भारतीय मुक्केबाज नीतू घंघास को खासकर 'अगली मैरी कॉम' के रूप में जाना जाता है और इसको पूरी तरह से इंकार भी नहीं किया जा सकता है।
नीतू घंघास मैरी कॉम को अपना आइडियल मानती हैं। हरियाणा की ये मुक्केबाज रिंग में अपने बेहतरीन पंच और स्पीड से एक युवा मैरी कॉम की याद दिलाती हैं।
लेकिन नीतू घंघास की रिंग में निर्मम आक्रामकता और जीतने की अटूट इच्छाशक्ति दो ऐसी क्वालिटी हैं, जिनके कारण लोग उन्हें मणिपुर की दिग्गज बॉक्सर से तुलना करते हैं।
21 वर्षीय नीतू घंघास को अभी भी मैरी कॉम की विरासत तक पहुंचने के लिए एक लंबा सफर तय करना है।
आइए नीतू घंघास के मुक्केबाजी करियर के सफर पर एक नजर डालते हैं।
नीतू घंघास कहां से है?
नीतू घंघास का जन्म 19 अक्टूबर 2000 को हरियाणा के भिवानी जिले के धनाना गांव में हुआ था। नीतू घंघास का बॉक्सिंग की दुनिया से लगाव होना लाजमी था। दरअसल, भिवानी भारतीय मुक्केबाजी का केंद्र है और ओलंपिक पदक विजेता विजेंदर सिंह सहित कई दिग्गज मुक्केबाजों का यहां जन्म हुआ है।
नीतू घंघास के पिता जय भगवान चंडीगढ़ में हरियाणा राज्य सभा में कार्यरत थे। उनकी मां का नाम मुकेश देवी है और नीतू का एक छोटा भाई भी है जिसका नाम अक्षित कुमार है।
नीतू की मां मुकेश देवी के अनुसार, नीतू एक 'शरारती बच्ची' थी और अक्सर अपने भाई-बहनों के साथ और स्कूल में उसका झगड़ा हो जाता था। उनके पिता ने नीतू को बॉक्सिंग से रू-ब-रू कराया ताकि वह अपनी एनर्जी को एक नई दिशा दे सके।
नीतू ने महज 12 साल की उम्र तक औपचारिक रूप से प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया था, लेकिन वह शुरुआत में अपनी पैठ बनाने में विफल रहीं।
जिसके बाद नीतू ने इस खेल को छोड़ने का फैसला किया लेकिन उनके पिता ने उनका साहस बढ़ाया।
कम संसाधन वाले इस परिवार ने बेटी के सपनों को साकार करने के लिए बड़ा कदम उठाया। नीतू के पिता ने अपनी बेटी को बॉक्सर बनाने के लिए अपनी नौकरी से तीन साल की अवैतनिक छुट्टी ली।
जय भगवान ने अपनी जमीन के एक छोटे से हिस्से पर खेती शुरू की और लागत की देखभाल के लिए लगभग छह लाख रुपये (लगभग यूएस $ 7500) का लोन भी लिया। इसके साथ ही उन्होंने व्यक्तिगत रूप से नीतू की ट्रेनिंग और खान-पान का जिम्मा संभाला।
इस दौरान नीतू घंघास पर प्रसिद्ध कोच जगदीश सिंह की नजर पड़ी, जो भिवानी के प्रसिद्ध बॉक्सिंग क्लब के संस्थापक और विजेंदर सिंह के मेंटर्स रहे हैं।
नीतू श्री गुरु गोबिंद सिंह कॉलेज में बीए की छात्रा थीं और वह पढ़ाई के साथ-साथ भिवानी बॉक्सिंग क्लब में शामिल हो गईं। उस दौरान नीतू प्रशिक्षण के लिए अपने पिता के स्कूटर पर प्रतिदिन 40 किलोमीटर का सफर तय करती थीं और उनकी दिन-रात की मेहनत जल्द ही रंग लाई।
नीतू घंघास के मेडल और यूथ टाइटल पर एक नजर
नीतू घंघास ने 2015 में एक राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में हरियाणा के लिए एक पदक जीता, लेकिन इसके बाद उन्हें एक इंजरी का सामना करना पड़ा। वहीं, उनके पिता जय भगवान ने एक बार फिर अपनी बेटी के करियर को पटरी पर लाने में अहम भूमिका निभाई।
