अमलान बोरगोहेन बोलने में भले ही थोड़ा सा हकलाते हैं, लेकिन ट्रैक पर इस 24 वर्षीय भारतीय एथलीट की रफ़्तार की बराबरी कोई नहीं कर सकता है।
पुरुषों के 200 मीटर दौड़ में राष्ट्रीय रिकॉर्ड अपने नाम करने वाले अमलान बोरगोहेन अब तक के सबसे तेज भारतीय धावक हैं। इससे पहले 100 मीटर दौड़ का रिकॉर्ड भी अमलान बोरगोहेन के नाम था, लेकिन नेशनल ओपन एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2023 में मणिकांत होबलीधर ने 0.02 सेकेंड के अंतर से उनके रिकॉर्ड को तोड़कर नया रिकॉर्ड बनाया।
अमलान ने एक इंटरव्यू के दौरान द ट्रिब्यून को बताया, "मैं बहुत हकलाता हूं। मैं बचपन से ऐसा ही था। सब मुझसे कहते थे कि 'जल्दी बोल, जल्दी बोल'। अब, मैं बहुत तेज़ दौड़ता हूं और उनसे कहता हूं 'जल्दी चल, जल्दी चल' !"
हालांकि, अमलान अब इस बात को मज़ाकिया लहज़े में ख़त्म कर देते हैं लेकिन बोलने की उनकी यह समस्या एक बच्चे के रूप में उन्हें हमेशा ही परेशान करती थी, जब दूसरे बच्चे उनके हकलाने को लेकर उनका मज़ाक बनाते थे। बल्कि, बच्चों के अलावा एक बार ऐसी घटना भी हुई जिसमें उनके शिक्षक ने भी उनसे बुरा व्यवहार किया और उनका मज़ाक बनाया था।
अमलान बोरगोहेन ने टाइम्स ऑफ इंडिया के साथ एक इंटरव्यू के दौरान उस घटना को याद करते हुए कहा, "यह तब हुआ जब मैं सिर्फ 11 साल का था। मेरे स्कूल के शिक्षक ने मुझे, मेरे पिताजी और पूरी क्लास के सामने शर्मिंदा करते हुए कहा कि मैं किसी काम का नहीं हूं और एक 'लूजर' हूं। उन्होंने मेरे पिता से कहा 'आपका बेटा अपने जीवन में कुछ भी नहीं कर पाएगा।'
लेकिन इस घटना ने उन्हें कुछ बड़ा करने के लिए और अधिक प्रेरित किया। अमलान बोरगोहेन कहते हैं कि उन्होंने अपने छोटे से करियर में अब तक जो कुछ भी उपलब्धि हासिल की है, उसकी वजह कुछ हद तक उनके शिक्षक द्वारा किया गया वह भद्दा मज़ाक भी है, जिसके बाद उन्होंने कुछ कर गुज़रने की ठान ली थी।
भारतीय धावक ने आगे कहा, "क्या दूसरों से अलग जन्म लेना अपराध है? लोग हमेशा कमज़ोरों को दबाना चाहते हैं, यह मानवीय स्वभाव है। मैं अपने शिक्षक द्वारा बोले गए उन शब्दों को कभी नहीं भूल सकता। हर बार जब मैं रेस में दौड़ता हूं तो उनके वे शब्द मेरे दिमाग में गूंजते हैं।"
अमलान बोरगोहेन कहां के रहने वाले हैं?
