ईयर एंडर 2021: नीरज चोपड़ा के गोल्डन थ्रो से लेकर पैरालंपिक तक भारत के ऐतिहासिक पलों पर डालें एक नज़र
आइए बीते साल में भारत के ऐतिहासिक ओलंपिक और पैरालंपिक खेल के खास पलों को एक बार फिर से याद करते हैं।
साल 2021 में भारतीय खेलों की ऐतिहासिक शुरुआत हुई। कोविड-19 महामारी के कारण टोक्यो 2020 ओलंपिक और पैरालंपिक की एक साल की देरी ने इस साल आयोजित होने वाले इन दो मेगा इवेंट को लेकर सभी का उत्साह बढ़ा दिया था।
आपको बताते चलें कि इस साल भारत में टोक्यो 2020 स्पोर्ट इवेंट के बारे में सबसे ज्यादा ट्वीट किए गए हैं।
भारत ने ग्लोबल स्टेज पर खेल के कुछ शानदार पलों का लुत्फ उठाया। आइए साल 2021 में भारतीय खेल के यादगार लम्हों पर एक बार नज़र डालते हैं।
नीरज चोपड़ा का गोल्डन थ्रो
बेशक 23 वर्षीय नीरज चोपड़ा इस साल उभरने वाले सबसे बड़े भारतीय स्पोर्ट्स स्टार हैं, जिन्होंने टोक्यो ओलंपिक में मेंस जैवलिन थ्रो में स्वर्ण पदक जीता था।
बीजिंग 2008 में अभिनव बिंद्रा की शूटिंग में जीत के बाद यह एथलेटिक्स में भारत का पहला ओलंपिक पदक और नीरज का भी पहला पदक था।
अपने क्वालीफिकेशन ग्रुप में शीर्ष पर रहने के बाद नीरज चोपड़ा ने फाइनल में पहला कदम रखा और 87.03 मीटर का जैवलिन थ्रो किया। इसके बाद उन्होंने इसे बढ़ाकर 87.58 मीटर कर दिया। यह एक ऐतिहासिक जैवलिन थ्रो था, जो भारतीय फैंस को हमेशा के लिए यादगार रहेगा।
87 मीटर को पार करने वाले चोपड़ा एकमात्र थ्रोअर के रूप में अपने खेल को समाप्त किया और अपने दूसरे सर्वश्रेष्ठ थ्रो के साथ स्वर्ण पदक जीता, जो कि वास्तव में प्रभावशाली प्रदर्शन था।
पीवी सिंधु की डबल में जीत
जब उन्होंने रियो 2016 में रजत पदक जीता था, तब पीवी सिंधु 20 साल की थीं। जिन्होंने बिना किसी उम्मीद के ग्रैंड स्टेज पर एंट्री की। टोक्यो में भारतीय बैडमिंटन स्टार से पदक की उम्मीद सभी को थी और उन्होंने अपने प्रशंसकों को बिल्कुल भी निराश नहीं किया।
प्री-ओलंपिक में मिक्स्ड रन बनाने के बाद पीवी सिंधु ने एक आसान ग्रुप स्टेज से आगे बढ़ते हुए अपना बेहतरीन खेल दिखाया। इसके बाद उन्होंने नॉकआउट राउंड में मिया ब्लिचफेल्ट और अकाने यामागुची सहित दोनों ही शानदार विरोधियों को सीधे गेम में शिकस्त दी।
सेमीफाइनल में दुनिया की नंबर 1 ताई त्ज़ु यिंग ने उन्हें आगे बढ़ने से रोकने के लिए पूरी कोशिश की, लेकिन पीवी सिंधु ने खुद को पीछे किया और ओलंपिक कांस्य जीतने के लिए सीधे गेम में ही बिंग जिओ को हराकर फिर से वापसी की।
इसकी वजह से वह दो इंडिविजुअल ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला और रेसलर सुशील कुमार के बाद ऐसा करने वाली दूसरी भारतीय एथलीट बन गईं हैं।
भारतीय हॉकी ने खत्म किया 41 साल इंतजार
