जानिए कब-कब ओलंपिक में भारतीय एथलीट्स चौथे स्थान पर रहे

कई भारतीय एथलीट्स जो पदक जीतने के काफी करीब पहुंच गए थे, जिनमें मिल्खा सिंह, पीटी उषा और सानिया मिर्जा के नाम शामिल हैं, जिन्होंने ओलंपिक में चौथा स्थान हासिल किया।

8 मिनटद्वारा रितेश जायसवाल
Indian women's hockey team finished fourth at Tokyo 2020 Olympics.
(getty images)

ओलंपिक में प्रतिस्पर्धा करना काफी चुनौतीपूर्ण है, जहां एक चूक की कीमत खिलाड़ी को मेडल गंवाकर चुकानी पड़ती है।

ये दुर्भाग्य ही है जब ऐसे कई मौके आए, जब भारतीय खिलाड़ी पदक के करीब तो पहुंचे, लेकिन उसे हासिल नहीं कर पाए। जिसमें अर्जुन बाबूता का मेडल से चूक जाना सबसे हालिया उदाहरण है, जो पुरुषों की 10 मीटर एयर राइफल शूटिंग में सिर्फ 1.4 अंक से पीछे रहते हुए चौथे स्थान पर रहे और पदक के बेहद करीब पहुंचकर उसे हासिल नहीं कर सके।

यहां उन भारतीयों की सूची दी गई है जो ओलंपिक खेलों में चौथे स्थान पर रहे हैं।

दिनकरराव शिंदे - 1920 एंटवर्प ओलंपिक, पुरुषों की 54 किग्रा फ्रीस्टाइल कुश्ती

1920 के एंटवर्प ओलंपिक की बात करें तो उस वक्त पुरुषों के फेदरवेट फ्रीस्टाइल डिवीजन में कांस्य पदक प्लेऑफ मैच में भारतीय पहलवान दिनकरराव शिदें को ग्रेट ब्रिटेन के फिलिप बर्नार्ड से हार झेलनी पड़ी थी, जबकि उन्होने क्वार्टर फाइनल में हेनरी इनमैन (ग्रेट ब्रिटेन) और सेमीफाइनल में सैम गर्सन (यूएसए) को हराया था।

कुश्ती में दो कांस्य पदक दिए जाने के बाद उन्हें चौथा स्थान हासिल करने पर भी पदक मिल सकता था।

केशव मांगवे - 1952 हेलसिंकी ओलंपिक, पुरुषों की 62 किग्रा फ्रीस्टाइल कुश्ती

फ्रीस्टाइल पहलवान केशव मांगवे को पुरुषों की फ़्रीस्टाइल 62 किग्रा (फेदरवेट) स्पर्धा में पांचवें राउंड खेलने का मौका मिला, लेकिन वहां वो यूएसए के जोशिया हेंसन से हार गए। एक जीत उन्हे टॉप 3 की लिस्ट में डाल सकती थी, जिससे वो भी पदक के लिए प्रतिस्पर्धा कर सकते। लेकिन केशव मांगवे चौथे स्थान पर रहे।

भारतीय फुटबॉल टीम - 1956 मेलबर्न ओलंपिक

मेलबर्न 1956 में कांस्य पदक प्रतियोगिता में भाग लेने तक भारतीय फुटबॉल टीम का ओलंपिक में बेहतरीन प्रदर्शन रहा। लेकिन इस दौरान भारत को बुल्गेरिया से 3-0 से हार देखनी पड़ी और टीम को चौथा स्थान हासिल हुआ।

मिल्खा सिंह - 1960 रोम ओलंपिक, पुरुषों की 400 मी

महान धावक मिल्खा सिंह रोम 1960 ओलंपिक में पुरुषों की 400 मीटर स्प्रिंट में पदक से चूक गए थे। वह फाइनल में चौथे स्थान पर रहे, खास बात ये रही कि कांस्य पदक विजेता की तुलना में वो सिर्फ 0.1 सेकेंड धीमे थे।

