टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालिफाई कर चुके खिलाड़ियों से काफी उम्मीदें हैं। पूरा देश उम्मीद कर रहा है कि 2008 बीजिंग की तरफ एक बार फिर भारतीय एथलीटों से शानदार प्रदर्शन देखने को मिलेगा

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