1980 से पहले पैदा हुए हॉकी फैंस के लिए भारतीय हॉकी टीम का स्वर्ण युग था, जब उन्होंने लगातार छह सहित आठ ओलंपिक स्वर्ण पदक जीते थे। जो केवल इतिहास की किताबों, लेखों और पुराने वीडियो में ही मौजूद थे।
2021 से पहले मेंस हॉकी टीम आखिरी बार मॉस्को 1980 में ही ओलंपिक हॉकी पदक जीती थी।
टोक्यो 2020 में मेंस भारतीय हॉकी टीम ने न्यूजीलैंड पर जीत के साथ शुरुआत की। वहीं, ऑस्ट्रेलिया से 7-1 की हार से पहले ऐसा लग रहा था कि उनके उत्साह में कमी आ गई है। हालांकि, उन्होंने स्पेन, अर्जेंटीना और जापान पर जीत के साथ शानदार वापसी करते हुए अंतिम आठ में जगह बनाई।
वर्ल्ड चैंपियन से पहले भारत ने क्वार्टर फाइनल में ग्रेट ब्रिटेन को हराया और अंतिम स्वर्ण पदक विजेता बेल्जियम ने उन्हें सेमीफाइनल में रोक दिया। हालांकि भारतीय प्रशंसकों के लिए अभी भी उम्मीद बाकी थी।
इसके बाद भारत ने जर्मनी से मुकाबला किया और 1-0 और 3-1 से पिछड़ने के बाद 5-4 से हराकर कांस्य पदक जीता, जो 41 वर्षों में उनका पहला ओलंपिक पदक था।
एक ओलंपिक में सबसे अधिक पदक
टोक्यो 2020 ओलंपिक में कई दिलचस्प सब-प्लॉट थे, यह इवेंट पूरी तरह से भारत के लिए भी ऐतिहासिक था क्योंकि उन्होंने लंदन 2012 में छह पदक जीते और अब एक सिंगल सीजन में सबसे अधिक सात पदक जीते थे।
ओलंपिक में डेब्यू करने वाले रवि कुमार दहिया, बजरंग पुनिया, लवलीना बोरगोहेन और नीरज चोपड़ा ने पदक जीते, जबकि मीराबाई चानू, पीवी सिंधु और भारतीय हॉकी टीम ने पदक जीतकर लिस्ट को पूरा किया।
पैरालंपिक की खुशी
भारत के यादगार टोक्यो ओलंपिक अभियान को समाप्त करने के कुछ सप्ताह बाद टोक्यो 2020 पैरालंपिक टीम ने भारतीय फैंस की खुशियों को दोगुना कर दिया।
भारत ने टोक्यो पैरालंपिक में 19 पदक अपने नाम किए, जो कि एक सिंगल सीजन में सबसे अधिक और यह संख्या पिछले सीजन में संयुक्त रूप से जीते गए सभी पदकों से भी अधिक थी।
पैरा निशानेबाज अवनि लेखारा पैरालंपिक स्वर्ण जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनीं और जब उन्होंने कांस्य पदक जीता तो वह दो पैरालंपिक पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला का खिताब हासिल किया।
जैवलिन थ्रोअर सुमित अंतिल ने अपनी कैटेगरी में तीन बार स्वर्ण पदक जीतने के दौरान विश्व रिकॉर्ड तोड़ दिया, जबकि देवेंद्र झजारिया और मरियप्पन थंगावेलु ने अपने पैरालंपिक पदकों की संख्या में इजाफा किया।
मीराबाई चानू ने बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड
कर्णम मल्लेश्वरी के बाद मीराबाई चानू ने दूसरी भारतीय वेटलिफ्टर बनीं, जिन्होंने वूमेंस 49 किग्रा में ओलंपिक रजत पदक जीता।