प्रेम नाथ - 1972 रोम ओलंपिक, पुरुषों की 57 किग्रा फ्रीस्टाइल कुश्ती

फ़्रीस्टाइल पहलवान प्रेम नाथ ने सातवें राउंड तक मुकाबला किया और कुल नौ पेनल्टी अंक अर्जित किए, इस दौरान वह पदक से ज्यादा दूर नहीं थे। लेकिन पहले पेनल्टी के नुकसान के मुताबिक स्कोर की गणना की जाती थी, लेकिन प्रीलिमिनरी राउंड के अंत में सबसे कम पेनल्टी हासिल करनेवाले तीन पहलवानों ने पदक हासिल कर लिया।

सुदेश कुमार - 1972 रोम ओलंपिक, पुरुषों की 52 किग्रा फ्रीस्टाइल कुश्ती

प्रेम नाथ की तरह, सुदेश कुमार भी काफी मशक्कत के बाद रोम खेलों में पदक के करीब पहुंच गए थे। लेकिन सुदेश सात पेनल्टी पॉइंट के साथ चौथे स्थान पर रहे।

पीटी उषा - 1984 लॉस एंजिल्स ओलंपिक, महिलाओं की 400 मीटर बाधा दौड़

1960 में मिल्खा सिंह की नाकामयाबी के बाद, पीटी उषा भी एथलेटिक्स में पदक जीतने के बेहद करीब पहुंच गई थी। लेकिन पय्योली एक्सप्रेस के नाम से मशहूर उषा एक सेकेंड के सौवें हिस्से की वजह से कांस्य पदक से चूक गई।

राजिंदर सिंह - 1984 लॉस एंजिल्स ओलंपिक, पुरुषों की 74 किग्रा फ्रीस्टाइल कुश्ती

लॉस एंजिल्स खेलों में भारतीय पहलवानों के ओलंपिक पदक के करीब पहुंचने का दौर जारी रहा, पेनल्टीमेट राउंड (अंतिम राउंड से पहले का राउंड) से पहले तक राजिंदर सिंह दूसरे स्थान पर रहे लेकिन फाइनल राउंड में साबन सेजदी से कांस्य पदक मैच हार गए।

लिएंडर पेस/महेश भूपति - 2004 एथेंस ओलंपिक, पुरुष युगल टेनिस

लिएंडर पेस और महेश भूपति की भारतीय दिग्गज जोड़ी रोजर फेडरर और एंडी रोडिक से पिछड़ने के बाद सेमीफाइनल में भी हार गई। इस मैच में भारतीय जोड़ी को कांस्य पदक मैच में क्रोएशिया के मारियो एंसिक और इवान लुजुबिक से 7(7)-6(5), 4-6, 16-14 से हार का सामना करना पड़ा।

कुंजारानी देवी - 2004 एथेंस ओलंपिक, वूमेंस 48 किग्रा वेटलिफ्टिंग

कुंजारानी देवी ने वूमेंस 48किग्रा वेटलिफ्टिंग के स्नैच में 82.5 किग्रा और क्लीन एंड जर्क में 107.5 किग्रा भार उठाकर कुल 190 किग्रा का वजन उठाया। लेकिन फिर भी मेडल ज़ोन से बाहर हो गई। भारत की इस कांस्य पदक विजेता ने कुल 200 किग्रा भार उठाया था।

जॉयदीप करमाकर - 2012 लंदन ओलंपिक, मेंस 50 मीटर राइफल प्रोन शूटिंग

फाइनल राउंड के लिए क्वालीफाई करने के बाद सातवें स्थान पर काबिज जॉयदीप करमाकर ने रैंकिंग में आगे बढ़ने के लिए शानदार प्रदर्शन किया। हालांकि उनका अंतिम स्कोर 699.1 रहा, जिसका मतलब था कि वह तीसरे स्थान पर काबिज राजमोंड देबवेक से पीछे रहे, जिनका स्कोर 701.0 था।

