कॉमनवेल्थ गेम्स में क्रिकेट: पहली बार दक्षिण अफ्रीका ने 1998 में जीता गोल्ड मेडल

क्रिकेट ने दूसरे स्तर की टीमों के साथ 1998 में राष्ट्रमंडल खेलों में अपनी पहली उपस्थिति दर्ज की, जिसमें दक्षिण अफ्रीका ने स्वर्ण पदक जीता।

7 मिनटद्वारा रितेश जायसवाल
Winning captain Shaun Pollock of South Africa on the podium after defeating Australia in the cricket final during the 1998 Commonwealth Games.
(Getty Images)

बैडमिंटन स्टार साइना नेहवाल, बॉक्सिंग वर्ल्ड चैंपियन मैरी कॉम, और क्रिकेटर जैक्स कैलिस और शॉन पोलाक के बीच में क्या समानता है? इस सवाल से आप सोच में पड़ गए होंगे। दरअसल, इन सभी ने कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक जीता है।

यह बात बहुत कम लोग ही जानते हैं कि कुआलालंपुर में हुए 1998 राष्ट्रमंडल खेलों में क्रिकेट एक मेडल इवेंट था, जो कि इस प्रतियोगिता में इस खेल की पहली उपस्थिति है।

हालांकि, बर्मिंघम 2022 राष्ट्रमंडल खेलों में क्रिकेट ने फिर से एक महिला T20 टूर्नामेंट के तौर पर वापसी की। भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने मेजबान इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, पाकिस्तान, दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका और बारबाडोस जैसी टीमों के साथ अपनी दावेदारी पेश की।

1998 संस्करण, एशिया में आयोजित होने वाले पहले राष्ट्रमंडल खेल में 50 ओवर के फॉर्मेट में पुरुषों की टीमों को शामिल किया गया था लेकिन इन मैचों को वनडे इंटरनेशनल (ODI) का दर्जा नहीं दिया गया था।

(Getty Images)

1998 राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान मलेशिया के कुआलालंपुर में छह स्थानों पर क्रिकेट खेला गया था।

राष्ट्रमंडल खेलों में क्रिकेट

16 देशों को चार टीमों के समूहों में बांटा गया था, जिन्होंने 11 दिन की इस क्रिकेट प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था। प्रत्येक टीम ने अपने समूह की अन्य तीन टीमों से मुक़ाबला किया, हर जीत के लिए दो अंक दिए गए और हर समूह की शीर्ष टीमों ने सेमी-फाइनल में जगह बनाई।

क्रिकेट के दिग्गज देश – भारत, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका, न्यूज़ीलैंड और पाकिस्तान इस इवेंट का हिस्सा बने। लेकिन कुछ ने अन्य क्रिकेट टूर्नामेंट के साथ तारीखों के टकराव होने के चलते अपनी पूरी क्षमता वाली टीम को मैदान में नहीं उतारा। इसमें भारत और पाकिस्तान शामिल थे, जो उस समय कनाडा में एक-दूसरे के साथ सहारा कप खेल रहे थे।

कैरेबियाई देशों जमैका, बारबाडोस, एंटीगुआ और बारबुडा ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में देखी गई सामूहिक टीम की बजाय अलग-अलग टीमों के तौर पर मुक़ाबला किया।

इंग्लैंड ने अपनी टीम नहीं भेजी, इसके बजाय काउंटी चैंपियनशिप में अपने खिलाड़ियों को प्रतिबद्ध किया।

असामान्य रूप से सीमित ओवर क्रिकेट होने के बावजूद टीमों ने रंगीन जर्सी नहीं पहनी थी, बल्कि इसके बजाय सफेद जर्सी पहनी थी और उस पर किसी भी प्रायोजक का लोगो नहीं लगा था।

1998 कॉमनवेल्थ गेम्स की टीमें

ग्रुप ए: श्रीलंका, जिम्बाब्वे, जमैका, मलेशिया

ग्रुप बी: ऑस्ट्रेलिया, एंटीगुआ, और बारबुडा, भारत, कनाडा

ग्रुप सी: दक्षिण अफ्रीका, बारबाडोस, उत्तरी आयरलैंड, बांग्लादेश

ग्रुप डी: न्यूजीलैंड, पाकिस्तान, केन्या, स्कॉटलैंड

(Getty Images)