अमलान बोरगोहेन का जन्म 25 अप्रैल 1998 को असम के जोरहाट में हुआ था। उनके पिता बीसी बोरगोहेन भारतीय सेना में थे और 2009 में सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने हैदराबाद में एक नौकरी शुरु की और वहीं रहने लगे। अमलान अपनी मां गीतांजलि और बड़े भाई प्रद्युमन के साथ साल 2014 में हैदराबाद चले गए।
बड़े होने के दौरान फुटबॉल उनका पहला प्यार था। दरअसल, यह एक ऐसा खेल जो उनके पिता और भाई भी खेलते थे और बोरगोहेन ने भी राष्ट्रीय स्तर पर फुटबॉल में अपनी स्कूल की टीम का प्रतिनिधित्व किया था। हालांकि, खेल के दौरान लगातार लगने वाली चोटों ने उनके फुटबॉल करियर को बाधित किया और वे उसमें करियर नहीं बना सके।
हालांकि, इसके बावज़ूद भी अमलान बोरगोहेन का फुटबॉल के प्रति प्यार कम नहीं हुआ है और वे इस खेल के बहुत बड़े प्रशंसक हैं। पुर्तगाल के दिग्गज फ़ुटबॉलर क्रिस्टियानो रोनाल्डो और भारतीय फुटबॉल टीम के कप्तान सुनील छेत्री को अमलान अपना आदर्श मानते हैं।
अपनी मां और भाई के द्वारा समझाने और प्रोत्साहित करने के बाद उन्होंने अंततः 12वीं कक्षा में फुटबॉल छोड़ने का कठिन निर्णय लिया और एथलेटिक्स में अपना करियर बनाना शुरू कर दिया। अमलान बोरगोहेन की ऊंचाई - 6 फुट 4 इंच होने के साथ ही एक फुटबॉलर के रूप में उनके अंदर जो रफ़्तार थी, उसने स्वभाविक रुप से उनका ध्यान धावक बनने की तरफ आकर्षित किया।
वास्तव में, अमलान के बड़े भाई प्रद्युमन को विश्वास था कि वे 100 मीटर स्पर्धा में अब्दुल नज़ीब क़ुरैशी द्वारा उस समय बनाए गए राष्ट्रीय रिकॉर्ड को तोड़ सकते हैं। दिलचस्प बात यह थी कि उस वक़्त के राष्ट्रीय रिकॉर्ड धारक अब्दुल नज़ीब क़ुरैशी हैदराबाद में बोरगोहेन परिवार के पड़ोसी थे।
यहां यह जानना भी ज़रूरी है कि प्रद्युमन ने अपने छोटे भाई के करियर को दिशा देने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने अपनी बीमार मां की देखभाल करने के लिए अपनी मैनेजमेंट की नौकरी भी छोड़ दी ताकि अमलान मां की सेहत को लेकर व्यस्त न हो जाएं और उन्हें अपने एथलेटिक्स करियर पर ध्यान केंद्रित करने का पूरा मौक़ा मिलता रहे।
आगे चलकर, अमलान के द्वारा 100 मीटर रेस में पहली बार स्वर्ण पदक जीतने में भी उनके बड़े भाई ने मुख्य भूमिका अदा की। प्रद्युमन ने अपने दोस्त से बड़े साइज के जूतों की व्यवस्था की थी जिसे पहनकर अमलान बोरगोहेन ने जूनियर डिस्ट्रिक्ट मीट में अपनी पहली 100 मीटर रेस में हिस्सा लिया और स्टेट चैंपियन को हराकर स्वर्ण पदक अपने नाम किया।
इसके बाद उन्हें कई अन्य छोटी-छोटी सफलताएं मिलती रहीं, जिसने अमलान बोरगोहेन को इस खेल को अपने करियर के रुप में चुनने के लिए प्रोत्साहित किया।
अमलान बोरगोहेन के पदक और रिकॉर्ड
साल 2015 में, उन्होंने औपचारिक रूप से हैदराबाद के सरूरनगर इंडोर स्टेडियम में कोच साई रेड्डी के मार्गदर्शन में प्रशिक्षण लेना शुरू किया।
अमलान बोरगोहेन ने 2017-18 से राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेना शुरू किया और कोई पदक नहीं जीतने के बाद भी लोगों को उनकी बेहतरीन प्रतिभा को पहचानने में देर नहीं लगी। भुवनेश्वर में एथलेटिक्स हाई-परफॉर्मेंस सेंटर के मुख्य कोच जेम्स हिलियर उनके प्रशंसकों में शामिल थे।
जेम्स हिलियर ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, "मैं बस इतना जानता था कि उनके अंदर एक ख़ास प्रतिभा है। मैं लंबे समय से लोगों को प्रशिक्षित कर रहा हूं। उनकी टाइमिंग बहुत अच्छी नहीं थी लेकिन मुझे पता था कि उनके अंदर क्षमता है और इसलिए मैंने उन पर दांव खेलने का फ़ैसला लिया।"
हिलियर का दांव सफल हुआ और भारत को एथलेटिक्स की दुनिया में एक नई सनसनी मिल गई।