अभिनव बिंद्रा - 2016 रियो ओलंपिक, मेंस 10 मीटर एयर राइफल शूटिंग

दिग्गज शूटर अभिनव बिंद्रा ने शूटिंग फाइनल के लिए तो क्वालीफाई कर लिया था, लेकिन बीजिंग 2008 के अपने स्वर्ण-विजेता प्रदर्शन को नहीं दोहरा सके। शूटऑफ के बाद राइफल मार्कमेन लीडरबोर्ड पर चौथे स्थान पर रहे, जहां उन्होंने 10 शॉट किए जबकि यूक्रेन के सेरही कुलिश ने 10.5 शॉट किए।

सानिया मिर्जा/रोहन बोपन्ना - 2016 रियो ओलंपिक, मिक्सड डबल्स टेनिस

भारत की चौथी वरीयता प्राप्त जोड़ी सानिया मिर्जा और रोहन बोपन्ना रियो 2016 में मिक्स्ड डबल्स के सेमीफाइनल में हार गए थे। हालांकि भारत की झोली में कांस्य पदक आ सकता था, लेकिन सानिया-रोहन की जोड़ी राडेक स्टेपानेक और लूसी हरडेका से 6-1,7-5 से पीछे रह गई।

दीपा करमाकर - रियो 2016 ओलंपिक, महिला वॉल्ट जिमनास्टिक

दीपा करमाकर ओलंपिक वॉल्ट इवेंट के फाइनल में जगह बनाने वाली भारत की पहली महिला जिमनास्ट थीं। इस भारतीय जिम्नास्ट ने मुश्किल प्रोडुनोवा वॉल्ट का पड़ाव पार किया, लेकिन 0.150 अंकों से कांस्य पदक से चूक गई।

अदिति अशोक - टोक्यो 2020 ओलंपिक, वूमेंस गोल्फ

अपने करियर के दूसरे ओलंपिक में हिस्सा लेनेवाली अदिती अशोक वूमेंस गोल्फ स्पर्धा के राउंड 1 तक काफी मजबूती से खेल रही थी। उन्होंने लगातार तीन राउंड तक टॉप 3 में अपनी जगह बनाए रखी। लेकिन फाइनल राउंड में चौथे स्थान पर खिसक गई। और काफी कम मार्जिन की वजह से अदिती कांस्य पदक से दूर हो गई।

महिला हॉकी टीम - टोक्यो 2020 ओलंपिक

भारतीय महिला हॉकी टीम का सफर एक कहानी की तरह शुरू हुआ, टीम पहली बार ओलंपिक के सेमीफाइनल में पहुंची लेकिन बिना पदक के ही वापस लौट आई। ग्रेट ब्रिटेन ने भारत को 4-3 से हराकर उसके कांस्य पदक की ख्वाहिश को अधूरा कर दिया।

अर्जुन बाबूता - पेरिस 2024 ओलंपिक, पुरुषों की 10 मीटर एयर राइफल शूटिंग

भारतीय निशानेबाज अर्जुन बाबूता पेरिस 2024 ओलंपिक में पुरुषों के 10 मीटर एयर राइफल फाइनल में चौथे स्थान पर रहे। बबूता फाइनल में 208.4 के कुल स्कोर के साथ चौथे स्थान पर रहे। क्रोएशिया के मिरान मैरिसिक ने 209.8 के स्कोर के साथ मेडल कटऑफ में जगह बनाई। भारतीय निशानेबाज अपना पदक पक्का करने से सिर्फ 1.4 अंक पीछे रह गए।