हरियाणा के मुक्केबाज ने 2016 में यूथ नेशनल्स में कांस्य पदक जीतने के लिए शानदार वापसी की और अगले साल बुल्गारिया के सोफिया में बाल्कन यूथ इंटरनेशनल बॉक्सिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक हासिल किया।
हालांकि, उनके छोटे से करियर का यादगार लम्हा साल 2017 गुवाहाटी और 2018 हंगरी के बुडापेस्ट में देखने को मिला, जहां उन्होंने दो विश्व चैंपियनशिप स्वर्ण पदक अपने नाम किए।
इसके साथ ही नीतू ने साल 2018 में एशियाई और यूथ चैंपियन का भी खिताब जीता।
लेकिन नीतू को अपनी एक और इंजरी के कारण कई टूर्नामेंट से बाहर होना पड़ा और फिर COVID-19 ने भी पूरी दुनिया के खेल पर काफी असर डाला।
हालांकि, इस युवा खिलाड़ी ने 2021 में फिर से सुर्खियां बटोरीं, जब उन्होंने पहली बार सीनियर नेशनल में खिताब जीता।
फरवरी 2022 में, नीतू घंघास ने सीनियर स्तर पर अंतरराष्ट्रीय सफलता का पहला स्वाद चखते हुए खिताब हासिल किया। उन्होंने सोफिया में यूरोप के सबसे पुराने मुक्केबाजी टूर्नामेंट स्ट्रैंड्जा मेमोरियल में महिलाओं के 48 किग्रा डिवीजन में स्वर्ण पदक जीता।
नीतू घंघास ने कुछ महीने बाद सीनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में डेब्यू किया और क्वार्टर-फाइनल में कजाकिस्तान की रजत पदक विजेता अलुआ बाल्किबेकोवा से हारने के बाद वह पदक से चूक गईं।
नीतू ने प्रत्येक टूर्नामेंट के साथ अपने खेल में और सुधार किया और उन्हें राष्ट्रमंडल खेल 2022 के बॉक्सिंग ट्रायल के लिए बुलाया गया। जहां उनके पहले पड़ाव के रूप सेमीफाइनल में उनका सामना किसी और से नहीं, बल्कि उनकी आदर्श मैरी कॉम से हुआ।
हालांकि, मुकाबला काफी रोमांचक रहा, लेकिन यह एक अलग तरीके से समाप्त हुआ। डिवीजन में कॉमनवेल्थ गेम्स की तत्कालीन चैंपियन मैरी कॉम को एक मिनट बाद घुटने में एक इंजरी का सामना करना पड़ा और RSCI (रेफरी स्टॉप कॉन्टेस्ट - इंजरी) द्वारा मुकाबले को रोक दिया गया। जिसके कारण नीतू को यह जीत आसानी से मिल गई।
लेकिन इस जीत ने नीतू को वह खुशी नहीं दी, जो वह अपनी आदर्श के खिलाफ मुकाबला करके हासिल करना चाहती थीं। क्योंकि मैरी कॉम जैसी दिग्गज मुक्केबाज के सामने वह खुद को परखना चाहती थीं।
नीतू घंघास ने कहा, “मैं मैरी कॉम के साथ एक पूरा मैच खेलना चाहती थी और उन्हें वह सब कुछ दिखाना चाहती थी जिसके लिए मैंने इतने सालों तक मेहनत की। मेरे पास मौका था लेकिन ऐसा नहीं हुआ।”
फाइनल में नीतू ने बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेल 2022 के लिए भारतीय बॉक्सिंग टीम में अपना स्थान बनाने के लिए 5-2 के स्प्लिट डिसीजन से पूर्व विश्व चैंपियनशिप की रजत पदक विजेता मंजू रानी को मात दी।
उनकी जीत के बाद भी कई सवाल उठ रहे थे कि क्या युवा बड़े मंच के लिए तैयार हैं या नहीं। यह सिर्फ एक सुझाव की तरह या फिर बहस का मुद्दा था कि क्या ट्रायल में मैरी कॉम की चोट के कारण वह सिर्फ बर्मिंघम के लिए चुनी गईं।
और बर्मिंघम में नीतू घंघास ने सभी के शक को दूर कर बेहतरीन प्रदर्शन किया।
नीतू की क्वार्टर-फाइनल प्रतिद्वंदी उत्तरी आयरलैंड की निकोल क्लाइड को दूसरे राउंड में मैच को छोड़ना पड़ा, क्योंकि वह भारतीय बॉक्सर को कड़ी टक्कर देने में नाकाम रहीं।
