टेनिस रैंकिंग: ATP और WTA रैंकिंग के अंतर को समझिए

कभी आपने सोचा है कि नोवाक जोकोविच और इगा स्विटेक दुनिया के मौजूदा नंबर-1 पुरुष और महिला एकल टेनिस खिलाड़ी कैसे बन गए? यहां इसका जवाब जानिए।

8 मिनटद्वारा जतिन ऋषि राज
Roger Federer and Novak Djokovic have dominated the men's singles ATP tennis rankings in recent years.
(Getty Images)

टेनिस का खेल बेहद शानदार है और यह दुनिया के आकर्षक खेलों में से एक है।

भारत में टेनिस पिछले तीन दशक से दर्शकों का मन लुभा रहा है और और इसमें 1996 ओलंपिक गेम्स मेडल जीतने वाले लिएंडर पेस का बहुत बड़ा योगदान है।महेश भूपति और महिला टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्ज़ा ने भी इस खेल से बहुत शोहरत हासिल की है। इतना ही नहीं बल्कि सानिया मिर्ज़ा डबल्स टेनिस में नंबर-1 के पायदान पर भी विराजमान हो चुकी हैं।

टेनिस में रैंकिंग के हिसाब से ही एक खिलाड़ी/जोड़ी के खेल को आंका जाता है। पहले रैंकिंग को टूर्नामेंट की क्वालिफिकेशन के लिए देखा जाता था और साथ ही खिलाड़ियों की सीड तय करने में भी इसका बड़ा योगदान होता है। मेंस टेनिस और वूमेंस टेनिस में समय के साथ काफी बदलाव आए हैं।

वास्तव में टेनिस रैंकिंग कैसे निर्धारित की जाती है। पुरुषों और महिलाओं के टेनिस खिलाड़ियों के लिए प्रक्रिया अलग है? इन सवालों के जवाब देने के लिए यहां विस्तृत जानकारी दी गई है।

टेनिस रैंकिंग: इतिहास

टेनिस को सही से 1800 दशक में लाया गया था और तब से ही यह खेल लोगों में काफी प्रसिद्ध है।

1950 से कई ब्रिटिश अखबारों ने अपनी खुद की रैंकिंग जारी करनी शुरू कर दी थी और दिग्गज पत्रकार लांस तिंगे की सालाना सर्वश्रेष्ठ 10 खिलाड़ियों की रैंकिंग को मान्यता दी जाती थी।

एसोसिएशन ऑफ टेनिस प्रोफेशनल (ATP) के गठन के साथ विश्व शासी निकाय ने मेंस रैंकिंग्स को 1972 में मान्यता दी और इसी के आधार पर प्रतियोगिताओं में प्रवेश करने के मानदंडों को सुव्यवस्थित करने के लिए औपचारिक कम्प्यूटरीकृत टेनिस रैंकिंग की पहली बार नींव रखी गई थी।

पहली बार मेंस सिंगल्स रैंकिंग को 23 अगस्त, 1973 लागू किया गया था। उस समय रोमानिया के इली नॉस्टेज को एटीपी मेंस सिंगल्स विश्व नंबर-1 खिलाड़ी तय किया गया। तीन साल बाद 1 मार्च, 1976 में डबल्स रैंकिंग को भी साझा किया गया था।

वहीं 1973 में बिली जीन किंग ने वूमेंस टेनिस एसोसिएशन को बनाया, जो महिला टेनिस में विश्व शासी निकाय है।

जहां ATP रैंकिंग मेंस सिंगल्स और डबल्स को तय करता था तो वहीं WTA रैंकिंग वूमेंस सिंगल्स और डबल्स को तय करता था। उस समय मिक्स्ड डबल्स के लिए ऐसी कोई प्रक्रिया नहीं की जाती थी।

पहले के समय में एक खिलाड़ी के परिणामों का औसत निकाला जाता था और उन्हें उसी हिसाब से रैंकिंग दी जाती थी। 1990 के बाद से इस प्रक्रिया में बदलाव करते हुए इसे और बेहतर कर दिया गया। अब ATP और WTA दोनों ही रैंकिंग्स के लिए समान प्रक्रिया को फॉलो करते हैं और इनमें बहुत कम अंतर है।

ATP रैंकिंग्स - मेंस सिंगल्स और डबल्स टेनिस रैंकिंग

ATP रैंकिंग में उन अंकों को गिना जाता है जो मेंस सिंगल्स और डबल्स के दौरान किसी भी ATP प्रमाणित प्रतियोगिता में जीते होते हैं। इसका समय 52 हफ़्तों का होता है।

इसका यह मतलब नहीं है कि अगर कोई टेनिस खिलाड़ी ज़्यादा प्रतियोगिताएं खेल रहा है तो उसे ज़्यादा फायदा है। पहले 14 प्रतियोगिताओं को मान्यता थी लेकिन इसे साल 2000 में 18 कर दिया गया। 2021 से इसमें और बढ़ोतरी की जाएगी और अब 19 प्रतियोगिताओं को गिना जाएगा।