गर्मी, उमस के साथ बिना किसी वीआईपी सुविधा वाला अनुभव

राष्ट्रमंडल खेल में क्रिकेटरों के लिए यह एक अनोखा अनुभव रहा।

दुनियाभर में क्रिकेट के सितारों को दिए जाने वाले वीआईपी ट्रीटमेंट के उलट यहां क्रिकेटर विस्टा कोमनवेल के ओलंपिक गांव में अन्य प्रतिभागियों के साथ रहे।

दक्षिण अफ्रीका के कप्तान शॉन पोलाक ने ईएसपीएन क्रिकइन्फो पर एक कॉलम में लिखा, “ओलंपिक गांव में जीवन सामान्य होटल से बहुत अलग था। लेकिन यहां स्वागत के लिए कुछ परिवर्तन किए गए थे।”

वहां किसी भी तरह की रूम सर्विस उपलब्ध नहीं थी और खिलाड़ियों को कॉमन कैफेटेरिया में ही भोजन करना पड़ता था।

ये मैच कुआलालंपुर में छह स्थानों रॉयल सेलेंडोर क्लब, विक्टोरिया इंस्टीट्यूट, केलब अमन, तेनागा नेशनल स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स, पेरबदानन केमाजुआन नेगेरी सेलांगोर (PKNS) और रबर रिसर्च इंस्टीट्यट में खेले गए।

क्रिकेटरों ने पिच की गुणवत्ता के बारे में भी बात की, क्योंकि आयोजकों के पास उन्हें तैयार करने के लिए केवल एक साल ही था। नतीजतन, टूर्नामेंट में सभी टीमें बहुत कम स्कोर ही बना सकीं, उन्हें ज्यादातर मैचों में 200 रन स्कोर करने के लिए भी संघर्ष करना पड़ा।

यहां पर बहुत ज्यादा उमस भी थी। बल्लेबाज़ों को ब्रेक के दौरान बार-बार ठंडी तौलिया मंगाना पड़ता था। और एक मैच में भारत के अमय खुरासिया को टेस्टिंग कंडीशन में बेहोश होने के बाद स्ट्रेचर पर मैदान से ले जाया गया।

(Getty Images)

श्रीलंका के सुरेश परेरा ने क्रिकबज़ को बताया, “यहां बहुत आर्द्रता थी, मैंने कभी ऐसा कुछ अनुभव नहीं किया था। आर्द्रता इतनी बदतर थी जितनी मैंने कभी श्रीलंका में भी अनुभव नहीं की थी और मैं इसे नहीं झेल सकता था।”

प्रत्येक ग्रुप से ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, न्यूजीलैंड और श्रीलंका की टीम शीर्ष पर थीं, फाइनल के लिए इन चार टीमों का ही मुकाबला था।

भारतीय क्रिकेट टीम में सचिन तेंदुलकर, हरभजन सिंह, अनिल कुंबले और कप्तान अजय जडेजा को अपने खेमे में शामिल करने के बावजूद यह अभियान भारत के लिए बहुत अच्छा नहीं रहा, और टीम नौवें स्थान पर रही।

ऑस्ट्रेलिया ने पड़ोसी देश न्यूज़ीलैंड को कम स्कोर वाले मुकाबले में सेमीफाइनल में हराया, जबकि दक्षिण अफ्रीका ने श्रीलंका को एक कांटे के मुकाबले में हराते हुए फाइनल में जगह बनाई।

1998 कॉमनवेल्थ गेम्स में क्रिकेट फाइनल

खिताब के लिए पसंदीदा दावेदार ऑस्ट्रेलिया और अंडरडॉग दक्षिण अफ्रीका के बीच फाइनल देखने के लिए कुल 7,532 लोग पीकेएनएस स्टेडियम में मौजूद थे, जो मलेशिया में क्रिकेट देखने के लिए एक रिकॉर्ड है।

शॉन पोलाक ने याद करते हुए कहा, “फाइनल में जाने पर हमारे पास खोने के लिए कुछ नहीं था।”

(Getty Images)

शॉन पोलाक ने फाइनल में प्रोटियस के खिलाफ शानदार प्रदर्शन करते हुए अपने 9 ओवर में 4 विकेट लेकर 19 रन दिए। उन्होंने शुरुआत में ही ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज मार्क वॉ, एडम गिलक्रिस्ट और रिकी पोंटिंग को आउट कर विरोधी टीम को पीछे ढ़केल दिया। उस वक्त स्कोर 3 विकेट के नुकसान पर 28 रन था।

