बैडमिंटन एशिया और यूरोप के कुछ हिस्सों में युवाओं के बीच खेले जाने वाला एक लोकप्रिय खेल है।
बैडमिंटन रैकेट या रैकेट, बैडमिंटन वर्ल्ड फेडरेशन के द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला एक आधिकारिक शब्द है। बैडमिंटन के रैकेट को एक सहज और हल्के उपकरण के तौर पर तैयार किया जाता है।
शौकिया तौर पर खेलने के लिए बैडमिंटन रैकेट अलग-अलग लंबाई वाले आकार के बाजार में उपलब्ध हैं, वहीं प्रोफेशनल बैडमिंटन खिलाड़ियों को एक निश्चित लंबाई और चौड़ाई के बैडमिंटन रैकेट का उपयोग करना होता है।
बैडमिंटन के रैकेट के लिए BWF के मानक
एक बैडमिंटन रैकेट के पांच प्रमुख भाग होते हैं – स्ट्रिंग एरिया (तार वाला भाग), हेड (ऊपरी हिस्सा), थ्रॉट, शाफ्ट और हैंडल। इनके सही संयोजन से एक बेहतरीन रैकट तैयार होता है।
इसमें फ्रेम की अधिकतम लंबाई 680 मिमी हो सकती है, जबकि पूरी चौड़ाई 230 मिमी तक सीमित है।
स्ट्रिंग एरिया
ये वो हिस्सा होता है, जिससे खिलाड़ी शटल कॉक को हिट करते हैं। यह हिस्सा एक निश्चित लम्बाई और चौड़ाई का अंडाकार क्षेत्र होता है, जो पतले तारों से बुना जाता है।
BWF नियम के अनुसार स्ट्रिंग एरिया समतल होना चाहिए, और उसके तारों की बुनाई ऐसी होनी चाहिए कि जब एक तार दूसरे के साथ गुजरे तो वो ऊपर-नीचे जाते हुए सलीके से बुने हो।
स्ट्रिंग पैटर्न एक समान होना चाहिए और वो ज्यादा घने या ज्यादा दूर भी नहीं होने चाहिए। ऐसा इसलिए ताकि जब शटल को हिट किया जाए तो उसमें तनाव अधिक रहे।
स्ट्रिंग की लंबाई 280 मिमी से अधिक नहीं होनी चाहिए, जबकि चौड़ाई 220 मिमी के भीतर बनाए रखने की आवश्यकता होती है।
हेड
बैडमिंटन के रैकेट का वह भाग जिसमें तारों से बुनाई होती है, वो रैकेट का प्रमुख हिस्सा होता है, जिसे हेड कहा जाता है।
रैकेट के हेड का आकार आमतौर पर अंडाकार होता है - जिसका उपयोग पेशेवर खिलाड़ियों द्वारा किया जाता है।
हालांकि, इसका एक और आकार होता है, जिसे 'आइसोमेट्रिक हेड' कहा जाता है। इसमें रैकेट ऊपर से चौड़ा होता है।
आइसोमेट्रिक हेड के आकार वाले रैकेट में बीच में ऐसी जगह होती है, जहां रैकेट के टकराने पर खिलाड़ी बेहतर अनुभव करता है। ज्यादातर खिलाड़ी चाहते हैं कि वो उसी स्थान से शटल को हिट करें। हालांकि, ये आमतौर पर शौकिया बैडमिंटन खिलाड़ियों द्वारा उपयोग किया जाता है। प्रोफेशनल खिलाड़ी इसका उपयोग नहीं कर सकते हैं।
थ्रॉट
ये रैकेट का वो हिस्सा है जो हेड को शाफ्ट से जोड़ता है। इससे रैकेट को स्थिरता मिलती है। हालांकि ये एक वैकल्पिक हिस्सा है, क्योंकि कुछ बैडमिंटन रैकेट में हेड सीधे तौर पर शाफ्ट से जोड़ दिया जाता है।
वह रैकेट जिसमें कोई थ्रॉट नहीं होता है, उसमें स्ट्रिंग एरिया को बढ़ाया जा सकता है। हालांकि, विस्तारित सीमा की अधिकतम चौड़ाई 35 मिमी हो सकती है, जबकि इस दौरान ये भी सुनिश्चित करना चाहिए कि स्ट्रिंग एरिया की कुल लंबाई 330 मिमी से अधिक न हो।
शाफ्ट
शाफ्ट रैकेट का वो हिस्सा है जो हैंडल को हेड से जोड़ता है, या कुछ रैकेट्स में हेड को थ्रॉट से जोड़ता है।
शाफ्ट की लंबाई या चौड़ाई के लिए BWF के द्वारा किसी तरह का कोई निर्देश नहीं दिया गया है।
हैंडल
किसी रैकेट में हैंडल वह हिस्सा होता है, जिससे खिलाड़ी रैकेट को पकड़ते हैं। खिलाड़ियों द्वारा पकड़े जाने वाला रैकेट का सबसे निचला हिस्सा सबसे महत्वपूर्ण भाग होता है।
एक खिलाड़ी के लिए आरामदायक पकड़ अक्सर ये दर्शाती है कि खिलाड़ी रैकेट के साथ कितना सहज है और प्रोफेशनल खिलाड़ियों के लिए तो ये उनके मैच के लिए निर्णायक भी साबित हो सकता है।
हैंडल की लंबाई या चौड़ाई के लिए कोई निर्देश नहीं हैं, प्रत्येक खिलाड़ी इसे अपनी आवश्यकताओं के अनुरूप बनवाते हैं।
इनके अलावा BWF के मानक के अनुसार रैकेट को पकड़ने के लिए किसी और उपकरण का प्रयोग नहीं किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, स्ट्रिंग एरिया में छोटे टेप लगाना, वजन को कम या अधिक करने के लिए किसी चीज की मदद लेना। हैंडल को खिलाड़ी के हाथ सुरक्षित रहने के लिए किसी प्रकार की कोई भी चीज इस तरह उपयोग में नहीं लाई जानी चाहिए, जिससे वो आकार और स्थान में बदलाव न कर सके।
बैडमिंटन रैकेट भी एक निश्चित, लंबाई का होना चाहिए, और ऐसे किसी भी उपकरण के साथ जुड़ा नहीं होना चाहिए जो रैकेट के आकार को बदल दे।