ओलंपिक में भारत के गोल्ड मेडल्स: हॉकी के दबदबे से लेकर नीरज चोपड़ा के गोल्डन थ्रो तक
भारत ने ओलंपिक में 10 गोल्ड मेडल जीते हैं। मेंस हॉकी टीम ने 8 गोल्ड जीते हैं, अभिनव बिंद्रा के बाद नीरज चोपड़ा दूसरे व्यक्तिगत ओलंपिक चैंपियन हैं।
ओलंपिक में स्वर्ण जीतना किसी भी एथलीट या टीम के लिए सबसे बड़ी बात होती है या कहें हर किसी का सपना होता है। भारत के स्टार जैवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) ने हाल ही में अपने इस सपने को पूरा किया है।
जब से ओलंपिक गेम्स की शुरुआत हुई है तब से लेकर भारत ने अब तक खेलों के इस महाकुंभ ने कुल 10 गोल्ड जीते हैं। खास बात ये है कि इन 10 में से 2 ही मेडल भारत के इंडिविजुअल खिलाड़ियों ने अपने नाम किए हैं। ये दोनों मेडल एथलेटिक्स और शूटिंग में आएं।
तो आइये नज़र डालते हैं उन 10 गोल्डन पल पर, जब भारत के हिस्से में आया स्वर्ण पदक।
भारतीय मेंस हॉकी टीम- एम्स्टर्डम 1928
भारतीय मेंस हॉकी टीम 1920 के दशक के अंत से 1950 के दशक तक अपराजेय रही। इस टीम को दुनिया की सर्वश्रेष्ठ टीम का दर्जा प्राप्त था। हॉकी में भारतीय टीम के दबदबे की शुरुआत 1928 के ओलंपिक से हुई।
इस ओलंपिक में भारत ने 29 गोल किए। इनमें से 14 तो अकेले हॉकी के जादूगर ध्यानचंद (Dhyan Chand) के नाम थे। पूरी टीम के शानदार प्रदर्शन की बदौलत भारत ने ओलंपिक में अपना पहला गोल्ड मेडल जीता।
भारतीय मेंस हॉकी टीम - लॉस एंजिल्स 1932
जब दुनिया मुश्किल हालात से गुजर रही थी तो केवल तीन टीमों ने लॉस एंजिल्स गेम्स में भाग लिया। भारत ने यूएसए और जापान पर अपना दबदबा कायम रखते हुए ओलंपिक खेलों में दूसरा गोल्ड जीता। भारतीय टीम ने जापान को 11-1 से मात दी। वहीं यूएसए का तो उन्होंने और बुरा हाल करते हुए 24-1 से जीत दर्ज की।
भारतीय मेंस हॉकी टीम - बर्लिन 1936
ध्यानचंद के नेतृत्व में भारत ने बर्लिन ओलंपिक में गोल्ड मेडल्स की हैट्रिक पूरी की। टीम ने फाइनल में मेजबान जर्मनी को 8-1 से हराया, गोल्ड मेडल के इस मैच में ध्यान चंद की स्टिक से 4 गोल निकले।
भारतीय मेंस हॉकी टीम - लंदन 1948
हॉकी टीम ने आजादी प्राप्त करने के बाद भी अपना दबदबा जारी रखा, लंदन 1948 में स्वतंत्र भारत के रूप में अपने पहले ओलंपिक खेलों में इस टीम ने गोल्ड मेडल अपने नाम किया। किशन लाल (Kishan Lal) की अगुवाई में भारत ने पांच मैचों में 25 गोल किए और वेम्बली स्टेडियम में खेले गए फाइनल मुकाबले में मेजबान ग्रेट ब्रिटेन को 4-0 से मात दी।
भारतीय पुरुष हॉकी टीम - हेलसिंकी 1952
कप्तान केडी सिंह बाबा (KD Singh Baba) और उपकप्तान बलबीर सिंह सीनियर (Balbir Singh Sr) ने भारत को हॉकी में लगातार पांचवां स्वर्ण पदक दिलाया, लेकिन फिनलैंड में हालात खेलने के लिए बिल्कुल अच्छे नहीं थे।