ऐसे में अगर 52 हफ़्तों के दौरान कोई भी टेनिस खिलाड़ी 21 प्रतियोगिताओं में भाग लेता है तो उसके सर्वश्रेष्ठ 19 अंकों को गिना जाता है। इसी वजह से इस नियम को अभी तक का सर्वश्रेष्ठ नियम बताया गया है

ऐसे में एक खिलाड़ी/जोड़ी (टॉप 30 रैंक के) से 4 ग्रैंड स्लैम, 8 ATP मास्टर्स 1000 इवेंट और 7 ATP कप की अन्य प्रतियोगिताओं, ATP टूर 500, 250 ATP चैलेंजर टूर या ITF WTT मेंस इवेंट में जीते हुए अंकों से उम्मीद लगाई जाती है।

हर ग्रैंड स्लैम और अनिवार्य ATP टूर मास्टर्स 1000 टूर्नामेंट में यदि कोई खिलाड़ी भाग नहीं ले पाता तो उन्हें बाकी प्रतियोगिताओं में खेल कर इस सूची को पूरा करना होता है। बस इसके लिए उनके पास 52 हफ़्तों का समय दिया जाता है।

उदाहरण के तौर पर, अगर एक खिलाड़ी ने एक ग्रैंड स्लैम छोड़ दिया या किसी भी ATP मास्टर्स 1000 इवेंट में हिस्सा नहीं लिया तो उन्हें अन्य इवेंट में भाग ले कर अपने आंकड़ों को 19 तक लेकर जाना होगा।

साल के अंत तक ATP फाइनल टॉप 8 सिंगल्स खिलाड़ियों और जोड़ियों में खेला जाता है। जो खिलाड़ी क्वालिफाई कर चुके हैं उनके लिए ATP फाइनल एक बोनस होता है और वह उनके लिए 20वीं प्रतियोगिता गिनी जाती है।

क्वालीफाई करने के बाद हर खिलाड़ी को कुछ अंक मिलते हैं लेकिन इन अंकों में बढ़ोतरी तबी होती है उस प्रतियोगिता में खिलाड़ियों को जीत नसीब होती है। ऐसे में हर टूर्नामेंट को उसकी अहमियत के हिसाब से अंक दिए जाते हैं और उसकी अहमियत उसके इतिहास और प्रतिभागियों पर निर्भर करती है।

ATP रैंकिंग के ग्रैंड स्लैम प्वाइंट

ग्रैंड स्लैम: ATP टेनिस कैलेंडर में 4 ग्रैंड स्लैम (ऑस्ट्रेलियन ओपन, फ्रेंच ओपन, विंबलडन और यूएस ओपन) के पास सबसे ज़्यादा अंक होते हैं। यहां ग्रैंड स्लैम अंक प्रणाली है:

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ATP फाइनल: अगर कोई खिलाड़ी/जोड़ी ATP फाइनल के लिए क्वालिफाई कर लेता है तो टूर्नामेंट को बिना कोई मुकाबला हारे जीत जाता है तो वह अधिकतम 1500 अंक (200 अंक तीन राउंड के लिए, 400 सेमीफाइनल और 500 फाइनल) हासिल कर सकता है।

जीते गए मैचों के अनुसार बाकी अंक अर्जित किए जाते हैं।

ATP मास्टर्स 1000: कुल मिलाकर एक साल में 9 ATP मास्टर्स 1000 खेले जाते हैं, जिसमें इंडियन वेल्स, मियामी ओपन, मैड्रिड ओपन, इटालियन ओपन, कानडियन ओपन, सिनसिनाती मास्टर्स, शांघाई मास्टर्स, पेरिस मास्टर्स और मोंटे-कार्लो मास्टर्स शामिल हैं।

किसी भी जोड़ी/खिलाड़ी, विशेष रूप से शीर्ष 30 रैंकिंग में, जो इन 1000 इवेंट मास्टर्स के लिए क्वालिफाई करता है उसे यह सभी इवेंट खेलने होते हैं जिसमें मोंटे-कार्लो में हिस्सा लेना अनिवार्य है। यदि कोई खिलाड़ी चोटिल है तो उस मुद्दे को नज़र अंदाज़ नहीं किया जाता।

यदि कम प्रतिभागी हैं, तो खिलाड़ियों को 25 के बजाय राउंड-ऑफ-64 में खेलने के लिए 10 अंक मिलते हैं।

अगले स्तर में एटीपी टूर 500 और एटीपी टूर 250 टूर्नामेंट शामिल हैं।

इनके बाद ATP चैलेंजर 125, 110, 100, 90, 80, 50 टूर्नामेंट में कई सारे निचली रैंक के अंतरराष्ट्रीय टेनिस फेडरेशन के इवेंट भी शामिल हैं।

