अभिनव बिंद्रा ने 2008 में तब भारतीय खेल इतिहास में एक अलग मुक़ाम हासिल किया था जब वह ओलंपिक में भारत के लिए पहले व्यक्तिगत स्वर्ण पदक विजेता बने थे। ये एक ऐसा रिकॉर्ड है जो अभी भी उनके ही नाम है।
बीजिंग 2008 में पुरुषों की एयर राइफल स्पर्धा में उनकी जीत ने न केवल भारत को अंतरराष्ट्रीय शूटिंग मानचित्र पर खड़ा किया था, बल्कि देश में इस खेल को एक बड़ी प्रेरणा भी मिली थी।
अभिनव बिंद्रा के शानदार करियर में ओलंपिक स्वर्ण पदक का मुक़ाम सबसे ऊपर है, बिंद्रा के गौरवशाली करियर में ओलंपिक गोल्ड के अलावा कॉमनवेल्थ गेम्स और एशियन गेम्स के साथ साथ वर्ल्ड चैम्पियनशिप का स्वर्ण और कई पदक शामिल हैं।
28 सितंबर 1982 को देहरादून में जन्मे इस ओलंपिक चैंपियन ने बेहद कम उम्र में ही टेलीविजन पर देख देख कर निशानेबाज़ों से प्रेरणा ली थी।
क़ामयाबी जल्द ही उनकी राह में आने लगी थी, इस भारतीय निशानेबाज़ ने 1998 कॉमनवेल्थ गेम्स में 15 साल की उम्र में ही हिस्सा लिया था और फिर 2000 में सबसे कम उम्र के भारतीय प्रतिभागी के तौर पर सिडनी ओलंपिक में भी देश का प्रतिनिधित्व किया।
इनकी क़ामयाबियों का नतीजा था किअभिनव बिंद्रा को 2000 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया, और एक साल बाद 18 साल की उम्र में वह राजीव गांधी खेल रत्न पाने वाले सबसे कम उम्र के एथलीट बने।
अभ्यास एक प्रतिभा है। दृढ़ता एक प्रतिभा है। कड़ी मेहनत एक प्रतिभा है।
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