टीम ने पहले मैच में विदेशी परिस्थितियों में संघर्ष किया लेकिन जब खिलाड़ी लय में आए तो उन्होंने गजब का प्रदर्शन किया। भारत ने सेमीफाइनल में ग्रेट ब्रिटेन और फाइनल में नीदरलैंड को हराया। बलबीर सिंह सीनियर ने तीन मैचों में नौ गोल किए।
भारतीय मेंस हॉकी टीम - मेलबर्न 1956
मेलबर्न 1956 में भारतीय टीम ने ना केवल अपना लगातार छठा पदक जीता बल्कि इस टूर्नामेंट में वह क्लीन शीट (सभी मैच जीते) करने में भी कामयाब रहा।
भारत ने सेमीफाइनल में जर्मनी (1-0) और फाइनल में पाकिस्तान (1-0) को हराने से पहले ग्रुप स्टेज में सिंगापुर (6-0), अफगानिस्तान (14-0) और यूएसए को 16-0 से शिकस्त दी थी।
भारतीय मेंस हॉकी टीम - टोक्यो 1964
ओलंपिक में भारतीय हॉकी के स्वर्णिम दौर को साल 1960 में पाकिस्तान ने रोका, लेकिन 1964 में भारत फिर उसी ट्रैक पर लौट आया। ग्रुप स्टेज मैचों के दौरान टीम को जर्मनी और स्पेन से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ा। ग्रुप स्टेज में भारत ने 4 मैच जीते तो 2 मैच ड्रॉ रहे। भारत फाइनल में पहुंचा और जहां इस बार भी उनके सामने पाकिस्तान था। उस खिताबी मुकाबले में भारत ने 1-0 से जीत दर्ज कर अपना 7वां गोल्ड जीता।
भारतीय मेंस हॉकी टीम - मॉस्को 1980
मॉन्ट्रियल में खेले गए ओलंपिक में 7वें स्थान पर रहने के बाद और 2 कांस्य जीतने के बाद भारत ने 1980 में एक स्वर्ण के साथ वापसी की। इन खेलों में भारत ने 3 मैच जीते और 2 मैच ड्रॉ करवाकर फाइनल में जगह बनाई। भारत ने मास्को में रोमांचक खिताबी मुकाबले में स्पेन को 4-3 से हराकर आठवां स्वर्ण पदक जीता।
मेंस 10 मीटर एयर राइफल शूटिंग में अभिनव बिंद्रा - बीजिंग 2008
भारत ने 21वीं सदी में व्यक्तिगत खेलों में बहुत बड़ी उपलब्धि हासिल की। भारतीय एथलीटों ने साल 2000 में वेटलिफ्टिंग और 2004 में निशानेबाजी में पदक जीते लेकिन स्वर्ण पदक अभी भी दूर था, लेकिन साल 2008 बीजिंग ओलंपिक में अभिनव बिंद्रा ने इसे हासिल करते हुए इतिहास रचा।
अभिनव बिंद्रा ने बीजिंग 2008 में व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय बनकर इतिहास रच दिया। बिंद्रा ने अपने अंतिम शॉट में लगभग 10.8 का स्कोर किया और ओलंपिक चैंपियन का खिताब हासिल किया।
मेंस जैवलिन थ्रो में नीरज चोपड़ा- टोक्यो 2020
नीरज चोपड़ा ने ट्रैक एंड फील्ड स्पर्धाओं में किसी भारत के लिए पहला स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया। क्वालीफाइंग राउंड में उन्होंने पहला स्थान हासिल किया और अंत तक उन्होंने अपना ये स्थान कायम रखा।
उनका बेस्ट थ्रो 87.58 मीटर था, जो कि उन्हें गोल्ड जीताने के लिए काफी था। इस तरह उन्होंने टोक्यो 2020 में भारत के लिए पहला गोल्ड और कुल मिलाकर 7वां मेडल जीता।