ATP कप के मुकाबलों के द्वारा मिले गए अंकों को भी गोना जाता है। इस प्रतियोगिता के अंक देशों पर निर्भर करते हैं।

WTA रैंकिंग्स – वूमेंस सिंगल्स और डबल्स टेनिस रैंकिंग

WTA रैंकिंग की भी ATP रैंकिंग जैसी ही प्रक्रिया है। इसमें भी 52 हफ़्तों की प्रतियोगिताओं को गिना जाता है लेकिन एक अंतर है और वह कुल प्रतियोगिताओं का।

WTA रनिंग को ज़्यादा से ज़्यादा 16 सिंगल्स और 11 डबल्स प्रतियोगिता को गिना जाता है। इसमें 4 ग्रैंड स्लैम, 4 अनिवार्य WTA 1000 इवेंट (इंडियन वेल्स, मियामी, मैड्रिड, बीजिंग) टूर्नामेंट के अंक को गिना जाता है।

इन 8 को हटाके बाकिओं के परिणामों को और अन्य WTA प्रमाणित परिणामों के अंकों को जोड़ा जाता है। ATP फाइनल की तरह ही WTA फाइनल को जीतने के बाद बोनस अंकों की प्राप्ति होती है। WTA फाइनल में क्वालिफाई करने के लिए एक लिस्ट बनाई जाती है जो कि इसी प्रतियोगिता के लिए इस्तेमाल होती है।

WTA रैंकिंग में अपना नाम शुमार करने के लिए खिलाड़ियों को कम से कम 3 प्रतियोगिताएं और कम से कम 10 सिंगल्स और डबल्स रैंकिंग अंक हासिल करने अनिवार्य है।

WTA रैंकिंग पॉइंट ATP पॉइंट से थोड़ी अलग हैं।

WTA रैंकिंग ग्रैंड स्लैम प्वाइंंट का विभाजन:

ग्रैंड स्लैम: ग्रैंड स्लैम के विजेता को 2000 अंक मिलते हैं। इनका विभाजन रनर अप के अंक से अलग हो जाता है। जहां ATP में रनर अप को 1200 अंक मिलते हैं वहीं WTA को 1300 अंक।

WTA फाइनल: जैसे ATP फाइनल जीतने वाले को 1500 मिलते हैं वैसे ही WTA जीतने वाला खिलाड़ी 1800 अंक अर्जित करता है।WTA 1000 को पहले WTA प्रेमियर कहा जाता था और यह उन 4 प्रतियोगिताओं में शुमार था जिनका परिणाम अहम होता है और अब इसे दोबारा से बदला गया है ताकि ATP इवेंट की बराबरी हो सके।

WTA 1000 (बीजिंग, इंडियन वेल्स, मैड्रिड, मियामी):  पहले WTA प्रीमियर मेंडेटरी टूर्नामेंट कहा जाता था, इन चारों को 2021 में WTA 1000 में बदल दिया गया था ताकि एटीपी इवेंट्स के अनुरूप नामकरण किया जा सके।

योग्य और खेलने में सक्षम किसी भी व्यक्ति के लिए ये चार अनिवार्य टूर्नामेंट हैं।

डबल्स राउंड ऑफ़ 32 के लिए खिलाड़ी को 10 अंक मिलते हैं...

WTA 1000 (सिनसिनाती, दोहा/दुबई, रोम, मोंट्रियल/टोरंटो, वुहान) 2021 के लिए इनको रीब्रांड किया गया है और यह प्रतियोगिताएं अनिवार्य नहीं हैं। साथ ही इनमें खेलने वाले खिलाड़ियों को अंक भी कम दिए जाते हैं।

2020 तक इन्हें WTA प्रीमियर 5 के नाम से जाना जाता था।

इनके अलावा WTA 500 (पहले WTA 500 प्रीमियर), WTA 250 (पहले WTA इंटरनेशनल), WTA 125 (पहले $125 K) और ITF टूर्नामेंट के ज़रिए भी टेनिस खिलाड़ी WTA पॉइंट्स हासिल कर सकता था।

ओलंपिक के लिए टेनिस रैंकिंग

ओलंपिक में भी ATP मेंस सिंगल्स में अंकों की प्राप्ति होती थी। और यह साल 2000 से 2012 तक चला था। वहीं वूमेंस सिंगल्स के लिए भी समर गेम्स ने WTA अंकों को मान्यता दे दी थी।

यह सिलसिला 2016 गेम्स के बाद रोक दिया था।

लंदन 2012 मेंस सिंगल्स के गोल्ड मेडल विजेता को 750 ATP रैंकिंग पॉइंट्स दिए गए थे और वहीं वूमेंस सिंगल्स में 685 WTA रैंकिंग पॉइंट्स हासिल हुए थे।

अभी भी ATP और WTA रैंकिंग पॉइंट्स ओलंपिक गेम्स में क्वालिफाई करने के लिए अहम है।

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