डेमियन फ्लेमिंग ने कई सालों बाद cricket.com.au को बताया, “टीम को संदेश ‘सी ऑफ पोलाक’ कहा गया लेकिन मुझे लगता है कि हमारे शीर्ष क्रम ने ‘स्लॉग पोलाक’ सुना।

ऑस्ट्रेलिया ऑल आउट होने से पहले धीमी पिच पर 183 रन ही जुटा सकी, जिसमें कप्तान स्टीव वॉ ने नाबाद 90 रन बनाए।

जवाब में दक्षिण अफ्रीका ने 73 रन के साथ ओपनिंग पार्टनरशिप के तौर पर शानदार शुरुआत की और जैक्स कैलिस के 44 रन ने अपनी टीम को जीत के बेहद करीब पहुंचने में मदद जरूर की लेकिन वो आखिर तक विकेट पर टिक नहीं सके। 

डेल बेंकनस्टीन ने मैच में जीत का शॉट लगाया और दक्षिण अफ्रीका को राष्ट्रमंडल खेल में क्रिकेट का पहला स्वर्ण पदक दिलाया। शॉन पोलाक के लिए यह खास पल था। अपनी टीम के लिए माइक रिंडेल ने सबसे अधिक 67 रनों की पारी खेली। 

पोलाक ने कहा, “पोडियम पर खड़े होकर, पदक प्राप्त करना और हमारा राष्ट्रगान का बजना एक ऐसा अनुभव है जो मैं कभी नहीं भूलूंगा और यह हमेशा यादगार रहेगा।”

न्यूजीलैंड ने श्रीलंका को हराने के बाद कांस्य पदक जीता और इस तरह से राष्ट्रमंडल खेल में क्रिकेट ने अपनी पहली उपस्थिति दर्ज की।

(Getty Images)

कुआलालंपुर में ऑस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीव वॉ ने इस टूर्नामेंट में अपने बल्ले से शानदार प्रदर्शन किया।

जबकि श्रीलंका के अविष्का गुणवर्धने ने टूर्नामेंट में सबसे अधिक रन (पांच पारियों में 234 रन) बनाए। जबकि ऑस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीव वॉ ने केवल तीन पारियों में 225 रन बनाए, जिसमें भारत के खिलाफ उनका शतक भी शामिल था, और वो तीनों पारियों में नाबाद रहे। हालांकि, फाइनल के परिणाम से वे काफी आहत हुए।

मैच के बाद स्टीव वॉ ने कहा “जिस तरह से हम हारे... स्वर्ण-पदक के खेल में मुझे काफी निराशा हुई, क्योंकि हमारे कुछ खिलाड़ी पहले से ही पार्टी मोड में आ गए थे और सभी को विश्वास था कि यह मैच हम ही जीतेंगे।"

“मैं रजत पदक से परेशान नहीं था, लेकिन मैं कम प्रोफेशनल होने की वजह से काफी परेशान था।"

दक्षिण अफ्रीका CWG 1998 का स्वर्ण पदक विजेता टीम: शॉन पोलाक (कप्तान), मार्क बाउचर (विकेट कीपर), एडम बाकर, एलन डॉसन, एंड्रयू हडसन, डेल बेनकेनस्टीन, डेरेक क्रुक, हेनरी विलियम्स, हर्शल गिब्स, जैक्स कैलिस, मखाया नतिनी, माइक रिंडेल, निकी बोजे, पॉल एडम्स, स्टीव एलवर्थी

(Getty Images)

1998 राष्ट्रमंडल खेलों में क्रिकेट के आंकड़े

खेले गए मैच: 28

सर्वोच्च टीम स्कोर: 309/9 जिम्बाब्वे बनाम मलेशिया

न्यूनतम टीम स्कोर: 45 कनाडा बनाम भारत

सबसे अधिक रन: अविष्का गुणवर्धने (श्रीलंका) 234, औसत 46.80

सबसे अधिक विकेट: डेमियन फ्लेमिंग (ऑस्ट्रेलिया) 14 विकेट, औसत 9.42

सर्वाधिक व्यक्तिगत स्कोर: 107 अविष्का गुणवर्धने (श्रीलंका) बनाम जमैका

सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज़ी: डेमियन फ्लेमिंग 5/24 (ऑस्ट्रेलिया) बनाम एंटिगुआ और बारबुडा

शतक: तीन

एक मैच में पांच विकेट: तीन

से अधिक