सेमीफाइनल में कनाडा की प्रियंका ढिल्लो के खिलाफ रेफरी को नीतू के पक्ष में मुकाबले को करने के लिए तीसरे राउंड में दखल देना पड़ा।
विश्व चैंपियनशिप की पूर्व कांस्य पदक विजेता इंग्लैंड की डेमी-जेड रेसजटन ने फाइनल में नीतू के खिलाफ तीनों राउंड तक कड़ी टक्कर दी, लेकिन वह 5-0 से हार गईं।
नीतू ने अपनी जीत के बाद कहा, "रेसजटन ताकतवर खिलाड़ी थी और वह एक बहुत ही शानदार प्रतिद्वंद्वी थी। उन्होंने मुझे बाद में कहा कि मैं स्वर्ण पदक जीतने की हकदार हूं और यह मेरे लिए बहुत मायने रखता है।”
नीतू घंघास विश्व चैंपियन
CWG में अपनी सफलता के कुछ महीनों बाद, नीतू घंघास ने नई दिल्ली में आयोजित महिला मुक्केबाजी विश्व चैंपियनशिप 2023 में स्वर्ण पदक अपने नाम किया।
नीतू घंघास पूरे टूर्नामेंट में अजेय रहीं और उनका सबसे कठिन मुकाबला सेमीफाइनल में कजाख की मुक्केबाज अलुआ बाल्किबेकोवा से हुआ, जो दो बार की एशियाई चैंपियन और पूर्व विश्व रजत पदक विजेता हैं। बाल्किबेकोवा को 3-2 से हराने के बाद, नीतू घंघास ने मंगोलिया की लुत्सेखानी अल्तांत्सेत्सेग को सर्वसम्मत निर्णय से हराकर 22 साल की उम्र में अपना पहला विश्व चैंपियनशिप का ताज हासिल किया।
हालांकि, वह अपनी उम्र में पहले ही बहुत कुछ हासिल कर चुकी हैं, लेकिन मैरी कॉम की असली उत्तराधिकारी के खिताब के योग्य माने जाने से पहले नीतू घंघास को अभी भी बहुत कुछ करना है।
पेरिस 2024 ओलंपिक के लिए भारतीय टीम में जगह बनाने की कोशिश में, नीतू घंघास को 54 किग्रा वर्ग में जाना पड़ा, क्योंकि पेरिस 2024 के ग्रीष्मकालीन खेलों के कार्यक्रम में उनका 48 किग्रा वर्ग शामिल नहीं था।
युवा खिलाड़ी के लिए 50 किग्रा वर्ग में प्रतिस्पर्धा करना ज्यादा फायदेमंद होता, लेकिन दो बार की विश्व चैंपियन निकहत जरीन के इस वर्ग के लिए स्पष्ट विकल्प होने के कारण, नीतू को अपने भार वर्ग में इजाफा करना पड़ा।
हालांकि, उनके सर्वश्रेष्ठ प्रयासों के बावजूद, प्रीति पवार को 2023 एशियाई खेलों में 54 किग्रा वर्ग में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना गया और हांगझोऊ में कांस्य पदक जीतने का मतलब था कि नीतू की कीमत पर प्रीति ही पेरिस के लिए उड़ान भरेंगी।
हालांकि, नीतू को भरोसा है कि उनमें लॉस एंजिल्स 2028 में जगह बनाने की क्षमता है।
नीतू घंघास की उपलब्धियां
- यूथ वूमेंस नेशनल्स 2016 – कांस्य पदक
- बाल्कन यूथ इंटरनेशनल बॉक्सिंग चैंपियनशिप 2017 – स्वर्ण पदक
- यूथ वूमेंस वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप 2017 - स्वर्ण पदक
- एशियन यूथ चैंपियनशिप 2018 - स्वर्ण पदक
- यूथ वूमेंस नेशनल्स 2018 - स्वर्ण पदक
- गोल्डन ग्लव ऑफ वोज्वोडिना यूथ टूर्नामेंट 2018 - स्वर्ण पदक
- यूथ वूमेंस वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप 2018 - स्वर्ण पदक
- वूमेंस नेशनल्स 2021 - स्वर्ण पदक
- स्ट्रैंड्जा मेमोरियल बॉक्सिंग टूर्नामेंट 2022 - स्वर्ण पदक
- वूमेंस वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप 2022 - क्वार्टर फाइनलिस्ट
- कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 - स्वर्ण पदक
- महिला विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप 2023 - स्वर्ण पदक