हालांकि, ओलंपिक से पहले मीराबाई चानू ने एशियन चैंपियनशिप में इतिहास के पन्ने में एक और रिकॉर्ड दर्ज किया था। जब उन्होंने वूमेंस 49 किग्रा क्लीन-एंड-जर्क में एक नया विश्व रिकॉर्ड स्थापित किया।
क्लीन एंड जर्क में मीराबाई चानू ने 119 किग्रा भार उठाया और उस कैटेगरी में स्वर्ण पदक जीता। उन्होंने स्नैच में 86 किग्रा की लिफ्ट भी पूरी की। इस तरह उन्होंने कुल 205 किग्रा का भार उठाया, जिसके कारण उन्हें ओवरऑल कांस्य पदक मिला।
बीडब्ल्यूएफ वर्ल्ड्स में किदांबी श्रीकांत ने रचा इतिहास
BWF विश्व चैंपियनशिप के इतिहास में सिर्फ दो पुरुषों ने पदक जीता था और दोनों ने कांस्य पदक जीता था। पूर्व विश्व नंबर 1 खिलाड़ी किदांबी श्रीकांत ने इतिहास रच दिया, जब वह मेंस सिंगल्स फाइनल में प्रवेश करने वाले और रजत पदक जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बने।
फाइनल के रास्ते में सिर्फ दो गेम गंवाकर किदांबी श्रीकांत अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए पाब्लो एबियन, ली शी फेंग, लू गुआंग ज़ू, मार्क कैलजॉव और हमवतन लक्ष्य सेन को हराया।
उन्हें फाइनल में फॉर्म में चल रहे सिंगापुर के लोह कीन यू ने मात दी।
20 वर्षीय लक्ष्य सेन ने भी अपने BWF विश्व चैंपियनशिप में डेब्यू कर पदक जीता। उन्होंने सेमीफाइनल में जगह बनाने के बाद कांस्य पदक जीता। BWF विश्व चैंपियनशिप में भारतीय पुरुषों ने एक ही सीजन में अपने पदकों की संख्या को दोगुना कर दिया।
आइए कुछ और उपलब्धियों पर एक नज़र डालें
भले ही इन खिलाड़ियों ने पदक ना जीते हों, लेकिन उन्होंने कुछ यादगार प्रदर्शन किए और सभी बाधाओं को तोड़ते हुए अपनी जगह बनाई।
- भवानी देवी ओलंपिक में क्वालीफाई करने और एक मुकाबला जीतने वाली पहली भारतीय फेंसर बनीं।
- टोक्यो 2020 में महिला भारतीय हॉकी टीम चौथे स्थान पर रही, जो खेलों में टीम का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था और क्वार्टर फाइनल में तीन बार की ओलंपिक चैंपियन ऑस्ट्रेलिया को भी हराया।
- ओलंपिक में टेबल टेनिस सिंगल्स इवेंट में मनिका बत्रा ने राउंड ऑफ 32 में जगह बनाई। वह ऐसा करने वाली पहली भारतीय महिला बनीं, जिसने खेल के दौरान एक उच्च रैंक वाली मार्गरीटा पेसोत्स्का को जीत के लिए काफी परेशान किया।
- साजन प्रकाश 'ए' कट बनाकर ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाले पहले भारतीय स्विमर बने, जिसका मलतब है कि उन्होंने ओलंपिक क्वालीफाइंग मानक समय को पूरा किया। श्रीहरि नटराज जल्द ही ऐसा करने वाले दूसरे भारतीय बन गए।
- भले ही टोक्यो 2020 में मेंस 4x400 मीटर रिले फाइनल में मुहम्मद अनस, अरोकिया राजीव, नूह निर्मल टॉम और अमोज जैकब आगे न बढ़े हों, लेकिन क्वार्टेट ने क्वालीफिकेशन में 3:00.25 का समय निकाला, जो उस इवेंट में एशियन रिकॉर्ड समय है।