धीरज बोम्मादेवरा/अंकिता भकत – पेरिस 2024 ओलंपिक, मिश्रित टीम तीरंदाजी

भारत के धीरज बोम्मादेवरा और अंकिता भकत पेरिस 2024 ओलंपिक में मिश्रित टीम तीरंदाजी स्पर्धा में चौथे स्थान पर रहे। यूएसए के ब्रैडी एलिसन और केसी कॉफहोल्ड के खिलाफ कांस्य पदक के मैच में, बोम्मादेवरा-भकत 6-2 से हार गए और चौथे स्थान पर रहे, जो ओलंपिक में तीरंदाजी में भारत का सर्वश्रेष्ठ परिणाम था। इससे पहले, इस जोड़ी ने ओलंपिक में तीरंदाजी स्पर्धा के सेमीफाइनल में पहुंचने वाले पहले भारतीय बनकर भी इतिहास रच दिया था।

मनु भाकर - पेरिस 2024 ओलंपिक, महिलाओं की 25 मीटर एयर पिस्टल

मनु भाकर पेरिस 2024 ओलंपिक में पदकों की हैट्रिक से चूक गईं, जब वह महिलाओं की 25 मीटर एयर पिस्टल शूटिंग फाइनल में कांस्य पदक हासिल नहीं कर सकीं। फाइनल के अधिकांश समय तक शीर्ष तीन स्थानों पर रहने के बावजूद, समापन चरण की ओर खराब सीरीज के कारण हंगरी की वेरोनिका मेजर के साथ शूट-ऑफ के बाद वह चौथे स्थान पर खिसक गईं। शूट-ऑफ में, वेरोनिका मेजर ने एक चूक की, वहीं मनु भाकर के दो निशाने चूक गए।

अनंतजीत सिंह नरुका/महेश्वरी चौहान - पेरिस 2024 ओलंपिक, मिश्रित टीम स्कीट शूटिंग

भारतीय निशानेबाज अनंतजीत सिंह नरुका और महेश्वरी चौहान को पेरिस 2024 ओलंपिक में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के खिलाफ स्कीट मिश्रित टीम शूटिंग स्पर्धा के कांस्य पदक मैच में हार का सामना करना पड़ा। भारतीय जोड़ी कांस्य पदक मैच में चीन की जियांग यितिंग और ल्यू जियानलिन से 44-43 से हार गई।

लक्ष्य सेन - पेरिस 2024 ओलंपिक, पुरुष एकल बैडमिंटन

लक्ष्य सेन पेरिस 2024 ओलंपिक बैडमिंटन टूर्नामेंट में पुरुष एकल कांस्य पदक मैच मलेशिया के ली जी जिया से हार गए। पहला गेम जीतने के बावजूद भारतीय शटलर 21-13, 16-21, 11-21 से मैच हार गए। जिसके चलते वह पुरुषों की स्पर्धा में ओलंपिक पदक जीतने वाले पहले भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी बनने में असफल रहे।

मीराबाई चानू - पेरिस 2024 ओलंपिक, महिलाओं की 49 किग्रा वेटलिफ्टिंग

मीराबाई चानू पेरिस 2024 ओलंपिक में महिलाओं की 49 किग्रा वेटलिफ्टिंग स्पर्धा में एक किलोग्राम से कांस्य पदक जीतने से चूक गईं। उन्होंने अपने व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ और राष्ट्रीय रिकॉर्ड की बराबरी करते हुए स्नैच में 88 किग्रा वजन उठाया और क्लीन एवं जर्क में 111 किग्रा वजन उठाकर कुल 199 किग्रा वजन उठाया। इस कड़ी प्रतिस्पर्धा में, थाईलैंड की सुरोडचाना खंबाओ ने 200 किग्रा (88 किग्रा स्नैच + 112 किग्रा क्लीन एंड जर्क) उठाकर मीराबाई को पदक की रेस से बाहर कर दिया। पेरिस में आगे बढ़ते हुए, मीराबाई का व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ 205 किग्रा था, जो रजत पदक के लिए काफी होता।