अमलान बोरगोहेन 2020 में हिलियर के साथ प्रशिक्षण के लिए भुवनेश्वर चले गए। इसके बाद कोविड -19 का दौर आया जिसमें उन्होंने अपनी बुनियादी चीज़ों पर जमकर काम किया और उसके बाद एक नया एथलीट उभरकर दुनिया के सामने आया।
बोरगोहेन का राष्ट्रीय स्तर का पहला बड़ा पदक सितंबर 2021 में वारंगल में आयोजित राष्ट्रीय ओपन चैंपियनशिप में आया। उन्होंने क्रमशः 100 मीटर और 200 मीटर की स्पर्धा में 20.75 सेकेंड और 10.34 सेकेंड का समय लेकर स्वर्ण पदक हासिल किया।
असम के इस धावक ने अगले वर्ष भी अपना बेहतरीन फॉर्म जारी रखा और 6 अप्रैल, 2022 को उन्होंने अपने नाम पहला राष्ट्रीय रिकॉर्ड दर्ज करवाया। अमलान ने केरल के थेनिपालम में फेडरेशन कप में पुरुषों की 200 मीटर स्पर्धा का स्वर्ण पदक जीतने के लिए 20.52 सेकेंड का समय लिया और साल 2018 में मोहम्मद अनस याहिया के द्वारा बनाए गए 20.63 सेकेंड के पिछले रिकॉर्ड को तोड़ दिया।
मई 2022 में इंग्लैंड, साइप्रस और नीदरलैंड में आयोजित एथलेटिक्स प्रतियोगिता में पदक हासिल करते हुए बोरगोहेन ने विदेशों में कुछ प्रभावशाली प्रदर्शन का मुज़ाहिरा पेश किया।
इसके बाद जून 2022 में अमलान बोरगोहेन ने चेन्नई में आयोजित नेशनल इंटर-स्टेट सीनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप के 100 मीटर और 200 मीटर दोनों स्पर्धाओं में स्वर्ण पदक हासिल किया।
अमलान बोरगोहेन ने 29 अगस्त को रायबरेली में आयोजित ऑल इंडिया इंटर रेलवे एथलेटिक्स चैंपियनशिप में पुरुषों के 100 मीटर स्पर्धा में उस वक़्त राष्ट्रीय रिकॉर्ड हासिल किया था। उन्होंने 10.25 सेकेंड का समय लेते हुए स्वर्ण पदक अपने नाम किया। उनके द्वारा लिया गया समय अमिय कुमार मलिक के द्वारा साल 2016 में बनाए 10.26 सेकेंड के पिछले रिकॉर्ड से 0.1 सेकेंड कम था।
भारतीय धावक ने गुजरात में आयोजित नेशनल गेम्स 2022 में दो स्वर्ण पदक के साथ सीज़न को शानदार अंजाम दिया। उन्होंने पुरुषों की 100 मीटर स्पर्धा में 10.38 सेकेंड और 200 मीटर स्पर्धा में 20.55 सेकेंड का समय लेते हुए स्वर्ण पदक पर कब्ज़ा किया।
एक साल बाद, अमलान बोरगोहेन ने FISU वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स 2023 में पुरुषों की 200 मीटर में कांस्य पदक जीता, जो शायद अंतरराष्ट्रीय मंच पर अब तक की उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि है।
अमलान बोरगोहेन एनिमेशन फिल्मों के भी शौक़ीन और प्रशंसक हैं, विशेष रूप से लोकप्रिय ड्रैगन बॉल सीरीज़। वे बताते हैं कि इस सीरीज़ के नायक, गोकू ने बचपन से ही उन्हें काफ़ी प्रेरित किया है।
उन्होंने ईएसपीएन को बताया, "ड्रैगन बॉल सीरीज़ में गोकू वह किरदार है जो तब तक खुद में सुधार करता रहता है जब तक वह अंततः अल्ट्रा (परम शक्ति) हासिल नहीं कर लेता है। मुझे गोकू जैसा बनना है। इसलिए मुझे मैदान पर क़दम रखना होगा और बहादुर बनना होगा।"
अमलान बोरगोहेन भारतीय एथलेटिक्स के लिए कई बड़ी उम्मीदों से एक हैं और उनके अंदर भविष्य की काफ़ी संभावनाएं देखी जा सकती हैं। आगामी कुछ वर्षों में इस धावक की प्रगति को खेल पंडित काफ़ी क़रीब से देखेंगे।
अमलान बोरगोहेन की उपलब्धियां और सर्वश्रेष्ठ व्यक्तिगत रिकॉर्ड
-
पुरुषों के 100 मीटर में व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ - 10.25 सेकेंड (किसी भी भारतीय धावक का दूसरा सबसे तेज़ समय)
-
पुरुषों के 200 मीटर में राष्ट्रीय रिकॉर्ड - 20.52 (व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ)
-
100 मीटर और 200 मीटर स्पर्धा में दो बार के नेशनल चैंपियन
-
नेशनल गेम्स 2022 की 100 मीटर और 200 मीटर स्पर्धा में स्वर्ण पदक
-
चेंगदू में FISU वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स 2023 में पुरुषों की 200 मीटर में कांस्य पदक